< اَلْمَزَامِيرُ 12 >

لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ عَلَى «ٱلْقَرَارِ». مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ خَلِّصْ يَارَبُّ، لِأَنَّهُ قَدِ ٱنْقَرَضَ ٱلتَّقِيُّ، لِأَنَّهُ قَدِ ٱنْقَطَعَ ٱلْأُمَنَاءُ مِنْ بَنِي ٱلْبَشَرِ. ١ 1
ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले क्यूँकि कोई दीनदार नहीं रहा और अमानत दार लोग बनी आदम में से मिट गये।
يَتَكَلَّمُونَ بِٱلْكَذِبِ كُلُّ وَاحِدٍ مَعَ صَاحِبِهِ، بِشِفَاهٍ مَلِقَةٍ، بِقَلْبٍ فَقَلْبٍ يَتَكَلَّمُونَ. ٢ 2
वह अपने अपने पड़ोसी से झूठ बोलते हैं वह ख़ुशामदी लबों से दो रंगी बातें करते हैं
يَقْطَعُ ٱلرَّبُّ جَمِيعَ ٱلشِّفَاهِ ٱلْمَلِقَةِ وَٱللِّسَانَ ٱلْمُتَكَلِّمَ بِٱلْعَظَائِمِ، ٣ 3
ख़ुदावन्द सब ख़ुशामदी लबों को और बड़े बोल बोलने वाली ज़बान को काट डालेगा।
ٱلَّذِينَ قَالُوا: «بِأَلْسِنَتِنَا نَتَجَبَّرُ. شِفَاهُنَا مَعَنَا. مَنْ هُوَ سَيِّدٌ عَلَيْنَا؟». ٤ 4
वह कहते हैं, “हम अपनी ज़बान से जीतेंगे, हमारे होंट हमारे ही हैं; हमारा मालिक कौन है?”
«مِنِ ٱغْتِصَابِ ٱلْمَسَاكِينِ، مِنْ صَرْخَةِ ٱلْبَائِسِينَ، ٱلْآنَ أَقُومُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، أَجْعَلُ فِي وُسْعٍ ٱلَّذِي يُنْفَثُ فِيهِ». ٥ 5
ग़रीबों की तबाही और ग़रीबों कीआह की वजह से, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि अब मैं उठूँगा और जिस पर वह फुंकारते हैं उसे अम्न — ओ — अमान में रख्खूँगा।
كَلَامُ ٱلرَّبِّ كَلَامٌ نَقِيٌّ، كَفِضَّةٍ مُصَفَّاةٍ فِي بُوطَةٍ فِي ٱلْأَرْضِ، مَمْحُوصَةٍ سَبْعَ مَرَّاتٍ. ٦ 6
ख़ुदावन्द का कलाम पाक है, उस चाँदी की तरह जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार साफ़ की गई हो।
أَنْتَ يَارَبُّ تَحْفَظُهُمْ. تَحْرُسُهُمْ مِنْ هَذَا ٱلْجِيلِ إِلَى ٱلدَّهْرِ. ٧ 7
तू ही ऐ ख़ुदावन्द उनकी हिफ़ाज़त करेगा, तू ही उनको इस नसल से हमेशा तक बचाए रखेगा।
ٱلْأَشْرَارُ يَتَمَشَّوْنَ مِنْ كُلِّ نَاحِيَةٍ عِنْدَ ٱرْتِفَاعِ ٱلْأَرْذَالِ بَيْنَ ٱلنَّاسِ. ٨ 8
जब बनी आदम में पाजीपन की क़द्र होती है, तो शरीर हर तरफ़ चलते फिरते हैं।

< اَلْمَزَامِيرُ 12 >