< اَلْمَزَامِيرُ 144 >

لِدَاوُدَ مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ صَخْرَتِي، ٱلَّذِي يُعَلِّمُ يَدَيَّ ٱلْقِتَالَ وَأَصَابِعِي ٱلْحَرْبَ. ١ 1
ख़ुदावन्द मेरी चट्टान मुबारक हो, जो मेरे हाथों को जंग करना, और मेरी उँगलियों को लड़ना सिखाता है।
رَحْمَتِي وَمَلْجَإِي، صَرْحِي وَمُنْقِذِي، مِجَنِّي وَٱلَّذِي عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ، ٱلْمُخْضِعُ شَعْبِي تَحْتِي. ٢ 2
वह मुझ पर शफ़क़त करने वाला, और मेरा क़िला' है; मेरा ऊँचा बुर्ज और मेरा छुड़ाने वाला, वह मेरी ढाल और मेरी पनाहगाह है; जो मेरे लोगों को मेरे ताबे' करता है।
يَارَبُّ، أَيُّ شَيْءٍ هُوَ ٱلْإِنْسَانُ حَتَّى تَعْرِفَهُ، أَوِ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ حَتَّى تَفْتَكِرَ بِهِ؟ ٣ 3
ऐ ख़ुदावन्द, इंसान क्या है कि तू उसे याद रख्खे? और आदमज़ाद क्या है कि तू उसका ख़याल करे?
ٱلْإِنْسَانُ أَشْبَهَ نَفْخَةً. أَيَّامُهُ مِثْلُ ظِلٍّ عَابِرٍ. ٤ 4
इंसान बुतलान की तरह है; उसके दिन ढलते साये की तरह हैं।
يَارَبُّ، طَأْطِئْ سَمَاوَاتِكَ وَٱنْزِلِ. ٱلْمِسِ ٱلْجِبَالَ فَتُدَخِّنَ. ٥ 5
ऐ ख़ुदावन्द, आसमानों को झुका कर उतर आ! पहाड़ों को छू, तो उनसे धुआँ उठेगा!
أَبْرِقْ بُرُوقًا وَبَدِّدْهُمْ. أَرْسِلْ سِهَامَكَ وَأَزْعِجْهُمْ. ٦ 6
बिजली गिराकर उनको तितर बितर कर दे, अपने तीर चलाकर उनको शिकस्त दे!
أَرْسِلْ يَدَكَ مِنَ ٱلْعَلَاءِ. أَنْقِذْنِي وَنَجِّنِي مِنَ ٱلْمِيَاهِ ٱلْكَثِيرَةِ، مِنْ أَيْدِي ٱلْغُرَبَاءِ ٧ 7
ऊपर से हाथ बढ़ा, मुझे रिहाई दे और बड़े सैलाब, या'नी परदेसियों के हाथ से छुड़ा।
ٱلَّذِينَ تَكَلَّمَتْ أَفْوَاهُهُمْ بِٱلْبَاطِلِ، وَيَمِينُهُمْ يَمِينُ كَذِبٍ. ٨ 8
जिनके मुँह से बेकारी निकलती रहती है, और जिनका दहना हाथ झूट का दहना हाथ है।
يَا ٱللهُ، أُرَنِّمُ لَكَ تَرْنِيمَةً جَدِيدَةً. بِرَبَابٍ ذَاتِ عَشَرَةِ أَوْتَارٍ أُرَنِّمُ لَكَ. ٩ 9
ऐ ख़ुदा! मैं तेरे लिए नया हम्द गाऊँगा; दस तार वाली बरबत पर मैं तेरी मदहसराई करूँगा।
ٱلْمُعْطِي خَلَاصًا لِلْمُلُوكِ. ٱلْمُنْقِذُ دَاوُدَ عَبْدَهُ مِنَ ٱلسَّيْفِ ٱلسُّوءِ. ١٠ 10
वही बादशाहों को नजात बख़्शता है; और अपने बन्दे दाऊद को हलाक़त की तलवार से बचाता है।
أَنْقِذْنِي وَنَجِّنِي مِنْ أَيْدِي ٱلْغُرَبَاءِ، ٱلَّذِينَ تَكَلَّمَتْ أَفْوَاهُهُمْ بِٱلْبَاطِلِ، وَيَمِينُهُمْ يَمِينُ كَذِبٍ. ١١ 11
मुझे बचा और परदेसियों के हाथ से छुड़ा, जिनके मुँह से बेकारी निकलती रहती है, और जिनका दहना हाथ झूट का दहना हाथ है।
لِكَيْ يَكُونَ بَنُونَا مِثْلَ ٱلْغُرُوسِ ٱلنَّامِيَةِ فِي شَبِيبَتِهَا. بَنَاتُنَا كَأَعْمِدَةِ ٱلزَّوَايَا مَنْحُوتَاتٍ حَسَبَ بِنَاءِ هَيْكَلٍ. ١٢ 12
जब हमारे बेटे जवानी में क़दआवर पौदों की तरह हों और हमारी बेटियाँ महल के कोने के लिए तराशे हुए पत्थरों की तरह हों,
أَهْرَاؤُنَا مَلآنَةً تَفِيضُ مِنْ صِنْفٍ فَصِنْفٍ. أَغْنَامُنَا تُنْتِجُ أُلُوفًا وَرِبْوَاتٍ فِي شَوَارِعِنَا. ١٣ 13
जब हमारे खत्ते भरे हों, जिनसे हर किस्म की जिन्स मिल सके, और हमारी भेड़ बकरियाँ हमारे कूचों में हज़ारों और लाखों बच्चे दें:
بَقَرُنَا مُحَمَّلَةً. لَا ٱقْتِحَامَ وَلَا هُجُومَ، وَلَا شَكْوَى فِي شَوَارِعِنَا. ١٤ 14
जब हमारे बैल खू़ब लदे हों, जब न रखना हो न ख़ुरूज, और न हमारे कूचों में वावैला हो।
طُوبَى لِلشَّعْبِ ٱلَّذِي لَهُ كَهَذَا. طُوبَى لِلشَّعْبِ ٱلَّذِي ٱلرَّبُّ إِلَهُهُ. ١٥ 15
मुबारक है वह क़ौम जिसका यह हाल है। मुबारक है वह क़ौम जिसका ख़ुदा ख़ुदावन्द है।

< اَلْمَزَامِيرُ 144 >