< اَلْمَزَامِيرُ 28 >

لِدَاوُدَ إِلَيْكَ يَارَبُّ أَصْرُخُ. يَا صَخْرَتِي، لَا تَتَصَامَمْ مِنْ جِهَتِي، لِئَلَّا تَسْكُتَ عَنِّي فَأُشْبِهَ ٱلْهَابِطِينَ فِي ٱلْجُبِّ. ١ 1
दावीद की रचना याहवेह, मैं आपको पुकार रहा हूं; आप मेरी सुरक्षा की चट्टान हैं, मेरी अनसुनी न कीजिए. कहीं ऐसा न हो कि आपके प्रत्युत्तर न देने पर मैं उनके समान हो जाऊं, जो मृतक लोक में उतर रहे हैं.
ٱسْتَمِعْ صَوْتَ تَضَرُّعِي إِذْ أَسْتَغِيثُ بِكَ وَأَرْفَعُ يَدَيَّ إِلَى مِحْرَابِ قُدْسِكَ. ٢ 2
जब मैं परम पवित्र स्थान की ओर अपने हाथ उठाऊं, जब मैं सहायता के लिए आपको पुकारूं, तो मेरी पुकार सुन लीजिए.
لَا تَجْذِبْنِي مَعَ ٱلْأَشْرَارِ، وَمَعَ فَعَلَةِ ٱلْإِثْمِ ٱلْمُخَاطِبِينَ أَصْحَابَهُمْ بِٱلسَّلَامِ وَٱلشَّرُّ فِي قُلُوبِهِمْ. ٣ 3
दुष्टों के लिए निर्धारित दंड में मुझे सम्मिलित न कीजिए, वे अधर्म करते रहते हैं, पड़ोसियों के साथ उनका वार्तालाप अत्यंत मेल-मिलाप का होता है किंतु उनके हृदय में उनके लिए बुराई की युक्तियां ही उपजती रहती हैं.
أَعْطِهِمْ حَسَبَ فِعْلِهِمْ وَحَسَبَ شَرِّ أَعْمَالِهِمْ. حَسَبَ صُنْعِ أَيْدِيهِمْ أَعْطِهِمْ. رُدَّ عَلَيْهِمْ مُعَامَلَتَهُمْ. ٤ 4
उन्हें उनके आचरण के अनुकूल ही प्रतिफल दीजिए, उन्होंने जो कुछ किया है बुराई की है; उन्हें उनके सभी कार्यों के अनुरूप दंड दीजिए, उन्हें वही दंड दीजिए, जिसके वे अधिकारी हैं.
لِأَنَّهُمْ لَمْ يَنْتَبِهُوا إِلَى أَفْعَالِ ٱلرَّبِّ، وَلَا إِلَى أَعْمَالِ يَدَيْهِ، يَهْدِمُهُمْ وَلَا يَبْنِيهِمْ. ٥ 5
क्योंकि याहवेह के महाकार्य का, याहवेह की कृतियों के लिए ही, उनकी दृष्टि में कोई महत्व नहीं! याहवेह उन्हें नष्ट कर देंगे, इस रीति से कि वे कभी उठ न पाएंगे.
مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ، لِأَنَّهُ سَمِعَ صَوْتَ تَضَرُّعِي. ٦ 6
याहवेह का स्तवन हो, उन्होंने सहायता के लिए मेरी पुकार सुन ली है.
ٱلرَّبُّ عِزِّي وَتُرْسِي. عَلَيْهِ ٱتَّكَلَ قَلْبِي، فَٱنْتَصَرْتُ. وَيَبْتَهِجُ قَلْبِي وَبِأُغْنِيَتِي أَحْمَدُهُ. ٧ 7
याहवेह मेरा बल एवं मेरी ढाल हैं; उन पर ही मेरा भरोसा है, उन्होंने मेरी सहायता की है. मेरा हृदय हर्षोल्लास में उछल रहा है, मैं अपने गीत के द्वारा उनके लिए आभार व्यक्त करूंगा.
ٱلرَّبُّ عِزٌّ لَهُمْ، وَحِصْنُ خَلَاصِ مَسِيحِهِ هُوَ. ٨ 8
याहवेह अपनी प्रजा का बल हैं, अपने अभिषिक्त के लिए उद्धार का दृढ़ गढ़ हैं.
خَلِّصْ شَعْبَكَ، وَبَارِكْ مِيرَاثَكَ، وَٱرْعَهُمْ وَٱحْمِلْهُمْ إِلَى ٱلْأَبَدِ. ٩ 9
आप अपनी मीरास को उद्धार प्रदान कीजिए और उसे आशीष दीजिए; उनके चरवाहा होकर उन्हें सदा-सर्वदा संभालते रहिए.

< اَلْمَزَامِيرُ 28 >