< اَلْمَزَامِيرُ 141 >

مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ يَارَبُّ، إِلَيْكَ صَرَخْتُ. أَسْرِعْ إِلَيَّ. أَصْغِ إِلَى صَوْتِي عِنْدَ مَا أَصْرُخُ إِلَيْكَ. ١ 1
ऐ ख़ुदावन्द! मैने तेरी दुहाई दी मेरी तरफ़ जल्द आ! जब मैं तुझ से दुआ करूँ, तो मेरी आवाज़ पर कान लगा!
لِتَسْتَقِمْ صَلَاتِي كَٱلْبَخُورِ قُدَّامَكَ. لِيَكُنْ رَفْعُ يَدَيَّ كَذَبِيحَةٍ مَسَائِيَّةٍ. ٢ 2
मेरी दुआ तेरे सामने ख़ुशबू की तरह हो, और मेरा हाथ उठाना शाम की कु़र्बानी की तरह!
ٱجْعَلْ يَارَبُّ حَارِسًا لِفَمِي. ٱحْفَظْ بَابَ شَفَتَيَّ. ٣ 3
ऐ ख़ुदावन्द! मेरे मुँह पर पहरा बिठा; मेरे लबों के दरवाजे़ की निगहबानी कर।
لَا تُمِلْ قَلْبِي إِلَى أَمْرٍ رَدِيءٍ، لِأَتَعَلَّلَ بِعِلَلِ ٱلشَّرِّ مَعَ أُنَاسٍ فَاعِلِي إِثْمٍ، وَلَا آكُلْ مِنْ نَفَائِسِهِمْ. ٤ 4
मेरे दिल को किसी बुरी बात की तरफ़ माइल न होने दे; कि बदकारों के साथ मिलकर, शरारत के कामों में मसरूफ़ हो जाए, और मुझे उनके नफ़ीस खाने से दूर रख।
لِيَضْرِبْنِي ٱلصِّدِّيقُ فَرَحْمَةٌ، وَلْيُوَبِّخْنِي فَزَيْتٌ لِلرَّأْسِ. لَا يَأْبَى رَأْسِي. لِأَنَّ صَلَاتِي بَعْدُ فِي مَصَائِبِهِمْ. ٥ 5
सादिक़ मुझे मारे तो मेहरबानी होगी, वह मुझे तम्बीह करे तो जैसे सिर पर रौग़न होगा। मेरा सिर इससे इंकार न करे, क्यूँकि उनकी शरारत में भी मैं दुआ करता रहूँगा।
قَدِ ٱنْطَرَحَ قُضَاتُهُمْ مِنْ عَلَى ٱلصَّخْرَةِ، وَسَمِعُوا كَلِمَاتِي لِأَنَّهَا لَذِيذَةٌ. ٦ 6
उनके हाकिम चट्टान के किनारों पर से गिरा दिए गए हैं, और वह मेरी बातें सुनेंगे, क्यूँकि यह शीरीन हैं।
كَمَنْ يَفْلَحُ وَيَشُقُّ ٱلْأَرْضَ، تَبَدَّدَتْ عِظَامُنَا عِنْدَ فَمِ ٱلْهَاوِيَةِ. (Sheol h7585) ٧ 7
जैसे कोई हल चलाकर ज़मीन को तोड़ता है, वैसे ही हमारी हड्डियाँ पाताल के मुँह पर बिखरी पड़ी हैं। (Sheol h7585)
لِأَنَّهُ إِلَيْكَ يَا سَيِّدُ يَارَبُّ عَيْنَايَ. بِكَ ٱحْتَمَيْتُ. لَا تُفْرِغْ نَفْسِي. ٨ 8
क्यूँकि ऐ मालिक ख़ुदावन्द! मेरी आँखें तेरी तरफ़ हैं; मेरा भरोसा तुझ पर है, मेरी जान को बेकस न छोड़!
ٱحْفَظْنِي مِنَ ٱلْفَخِّ ٱلَّذِي قَدْ نَصَبُوهُ لِي، وَمِنْ أَشْرَاكِ فَاعِلِي ٱلْإِثْمِ. ٩ 9
मुझे उस फंदे से जो उन्होंने मेरे लिए लगाया है, और बदकिरदारों के दाम से बचा।
لِيَسْقُطِ ٱلْأَشْرَارُ فِي شِبَاكِهِمْ حَتَّى أَنْجُوَ أَنَا بِٱلْكُلِّيَّةِ. ١٠ 10
शरीर आप अपने जाल में फंसें, और मैं सलामत बच निकलूँ।

< اَلْمَزَامِيرُ 141 >