< اَلْمَزَامِيرُ 78 >

قَصِيدَةٌ لِآسَافَ اِصْغَ يَا شَعْبِي إِلَى شَرِيعَتِي. أَمِيلُوا آذَانَكُمْ إِلَى كَلَامِ فَمِي. ١ 1
ऐ मेरे लोगों मेरी शरी'अत को सुनो मेरे मुँह की बातों पर कान लगाओ।
أَفْتَحُ بِمَثَلٍ فَمِي. أُذِيعُ أَلْغَازًا مُنْذُ ٱلْقِدَمِ. ٢ 2
मैं तम्सील में कलाम करूँगा, और पुराने पोशीदा राज़ कहूँगा,
ٱلَّتِي سَمِعْنَاهَا وَعَرَفْنَاهَا وَآبَاؤُنَا أَخْبَرُونَا. ٣ 3
जिनको हम ने सुना और जान लिया, और हमारे बाप — दादा ने हम को बताया।
لَا نُخْفِي عَنْ بَنِيهِمْ إِلَى ٱلْجِيلِ ٱلْآخِرِ، مُخْبِرِينَ بِتَسَابِيحِ ٱلرَّبِّ وَقُوَّتِهِ وَعَجَائِبِهِ ٱلَّتِي صَنَعَ. ٤ 4
और जिनको हम उनकी औलाद से पोशीदा नहीं रख्खेंगे; बल्कि आइंदा नसल को भी ख़ुदावन्द की ता'रीफ़, और उसकी कु़दरत और 'अजाईब जो उसने किए बताएँगे।
أَقَامَ شَهَادَةً فِي يَعْقُوبَ، وَوَضَعَ شَرِيعَةً فِي إِسْرَائِيلَ، ٱلَّتِي أَوْصَى آبَاءَنَا أَنْ يُعَرِّفُوا بِهَا أَبْنَاءَهُمْ، ٥ 5
क्यूँकि उसने या'कू़ब में एक शहादत क़ाईम की, और इस्राईल में शरी'अत मुक़र्रर की, जिनके बारे में उसने हमारे बाप दादा को हुक्म दिया, कि वह अपनी औलाद को उनकी ता'लीम दें,
لِكَيْ يَعْلَمَ ٱلْجِيلُ ٱلْآخِرُ. بَنُونَ يُولَدُونَ فَيَقُومُونَ وَيُخْبِرُونَ أَبْنَاءَهُمْ، ٦ 6
ताकि आइंदा नसल, या'नी वह फ़र्ज़न्द जो पैदा होंगे, उनको जान लें: और वह बड़े होकर अपनी औलाद को सिखाएँ,
فَيَجْعَلُونَ عَلَى ٱللهِ ٱعْتِمَادَهُمْ، وَلَا يَنْسَوْنَ أَعْمَالَ ٱللهِ، بَلْ يَحْفَظُونَ وَصَايَاهُ. ٧ 7
कि वह ख़ुदा पर उम्मीद रखें, और उसके कामों को भूल न जाएँ, बल्कि उसके हुक्मों पर 'अमल करें;
وَلَا يَكُونُونَ مِثْلَ آبَائِهِمْ، جِيلًا زَائِغًا وَمَارِدًا، جِيلًا لَمْ يُثَبِّتْ قَلْبَهُ وَلَمْ تَكُنْ رُوحُهُ أَمِينَةً لِلهِ. ٨ 8
और अपने बाप — दादा की तरह, सरकश और बाग़ी नसल न बनें: ऐसी नसल जिसने अपना दिल दुरुस्त न किया और जिसकी रूह ख़ुदा के सामने वफ़ादार न रही।
بَنُو أَفْرَايِمَ ٱلنَّازِعُونَ فِي ٱلْقَوْسِ، ٱلرَّامُونَ، ٱنْقَلَبُوا فِي يَوْمِ ٱلْحَرْبِ. ٩ 9
बनी इफ़्राईम हथियार बन्द होकर और कमाने रखते हुए लड़ाई के दिन फिर गए।
لَمْ يَحْفَظُوا عَهْدَ ٱللهِ، وَأَبَوْا ٱلسُّلُوكَ فِي شَرِيعَتِهِ، ١٠ 10
उन्होंने ख़ुदा के 'अहद को क़ाईम न रख्खा, और उसकी शरी'अत पर चलने से इन्कार किया।
وَنَسُوا أَفْعَالَهُ وَعَجَائِبَهُ ٱلَّتِي أَرَاهُمْ. ١١ 11
और उसके कामों को और उसके'अजायब को, जो उसने उनको दिखाए थे भूल गए।
قُدَّامَ آبَائِهِمْ صَنَعَ أُعْجُوبَةً فِي أَرْضِ مِصْرَ، بِلَادِ صُوعَنَ. ١٢ 12
उसने मुल्क — ए — मिस्र में जुअन के इलाके में, उनके बाप — दादा के सामने 'अजीब — ओ — ग़रीब काम किए।
شَقَّ ٱلْبَحْرَ فَعَبَّرَهُمْ، وَنَصَبَ ٱلْمِيَاهَ كَنَدٍّ. ١٣ 13
उसने समुन्दर के दो हिस्से करके उनको पार उतारा, और पानी को तूदे की तरह खड़ा कर दिया।
وَهَدَاهُمْ بِٱلسَّحَابِ نَهَارًا، وَٱللَّيْلَ كُلَّهُ بِنُورِ نَارٍ. ١٤ 14
उसने दिन को बादल से उनकी रहबरी की, और रात भर आग की रोशनी से।
شَقَّ صُخُورًا فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، وَسَقَاهُمْ كَأَنَّهُ مِنْ لُجَجٍ عَظِيمَةٍ. ١٥ 15
उसने वीरान में चट्टानों को चीरा, और उनको जैसे बहर से खू़ब पिलाया।
أَخْرَجَ مَجَارِيَ مِنْ صَخْرَةٍ، وَأَجْرَى مِيَاهًا كَٱلْأَنْهَارِ. ١٦ 16
उसने चट्टान में से नदियाँ जारी कीं, और दरियाओं की तरह पानी बहाया।
ثُمَّ عَادُوا أَيْضًا لِيُخْطِئُوا إِلَيْهِ، لِعِصْيَانِ ٱلْعَلِيِّ فِي ٱلْأَرْضِ ٱلنَّاشِفَةِ. ١٧ 17
तोभी वह उसके ख़िलाफ़ गुनाह करते ही गए, और वीरान में हक़ता'ला से सरकशी करते रहे।
وَجَرَّبُوا ٱللهَ فِي قُلُوبِهِمْ، بِسُؤَالِهِمْ طَعَامًا لِشَهْوَتِهِمْ. ١٨ 18
और उन्होंने अपनी ख़्वाहिश के मुताबिक़ खाना मांग कर अपने दिल में ख़ुदा को आज़माया।
فَوَقَعُوا فِي ٱللهِ. قَالُوا: «هَلْ يَقْدِرُ ٱللهُ أَنْ يُرَتِّبَ مَائِدَةً فِي ٱلْبَرِّيَّةِ؟ ١٩ 19
बल्कि वह ख़ुदा के खि़लाफ़ बकने लगे, और कहा, “क्या ख़ुदा वीरान में दस्तरख़्वान बिछा सकता है?
هُوَذَا ضَرَبَ ٱلصَّخْرَةَ فَجَرَتِ ٱلْمِيَاهُ وَفَاضَتِ ٱلْأَوْدِيَةُ. هَلْ يَقْدِرُ أَيْضًا أَنْ يُعْطِيَ خُبْزًا، أَوْ يُهَيِّئَ لَحْمًا لِشَعْبِهِ؟». ٢٠ 20
देखो, उसने चट्टान को मारा तो पानी फूट निकला, और नदियाँ बहने लगीं क्या वह रोटी भी दे सकता है? क्या वह अपने लोगों के लिए गोश्त मुहय्या कर देगा?”
لِذَلِكَ سَمِعَ ٱلرَّبُّ فَغَضِبَ، وَٱشْتَعَلَتْ نَارٌ فِي يَعْقُوبَ، وَسَخَطٌ أَيْضًا صَعِدَ عَلَى إِسْرَائِيلَ، ٢١ 21
तब ख़ुदावन्द सुन कर गज़बनाक हुआ, और या'कू़ब के ख़िलाफ़ आग भड़क उठी, और इस्राईल पर क़हर टूट पड़ा;
لِأَنَّهُمْ لَمْ يُؤْمِنُوا بِٱللهِ وَلَمْ يَتَّكِلُوا عَلَى خَلَاصِهِ. ٢٢ 22
इसलिए कि वह ख़ुदा पर ईमान न लाए, और उसकी नजात पर भरोसा न किया।
فَأَمَرَ ٱلسَّحَابَ مِنْ فَوْقُ، وَفَتَحَ مَصَارِيعَ ٱلسَّمَاوَاتِ. ٢٣ 23
तोभी उसने आसमानों को हुक्म दिया, और आसमान के दरवाज़े खोले:
وَأَمْطَرَ عَلَيْهِمْ مَنًّا لِلْأَكْلِ، وَبُرَّ ٱلسَّمَاءِ أَعْطَاهُمْ. ٢٤ 24
और खाने के लिए उन पर मन्न बरसाया, और उनको आसमानी खू़राक बख़्शी।
أَكَلَ ٱلْإِنْسَانُ خُبْزَ ٱلْمَلَائِكَةِ. أَرْسَلَ عَلَيْهِمْ زَادًا لِلشِّبَعِ. ٢٥ 25
इंसान ने फ़रिश्तों की गिज़ा खाई: उसने खाना भेजकर उनको आसूदा किया।
أَهَاجَ شَرْقِيَّةً فِي ٱلسَّمَاءِ، وَسَاقَ بِقُوَّتِهِ جَنُوبِيَّةً. ٢٦ 26
उसने आसमान में पुर्वा चलाई, और अपनी कु़दरत से दखना बहाई।
وَأَمْطَرَ عَلَيْهِمْ لَحْمًا مِثْلَ ٱلتُّرَابِ، وَكَرَمْلِ ٱلْبَحْرِ طُيُورًا ذَوَاتِ أَجْنِحَةٍ. ٢٧ 27
उसने उन पर गोश्त को ख़ाक की तरह बरसाया, और परिन्दों को समन्दर की रेत की तरह;
وَأَسْقَطَهَا فِي وَسَطِ مَحَلَّتِهِمْ حَوَالَيْ مَسَاكِنِهِمْ. ٢٨ 28
जिनको उसने उनकी खे़मागाह में, उनके घरों के आसपास गिराया।
فَأَكَلُوا وَشَبِعُوا جِدًّا، وَأَتَاهُمْ بِشَهْوَتِهِمْ. ٢٩ 29
तब वह खाकर खू़ब सेर हुए, और उसने उनकी ख़्वाहिश पूरी की।
لَمْ يَزُوغُوا عَنْ شَهْوَتِهِمْ. طَعَامُهُمْ بَعْدُ فِي أَفْوَاهِهِمْ، ٣٠ 30
वह अपनी ख्वाहिश से बाज़ न आए, और उनका खाना उनके मुँह ही में था।
فَصَعِدَ عَلَيْهِمْ غَضَبُ ٱللهِ، وَقَتَلَ مِنْ أَسْمَنِهِمْ، وَصَرَعَ مُخْتَارِي إِسْرَائِيلَ. ٣١ 31
कि ख़ुदा का ग़ज़ब उन पर टूट पड़ा, और उनके सबसे मोटे ताज़े आदमी क़त्ल किए, और इस्राईली जवानों को मार गिराया।
فِي هَذَا كُلِّهِ أَخْطَأُوا بَعْدُ، وَلَمْ يُؤْمِنُوا بِعَجَائِبِهِ. ٣٢ 32
बावुजूद इन सब बातों कि वह गुनाह करते ही रहे; और उसके 'अजीब — ओ — ग़रीब कामों पर ईमान न लाए।
فَأَفْنَى أَيَّامَهُمْ بِٱلْبَاطِلِ وَسِنِيهِمْ بِٱلرُّعْبِ. ٣٣ 33
इसलिए उसने उनके दिनों को बतालत से, और उनके बरसों को दहशत से तमाम कर दिया।
إِذْ قَتَلَهُمْ طَلَبُوهُ، وَرَجَعُوا وَبَكَّرُوا إِلَى ٱللهِ، ٣٤ 34
जब वह उनको कत्ल करने लगा, तो वह उसके तालिब हुए; और रुजू होकर दिल — ओ — जान से ख़ुदा को ढूंडने लगे।
وَذَكَرُوا أَنَّ ٱللهَ صَخْرَتُهُمْ، وَٱللهَ ٱلْعَلِيَّ وَلِيُّهُمْ. ٣٥ 35
और उनको याद आया कि ख़ुदा उनकी चट्टान, और ख़ुदा ता'ला उनका फ़िदिया देने वाला है।
فَخَادَعُوهُ بِأَفْوَاهِهِمْ، وَكَذَبُوا عَلَيْهِ بِأَلْسِنَتِهِمْ. ٣٦ 36
लेकिन उन्होंने अपने मुँह से उसकी ख़ुशामद की, और अपनी ज़बान से उससे झूट बोला।
أَمَّا قُلُوبُهُمْ فَلَمْ تُثَبَّتْ مَعَهُ، وَلَمْ يَكُونُوا أُمَنَاءَ فِي عَهْدِهِ. ٣٧ 37
क्यूँकि उनका दिल उसके सामने दुरुस्त और वह उसके 'अहद में वफ़ादार न निकले।
أَمَّا هُوَ فَرَؤُوفٌ، يَغْفِرُ ٱلْإِثْمَ وَلَا يُهْلِكُ. وَكَثِيرًا مَا رَدَّ غَضَبَهُ، وَلَمْ يُشْعِلْ كُلَّ سَخَطِهِ. ٣٨ 38
लेकिन वह रहीम होकर बदकारी मु'आफ़ करता है, और हलाक नहीं करता; बल्कि बारहा अपने क़हर को रोक लेता है, और अपने पूरे ग़ज़ब को भड़कने नहीं देता।
ذَكَرَ أَنَّهُمْ بَشَرٌ. رِيحٌ تَذْهَبُ وَلَا تَعُودُ. ٣٩ 39
और उसे याद रहता है कि यह महज़ बशर है। या'नी हवा जो चली जाती है और फिर नहीं आती।
كَمْ عَصَوْهُ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ وَأَحْزَنُوهُ فِي ٱلْقَفْرِ! ٤٠ 40
कितनी बार उन्होंने वीरान में उससे सरकशी की और सेहरा में उसे दुख किया।
رَجَعُوا وَجَرَّبُوا ٱللهَ وَعَنَّوْا قُدُّوسَ إِسْرَائِيلَ. ٤١ 41
और वह फिर ख़ुदा को आज़माने लगे और उन्होंने इस्राईल के ख़ुदा को नाराज़ किया।
لَمْ يَذْكُرُوا يَدَهُ يَوْمَ فَدَاهُمْ مِنَ ٱلْعَدُوِّ، ٤٢ 42
उन्होंने उसके हाथ को याद न रखा, न उस दिन की जब उसने फ़िदिया देकर उनको मुख़ालिफ़ से रिहाई बख़्शी।
حَيْثُ جَعَلَ فِي مِصْرَ آيَاتِهِ، وَعَجَائِبَهُ فِي بِلَادِ صُوعَنَ. ٤٣ 43
उसने मिस्र में अपने निशान दिखाए, और जुअन के 'इलाके में अपने अजायब।
إِذْ حَوَّلَ خُلْجَانَهُمْ إِلَى دَمٍ، وَمَجَارِيَهُمْ لِكَيْ لَا يَشْرَبُوا. ٤٤ 44
और उनके दरियाओं को खू़न बना दिया और वह अपनी नदियों से पी न सके।
أَرْسَلَ عَلَيْهِمْ بَعُوضًا فَأَكَلَهُمْ، وَضَفَادِعَ فَأَفْسَدَتْهُمْ. ٤٥ 45
उसने उन पर मच्छरों के ग़ोल भेजे जो उनको खा गए और मेंढ़क जिन्होंने उनको तबाह कर दिया।
أَسْلَمَ لِلْجَرْدَمِ غَلَّتَهُمْ، وَتَعَبَهُمْ لِلْجَرَادِ. ٤٦ 46
उसने उनकी पैदावार कीड़ों को और उनकी मेहनत का फल टिड्डियों को दे दिया।
أَهْلَكَ بِٱلْبَرَدِ كُرُومَهُمْ، وَجُمَّيْزَهُمْ بِٱلصَّقِيعِ. ٤٧ 47
उसने उनकी ताकों को ओलों से और उनके गूलर के दरख़्तों को पाले से मारा।
وَدَفَعَ إِلَى ٱلْبَرَدِ بَهَائِمَهُمْ، وَمَوَاشِيَهُمْ لِلْبُرُوقِ. ٤٨ 48
उसने उनके चौपायों को ओलों के हवाले किया, और उनकी भेड़ बकरियों को बिजली के।
أَرْسَلَ عَلَيْهِمْ حُمُوَّ غَضَبِهِ، سَخَطًا وَرِجْزًا وَضِيْقًا، جَيْشَ مَلَائِكَةٍ أَشْرَارٍ. ٤٩ 49
उसने 'ऐज़ाब के फ़रिश्तों की फ़ौज भेज कर अपनी क़हर की शिद्दत ग़ैज़ — ओ — ग़जब और बला को उन पर नाज़िल किया।
مَهَّدَ سَبِيلًا لِغَضَبِهِ. لَمْ يَمْنَعْ مِنَ ٱلْمَوْتِ أَنْفُسَهُمْ، بَلْ دَفَعَ حَيَاتَهُمْ لِلْوَبَإِ. ٥٠ 50
उसने अपने क़हर के लिए रास्ता बनाया, और उनकी जान मौत से न बचाई, बल्कि उनकी ज़िन्दगी वबा के हवाले की।
وَضَرَبَ كُلَّ بِكْرٍ فِي مِصْرَ. أَوَائِلَ ٱلْقُدْرَةِ فِي خِيَامِ حَامٍ. ٥١ 51
उसने मिस्र के सब पहलौठों को, या'नी हाम के घरों में उनकी ताक़त के पहले फल को मारा:
وَسَاقَ مِثْلَ ٱلْغَنَمِ شَعْبَهُ، وَقَادَهُمْ مِثْلَ قَطِيعٍ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. ٥٢ 52
लेकिन वह अपने लोगों को भेड़ों की तरह ले चला, और वीरान में ग़ल्ले की तरह उनकी रहनुमाई की।
وَهَدَاهُمْ آمِنِينَ فَلَمْ يَجْزَعُوا. أَمَّا أَعْدَاؤُهُمْ فَغَمَرَهُمُ ٱلْبَحْرُ. ٥٣ 53
और वह उनको सलामत ले गया और वह न डरे, लेकिन उनके दुश्मनों को समन्दर ने छिपा लिया।
وَأَدْخَلَهُمْ فِي تُخُومِ قُدْسِهِ، هَذَا ٱلْجَبَلِ ٱلَّذِي ٱقْتَنَتْهُ يَمِينُهُ. ٥٤ 54
और वह उनको अपने मक़दिस की सरहद तक लाया, या'नी उस पहाड़ तक जिसे उसके दहने हाथ ने हासिल किया था।
وَطَرَدَ ٱلْأُمَمَ مِنْ قُدَّامِهِمْ وَقَسَمَهُمْ بِٱلْحَبْلِ مِيرَاثًا، وَأَسْكَنَ فِي خِيَامِهِمْ أَسْبَاطَ إِسْرَائِيلَ. ٥٥ 55
उसने और क़ौमों को उनके सामने से निकाल दिया; जिनकी मीरास जरीब डाल कर उनको बाँट दी; और जिनके खे़मों में इस्राईल के क़बीलों को बसाया।
فَجَرَّبُوا وَعَصَوْا ٱللهَ ٱلْعَلِيَّ، وَشَهَادَاتِهِ لَمْ يَحْفَظُوا، ٥٦ 56
तोभी उन्होंने ख़ुदाता'ला को आज़मायाऔर उससे सरकशी की, और उसकी शहादतों को न माना;
بَلِ ٱرْتَدُّوا وَغَدَرُوا مِثْلَ آبَائِهِمْ. ٱنْحَرَفُوا كَقَوْسٍ مُخْطِئَةٍ. ٥٧ 57
बल्कि नाफ़रमान होकर अपने बाप दादा की तरह बेवफ़ाई की और धोका देने वाली कमान की तरह एक तरफ़ को झुक गए।
أَغَاظُوهُ بِمُرْتَفَعَاتِهِمْ، وَأَغَارُوهُ بِتَمَاثِيلِهِمْ. ٥٨ 58
क्यूँकि उन्होंने अपने ऊँचे मक़ामों के वजह से उसका क़हर भड़काया, और अपनी खोदी हुई मूरतों से उसे गै़रत दिलाई।
سَمِعَ ٱللهُ فَغَضِبَ، وَرَذَلَ إِسْرَائِيلَ جِدًّا، ٥٩ 59
ख़ुदा यह सुनकर गज़बनाक हुआ, और इस्राईल से सख़्त नफ़रत की।
وَرَفَضَ مَسْكِنَ شِيلُوِ، ٱلْخَيْمَةَ ٱلَّتِي نَصَبَهَا بَيْنَ ٱلنَّاسِ. ٦٠ 60
फिर उसने शीलोह के घर को छोड़ दिया, या'नी उस खे़मे को जो बनी आदम के बीच खड़ा किया था।
وَسَلَّمَ لِلسَّبْيِ عِزَّهُ، وَجَلَالَهُ لِيَدِ ٱلْعَدُوِّ. ٦١ 61
और उसने अपनी ताक़त को ग़ुलामी में, और अपनी हश्मत को मुख़ालिफ़ के हाथ में दे दिया।
وَدَفَعَ إِلَى ٱلسَّيْفِ شَعْبَهُ، وَغَضِبَ عَلَى مِيرَاثِهِ. ٦٢ 62
उसने अपने लोगों को तलवार के हवाले कर दिया, और वह अपनी मीरास से ग़ज़बनाक हो गया।
مُخْتَارُوهُ أَكَلَتْهُمُ ٱلنَّارُ، وَعَذَارَاهُ لَمْ يُحْمَدْنَ. ٦٣ 63
आग उनके जवानों को खा गई, और उनकी कुँवारियों के सुहाग न गाए गए।
كَهَنَتُهُ سَقَطُوا بِٱلسَّيْفِ، وَأَرَامِلُهُ لَمْ يَبْكِينَ. ٦٤ 64
उनके काहिन तलवार से मारे गए, और उनकी बेवाओं ने नौहा न किया।
فَٱسْتَيْقَظَ ٱلرَّبُّ كَنَائِمٍ، كَجَبَّارٍ مُعَيِّطٍ مِنَ ٱلْخَمْرِ. ٦٥ 65
तब ख़ुदावन्द जैसे नींद से जाग उठा, उस ज़बरदस्त आदमी की तरह जो मय की वजह से ललकारता हो।
فَضَرَبَ أَعْدَاءَهُ إِلَى ٱلْوَرَاءِ. جَعَلَهُمْ عَارًا أَبَدِيًّا. ٦٦ 66
और उसने अपने मुख़ालिफ़ों को मार कर पस्पा कर दिया; उसने उनको हमेशा के लिए रुस्वा किया।
وَرَفَضَ خَيْمَةَ يُوسُفَ، وَلَمْ يَخْتَرْ سِبْطَ أَفْرَايِمَ. ٦٧ 67
और उसने यूसुफ़ के ख़मे को छोड़ दिया; और इफ़्राईम के क़बीले को न चुना;
بَلِ ٱخْتَارَ سِبْطَ يَهُوذَا، جَبَلَ صِهْيَوْنَ ٱلَّذِي أَحَبَّهُ. ٦٨ 68
बल्कि यहूदाह के क़बीले को चुना! उसी कोह — ए — सिय्यून को जिससे उसको मुहब्बत थी।
وَبَنَى مِثْلَ مُرْتَفَعَاتٍ مَقْدِسَهُ، كَٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَسَّسَهَا إِلَى ٱلْأَبَدِ. ٦٩ 69
और अपने मक़दिस को पहाड़ों की तरह तामीर किया, और ज़मीन की तरह जिसे उसने हमेशा के लिए क़ाईम किया है।
وَٱخْتَارَ دَاوُدَ عَبْدَهُ، وَأَخَذَهُ مِنْ حَظَائِرِ ٱلْغَنَمِ. ٧٠ 70
उसने अपने बन्दे दाऊद को भी चुना, और भेड़सालों में से उसे ले लिया;
مِنْ خَلْفِ ٱلْمُرْضِعَاتِ أَتَى بِهِ، لِيَرْعَى يَعْقُوبَ شَعْبَهُ، وَإِسْرَائِيلَ مِيرَاثَهُ. ٧١ 71
वह उसे बच्चे वाली भेड़ों की चौपानी से हटा लाया, ताकि उसकी क़ौम या'कू़ब और उसकी मीरास इस्राईल की ग़ल्लेबानी करे।
فَرَعَاهُمْ حَسَبَ كَمَالِ قَلْبِهِ، وَبِمَهَارَةِ يَدَيْهِ هَدَاهُمْ. ٧٢ 72
फिर उसने ख़ुलूस — ए — दिल से उनकी पासबानी की और अपने माहिर हाथों से उनकी रहनुमाई करता रहा।

< اَلْمَزَامِيرُ 78 >