< اَلْمَزَامِيرُ 26 >

لِدَاوُدَ اِقْضِ لِي يَارَبُّ لِأَنِّي بِكَمَالِي سَلَكْتُ، وَعَلَى ٱلرَّبِّ تَوَكَّلْتُ بِلَا تَقَلْقُلٍ. ١ 1
दावीद की रचना. याहवेह, मुझे निर्दोष प्रमाणित कीजिए, क्योंकि मैं सीधा हूं; याहवेह पर से मेरा भरोसा कभी नहीं डगमगाया.
جَرِّبْنِي يَارَبُّ وَٱمْتَحِنِّي. صَفِّ كُلْيَتَيَّ وَقَلْبِي. ٢ 2
याहवेह, मुझे परख लीजिए, मेरा परीक्षण कर लीजिए, मेरे हृदय और मेरे मन को परख लीजिए;
لِأَنَّ رَحْمَتَكَ أَمَامَ عَيْنِي. وَقَدْ سَلَكْتُ بِحَقِّكَ. ٣ 3
आपके करुणा-प्रेम का बोध मुझमें सदैव बना रहता है, आपकी सत्यता मेरे मार्ग का आश्वासन है.
لَمْ أَجْلِسْ مَعَ أُنَاسِ ٱلسُّوءِ، وَمَعَ ٱلْمَاكِرِينَ لَا أَدْخُلُ. ٤ 4
मैं न तो निकम्मी चाल चलने वालों की संगत करता हूं, और न मैं कपटियों से सहमत होता हूं.
أَبْغَضْتُ جَمَاعَةَ ٱلْأَثَمَةِ، وَمَعَ ٱلْأَشْرَارِ لَا أَجْلِسُ. ٥ 5
कुकर्मियों की समस्त सभाएं मेरे लिए घृणित हैं और मैं दुष्टों की संगत में नहीं बैठता.
أَغْسِلُ يَدَيَّ فِي ٱلنَّقَاوَةِ، فَأَطُوفُ بِمَذْبَحِكَ يَارَبُّ، ٦ 6
मैं अपने हाथ धोकर निर्दोषता प्रमाणित करूंगा और याहवेह, मैं आपकी वेदी की परिक्रमा करूंगा,
لِأُسَمِّعَ بِصَوْتِ ٱلْحَمْدِ، وَأُحَدِّثَ بِجَمِيعِ عَجَائِبِكَ. ٧ 7
कि मैं उच्च स्वर में आपके प्रति आभार व्यक्त कर सकूं और आपके आश्चर्य कार्यों को बता सकूं.
يَارَبُّ، أَحْبَبْتُ مَحَلَّ بَيْتِكَ وَمَوْضِعَ مَسْكَنِ مَجْدِكَ. ٨ 8
याहवेह, मुझे आपके आवास, पवित्र मंदिर से प्रेम है, यही वह स्थान है, जहां आपकी महिमा का निवास है.
لَا تَجْمَعْ مَعَ ٱلْخُطَاةِ نَفْسِي، وَلَا مَعَ رِجَالِ ٱلدِّمَاءِ حَيَاتِي. ٩ 9
पापियों की नियति में मुझे सम्मिलित न कीजिए, हिंसक पुरुषों के साथ मुझे दंड न दीजिए.
ٱلَّذِينَ فِي أَيْدِيهِمْ رَذِيلَةٌ، وَيَمِينُهُمْ مَلآنَةٌ رِشْوَةً. ١٠ 10
उनके हाथों में दुष्ट युक्ति है, जिनके दायें हाथ घूस से भरे हुए हैं.
أَمَّا أَنَا فَبِكَمَالِي أَسْلُكُ. ٱفْدِنِي وَٱرْحَمْنِي. ١١ 11
किंतु मैं अपने आचरण में सदैव खरा रहूंगा; मुझ पर कृपा कर मुझे मुक्त कर दीजिए.
رِجْلِي وَاقِفَةٌ عَلَى سَهْلٍ. فِي ٱلْجَمَاعَاتِ أُبَارِكُ ٱلرَّبَّ. ١٢ 12
मेरे पैर चौरस भूमि पर स्थिर हैं; श्रद्धालुओं की महासभा में मैं याहवेह की वंदना करूंगा.

< اَلْمَزَامِيرُ 26 >