< اَلْمَزَامِيرُ 25 >

لِدَاوُدَ إِلَيْكَ يَارَبُّ أَرْفَعُ نَفْسِي. ١ 1
दावीद की रचना. याहवेह, मैंने आप पर अपनी आत्मा समर्पित की है.
يَا إِلَهِي عَلَيْكَ تَوَكَّلْتُ، فَلَا تَدَعْنِي أَخْزَى. لَا تَشْمَتْ بِي أَعْدَائِي. ٢ 2
मेरे परमेश्वर, मैंने आप पर भरोसा किया है; मुझे लज्जित होने न दीजिए, और न मेरे शत्रु मेरा पीछा करने पाएं.
أَيْضًا كُلُّ مُنْتَظِرِيكَ لَا يَخْزَوْا. لِيَخْزَ ٱلْغَادِرُونَ بِلَا سَبَبٍ. ٣ 3
कोई भी, जिसने आप पर अपनी आशा रखी है लज्जित कदापि नहीं किया जा सकता, लज्जित वे किए जाएंगे, जो विश्वासघात करते हैं.
طُرُقَكَ يَارَبُّ عَرِّفْنِي. سُبُلَكَ عَلِّمْنِي. ٤ 4
याहवेह, मुझे अपने मार्ग दिखा, मुझे अपने मार्गों की शिक्षा दीजिए.
دَرِّبْنِي فِي حَقِّكَ وَعَلِّمْنِي، لِأَنَّكَ أَنْتَ إِلَهُ خَلَاصِي. إِيَّاكَ ٱنْتَظَرْتُ ٱلْيَوْمَ كُلَّهُ. ٥ 5
अपने सत्य की ओर मेरी अगुवाई कीजिए और मुझे शिक्षा दीजिए, क्योंकि आप मेरे छुड़ानेवाले परमेश्वर हैं, दिन भर मैं आपकी ही प्रतीक्षा करता रहता हूं.
ٱذْكُرْ مَرَاحِمَكَ يَارَبُّ وَإِحْسَانَاتِكَ، لِأَنَّهَا مُنْذُ ٱلْأَزَلِ هِيَ. ٦ 6
याहवेह, अपनी असीम दया तथा अपने करुणा-प्रेम का स्मरण कीजिए, जो अनंत काल से होते आए हैं.
لَا تَذْكُرْ خَطَايَا صِبَايَ وَلَا مَعَاصِيَّ. كَرَحْمَتِكَ ٱذْكُرْنِي أَنْتَ مِنْ أَجْلِ جُودِكَ يَارَبُّ. ٧ 7
युवावस्था में किए गए मेरे अपराधों का तथा मेरे हठीले आचरण का लेखा न रखिए; परंतु, याहवेह, अपनी करुणा में मेरा स्मरण रखिए, क्योंकि याहवेह, आप भले हैं!
اَلرَّبُّ صَالِحٌ وَمُسْتَقِيمٌ، لِذَلِكَ يُعَلِّمُ ٱلْخُطَاةَ ٱلطَّرِيقَ. ٨ 8
याहवेह भले एवं सत्य हैं, तब वह पापियों को अपनी नीतियों की शिक्षा देते हैं.
يُدَرِّبُ ٱلْوُدَعَاءَ فِي ٱلْحَقِّ، وَيُعَلِّمُ ٱلْوُدَعَاءَ طُرُقَهُ. ٩ 9
विनीत को वह धर्ममय मार्ग पर ले चलते हैं, तथा उसे अपने मार्ग की शिक्षा देते हैं.
كُلُّ سُبُلِ ٱلرَّبِّ رَحْمَةٌ وَحَقٌّ لِحَافِظِي عَهْدِهِ وَشَهَادَاتِهِ. ١٠ 10
जो याहवेह की वाचा एवं व्यवस्था का पालन करते हैं, उनके सभी मार्ग उनके लिए प्रेमपूर्ण एवं विश्वासयोग्य हैं.
مِنْ أَجْلِ ٱسْمِكَ يَارَبُّ ٱغْفِرْ إِثْمِي لِأَنَّهُ عَظِيمٌ. ١١ 11
याहवेह, अपनी महिमा के निमित्त, मेरा अपराध क्षमा करें, यद्यपि मेरा अपराध घोर है.
مَنْ هُوَ ٱلْإِنْسَانُ ٱلْخَائِفُ ٱلرَّبَّ؟ يُعَلِّمُهُ طَرِيقًا يَخْتَارُهُ. ١٢ 12
तब कौन है वह मनुष्य, जो याहवेह से डरता है? याहवेह उस पर वह मार्ग प्रकट करेंगे, जिस पर उसका चलना भला है.
نَفْسُهُ فِي ٱلْخَيْرِ تَبِيتُ، وَنَسْلُهُ يَرِثُ ٱلْأَرْضَ. ١٣ 13
तब समृद्ध होगा उसका जीवन, और उसकी सन्तति उस देश पर शासन करेगी.
سِرُّ ٱلرَّبِّ لِخَائِفِيهِ، وَعَهْدُهُ لِتَعْلِيمِهِمْ. ١٤ 14
अपने श्रद्धालुओं पर ही याहवेह अपने रहस्य प्रकाशित करते हैं; उन्हीं पर वह अपनी वाचा प्रगट करते हैं.
عَيْنَايَ دَائِمًا إِلَى ٱلرَّبِّ، لِأَنَّهُ هُوَ يُخْرِجُ رِجْلَيَّ مِنَ ٱلشَّبَكَةِ. ١٥ 15
मेरी आंखें एकटक याहवेह को देख रहीं हैं, क्योंकि वही मेरे पैरों को फंदे से मुक्त करेंगे.
اِلْتَفِتْ إِلَيَّ وَٱرْحَمْنِي، لِأَنِّي وَحْدٌ وَمِسْكِينٌ أَنَا. ١٦ 16
हे याहवेह, मेरी ओर मुड़कर मुझ पर कृपादृष्टि कीजिए, क्योंकि मैं अकेला तथा पीड़ित हूं.
اُفْرُجْ ضِيقَاتِ قَلْبِي. مِنْ شَدَائِدِي أَخْرِجْنِي. ١٧ 17
मेरे हृदय का संताप बढ़ गया है, मुझे मेरी यातनाओं से बचा लीजिए.
ٱنْظُرْ إِلَى ذُلِّي وَتَعَبِي، وَٱغْفِرْ جَمِيعَ خَطَايَايَ. ١٨ 18
मेरी पीड़ा और यातना पर दृष्टि कीजिए, और मेरे समस्त पाप क्षमा कर दीजिए.
ٱنْظُرْ إِلَى أَعْدَائِي لِأَنَّهُمْ قَدْ كَثُرُوا، وَبُغْضًا ظُلْمًا أَبْغَضُونِي. ١٩ 19
देखिए, मेरे शत्रुओं की संख्या कितनी बड़ी है, यह भी देखिए कि मेरे प्रति कितनी उग्र है उनकी घृणा!
ٱحْفَظْ نَفْسِي وَأَنْقِذْنِي. لَا أُخْزَى لِأَنِّي عَلَيْكَ تَوَكَّلْتُ. ٢٠ 20
मेरे जीवन की रक्षा कीजिए और मुझे बचा लीजिए; मुझे लज्जित न होना पड़े, क्योंकि मैं आपके आश्रय में आया हूं.
يَحْفَظُنِي ٱلْكَمَالُ وَٱلِٱسْتِقَامَةُ، لِأَنِّي ٱنْتَظَرْتُكَ. ٢١ 21
खराई तथा सच्चाई मुझे सुरक्षित रखें, क्योंकि मैंने आप पर ही भरोसा किया है.
يَا ٱللهُ، ٱفْدِ إِسْرَائِيلَ مِنْ كُلِّ ضِيقَاتِهِ. ٢٢ 22
हे परमेश्वर, इस्राएल को बचा लीजिए, समस्त संकटों से इस्राएल को मुक्त कीजिए!

< اَلْمَزَامِيرُ 25 >