< اَلْمَزَامِيرُ 15 >

مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ يَارَبُّ، مَنْ يَنْزِلُ فِي مَسْكَنِكَ؟ مَنْ يَسْكُنُ فِي جَبَلِ قُدْسِكَ؟ ١ 1
ऐ ख़ुदावन्द तेरे ख़ेमे में कौन रहेगा? तेरे पाक पहाड़ पर कौन सुकूनत करेगा?
ٱلسَّالِكُ بِٱلْكَمَالِ، وَٱلْعَامِلُ ٱلْحَقَّ، وَٱلْمُتَكَلِّمُ بِٱلصِّدْقِ فِي قَلْبِهِ. ٢ 2
वह जो रास्ती से चलता और सदाक़त का काम करता, और दिल से सच बोलता है।
ٱلَّذِي لَا يَشِي بِلِسَانِهِ، وَلَا يَصْنَعُ شَرًّا بِصَاحِبِهِ، وَلَا يَحْمِلُ تَعْيِيرًا عَلَى قَرِيبِهِ. ٣ 3
वह जो अपनी ज़बान से बुहतान नहीं बांधता, और अपने दोस्त से बदी नहीं करता, और अपने पड़ोसी की बदनामी नहीं सुनता।
وَٱلرَّذِيلُ مُحْتَقَرٌ فِي عَيْنَيْهِ، وَيُكْرِمُ خَائِفِي ٱلرَّبِّ. يَحْلِفُ لِلضَّرَرِ وَلَا يُغَيِّرُ. ٤ 4
वह जिसकी नज़र में रज़ील आदमी हक़ीर है, लेकिन जो ख़ुदावन्द से डरते हैं उनकी 'इज़्ज़त करता है; वह जो क़सम खाकर बदलता नहीं चाहे नुक़्सान ही उठाए।
فِضَّتُهُ لَا يُعْطِيهَا بِٱلرِّبَا، وَلَا يَأْخُذُ ٱلرِّشْوَةَ عَلَى ٱلْبَرِيءِ. ٱلَّذِي يَصْنَعُ هَذَا لَا يَتَزَعْزَعُ إِلَى ٱلدَّهْرِ. ٥ 5
वह जो अपना रुपया सूद पर नहीं देता, और बेगुनाह के ख़िलाफ़ रिश्वत नहीं लेता। ऐसे काम करने वाला कभी जुम्बिश न खाएगा।

< اَلْمَزَامِيرُ 15 >