< اَلْمَزَامِيرُ 75 >

لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. عَلَى «لَا تُهْلِكْ». مَزْمُورٌ لِآسَافَ. تَسْبِيحَةٌ نَحْمَدُكَ، يَا ٱللهُ نَحْمَدُكَ، وَٱسْمُكَ قَرِيبٌ. يُحَدِّثُونَ بِعَجَائِبِكَ. ١ 1
ऐ ख़ुदा, हम तेरा शुक्र करते हैं, हम तेरा शुक्र करते हैं; क्यूँकि तेरा नाम नज़दीक है, लोग तेरे 'अजीब कामों का ज़िक्र करते हैं।
«لِأَنِّي أُعَيِّنُ مِيعَادًا. أَنَا بِٱلْمُسْتَقِيمَاتِ أَقْضِي. ٢ 2
जब मेरा मु'अय्यन वक़्त आएगा, तो मैं रास्ती से 'अदालत करूँगा।
ذَابَتِ ٱلْأَرْضُ وَكُلُّ سُكَّانِهَا. أَنَا وَزَنْتُ أَعْمِدَتَهَا. سِلَاهْ. ٣ 3
ज़मीन और उसके सब बाशिन्दे गुदाज़ हो गए हैं, मैंने उसके सुतूनों को क़ाईम कर दिया।
قُلْتُ لِلْمُفْتَخِرِينَ: لَا تَفْتَخِرُوا. وَلِلْأَشْرَارِ: لَا تَرْفَعُوا قَرْنًا. ٤ 4
मैंने मग़रूरों से कहा, गु़रूर न करो, और शरीरों से, कि सींग ऊँचा न करो।
لَا تَرْفَعُوا إِلَى ٱلْعُلَى قَرْنَكُمْ. لَا تَتَكَلَّمُوا بِعُنُقٍ مُتَصَلِّبٍ». ٥ 5
अपना सींग ऊँचा न करो, बग़ावत से बात न करो।
لِأَنَّهُ لَا مِنَ ٱلْمَشْرِقِ وَلَا مِنَ ٱلْمَغْرِبِ وَلَا مِنْ بَرِّيَّةِ ٱلْجِبَالِ. ٦ 6
क्यूँकि सरफ़राज़ी न तो पूरब से न पश्चिम से, और न दख्खिन से आती है;
وَلَكِنَّ ٱللهَ هُوَ ٱلْقَاضِي. هَذَا يَضَعُهُ وَهَذَا يَرْفَعُهُ. ٧ 7
बल्कि ख़ुदा ही 'अदालत करने वाला है; वह किसी को पस्त करता है और किसी को सरफ़राज़ी बख़्शता है।
لِأَنَّ فِي يَدِ ٱلرَّبِّ كَأْسًا وَخَمْرُهَا مُخْتَمِرَةٌ. مَلآنةٌ شَرَابًا مَمْزُوجًا. وَهُوَ يَسْكُبُ مِنْهَا. لَكِنْ عَكَرُهَا يَمَصُّهُ، يَشْرَبُهُ كُلُّ أَشْرَارِ ٱلْأَرْضِ. ٨ 8
क्यूँकि ख़ुदावन्द के हाथ में प्याला है, और मय झाग वाली है; वह मिली हुई शराब से भरा है, और ख़ुदावन्द उसी में से उंडेलता है; बेशक उसकी तलछट ज़मीन के सब शरीर निचोड़ निचोड़ कर पिएँगे।
أَمَّا أَنَا فَأُخْبِرُ إِلَى ٱلدَّهْرِ. أُرَنِّمُ لِإِلَهِ يَعْقُوبَ. ٩ 9
लेकिन मैं तो हमेशा ज़िक्र करता रहूँगा, मैं या'क़ूब के ख़ुदा की मदहसराई करूँगा।
وَكُلَّ قُرُونِ ٱلْأَشْرَارِ أَعْضِبُ. قُرُونُ ٱلصِّدِّيقِ تَنْتَصِبُ. ١٠ 10
और मैं शरीरों के सब सींग काट डालूँगा लेकिन सादिकों के सींग ऊँचे किए जाएंगे।

< اَلْمَزَامِيرُ 75 >