< اَلْمَزَامِيرُ 59 >

لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. عَلَى «لَا تُهْلِكْ». مُذَهَّبَةٌ لِدَاوُدَ لَمَّا أَرْسَلَ شَاوُلُ وَرَاقَبُوا ٱلْبَيْتَ لِيَقْتُلُوهُ. أَنْقِذْنِي مِنْ أَعْدَائِي يَا إِلَهِي. مِنْ مُقَاوِمِيَّ ٱحْمِنِي. ١ 1
संगीत निर्देशक के लिये. “अलतशख़ेथ” धुन पर आधारित. दावीद की मिकताम गीत रचना. यह उस घटना के संदर्भ में है, जब शाऊल ने दावीद का वध करने के उद्देश्य से सैनिक भेज उनके आवास पर घेरा डलवाया था. परमेश्वर, मुझे मेरे शत्रुओं से छुड़ा लीजिए; मुझे उनसे सुरक्षा प्रदान कीजिए, जो मेरे विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं.
نَجِّنِي مِنْ فَاعِلِي ٱلْإِثْمِ، وَمِنْ رِجَالِ ٱلدِّمَاءِ خَلِّصْنِي، ٢ 2
मुझे कुकर्मियों से छुड़ा लीजिए तथा हत्यारे पुरुषों से मुझे सुरक्षा प्रदान कीजिए.
لِأَنَّهُمْ يَكْمِنُونَ لِنَفْسِي. ٱلْأَقْوِيَاءُ يَجْتَمِعُونَ عَلَيَّ، لَا لِإِثْمِي وَلَا لِخَطِيَّتِي يَارَبُّ. ٣ 3
देखिए, वे कैसे मेरे लिए घात लगाए बैठे हैं! जो मेरे लिए बुरी युक्ति रच रहे हैं वे हिंसक पुरुष हैं. याहवेह, न मैंने कोई अपराध किया है और न कोई पाप.
بِلَا إِثْمٍ مِنِّي يَجْرُونَ وَيُعِدُّونَ أَنْفُسَهُمُ. ٱسْتَيْقِظْ إِلَى لِقَائِي وَٱنْظُرْ! ٤ 4
मुझसे कोई भूल भी नहीं हुई, फिर भी वे आक्रमण के लिए तत्पर हैं. मेरी दुर्गति पर दृष्टि कर, मेरी सहायता के लिए आ जाइए!
وَأَنْتَ يَارَبُّ إِلَهَ ٱلْجُنُودِ، إِلَهَ إِسْرَائِيلَ ٱنْتَبِهْ لِتُطَالِبَ كُلَّ ٱلْأُمَمِ. كُلَّ غَادِرٍ أَثِيمٍ لَا تَرْحَمْ. سِلَاهْ. ٥ 5
याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, इस्राएल के परमेश्वर, इन समस्त राष्ट्रों को दंड देने के लिए उठ जाइए; दुष्ट विश्‍वासघातियों पर कोई कृपा न कीजिए.
يَعُودُونَ عِنْدَ ٱلْمَسَاءِ، يَهِرُّونَ مِثْلَ ٱلْكَلْبِ، وَيَدُورُونَ فِي ٱلْمَدِينَةِ. ٦ 6
वे संध्या को लौटते, कुत्तों के समान चिल्लाते, और नगर में घूमते रहते हैं.
هُوَذَا يُبِقُّونَ بِأَفْوَاهِهِمْ. سُيُوفٌ فِي شِفَاهِهِمْ. لِأَنَّهُمْ يَقُولُونَ: «مَنْ سَامِعٌ؟». ٧ 7
आप देखिए कि वे अपने मुंह से क्या-क्या उगल रहे हैं, उनके होंठों में से तलवार बाहर आती है, तब वे कहते हैं, “कौन सुन सकता है हमें?”
أَمَّا أَنْتَ يَارَبُّ فَتَضْحَكُ بِهِمْ. تَسْتَهْزِئُ بِجَمِيعِ ٱلْأُمَمِ. ٨ 8
किंतु, याहवेह, आप उन पर हंसते हैं; ये सारे राष्ट्र आपके उपहास के विषय हैं.
مِنْ قُوَّتِهِ، إِلَيْكَ أَلْتَجِئُ، لِأَنَّ ٱللهَ مَلْجَإِي. ٩ 9
मेरी शक्ति, मुझे आपकी ही प्रतीक्षा है; मेरे परमेश्वर, आप मेरे आश्रय-स्थल हैं,
إِلَهِي رَحْمَتُهُ تَتَقَدَّمُنِي. ٱللهُ يُرِينِي بِأَعْدَائِي. ١٠ 10
आप मेरे प्रेममय परमेश्वर हैं. परमेश्वर मेरे आगे-आगे जाएंगे, तब मैं अपने निंदकों के ऊपर संतोष के साथ व्यंग्य पूर्ण दृष्टि डाल सकूंगा.
لَا تَقْتُلْهُمْ لِئَلَّا يَنْسَى شَعْبِي. تَيِّهْهُمْ بِقُوَّتِكَ وَأَهْبِطْهُمْ يَارَبُّ تُرْسَنَا. ١١ 11
किंतु मेरे प्रभु, मेरी ढाल, उनकी हत्या न कीजिए, अन्यथा मेरी प्रजा उन्हें भूल जाएगी. अपने सामर्थ्य में उन्हें तितर-बितर भटकाने के लिए छोड़ दीजिए, कि उनमें मनोबल ही शेष न रह जाए.
خَطِيَّةُ أَفْوَاهِهِمْ هِيَ كَلَامُ شِفَاهِهِمْ. وَلْيُؤْخَذُوا بِكِبْرِيَائِهِمْ، وَمِنَ ٱللَّعْنَةِ وَمِنَ ٱلْكَذِبِ ٱلَّذِي يُحَدِّثُونَ بِهِ. ١٢ 12
उनके मुख के वचन द्वारा किए गए पापों के कारण, उनके होंठों द्वारा किए गए अनाचार के लिए तथा उनके द्वारा दिए गए शाप तथा झूठाचार के कारण, उन्हें अपने ही अहंकार में फंस जाने दीजिए.
أَفْنِ، بِحَنَقٍ أَفْنِ، وَلَا يَكُونُوا، وَلْيَعْلَمُوا أَنَّ ٱللهَ مُتَسَلِّطٌ فِي يَعْقُوبَ إِلَى أَقَاصِي ٱلْأَرْضِ. سِلَاهْ. ١٣ 13
उन्हें अपनी क्रोध अग्नि में भस्म कर दीजिए, उन्हें इस प्रकार भस्म कीजिए, कि उनका कुछ भी शेष न रह जाए. तब यह पृथ्वी की छोर तक सर्वविदित बातें हो जाएगी, कि परमेश्वर ही वस्तुतः याकोब के शासक हैं.
وَيَعُودُونَ عِنْدَ ٱلْمَسَاءِ. يَهِرُّونَ مِثْلَ ٱلْكَلْبِ، وَيَدُورُونَ فِي ٱلْمَدِينَةِ. ١٤ 14
वे संध्या को लौटते, कुत्तों के समान चिल्लाते और नगर में घूमते रहते हैं.
هُمْ يَتِيهُونَ لِلْأَكْلِ. إِنْ لَمْ يَشْبَعُوا وَيَبِيتُوا. ١٥ 15
वे भोजन की खोज में घूमते रहते हैं और संतोष न होने पर सियारों जैसे चिल्लाने लगते हैं.
أَمَّا أَنَا فَأُغَنِّي بِقُوَّتِكَ، وَأُرَنِّمُ بِٱلْغَدَاةِ بِرَحْمَتِكَ، لِأَنَّكَ كُنْتَ مَلْجَأً لِي، وَمَنَاصًا فِي يَوْمِ ضِيقِي. ١٦ 16
किंतु मैं आपकी सामर्थ्य का गुणगान करूंगा, प्रातःकाल मेरे गीत का विषय होगा आपका करुणा-प्रेम क्योंकि मेरा दृढ़ आश्रय-स्थल आप हैं, संकट काल में शरण स्थल हैं.
يَا قُوَّتِي لَكَ أُرَنِّمُ، لِأَنَّ ٱللهَ مَلْجَإِي، إِلَهُ رَحْمَتِي. ١٧ 17
मेरा बल, मैं आपका गुणगान करता हूं; परमेश्वर, आप मेरे आश्रय-स्थल हैं, आप ही करुणा-प्रेममय मेरे परमेश्वर हैं.

< اَلْمَزَامِيرُ 59 >