< اَلْمَزَامِيرُ 123 >

تَرْنِيمَةُ ٱلْمَصَاعِدِ إِلَيْكَ رَفَعْتُ عَيْنَيَّ يَا سَاكِنًا فِي ٱلسَّمَاوَاتِ. ١ 1
आराधना के लिए यात्रियों का गीत. मैं अपनी आंखें आपकी ओर उठाए हुए हूं, आपकी ओर, जिनका सिंहासन स्वर्ग में स्थापित है.
هُوَذَا كَمَا أَنَّ عُيُونَ ٱلْعَبِيدِ نَحْوَ أَيْدِي سَادَتِهِمْ، كَمَا أَنَّ عَيْنَيِ ٱلْجَارِيَةِ نَحْوَ يَدِ سَيِّدَتِهَا، هَكَذَا عُيُونُنَا نَحْوَ ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا حَتَّى يَتَرَأَّفَ عَلَيْنَا. ٢ 2
वैसे ही जिस प्रकार दासों की दृष्टि अपने स्वामी के हाथ की ओर लगी रहती है, जैसी दासी की दृष्टि अपनी स्वामिनी के हाथ की ओर लगी रहती है. ठीक इसी प्रकार हमारी दृष्टि याहवेह, हमारे परमेश्वर की ओर लगी रहती है, जब तक वह हम पर कृपादृष्टि नहीं करते.
ٱرْحَمْنَا يَارَبُّ ٱرْحَمْنَا، لِأَنَّنَا كَثِيرًا مَا ٱمْتَلَأْنَا هَوَانًا. ٣ 3
हम पर कृपा कीजिए, याहवेह, हम पर कृपा कीजिए, हमने बहुत तिरस्कार सहा है.
كَثِيرًا مَا شَبِعَتْ أَنْفُسُنَا مِنْ هُزْءِ ٱلْمُسْتَرِيحِينَ وَإِهَانَةِ ٱلْمُسْتَكْبِرِينَ. ٤ 4
हमने अहंकारियों द्वारा घोर उपहास भी सहा है, हम अहंकारियों के घोर घृणा के पात्र होकर रह गए हैं.

< اَلْمَزَامِيرُ 123 >