< اَلْمَزَامِيرُ 5 >

لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ عَلَى «ذَوَاتِ ٱلنَّفْخِ». مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ لِكَلِمَاتِي أَصْغِ يَارَبُّ. تَأَمَّلْ صُرَاخِي. ١ 1
संगीत निर्देशक के लिये. बांसुरी वाद्यों के लिए. दावीद का एक स्तोत्र. याहवेह, मेरे वचनों पर ध्यान दें, मेरे शब्दों की आहों पर विचार करें.
ٱسْتَمِعْ لِصَوْتِ دُعَائِي يَا مَلِكِي وَإِلَهِي، لِأَنِّي إِلَيْكَ أُصَلِّي. ٢ 2
मेरे परमेश्वर, मेरे राजा, सहायता के लिए मेरी पुकार पर ध्यान दें, क्योंकि याहवेह, मेरी यह प्रार्थना आपसे है.
يَارَبُّ، بِٱلْغَدَاةِ تَسْمَعُ صَوْتِي. بِٱلْغَدَاةِ أُوَجِّهُ صَلَاتِي نَحْوَكَ وَأَنْتَظِرُ. ٣ 3
याहवेह, आप प्रातःकाल मेरी वाणी सुनेंगे; सूर्योदय के समय मैं आपको बलि अर्पित करूंगा और आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा करूंगा.
لِأَنَّكَ أَنْتَ لَسْتَ إِلَهًا يُسَرُّ بِٱلشَّرِّ، لَا يُسَاكِنُكَ ٱلشِّرِّيرُ. ٤ 4
निःसंदेह आप वह परमेश्वर नहीं, जो दुष्टता का समर्थन करें; वस्तुतः बुराई आपके साथ नहीं रह सकती.
لَا يَقِفُ ٱلْمُفْتَخِرُونَ قُدَّامَ عَيْنَيْكَ. أَبْغَضْتَ كُلَّ فَاعِلِي ٱلْإِثْمِ. ٥ 5
घमंडी आपकी उपस्थिति में ठहर नहीं सकते, दुष्ट आपके लिए घृणास्पद हैं;
تُهْلِكُ ٱلْمُتَكَلِّمِينَ بِٱلْكَذِبِ. رَجُلُ ٱلدِّمَاءِ وَٱلْغِشِّ يَكْرَهُهُ ٱلرَّبُّ. ٦ 6
झूठ बोलने वालों का आप विनाश करते हैं. हत्यारों और धूर्तों से, याहवेह, को घृणा है.
أَمَّا أَنَا فَبِكَثْرَةِ رَحْمَتِكَ أَدْخُلُ بَيْتَكَ. أَسْجُدُ فِي هَيْكَلِ قُدْسِكَ بِخَوْفِكَ. ٧ 7
किंतु आपके, अपार प्रेम के बाहुल्य के परिणामस्वरूप मैं, आपके आवास में प्रवेश कर सकूंगा; पूर्ण श्रद्धा में झुककर मैं आपके पवित्र मंदिर में आराधना करूंगा.
يَارَبُّ، ٱهْدِنِي إِلَى بِرِّكَ بِسَبَبِ أَعْدَائِي. سَهِّلْ قُدَّامِي طَرِيقَكَ. ٨ 8
याहवेह, मेरे शत्रुओं के कारण अपने धर्ममय मार्ग पर मेरी अगुवाई करें; मेरे आगे-आगे अपने सीधे मार्ग को दिखा.
لِأَنَّهُ لَيْسَ فِي أَفْوَاهِهِمْ صِدْقٌ. جَوْفُهُمْ هُوَّةٌ. حَلْقُهُمْ قَبْرٌ مَفْتُوحٌ. أَلْسِنَتُهُمْ صَقَلُوهَا. ٩ 9
मेरे शत्रुओं का एक भी शब्द सच्चा नहीं है; उनके हृदय बुराई से भरे हैं. उनका गला खुली हुई कब्र समान है; उनकी जीभ चिकनी-चुपड़ी बातें करती है.
دِنْهُمْ يَا ٱللهُ! لِيَسْقُطُوا مِنْ مُؤَامَرَاتِهِمْ. بِكَثْرَةِ ذُنُوبِهِمْ طَوِّحْ بِهِمْ، لِأَنَّهُمْ تَمَرَّدُوا عَلَيْكَ. ١٠ 10
प्रभु परमेश्वर! आप उन पर दंड-आज्ञा प्रसारित करें, कि अपनी ही युक्तियों के जाल में फंसकर उनका नाश हो जाए, उनके अपराधों की अधिकता के कारण आप उन्हें अपनी उपस्थिति से दूर करें, क्योंकि उन्होंने आपके विरुद्ध बलवा किया है.
وَيَفْرَحُ جَمِيعُ ٱلْمُتَّكِلِينَ عَلَيْكَ. إِلَى ٱلْأَبَدِ يَهْتِفُونَ، وَتُظَلِّلُهُمْ. وَيَبْتَهِجُ بِكَ مُحِبُّو ٱسْمِكَ. ١١ 11
आनंदित हों आपके सभी शरणागत; सदैव हो उनका आनंद. आप उन्हें सुरक्षित रखें, जो आपसे प्रेम रखते हैं, वे सदैव उल्‍लसित रहें.
لِأَنَّكَ أَنْتَ تُبَارِكُ ٱلصِّدِّيقَ يَارَبُّ. كَأَنَّهُ بِتُرْسٍ تُحِيطُهُ بِٱلرِّضَا. ١٢ 12
याहवेह, धर्मियों पर आपकी कृपादृष्टि बनी रहती है; आप अपने अनुग्रह में उन्हें ढाल के समान सुरक्षा प्रदान करते हैं.

< اَلْمَزَامِيرُ 5 >