< اَلْمَزَامِيرُ 58 >

لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. عَلَى «لَا تُهْلِكْ». لِدَاوُدَ. مُذَهَّبَةٌ أَحَقًّا بِٱلْحَقِّ ٱلْأَخْرَسِ تَتَكَلَّمُونَ، بِٱلْمُسْتَقِيمَاتِ تَقْضُونَ يَا بَنِي آدَمَ؟ ١ 1
ऐ बुज़ुर्गों! क्या तुम दर हक़ीक़त रास्तगोई करते हो? ऐ बनी आदम! क्या तुम ठीक 'अदालत करते हो?
بَلْ بِٱلْقَلْبِ تَعْمَلُونَ شُرُورًا فِي ٱلْأَرْضِ ظُلْمَ أَيْدِيكُمْ تَزِنُونَ. ٢ 2
बल्कि तुम तो दिल ही दिल में शरारत करते हो; और ज़मीन पर अपने हाथों से जु़ल्म पैमाई करते हैं।
زَاغَ ٱلْأَشْرَارُ مِنَ ٱلرَّحِمِ. ضَلُّوا مِنَ ٱلْبَطْنِ، مُتَكَلِّمِينَ كَذِبًا. ٣ 3
शरीर पैदाइश ही से कजरवी इख़्तियार करते हैं; वह पैदा होते ही झूट बोलकर गुमराह हो जाते हैं।
لَهُمْ حُمَةٌ مِثْلُ حُمَةِ ٱلْحَيَّةِ. مِثْلُ ٱلصِّلِّ ٱلْأَصَمِّ يَسُدُّ أُذُنَهُ، ٤ 4
उनका ज़हर साँप का सा ज़हर है; वह बहरे अज़दहे की तरह हैं जो कान बंद कर लेता है;
ٱلَّذِي لَا يَسْتَمِعُ إِلَى صَوْتِ ٱلْحُوَاةِ ٱلرَّاقِينَ رُقَى حَكِيمٍ. ٥ 5
जो मन्तर पढ़ने वालों की आवाज़ ही नहीं सुनता, जो चाहे वह कितनी ही होशियारी से मन्तर पढ़ें।
اَللَّهُمَّ، كَسِّرْ أَسْنَانَهُمْ فِي أَفْوَاهِهِمِ. ٱهْشِمْ أَضْرَاسَ ٱلْأَشْبَالِ يَارَبُّ. ٦ 6
ऐ ख़ुदा! तू उनके दाँत उनके मुँह में तोड़ दे, ऐ ख़ुदावन्द! बबर के बच्चों की दाढ़ें तोड़ डाल।
لِيَذُوبُوا كَٱلْمَاءِ، لِيَذْهَبُوا. إِذَا فَوَّقَ سِهَامَهُ فَلْتَنْبُ. ٧ 7
वह घुलकर बहते पानी की तरह हो जाएँ जब वह अपने तीर चलाए, तो वह जैसे कुन्द पैकान हों।
كَمَا يَذُوبُ ٱلْحَلَزُونُ مَاشِيًا. مِثْلَ سِقْطِ ٱلْمَرْأَةِ لَا يُعَايِنُوا ٱلشَّمْسَ. ٨ 8
वह ऐसे हो जाएँ जैसे घोंघा, जो गल कर फ़ना हो जाता है; और जैसे 'औरत का इस्कात जिसने सूरज को देखा ही नहीं।
قَبْلَ أَنْ تَشْعُرَ قُدُورُكُمْ بِٱلشَّوْكِ، نِيئًا أَوْ مَحْرُوقًا، يَجْرُفُهُمْ. ٩ 9
इससे पहले कि तुम्हारी हड्डियों को काँटों की आंच लगे वह हरे और जलते दोनों को यकसाँ बगोले से उड़ा ले जाएगा।
يَفْرَحُ ٱلصِّدِّيقُ إِذَا رَأَى ٱلنَّقْمَةَ. يَغْسِلُ خُطُواتِهِ بِدَمِ ٱلشِّرِّيرِ. ١٠ 10
सादिक़ इन्तक़ाम को देखकर खु़श होगा; वह शरीर के खू़न से अपने पाँव तर करेगा।
وَيَقُولُ ٱلْإِنْسَانُ: «إِنَّ لِلصِّدِّيقِ ثَمَرًا. إِنَّهُ يُوجَدُ إِلَهٌ قَاضٍ فِي ٱلْأَرْضِ» ١١ 11
तब लोग कहेंगे, यक़ीनन सादिक़ के लिए अज्र है; बेशक ख़ुदा है, जो ज़मीन पर 'अदालत करता है।

< اَلْمَزَامِيرُ 58 >