< اَلْمَزَامِيرُ 79 >

مَزْمُورٌ. لِآسَافَ اَللَّهُمَّ، إِنَّ ٱلْأُمَمَ قَدْ دَخَلُوا مِيرَاثَكَ. نَجَّسُوا هَيْكَلَ قُدْسِكَ. جَعَلُوا أُورُشَلِيمَ أَكْوَامًا. ١ 1
आसाप का भजन हे परमेश्वर, अन्यजातियाँ तेरे निज भाग में घुस आईं; उन्होंने तेरे पवित्र मन्दिर को अशुद्ध किया; और यरूशलेम को खण्डहर कर दिया है।
دَفَعُوا جُثَثَ عَبِيدِكَ طَعَامًا لِطُيُورِ ٱلسَّمَاءِ، لَحْمَ أَتْقِيَائِكَ لِوُحُوشِ ٱلْأَرْضِ. ٢ 2
उन्होंने तेरे दासों की शवों को आकाश के पक्षियों का आहार कर दिया, और तेरे भक्तों का माँस पृथ्वी के वन-पशुओं को खिला दिया है।
سَفَكُوا دَمَهُمْ كَٱلْمَاءِ حَوْلَ أُورُشَلِيمَ، وَلَيْسَ مَنْ يَدْفِنُ. ٣ 3
उन्होंने उनका लहू यरूशलेम के चारों ओर जल के समान बहाया, और उनको मिट्टी देनेवाला कोई न था।
صِرْنَا عَارًا عِنْدَ جِيرَانِنَا، هُزْءًا وَسُخْرَةً لِلَّذِينَ حَوْلَنَا. ٤ 4
पड़ोसियों के बीच हमारी नामधराई हुई; चारों ओर के रहनेवाले हम पर हँसते, और ठट्ठा करते हैं।
إِلَى مَتَى يَارَبُّ تَغْضَبُ كُلَّ ٱلْغَضَبِ، وَتَتَّقِدُ كَٱلنَّارِ غَيْرَتُكَ؟ ٥ 5
हे यहोवा, कब तक? क्या तू सदा के लिए क्रोधित रहेगा? तुझ में आग की सी जलन कब तक भड़कती रहेगी?
أَفِضْ رِجْزَكَ عَلَى ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ لَا يَعْرِفُونَكَ، وَعَلَى ٱلْمَمَالِكِ ٱلَّتِي لَمْ تَدْعُ بِٱسْمِكَ، ٦ 6
जो जातियाँ तुझको नहीं जानती, और जिन राज्यों के लोग तुझ से प्रार्थना नहीं करते, उन्हीं पर अपनी सब जलजलाहट भड़का!
لِأَنَّهُمْ قَدْ أَكَلُوا يَعْقُوبَ وَأَخْرَبُوا مَسْكَنَهُ. ٧ 7
क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया, और उसके वासस्थान को उजाड़ दिया है।
لَا تَذْكُرْ عَلَيْنَا ذُنُوبَ ٱلْأَوَّلِينَ. لِتَتَقَدَّمْنَا مَرَاحِمُكَ سَرِيعًا، لِأَنَّنَا قَدْ تَذَلَّلْنَا جِدًّا. ٨ 8
हमारी हानि के लिये हमारे पुरखाओं के अधर्म के कामों को स्मरण न कर; तेरी दया हम पर शीघ्र हो, क्योंकि हम बड़ी दुर्दशा में पड़े हैं।
أَعِنَّا يَا إِلَهَ خَلَاصِنَا مِنْ أَجْلِ مَجْدِ ٱسْمِكَ، وَنَجِّنَا وَٱغْفِرْ خَطَايَانَا مِنْ أَجْلِ ٱسْمِكَ. ٩ 9
हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, अपने नाम की महिमा के निमित्त हमारी सहायता कर; और अपने नाम के निमित्त हमको छुड़ाकर हमारे पापों को ढाँप दे।
لِمَاذَا يَقُولُ ٱلْأُمَمُ: «أَيْنَ هُوَ إِلَهُهُمْ؟». لِتُعْرَفْ عِنْدَ ٱلْأُمَمِ قُدَّامَ أَعْيُنِنَا نَقْمَةُ دَمِ عَبِيدِكَ ٱلْمُهْرَاقِ. ١٠ 10
१०अन्यजातियाँ क्यों कहने पाएँ कि उनका परमेश्वर कहाँ रहा? तेरे दासों के खून का पलटा अन्यजातियों पर हमारी आँखों के सामने लिया जाए।
لِيَدْخُلْ قُدَّامَكَ أَنِينُ ٱلْأَسِيرِ. كَعَظَمَةِ ذِرَاعِكَ ٱسْتَبْقِ بَنِي ٱلْمَوْتِ. ١١ 11
११बन्दियों का कराहना तेरे कान तक पहुँचे; घात होनेवालों को अपने भुजबल के द्वारा बचा।
وَرُدَّ عَلَى جِيرَانِنَا سَبْعَةَ أَضْعَافٍ فِي أَحْضَانِهِمِ ٱلْعَارَ ٱلَّذِي عَيَّرُوكَ بِهِ يَارَبُّ. ١٢ 12
१२हे प्रभु, हमारे पड़ोसियों ने जो तेरी निन्दा की है, उसका सात गुणा बदला उनको दे!
أَمَّا نَحْنُ شَعْبُكَ وَغَنَمُ رِعَايَتِكَ نَحْمَدُكَ إِلَى ٱلدَّهْرِ. إِلَى دَوْرٍ فَدَوْرٍ نُحَدِّثُ بِتَسْبِيحِكَ. ١٣ 13
१३तब हम जो तेरी प्रजा और तेरी चराई की भेड़ें हैं, तेरा धन्यवाद सदा करते रहेंगे; और पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरा गुणानुवाद करते रहेंगे।

< اَلْمَزَامِيرُ 79 >