< اَلْمَزَامِيرُ 139 >

لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. لِدَاوُدَ. مَزْمُورٌ يَارَبُّ، قَدِ ٱخْتَبَرْتَنِي وَعَرَفْتَنِي. ١ 1
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. एक स्तोत्र. याहवेह, आपने मुझे परखा है, और जान लिया है.
أَنْتَ عَرَفْتَ جُلُوسِي وَقِيَامِي. فَهِمْتَ فِكْرِي مِنْ بَعِيدٍ. ٢ 2
मैं कब उठता हूं और मैं कब बैठता हूं, यह सब आपको ज्ञात रहता है; दूरदर्शिता में आप मेरे विचारों को समझ लेते हैं.
مَسْلَكِي وَمَرْبَضِي ذَرَّيْتَ، وَكُلَّ طُرُقِي عَرَفْتَ. ٣ 3
आप मेरे आने जाने और विश्रान्ति का परीक्षण करते रहते हैं; तथा मेरे समस्त आचार-व्यवहार से आप भली-भांति परिचित हैं.
لِأَنَّهُ لَيْسَ كَلِمَةٌ فِي لِسَانِي، إِلَّا وَأَنْتَ يَارَبُّ عَرَفْتَهَا كُلَّهَا. ٤ 4
इसके पूर्व कि कोई शब्द मेरी जीभ पर आए, याहवेह, आप, उसे पूरी-पूरी रीति से जान लेते हैं.
مِنْ خَلْفٍ وَمِنْ قُدَّامٍ حَاصَرْتَنِي، وَجَعَلْتَ عَلَيَّ يَدَكَ. ٥ 5
आप मुझे आगे-पीछे, चारों ओर से घेरे रहते हैं, आपका हाथ सदैव मुझ पर स्थिर रहता है.
عَجِيبَةٌ هَذِهِ ٱلْمَعْرِفَةُ، فَوْقِي ٱرْتَفَعَتْ، لَا أَسْتَطِيعُهَا. ٦ 6
आपका ज्ञान मेरी परख-शक्ति से सर्वथा परे हैं, मैं इसकी जानकारी लेने में स्वयं को पूर्णतः कमजोर पाता हूं.
أَيْنَ أَذْهَبُ مِنْ رُوحِكَ؟ وَمِنْ وَجْهِكَ أَيْنَ أَهْرُبُ؟ ٧ 7
आपके आत्मा से बचकर मैं कहां जा सकता हूं? आपकी उपस्थिति से बचने के लिए मैं कहां भाग सकता हूं?
إِنْ صَعِدْتُ إِلَى ٱلسَّمَاوَاتِ فَأَنْتَ هُنَاكَ، وَإِنْ فَرَشْتُ فِي ٱلْهَاوِيَةِ فَهَا أَنْتَ. (Sheol h7585) ٨ 8
यदि मैं स्वर्ग तक आरोहण करूं तो आप वहां हैं; यदि मैं अधोलोक में जा लेटूं, आप वहां भी हैं. (Sheol h7585)
إِنْ أَخَذْتُ جَنَاحَيِ ٱلصُّبْحِ، وَسَكَنْتُ فِي أَقَاصِي ٱلْبَحْرِ، ٩ 9
यदि मैं उषा के पंखों पर बैठ दूर उड़ चला जाऊं, और समुद्र के दूसरे तट पर बस जाऊं,
فَهُنَاكَ أَيْضًا تَهْدِينِي يَدُكَ وَتُمْسِكُنِي يَمِينُكَ. ١٠ 10
वहां भी आपका हाथ मेरी अगुवाई करेगा, आपका दायां हाथ मुझे थामे रहेगा.
فَقُلْتُ: «إِنَّمَا ٱلظُّلْمَةُ تَغْشَانِي». فَٱللَّيْلُ يُضِيءُ حَوْلِي! ١١ 11
यदि मैं यह विचार करूं, “निश्चयतः मैं अंधकार में छिप जाऊंगा और मेरे चारों ओर का प्रकाश रात्रि में बदल जाएगा,”
ٱلظُّلْمَةُ أَيْضًا لَا تُظْلِمُ لَدَيْكَ، وَٱللَّيْلُ مِثْلَ ٱلنَّهَارِ يُضِيءُ. كَٱلظُّلْمَةِ هَكَذَا ٱلنُّورُ. ١٢ 12
अंधकार भी आपकी दृष्टि के लिए अंधकार नहीं; आपके लिए तो रात्रि भी दिन के समान ज्योतिर्मय है, आपके सामने अंधकार और प्रकाश एक समान हैं.
لِأَنَّكَ أَنْتَ ٱقْتَنَيْتَ كُلْيَتَيَّ. نَسَجْتَنِي فِي بَطْنِ أُمِّي. ١٣ 13
आपने ही मेरे आन्तरिक अंगों की रचना की; मेरी माता के गर्भ में आपने मेरी देह की रचना की.
أَحْمَدُكَ مِنْ أَجْلِ أَنِّي قَدِ ٱمْتَزْتُ عَجَبًا. عَجِيبَةٌ هِيَ أَعْمَالُكَ، وَنَفْسِي تَعْرِفُ ذَلِكَ يَقِينًا. ١٤ 14
मैं आपके प्रति कृतज्ञ हूं, क्योंकि आपने मेरी रचना भयानक एवं अद्भुत ढंग से की है; आश्चर्य हैं आपके कार्य, मेरे प्राणों को इसका पूर्ण बोध है.
لَمْ تَخْتَفِ عَنْكَ عِظَامِي حِينَمَا صُنِعْتُ فِي ٱلْخَفَاءِ، وَرُقِمْتُ فِي أَعْمَاقِ ٱلْأَرْضِ. ١٥ 15
मेरा ढांचा उस समय आपके लिए रहस्य नहीं था जब सभी अवस्था में मेरा निर्माण हो रहा था, जब मैं पृथ्वी की गहराइयों में जटिल कौशल में तैयार किया जा रहा था.
رَأَتْ عَيْنَاكَ أَعْضَائِي، وَفِي سِفْرِكَ كُلُّهَا كُتِبَتْ يَوْمَ تَصَوَّرَتْ، إِذْ لَمْ يَكُنْ وَاحِدٌ مِنْهَا. ١٦ 16
आपकी दृष्टि मेरे विकासोन्मुख भ्रूण पर थी; मेरे लिए निर्धारित समस्त दिनों का कुल लेखा आपके ग्रंथ में अंकित था, जबकि वे उस समय अस्तित्व में भी न थे.
مَا أَكْرَمَ أَفْكَارَكَ يَا ٱللهُ عِنْدِي! مَا أَكْثَرَ جُمْلَتَهَا! ١٧ 17
परमेश्वर, मेरे लिए निर्धारित आपकी योजनाएं कितनी अमूल्य हैं! कितना विशाल है उनका कुल योग!
إِنْ أُحْصِهَا فَهِيَ أَكْثَرُ مِنَ ٱلرَّمْلِ. ٱسْتَيْقَظْتُ وَأَنَا بَعْدُ مَعَكَ. ١٨ 18
यदि मैं उनकी गणना प्रारंभ करूं, तो वे धूल के कणों से भी अधिक होंगी. जब मैं जागता हूं, आपको अपने निकट पाता हूं.
لَيْتَكَ تَقْتُلُ ٱلْأَشْرَارَ يَا ٱللهُ. فَيَا رِجَالَ ٱلدِّمَاءِ، ٱبْعُدُوا عَنِّي. ١٩ 19
परमेश्वर, अच्छा होता कि आप दुष्ट की हत्या कर देते! हे रक्त पिपासु, दूर हो जाओ मुझसे!
ٱلَّذِينَ يُكَلِّمُونَكَ بِٱلْمَكْرِ نَاطِقِينَ بِٱلْكَذِبِ، هُمْ أَعْدَاؤُكَ. ٢٠ 20
ये वे हैं, जो आपके विरुद्ध कुयुक्ति की बातें करते हैं; आपके ये शत्रु आपका नाम गलत ढंग से लेते हैं.
أَلَا أُبْغِضُ مُبْغِضِيكَ يَارَبُّ، وَأَمْقُتُ مُقَاوِمِيكَ؟ ٢١ 21
याहवेह, क्या मुझे भी उनसे घृणा नहीं है, जिन्हें आपसे घृणा है? क्या आपके शत्रु मेरे लिए भी घृणास्पद नहीं हैं?
بُغْضًا تَامًّا أَبْغَضْتُهُمْ. صَارُوا لِي أَعْدَاءً. ٢٢ 22
उनके प्रति मेरी घृणा अखण्ड है; वे मेरे भी शत्रु हैं.
ٱخْتَبِرْنِي يَا ٱللهُ وَٱعْرِفْ قَلْبِي. ٱمْتَحِنِّي وَٱعْرِفْ أَفْكَارِي. ٢٣ 23
परमेश्वर, परीक्षण करके मेरे हृदय को पहचान लीजिए; मुझे परखकर मेरे चिंतापूर्ण विचारों को जान लीजिए.
وَٱنْظُرْ إِنْ كَانَ فِيَّ طَرِيقٌ بَاطِلٌ، وَٱهْدِنِي طَرِيقًا أَبَدِيًّا. ٢٤ 24
यह देखिए कि मुझमें कहीं कोई बुरी प्रवृत्ति तो नहीं है, अनंत काल के मार्ग पर मेरी अगुवाई कीजिए.

< اَلْمَزَامِيرُ 139 >