< اَلْمَزَامِيرُ 70 >

لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. لِدَاوُدَ لِلتَّذْكِيرِ اَللَّهُمَّ، إِلَى تَنْجِيَتِي. يَارَبُّ، إِلَى مَعُونَتِي أَسْرِعْ. ١ 1
ऐ ख़ुदा! मुझे छुड़ाने के लिए, ऐ ख़ुदावन्द, मेरी मदद के लिए कर जल्दी कर!
لِيَخْزَ وَيَخْجَلْ طَالِبُو نَفْسِي. لِيَرْتَدَّ إِلَى خَلْفٍ وَيَخْجَلِ ٱلْمُشْتَهُونَ لِي شَرًّا. ٢ 2
जो मेरी जान को हलाक करने के दर पै हैं, वह सब शर्मिन्दा और रुस्वा हों। जो मेरे नुक़्सान से ख़ुश हैं, वह पस्पा और रुस्वा हों।
لِيَرْجِعْ مِنْ أَجْلِ خِزْيِهِمُ ٱلْقَائِلُونَ: «هَهْ! هَهْ!». ٣ 3
अहा! हा! हा! करने वाले अपनी रुस्वाई के वजह से पस्पा हों।
وَلْيَبْتَهِجْ وَيَفْرَحْ بِكَ كُلُّ طَالِبِيكَ، وَلْيَقُلْ دَائِمًا مُحِبُّو خَلَاصِكَ: «لِيَتَعَظَّمِ ٱلرَّبُّ». ٤ 4
तेरे सब तालिब तुझ में ख़ुश — ओ — ख़ुर्रम हों; तेरी नजात के 'आशिक़ हमेशा कहा करें, “ख़ुदा की तम्जीद हो!”
أَمَّا أَنَا فَمِسْكِينٌ وَفَقِيرٌ. اَللَّهُمَّ، أَسْرِعْ إِلَيَّ. مُعِينِي وَمُنْقِذِي أَنْتَ. يَارَبُّ، لَا تَبْطُؤْ. ٥ 5
लेकिन मैं ग़रीब और मोहताज हूँ; ऐ ख़ुदा, मेरे पास जल्द आ! मेरा मददगार और छुड़ाने वाला तू ही है; ऐ ख़ुदावन्द, देर न कर!

< اَلْمَزَامِيرُ 70 >