< اَلْمَزَامِيرُ 52 >

لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. قَصِيدَةٌ لِدَاوُدَ عِنْدَمَا جَاءَ دُوَاغُ اَلْأَدُومِيُّ وَأَخْبَرَ شَاوُلَ وَقَالَ لَهُ: «جَاءَ دَاوُدُ إِلَى بَيْتِ أَخِيمَالِكَ». لِمَاذَا تَفْتَخِرُ بِٱلشَّرِّ أَيُّهَا ٱلْجَبَّارُ؟ رَحْمَةُ ٱللهِ هِيَ كُلَّ يَوْمٍ! ١ 1
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की मसकील गीत रचना. इसका संदर्भ: एदोमवासी दोएग ने जाकर शाऊल को सूचित किया कि दावीद अहीमेलेख के आवास में ठहरे हैं. हे बलवान घमंडी, अपनी बुराई का अहंकार क्यों करता है? तू दिन भर क्यों घमंड करता है, तू जो परमेश्वर की नजर में एक अपमान है?
لِسَانُكَ يَخْتَرِعُ مَفَاسِدَ. كَمُوسَى مَسْنُونَةٍ يَعْمَلُ بِٱلْغِشِّ. ٢ 2
तेज उस्तरे जैसी तुम्हारी जीभ विनाश की बुरी युक्ति रचती रहती है, और तुम छल के कार्य में लिप्‍त रहते हो.
أَحْبَبْتَ ٱلشَّرَّ أَكْثَرَ مِنَ ٱلْخَيْرِ، ٱلْكَذِبَ أَكْثَرَ مِنَ ٱلتَّكَلُّمِ بِٱلصِّدْقِ. سِلَاهْ. ٣ 3
तुम्हें भलाई से ज्यादा अधर्म, और सत्य से अधिक झूठाचार पसंद है.
أَحْبَبْتَ كُلَّ كَلَامٍ مُهْلِكٍ، وَلِسَانِ غِشٍّ. ٤ 4
हे छली जीभ, तुझे तो हर एक बुरा शब्द प्रिय है!
أَيْضًا يَهْدِمُكَ ٱللهُ إِلَى ٱلْأَبَدِ. يَخْطَفُكَ وَيَقْلَعُكَ مِنْ مَسْكَنِكَ، وَيَسْتَأْصِلُكَ مِنْ أَرْضِ ٱلْأَحْيَاءِ. سِلَاهْ. ٥ 5
यह सुनिश्चित है कि परमेश्वर ने तेरे लिए स्थायी विनाश निर्धारित किया है: वह तुझे उखाड़कर तेरे निवास से दूर कर देंगे; परमेश्वर तुझे जीव-लोक से उखाड़ देंगे.
فَيَرَى ٱلصِّدِّيقُونَ وَيَخَافُونَ، وَعَلَيْهِ يَضْحَكُونَ: ٦ 6
यह देख धर्मी भयभीत हो जाएंगे; वे उसे देख यह कहते हुए उपहास करेंगे,
«هُوَذَا ٱلْإِنْسَانُ ٱلَّذِي لَمْ يَجْعَلِ ٱللهَ حِصْنَهُ، بَلِ ٱتَّكَلَ عَلَى كَثْرَةِ غِنَاهُ وَٱعْتَزَّ بِفَسَادِهِ». ٧ 7
“उस पुरुष को देखो, जिसने परमेश्वर को अपना आश्रय बनाना उपयुक्त न समझा परंतु उसने अपनी धन-संपत्ति पर भरोसा किया और अन्यों पर दुष्कर्म करते हुए सशक्त होता गया!”
أَمَّا أَنَا فَمِثْلُ زَيْتُونَةٍ خَضْرَاءَ فِي بَيْتِ ٱللهِ. تَوَكَّلْتُ عَلَى رَحْمَةِ ٱللهِ إِلَى ٱلدَّهْرِ وَٱلْأَبَدِ. ٨ 8
किंतु मैं परमेश्वर के निवास के हरे-भरे जैतून वृक्ष के समान हूं; मैं परमेश्वर के करुणा-प्रेम पर सदा-सर्वदा भरोसा रखता हूं.
أَحْمَدُكَ إِلَى ٱلدَّهْرِ لِأَنَّكَ فَعَلْتَ، وَأَنْتَظِرُ ٱسْمَكَ فَإِنَّهُ صَالِحٌ قُدَّامَ أَتْقِيَائِكَ. ٩ 9
परमेश्वर, मैं आपके द्वारा किए गए कार्यों के लिए सदा-सर्वदा आपका धन्यवाद करता रहूंगा. आपके नाम मेरी आशा रहेगी, क्योंकि वह उत्तम है, आपके भक्तों के उपस्थिति में मैं आपकी वंदना करता रहूंगा.

< اَلْمَزَامِيرُ 52 >