< اَلْمَزَامِيرُ 126 >

تَرْنِيمَةُ ٱلْمَصَاعِدِ عِنْدَمَا رَدَّ ٱلرَّبُّ سَبْيَ صِهْيَوْنَ، صِرْنَا مِثْلَ ٱلْحَالِمِينَ. ١ 1
जब ख़ुदावन्द सिय्यून के गुलामों को वापस लाया, तो हम ख़्वाब देखने वालों की तरह थे।
حِينَئِذٍ ٱمْتَلَأَتْ أَفْوَاهُنَا ضِحْكًا، وَأَلْسِنَتُنَا تَرَنُّمًا. حِينَئِذٍ قَالُوا بَيْنَ ٱلْأُمَمِ: «إِنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ عَظَّمَ ٱلْعَمَلَ مَعَ هَؤُلَاءِ». ٢ 2
उस वक़्त हमारे मुँह में हँसी, और हमारी ज़बान पर रागनी थी; तब क़ौमों में यह चर्चा होने लगा, “ख़ुदावन्द ने इनके लिए बड़े बड़े काम किए हैं।”
عَظَّمَ ٱلرَّبُّ ٱلْعَمَلَ مَعَنَا، وَصِرْنَا فَرِحِينَ. ٣ 3
ख़ुदावन्द ने हमारे लिए बड़े बड़े काम किए हैं, और हम ख़ुश हैं!
ٱرْدُدْ يَارَبُّ سَبْيَنَا، مِثْلَ ٱلسَّوَاقِي فِي ٱلْجَنُوبِ. ٤ 4
ऐ ख़ुदावन्द! दखिन की नदियों की तरह, हमारे गुलामों को वापस ला।
ٱلَّذِينَ يَزْرَعُونَ بِٱلدُّمُوعِ يَحْصُدُونَ بِٱلِٱبْتِهَاجِ. ٥ 5
जो आँसुओं के साथ बोते हैं, वह खु़शी के साथ काटेंगे।
ٱلذَّاهِبُ ذَهَابًا بِٱلْبُكَاءِ حَامِلًا مِبْذَرَ ٱلزَّرْعِ، مَجِيئًا يَجِيءُ بِٱلتَّرَنُّمِ حَامِلًا حُزَمَهُ. ٦ 6
जो रोता हुआ बीज बोने जाता है, वह अपने पूले लिए हुए ख़ुश लौटेगा।

< اَلْمَزَامِيرُ 126 >