< اَلْمَزَامِيرُ 119 >

طُوبَى لِلْكَامِلِينَ طَرِيقًا، ٱلسَّالِكِينَ فِي شَرِيعَةِ ٱلرَّبِّ. ١ 1
आलेफ क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!
طُوبَى لِحَافِظِي شَهَادَاتِهِ. مِنْ كُلِّ قُلُوبِهِمْ يَطْلُبُونَهُ. ٢ 2
क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!
أَيْضًا لَا يَرْتَكِبُونَ إِثْمًا. فِي طُرُقِهِ يَسْلُكُونَ. ٣ 3
फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।
أَنْتَ أَوْصَيْتَ بِوَصَايَاكَ أَنْ تُحْفَظَ تَمَامًا. ٤ 4
तूने अपने उपदेश इसलिए दिए हैं, कि हम उसे यत्न से माने।
لَيْتَ طُرُقِي تُثَبَّتُ فِي حِفْظِ فَرَائِضِكَ. ٥ 5
भला होता कि तेरी विधियों को मानने के लिये मेरी चाल चलन दृढ़ हो जाए!
حِينَئِذٍ لَا أَخْزَى إِذَا نَظَرْتُ إِلَى كُلِّ وَصَايَاكَ. ٦ 6
तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूँगा, और मैं लज्जित न होऊँगा।
أَحْمَدُكَ بِٱسْتِقَامَةِ قَلْبٍ عِنْدَ تَعَلُّمِي أَحْكَامَ عَدْلِكَ. ٧ 7
जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूँगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूँगा।
وَصَايَاكَ أَحْفَظُ. لَا تَتْرُكْنِي إِلَى ٱلْغَايَةِ. ٨ 8
मैं तेरी विधियों को मानूँगा: मुझे पूरी रीति से न तज!
بِمَ يُزَكِّي ٱلشَّابُّ طَرِيقَهُ؟ بِحِفْظِهِ إِيَّاهُ حَسَبَ كَلَامِكَ. ٩ 9
बेथ जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन का पालन करने से।
بِكُلِّ قَلْبِي طَلَبْتُكَ. لَا تُضِلَّنِي عَنْ وَصَايَاكَ. ١٠ 10
१०मैं पूरे मन से तेरी खोज में लगा हूँ; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
خَبَأْتُ كَلَامَكَ فِي قَلْبِي لِكَيْلَا أُخْطِئَ إِلَيْكَ. ١١ 11
११मैंने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूँ।
مُبَارَكٌ أَنْتَ يَارَبُّ. عَلِّمْنِي فَرَائِضَكَ. ١٢ 12
१२हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा!
بِشَفَتَيَّ حَسَبْتُ كُلَّ أَحْكَامِ فَمِكَ. ١٣ 13
१३तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैंने अपने मुँह से किया है।
بِطَرِيقِ شَهَادَاتِكَ فَرِحْتُ كَمَا عَلَى كُلِّ ٱلْغِنَى. ١٤ 14
१४मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानो सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूँ।
بِوَصَايَاكَ أَلْهَجُ، وَأُلَاحِظُ سُبُلَكَ. ١٥ 15
१५मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूँगा।
بِفَرَائِضِكَ أَتَلَذَّذُ. لَا أَنْسَى كَلَامَكَ. ١٦ 16
१६मैं तेरी विधियों से सुख पाऊँगा; और तेरे वचन को न भूलूँगा।
أَحْسِنْ إِلَى عَبْدِكَ، فَأَحْيَا وَأَحْفَظَ أَمْرَكَ. ١٧ 17
१७गिमेल अपने दास का उपकार कर कि मैं जीवित रहूँ, और तेरे वचन पर चलता रहूँ।
ٱكْشِفْ عَنْ عَيْنَيَّ فَأَرَى عَجَائِبَ مِنْ شَرِيعَتِكَ. ١٨ 18
१८मेरी आँखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूँ।
غَرِيبٌ أَنَا فِي ٱلْأَرْضِ. لَا تُخْفِ عَنِّي وَصَايَاكَ. ١٩ 19
१९मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूँ; अपनी आज्ञाओं को मुझसे छिपाए न रख!
ٱنْسَحَقَتْ نَفْسِي شَوْقًا إِلَى أَحْكَامِكَ فِي كُلِّ حِينٍ. ٢٠ 20
२०मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है।
ٱنْتَهَرْتَ ٱلْمُتَكَبِّرِينَ ٱلْمَلَاعِينَ ٱلضَّالِّينَ عَنْ وَصَايَاكَ. ٢١ 21
२१तूने अभिमानियों को, जो श्रापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं से भटके हुए हैं।
دَحْرِجْ عَنِّي ٱلْعَارَ وَٱلْإِهَانَةَ، لِأَنِّي حَفِظْتُ شَهَادَاتِكَ. ٢٢ 22
२२मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूँ।
جَلَسَ أَيْضًا رُؤَسَاءُ، تَقَاوَلُوا عَلَيَّ. أَمَّا عَبْدُكَ فَيُنَاجِي بِفَرَائِضِكَ. ٢٣ 23
२३हाकिम भी बैठे हुए आपस में मेरे विरुद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा।
أَيْضًا شَهَادَاتُكَ هِيَ لَذَّتِي، أَهْلُ مَشُورَتِي. ٢٤ 24
२४तेरी चितौनियाँ मेरा सुखमूल और मेरे मंत्री हैं।
لَصِقَتْ بِٱلتُّرَابِ نَفْسِي، فَأَحْيِنِي حَسَبَ كَلِمَتِكَ. ٢٥ 25
२५दाल्थ मैं धूल में पड़ा हूँ; तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला!
قَدْ صَرَّحْتُ بِطُرُقِي فَٱسْتَجَبْتَ لِي. عَلِّمْنِي فَرَائِضَكَ. ٢٦ 26
२६मैंने अपनी चाल चलन का तुझ से वर्णन किया है और तूने मेरी बात मान ली है; तू मुझ को अपनी विधियाँ सिखा!
طَرِيقَ وَصَايَاكَ فَهِّمْنِي، فَأُنَاجِيَ بِعَجَائِبِكَ. ٢٧ 27
२७अपने उपदेशों का मार्ग मुझे समझा, तब मैं तेरे आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूँगा।
قَطَرَتْ نَفْسِي مِنَ ٱلْحُزْنِ. أَقِمْنِي حَسَبَ كَلَامِكَ. ٢٨ 28
२८मेरा जीव उदासी के मारे गल चला है; तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल!
طَرِيقَ ٱلْكَذِبِ أَبْعِدْ عَنِّي، وَبِشَرِيعَتِكَ ٱرْحَمْنِي. ٢٩ 29
२९मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर; और कृपा करके अपनी व्यवस्था मुझे दे।
ٱخْتَرْتُ طَرِيقَ ٱلْحَقِّ. جَعَلْتُ أَحْكَامَكَ قُدَّامِي. ٣٠ 30
३०मैंने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है, तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाए रहता हूँ।
لَصِقْتُ بِشَهَادَاتِكَ. يَارَبُّ، لَا تُخْزِنِي. ٣١ 31
३१मैं तेरी चितौनियों में लौलीन हूँ, हे यहोवा, मुझे लज्जित न होने दे!
فِي طَرِيقِ وَصَايَاكَ أَجْرِي، لِأَنَّكَ تُرَحِّبُ قَلْبِي. ٣٢ 32
३२जब तू मेरा हियाव बढ़ाएगा, तब मैं तेरी आज्ञाओं के मार्ग में दौड़ूँगा।
عَلِّمْنِي يَارَبُّ طَرِيقَ فَرَائِضِكَ، فَأَحْفَظَهَا إِلَى ٱلنِّهَايَةِ. ٣٣ 33
३३हे हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग सिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूँगा।
فَهِّمْنِي فَأُلَاحِظَ شَرِيعَتَكَ، وَأَحْفَظَهَا بِكُلِّ قَلْبِي. ٣٤ 34
३४मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूँगा और पूर्ण मन से उस पर चलूँगा।
دَرِّبْنِي فِي سَبِيلِ وَصَايَاكَ، لِأَنِّي بِهِ سُرِرْتُ. ٣٥ 35
३५अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूँ।
أَمِلْ قَلْبِي إِلَى شَهَادَاتِكَ، لَا إِلَى ٱلْمَكْسَبِ. ٣٦ 36
३६मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे।
حَوِّلْ عَيْنَيَّ عَنِ ٱلنَّظَرِ إِلَى ٱلْبَاطِلِ. فِي طَرِيقِكَ أَحْيِنِي. ٣٧ 37
३७मेरी आँखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला।
أَقِمْ لِعَبْدِكَ قَوْلَكَ ٱلَّذِي لِمُتَّقِيكَ. ٣٨ 38
३८तेरा वादा जो तेरे भय माननेवालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर।
أَزِلْ عَارِي ٱلَّذِي حَذِرْتُ مِنْهُ، لِأَنَّ أَحْكَامَكَ طَيِّبَةٌ. ٣٩ 39
३९जिस नामधराई से मैं डरता हूँ, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं।
هَأَنَذَا قَدِ ٱشْتَهَيْتُ وَصَايَاكَ. بِعَدْلِكَ أَحْيِنِي. ٤٠ 40
४०देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूँ; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।
لِتَأْتِنِي رَحْمَتُكَ يَارَبُّ، خَلَاصُكَ حَسَبَ قَوْلِكَ، ٤١ 41
४१वाव हे यहोवा, तेरी करुणा और तेरा किया हुआ उद्धार, तेरे वादे के अनुसार, मुझ को भी मिले;
فَأُجَاوِبَ مُعَيِّرِي كَلِمَةً، لِأَنِّي ٱتَّكَلْتُ عَلَى كَلَامِكَ. ٤٢ 42
४२तब मैं अपनी नामधराई करनेवालों को कुछ उत्तर दे सकूँगा, क्योंकि मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है।
وَلَا تَنْزِعْ مِنْ فَمِي كَلَامَ ٱلْحَقِّ كُلَّ ٱلنَّزْعِ، لِأَنِّي ٱنْتَظَرْتُ أَحْكَامَكَ. ٤٣ 43
४३मुझे अपने सत्य वचन कहने से न रोक क्योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर है।
فَأَحْفَظَ شَرِيعَتَكَ دَائِمًا، إِلَى ٱلدَّهْرِ وَٱلْأَبَدِ، ٤٤ 44
४४तब मैं तेरी व्यवस्था पर लगातार, सदा सर्वदा चलता रहूँगा;
وَأَتَمَشَّى فِي رَحْبٍ، لِأَنِّي طَلَبْتُ وَصَايَاكَ. ٤٥ 45
४५और मैं चौड़े स्थान में चला फिरा करूँगा, क्योंकि मैंने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है।
وَأَتَكَلَّمُ بِشَهَادَاتِكَ قُدَّامَ مُلُوكٍ وَلَا أَخْزَى، ٤٦ 46
४६और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के सामने भी करूँगा, और लज्जित न होऊँगा;
وَأَتَلَذَّذُ بِوَصَايَاكَ ٱلَّتِي أَحْبَبْتُ. ٤٧ 47
४७क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के कारण सुखी हूँ, और मैं उनसे प्रीति रखता हूँ।
وَأَرْفَعُ يَدَيَّ إِلَى وَصَايَاكَ ٱلَّتِي وَدِدْتُ، وَأُنَاجِي بِفَرَائِضِكَ. ٤٨ 48
४८मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिनमें मैं प्रीति रखता हूँ, हाथ फैलाऊँगा और तेरी विधियों पर ध्यान करूँगा।
اُذْكُرْ لِعَبْدِكَ ٱلْقَوْلَ ٱلَّذِي جَعَلْتَنِي أَنْتَظِرُهُ. ٤٩ 49
४९ज़ैन जो वादा तूने अपने दास को दिया है, उसे स्मरण कर, क्योंकि तूने मुझे आशा दी है।
هَذِهِ هِيَ تَعْزِيَتِي فِي مَذَلَّتِي، لِأَنَّ قَوْلَكَ أَحْيَانِي. ٥٠ 50
५०मेरे दुःख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैंने जीवन पाया है।
ٱلْمُتَكَبِّرُونَ ٱسْتَهْزَأُوا بِي إِلَى ٱلْغَايَةِ. عَنْ شَرِيعَتِكَ لَمْ أَمِلْ. ٥١ 51
५१अहंकारियों ने मुझे अत्यन्त ठट्ठे में उड़ाया है, तो भी मैं तेरी व्यवस्था से नहीं हटा।
تَذَكَّرْتُ أَحْكَامَكَ مُنْذُ ٱلدَّهْرِ يَارَبُّ، فَتَعَزَّيْتُ. ٥٢ 52
५२हे यहोवा, मैंने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करके शान्ति पाई है।
ٱلْحَمِيَّةُ أَخَذَتْنِي بِسَبَبِ ٱلْأَشْرَارِ تَارِكِي شَرِيعَتِكَ. ٥٣ 53
५३जो दुष्ट तेरी व्यवस्था को छोड़े हुए हैं, उनके कारण मैं क्रोध से जलता हूँ।
تَرْنِيمَاتٍ صَارَتْ لِي فَرَائِضُكَ فِي بَيْتِ غُرْبَتِي. ٥٤ 54
५४जहाँ मैं परदेशी होकर रहता हूँ, वहाँ तेरी विधियाँ, मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं।
ذَكَرْتُ فِي ٱللَّيْلِ ٱسْمَكَ يَارَبُّ، وَحَفِظْتُ شَرِيعَتَكَ. ٥٥ 55
५५हे यहोवा, मैंने रात को तेरा नाम स्मरण किया, और तेरी व्यवस्था पर चला हूँ।
هَذَا صَارَ لِي، لِأَنِّي حَفِظْتُ وَصَايَاكَ. ٥٦ 56
५६यह मुझसे इस कारण हुआ, कि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए था।
نَصِيبِي ٱلرَّبُّ، قُلْتُ لِحِفْظِ كَلَامِكَ. ٥٧ 57
५७हेथ यहोवा मेरा भाग है; मैंने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है।
تَرَضَّيْتُ وَجْهَكَ بِكُلِّ قَلْبِي. ٱرْحَمْنِي حَسَبَ قَوْلِكَ. ٥٨ 58
५८मैंने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिए अपने वादे के अनुसार मुझ पर दया कर।
تَفَكَّرْتُ فِي طُرُقِي، وَرَدَدْتُ قَدَمَيَّ إِلَى شَهَادَاتِكَ. ٥٩ 59
५९मैंने अपनी चाल चलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया।
أَسْرَعْتُ وَلَمْ أَتَوَانَ لِحِفْظِ وَصَايَاكَ. ٦٠ 60
६०मैंने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है।
حِبَالُ ٱلْأَشْرَارِ ٱلْتَفَّتْ عَلَيَّ. أَمَّا شَرِيعَتُكَ فَلَمْ أَنْسَهَا. ٦١ 61
६१मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूँ, तो भी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला।
فِي مُنْتَصَفِ ٱللَّيْلِ أَقُومُ لِأَحْمَدَكَ عَلَى أَحْكَامِ بِرِّكَ. ٦٢ 62
६२तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने को उठूँगा।
رَفِيقٌ أَنَا لِكُلِّ ٱلَّذِينَ يَتَّقُونَكَ وَلِحَافِظِي وَصَايَاكَ. ٦٣ 63
६३जितने तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूँ।
رَحْمَتُكَ يَارَبُّ قَدْ مَلَأَتِ ٱلْأَرْضَ. عَلِّمْنِي فَرَائِضَكَ. ٦٤ 64
६४हे यहोवा, तेरी करुणा पृथ्वी में भरी हुई है; तू मुझे अपनी विधियाँ सिखा!
خَيْرًا صَنَعْتَ مَعَ عَبْدِكَ يَارَبُّ حَسَبَ كَلَامِكَ. ٦٥ 65
६५टेथ हे यहोवा, तूने अपने वचन के अनुसार अपने दास के संग भलाई की है।
ذَوْقًا صَالِحًا وَمَعْرِفَةً عَلِّمْنِي، لِأَنِّي بِوَصَايَاكَ آمَنْتُ. ٦٦ 66
६६मुझे भली विवेक-शक्ति और समझ दे, क्योंकि मैंने तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है।
قَبْلَ أَنْ أُذَلَّلَ أَنَا ضَلَلْتُ، أَمَّا ٱلْآنَ فَحَفِظْتُ قَوْلَكَ. ٦٧ 67
६७उससे पहले कि मैं दुःखित हुआ, मैं भटकता था; परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूँ।
صَالِحٌ أَنْتَ وَمُحْسِنٌ. عَلِّمْنِي فَرَائِضَكَ. ٦٨ 68
६८तू भला है, और भला करता भी है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा।
ٱلْمُتَكَبِّرُونَ قَدْ لَفَّقُوا عَلَيَّ كَذِبًا، أَمَّا أَنَا فَبِكُلِّ قَلْبِي أَحْفَظُ وَصَايَاكَ. ٦٩ 69
६९अभिमानियों ने तो मेरे विरुद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूँगा।
سَمِنَ مِثْلَ ٱلشَّحْمِ قَلْبُهُمْ، أَمَّا أَنَا فَبِشَرِيعَتِكَ أَتَلَذَّذُ. ٧٠ 70
७०उनका मन मोटा हो गया है, परन्तु मैं तेरी व्यवस्था के कारण सुखी हूँ।
خَيْرٌ لِي أَنِّي تَذَلَّلْتُ لِكَيْ أَتَعَلَّمَ فَرَائِضَكَ. ٧١ 71
७१मुझे जो दुःख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिससे मैं तेरी विधियों को सीख सकूँ।
شَرِيعَةُ فَمِكَ خَيْرٌ لِي مِنْ أُلُوفِ ذَهَبٍ وَفِضَّةٍ. ٧٢ 72
७२तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लिये हजारों रुपयों और मुहरों से भी उत्तम है।
يَدَاكَ صَنَعَتَانِي وَأَنْشَأَتَانِي. فَهِّمْنِي فَأَتَعَلَّمَ وَصَايَاكَ. ٧٣ 73
७३योध तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूँ; मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूँ।
مُتَّقُوكَ يَرَوْنَنِي فَيَفْرَحُونَ، لِأَنِّي ٱنْتَظَرْتُ كَلَامَكَ. ٧٤ 74
७४तेरे डरवैये मुझे देखकर आनन्दित होंगे, क्योंकि मैंने तेरे वचन पर आशा लगाई है।
قَدْ عَلِمْتُ يَارَبُّ أَنَّ أَحْكَامَكَ عَدْلٌ، وَبِٱلْحَقِّ أَذْلَلْتَنِي. ٧٥ 75
७५हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तूने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दुःख दिया है।
فَلْتَصِرْ رَحْمَتُكَ لِتَعْزِيَتِي، حَسَبَ قَوْلِكَ لِعَبْدِكَ. ٧٦ 76
७६मुझे अपनी करुणा से शान्ति दे, क्योंकि तूने अपने दास को ऐसा ही वादा दिया है।
لِتَأْتِنِي مَرَاحِمُكَ فَأَحْيَا، لِأَنَّ شَرِيعَتَكَ هِيَ لَذَّتِي. ٧٧ 77
७७तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूँगा; क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूँ।
لِيَخْزَ ٱلْمُتَكَبِّرُونَ لِأَنَّهُمْ زُورًا ٱفْتَرَوْا عَلَيَّ. أَمَّا أَنَا فَأُنَاجِي بِوَصَايَاكَ. ٧٨ 78
७८अहंकारी लज्जित किए जाए, क्योंकि उन्होंने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है; परन्तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा।
لِيَرْجِعْ إِلَيَّ مُتَّقُوكَ وَعَارِفُو شَهَادَاتِكَ. ٧٩ 79
७९जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें, तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे।
لِيَكُنْ قَلْبِي كَامِلًا فِي فَرَائِضِكَ لِكَيْلَا أَخْزَى. ٨٠ 80
८०मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े।
تَاقَتْ نَفْسِي إِلَى خَلَاصِكَ. كَلَامَكَ ٱنْتَظَرْتُ. ٨١ 81
८१क़ाफ मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिये बैचेन है; परन्तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है।
كَلَّتْ عَيْنَايَ مِنَ ٱلنَّظَرِ إِلَى قَوْلِكَ، فَأَقُولُ: «مَتَى تُعَزِّينِي؟». ٨٢ 82
८२मेरी आँखें तेरे वादे के पूरे होने की बाट जोहते-जोहते धुंधली पड़ गईं है; और मैं कहता हूँ कि तू मुझे कब शान्ति देगा?
لِأَنِّي قَدْ صِرْتُ كَزِقٍّ فِي ٱلدُّخَانِ، أَمَّا فَرَائِضُكَ فَلَمْ أَنْسَهَا. ٨٣ 83
८३क्योंकि मैं धुएँ में की कुप्पी के समान हो गया हूँ, तो भी तेरी विधियों को नहीं भूला।
كَمْ هِيَ أَيَّامُ عَبْدِكَ؟ مَتَى تُجْرِي حُكْمًا عَلَى مُضْطَهِدِيَّ؟ ٨٤ 84
८४तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं? तू मेरे पीछे पड़े हुओं को दण्ड कब देगा?
ٱلْمُتَكَبِّرُونَ قَدْ كَرَوْا لِي حَفَائِرَ. ذَلِكَ لَيْسَ حَسَبَ شَرِيعَتِكَ. ٨٥ 85
८५अहंकारी जो तेरी व्यवस्था के अनुसार नहीं चलते, उन्होंने मेरे लिये गड्ढे खोदे हैं।
كُلُّ وَصَايَاكَ أَمَانَةٌ. زُورًا يَضْطَهِدُونَنِي. أَعِنِّي. ٨٦ 86
८६तेरी सब आज्ञाएँ विश्वासयोग्य हैं; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं; तू मेरी सहायता कर!
لَوْلَا قَلِيلٌ لَأَفْنَوْنِي مِنَ ٱلْأَرْضِ. أَمَّا أَنَا فَلَمْ أَتْرُكْ وَصَايَاكَ. ٨٧ 87
८७वे मुझ को पृथ्वी पर से मिटा डालने ही पर थे, परन्तु मैंने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा।
حَسَبَ رَحْمَتِكَ أَحْيِنِي، فَأَحْفَظَ شَهَادَاتِ فَمِكَ. ٨٨ 88
८८अपनी करुणा के अनुसार मुझ को जिला, तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूँगा।
إِلَى ٱلْأَبَدِ يَارَبُّ كَلِمَتُكَ مُثَبَّتَةٌ فِي ٱلسَّمَاوَاتِ. ٨٩ 89
८९लामेध हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश में सदा तक स्थिर रहता है।
إِلَى دَوْرٍ فَدَوْرٍ أَمَانَتُكَ. أَسَّسْتَ ٱلْأَرْضَ فَثَبَتَتْ. ٩٠ 90
९०तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तूने पृथ्वी को स्थिर किया, इसलिए वह बनी है।
عَلَى أَحْكَامِكَ ثَبَتَتِ ٱلْيَوْمَ، لِأَنَّ ٱلْكُلَّ عَبِيدُكَ. ٩١ 91
९१वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं; क्योंकि सारी सृष्टि तेरे अधीन है।
لَوْ لَمْ تَكُنْ شَرِيعَتُكَ لَذَّتِي، لَهَلَكْتُ حِينَئِذٍ فِي مَذَلَّتِي. ٩٢ 92
९२यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता, तो मैं दुःख के समय नाश हो जाता।
إِلَى ٱلدَّهْرِ لَا أَنْسَى وَصَايَاكَ، لِأَنَّكَ بِهَا أَحْيَيْتَنِي. ٩٣ 93
९३मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूँगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तूने मुझे जिलाया है।
لَكَ أَنَا فَخَلِّصْنِي، لِأَنِّي طَلَبْتُ وَصَايَاكَ. ٩٤ 94
९४मैं तेरा ही हूँ, तू मेरा उद्धार कर; क्योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूँ।
إِيَّايَ ٱنْتَظَرَ ٱلْأَشْرَارُ لِيُهْلِكُونِي. بِشَهَادَاتِكَ أَفْطُنُ. ٩٥ 95
९५दुष्ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं; परन्तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूँ।
لِكُلِّ كَمَالٍ رَأَيْتُ حَدًّا، أَمَّا وَصِيَّتُكَ فَوَاسِعَةٌ جِدًّا. ٩٦ 96
९६मैंने देखा है कि प्रत्येक पूर्णता की सीमा होती है, परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा और सीमा से परे है।
كَمْ أَحْبَبْتُ شَرِيعَتَكَ! ٱلْيَوْمَ كُلَّهُ هِيَ لَهَجِي. ٩٧ 97
९७मीम आहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूँ! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।
وَصِيَّتُكَ جَعَلَتْنِي أَحْكَمَ مِنْ أَعْدَائِي، لِأَنَّهَا إِلَى ٱلدَّهْرِ هِيَ لِي. ٩٨ 98
९८तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
أَكْثَرَ مِنْ كُلِّ مُعَلِّمِيَّ تَعَقَّلْتُ، لِأَنَّ شَهَادَاتِكَ هِيَ لَهَجِي. ٩٩ 99
९९मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूँ, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।
أَكْثَرَ مِنَ ٱلشُّيُوخِ فَطِنْتُ، لِأَنِّي حَفِظْتُ وَصَايَاكَ. ١٠٠ 100
१००मैं पुरनियों से भी समझदार हूँ, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूँ।
مِنْ كُلِّ طَرِيقِ شَرٍّ مَنَعْتُ رِجْلَيَّ، لِكَيْ أَحْفَظَ كَلَامَكَ. ١٠١ 101
१०१मैंने अपने पाँवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिससे मैं तेरे वचन के अनुसार चलूँ।
عَنْ أَحْكَامِكَ لَمْ أَمِلْ، لِأَنَّكَ أَنْتَ عَلَّمْتَنِي. ١٠٢ 102
१०२मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।
مَا أَحْلَى قَوْلَكَ لِحَنَكِي! أَحْلَى مِنَ ٱلْعَسَلِ لِفَمِي. ١٠٣ 103
१०३तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं!
مِنْ وَصَايَاكَ أَتَفَطَّنُ، لِذَلِكَ أَبْغَضْتُ كُلَّ طَرِيقِ كَذِبٍ. ١٠٤ 104
१०४तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूँ, इसलिए मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ।
سِرَاجٌ لِرِجْلِي كَلَامُكَ وَنُورٌ لِسَبِيلِي. ١٠٥ 105
१०५नून तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।
حَلَفْتُ فَأَبِرُّهُ، أَنْ أَحْفَظَ أَحْكَامَ بِرِّكَ. ١٠٦ 106
१०६मैंने शपथ खाई, और ठान लिया है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूँगा।
تَذَلَّلْتُ إِلَى ٱلْغَايَةِ. يَارَبُّ، أَحْيِنِي حَسَبَ كَلَامِكَ. ١٠٧ 107
१०७मैं अत्यन्त दुःख में पड़ा हूँ; हे यहोवा, अपने वादे के अनुसार मुझे जिला।
ٱرْتَضِ بِمَنْدُوبَاتِ فَمِي يَارَبُّ، وَأَحْكَامَكَ عَلِّمْنِي. ١٠٨ 108
१०८हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जानकर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।
نَفْسِي دَائِمًا فِي كَفِّي، أَمَّا شَرِيعَتُكَ فَلَمْ أَنْسَهَا. ١٠٩ 109
१०९मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तो भी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
ٱلْأَشْرَارُ وَضَعُوا لِي فَخًّا، أَمَّا وَصَايَاكَ فَلَمْ أَضِلَّ عَنْهَا. ١١٠ 110
११०दुष्टों ने मेरे लिये फंदा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।
وَرِثْتُ شَهَادَاتِكَ إِلَى ٱلدَّهْرِ، لِأَنَّهَا هِيَ بَهْجَةُ قَلْبِي. ١١١ 111
१११मैंने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भागकर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण है।
عَطَفْتُ قَلْبِي لِأَصْنَعَ فَرَائِضَكَ إِلَى ٱلدَّهْرِ إِلَى ٱلنِّهَايَةِ. ١١٢ 112
११२मैंने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूँ।
ٱلْمُتَقَلِّبِينَ أَبْغَضْتُ، وَشَرِيعَتَكَ أَحْبَبْتُ. ١١٣ 113
११३सामेख मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूँ, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ।
سِتْرِي وَمِجَنِّي أَنْتَ. كَلَامَكَ ٱنْتَظَرْتُ. ١١٤ 114
११४तू मेरी आड़ और ढाल है; मेरी आशा तेरे वचन पर है।
ٱنْصَرِفُوا عَنِّي أَيُّهَا ٱلْأَشْرَارُ، فَأَحْفَظَ وَصَايَا إِلَهِي. ١١٥ 115
११५हे कुकर्मियों, मुझसे दूर हो जाओ, कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं को पकड़े रहूँ!
ٱعْضُدْنِي حَسَبَ قَوْلِكَ فَأَحْيَا، وَلَا تُخْزِنِي مِنْ رَجَائِي. ١١٦ 116
११६हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल, कि मैं जीवित रहूँ, और मेरी आशा को न तोड़!
أَسْنِدْنِي فَأَخْلُصَ، وَأُرَاعِيَ فَرَائِضَكَ دَائِمًا. ١١٧ 117
११७मुझे थामे रख, तब मैं बचा रहूँगा, और निरन्तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूँगा!
ٱحْتَقَرْتَ كُلَّ ٱلضَّالِّينَ عَنْ فَرَائِضِكَ، لِأَنَّ مَكْرَهُمْ بَاطِلٌ. ١١٨ 118
११८जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं, उन सब को तू तुच्छ जानता है, क्योंकि उनकी चतुराई झूठ है।
كَزَغَلٍ عَزَلْتَ كُلَّ أَشْرَارِ ٱلْأَرْضِ، لِذَلِكَ أَحْبَبْتُ شَهَادَاتِكَ. ١١٩ 119
११९तूने पृथ्वी के सब दुष्टों को धातु के मैल के समान दूर किया है; इस कारण मैं तेरी चितौनियों से प्रीति रखता हूँ।
قَدِ ٱقْشَعَرَّ لَحْمِي مِنْ رُعْبِكَ، وَمِنْ أَحْكَامِكَ جَزِعْتُ. ١٢٠ 120
१२०तेरे भय से मेरा शरीर काँप उठता है, और मैं तेरे नियमों से डरता हूँ।
أَجْرَيْتُ حُكْمًا وَعَدْلًا. لَا تُسْلِمْنِي إِلَى ظَالِمِيَّ. ١٢١ 121
१२१ऐन मैंने तो न्याय और धर्म का काम किया है; तू मुझे अत्याचार करनेवालों के हाथ में न छोड़।
كُنْ ضَامِنَ عَبْدِكَ لِلْخَيْرِ، لِكَيْلَا يَظْلِمَنِي ٱلْمُسْتَكْبِرُونَ. ١٢٢ 122
१२२अपने दास की भलाई के लिये जामिन हो, ताकि अहंकारी मुझ पर अत्याचार न करने पाएँ।
كَلَّتْ عَيْنَايَ ٱشْتِيَاقًا إِلَى خَلَاصِكَ وَإِلَى كَلِمَةِ بِرِّكَ. ١٢٣ 123
१२३मेरी आँखें तुझ से उद्धार पाने, और तेरे धर्ममय वचन के पूरे होने की बाट जोहते-जोहते धुँधली पड़ गई हैं।
ٱصْنَعْ مَعَ عَبْدِكَ حَسَبَ رَحْمَتِكَ، وَفَرَائِضَكَ عَلِّمْنِي. ١٢٤ 124
१२४अपने दास के संग अपनी करुणा के अनुसार बर्ताव कर, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा।
عَبْدُكَ أَنَا. فَهِّمْنِي فَأَعْرِفَ شَهَادَاتِكَ. ١٢٥ 125
१२५मैं तेरा दास हूँ, तू मुझे समझ दे कि मैं तेरी चितौनियों को समझूँ।
إِنَّهُ وَقْتُ عَمَلٍ لِلرَّبِّ. قَدْ نَقَضُوا شَرِيعَتَكَ. ١٢٦ 126
१२६वह समय आया है, कि यहोवा काम करे, क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था को तोड़ दिया है।
لِأَجْلِ ذَلِكَ أَحْبَبْتُ وَصَايَاكَ أَكْثَرَ مِنَ ٱلذَّهَبِ وَٱلْإِبْرِيزِ. ١٢٧ 127
१२७इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन् कुन्दन से भी अधिक प्रिय मानता हूँ।
لِأَجْلِ ذَلِكَ حَسِبْتُ كُلَّ وَصَايَاكَ فِي كُلِّ شَيْءٍ مُسْتَقِيمَةً. كُلَّ طَرِيقِ كَذِبٍ أَبْغَضْتُ. ١٢٨ 128
१२८इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूँ; और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ।
عَجِيبَةٌ هِيَ شَهَادَاتُكَ، لِذَلِكَ حَفِظَتْهَا نَفْسِي. ١٢٩ 129
१२९पे तेरी चितौनियाँ अद्भुत हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूँ।
فَتْحُ كَلَامِكَ يُنِيرُ، يُعَقِّلُ ٱلْجُهَّالَ. ١٣٠ 130
१३०तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उससे निर्बुद्धि लोग समझ प्राप्त करते हैं।
فَغَرْتُ فَمِي وَلَهَثْتُ، لِأَنِّي إِلَى وَصَايَاكَ ٱشْتَقْتُ. ١٣١ 131
१३१मैं मुँह खोलकर हाँफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था।
ٱلْتَفِتْ إِلَيَّ وَٱرْحَمْنِي، كَحَقِّ مُحِبِّي ٱسْمِكَ. ١٣٢ 132
१३२जैसी तेरी रीति अपने नाम के प्रीति रखनेवालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिरकर मुझ पर दया कर।
ثَبِّتْ خُطُوَاتِي فِي كَلِمَتِكَ، وَلَا يَتَسَلَّطْ عَلَيَّ إِثْمٌ. ١٣٣ 133
१३३मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।
ٱفْدِنِي مِنْ ظُلْمِ ٱلْإِنْسَانِ، فَأَحْفَظَ وَصَايَاكَ. ١٣٤ 134
१३४मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूँगा।
أَضِئْ بِوَجْهِكَ عَلَى عَبْدِكَ، وَعَلِّمْنِي فَرَائِضَكَ. ١٣٥ 135
१३५अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा।
جَدَاوِلُ مِيَاهٍ جَرَتْ مِنْ عَيْنَيَّ، لِأَنَّهُمْ لَمْ يَحْفَظُوا شَرِيعَتَكَ. ١٣٦ 136
१३६मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।
بَارٌّ أَنْتَ يَارَبُّ، وَأَحْكَامُكَ مُسْتَقِيمَةٌ. ١٣٧ 137
१३७सांदे हे यहोवा तू धर्मी है, और तेरे नियम सीधे हैं।
عَدْلًا أَمَرْتَ بِشَهَادَاتِكَ، وَحَقًّا إِلَى ٱلْغَايَةِ. ١٣٨ 138
१३८तूने अपनी चितौनियों को धर्म और पूरी सत्यता से कहा है।
أَهْلَكَتْنِي غَيْرَتِي، لِأَنَّ أَعْدَائِي نَسُوا كَلَامَكَ. ١٣٩ 139
१३९मैं तेरी धुन में भस्म हो रहा हूँ, क्योंकि मेरे सतानेवाले तेरे वचनों को भूल गए हैं।
كَلِمَتُكَ مُمَحَّصَةٌ جِدًّا، وَعَبْدُكَ أَحَبَّهَا. ١٤٠ 140
१४०तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिए तेरा दास उसमें प्रीति रखता है।
صَغِيرٌ أَنَا وَحَقِيرٌ، أَمَّا وَصَايَاكَ فَلَمْ أَنْسَهَا. ١٤١ 141
१४१मैं छोटा और तुच्छ हूँ, तो भी मैं तेरे उपदेशों को नहीं भूलता।
عَدْلُكَ عَدْلٌ إِلَى ٱلدَّهْرِ، وَشَرِيعَتُكَ حَقٌّ. ١٤٢ 142
१४२तेरा धर्म सदा का धर्म है, और तेरी व्यवस्था सत्य है।
ضِيْقٌ وَشِدَّةٌ أَصَابَانِي، أَمَّا وَصَايَاكَ فَهِيَ لَذَّاتِي. ١٤٣ 143
१४३मैं संकट और सकेती में फँसा हूँ, परन्तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूँ।
عَادِلَةٌ شَهَادَاتُكَ إِلَى ٱلدَّهْرِ. فَهِّمْنِي فَأَحْيَا. ١٤٤ 144
१४४तेरी चितौनियाँ सदा धर्ममय हैं; तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूँ।
صَرَخْتُ مِنْ كُلِّ قَلْبِي. ٱسْتَجِبْ لِي يَارَبُّ. فَرَائِضَكَ أَحْفَظُ. ١٤٥ 145
१४५क़ाफ़ मैंने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूँगा।
دَعَوْتُكَ. خَلِّصْنِي، فَأَحْفَظَ شَهَادَاتِكَ. ١٤٦ 146
१४६मैंने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूँगा।
تَقَدَّمْتُ فِي ٱلصُّبْحِ وَصَرَخْتُ. كَلَامَكَ ٱنْتَظَرْتُ. ١٤٧ 147
१४७मैंने पौ फटने से पहले दुहाई दी; मेरी आशा तेरे वचनों पर थी।
تَقَدَّمَتْ عَيْنَايَ ٱلْهُزُعَ، لِكَيْ أَلْهَجَ بِأَقْوَالِكَ. ١٤٨ 148
१४८मेरी आँखें रात के एक-एक पहर से पहले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूँ।
صَوْتِيَ ٱسْتَمِعْ حَسَبَ رَحْمَتِكَ. يَارَبُّ، حَسَبَ أَحْكَامِكَ أَحْيِنِي. ١٤٩ 149
१४९अपनी करुणा के अनुसार मेरी सुन ले; हे यहोवा, अपनी नियमों के रीति अनुसार मुझे जीवित कर।
ٱقْتَرَبَ ٱلتَّابِعُونَ ٱلرَّذِيلَةَ. عَنْ شَرِيعَتِكَ بَعُدُوا. ١٥٠ 150
१५०जो दुष्टता की धुन में हैं, वे निकट आ गए हैं; वे तेरी व्यवस्था से दूर हैं।
قَرِيبٌ أَنْتَ يَارَبُّ، وَكُلُّ وَصَايَاكَ حَقٌّ. ١٥١ 151
१५१हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएँ सत्य हैं।
مُنْذُ زَمَانٍ عَرَفْتُ مِنْ شَهَادَاتِكَ أَنَّكَ إِلَى ٱلدَّهْرِ أَسَّسْتَهَا. ١٥٢ 152
१५२बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूँ, कि तूने उनकी नींव सदा के लिये डाली है।
اُنْظُرْ إِلَى ذُلِّي وَأَنْقِذْنِي، لِأَنِّي لَمْ أَنْسَ شَرِيعَتَكَ. ١٥٣ 153
१५३रेश मेरे दुःख को देखकर मुझे छुड़ा ले, क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
أَحْسِنْ دَعْوَايَ. ١٥٤ 154
१५४मेरा मुकद्दमा लड़, और मुझे छुड़ा ले; अपने वादे के अनुसार मुझ को जिला।
ٱلْخَلَاصُ بَعِيدٌ عَنِ ٱلْأَشْرَارِ، لِأَنَّهُمْ لَمْ يَلْتَمِسُوا فَرَائِضَكَ. ١٥٥ 155
१५५दुष्टों को उद्धार मिलना कठिन है, क्योंकि वे तेरी विधियों की सुधि नहीं रखते।
كَثِيرَةٌ هِيَ مَرَاحِمُكَ يَارَبُّ. حَسَبَ أَحْكَامِكَ أَحْيِنِي. ١٥٦ 156
१५६हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है; इसलिए अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला।
كَثِيرُونَ مُضْطَهِدِيَّ وَمُضَايِقِيَّ، أَمَّا شَهَادَاتُكَ فَلَمْ أَمِلْ عَنْهَا. ١٥٧ 157
१५७मेरा पीछा करनेवाले और मेरे सतानेवाले बहुत हैं, परन्तु मैं तेरी चितौनियों से नहीं हटता।
رَأَيْتُ ٱلْغَادِرِينَ وَمَقَتُّ، لِأَنَّهُمْ لَمْ يَحْفَظُوا كَلِمَتَكَ. ١٥٨ 158
१५८मैं विश्वासघातियों को देखकर घृणा करता हूँ; क्योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते।
ٱنْظُرْ أَنِّي أَحْبَبْتُ وَصَايَاكَ. يَارَبُّ، حَسَبَ رَحْمَتِكَ أَحْيِنِي. ١٥٩ 159
१५९देख, मैं तेरे उपदेशों से कैसी प्रीति रखता हूँ! हे यहोवा, अपनी करुणा के अनुसार मुझ को जिला।
رَأْسُ كَلَامِكَ حَقٌّ، وَإِلَى ٱلدَّهْرِ كُلُّ أَحْكَامِ عَدْلِكَ. ١٦٠ 160
१६०तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक-एक धर्ममय नियम सदाकाल तक अटल है।
رُؤَسَاءُ ٱضْطَهَدُونِي بِلَا سَبَبٍ، وَمِنْ كَلَامِكَ جَزِعَ قَلْبِي. ١٦١ 161
१६१शीन हाकिम व्यर्थ मेरे पीछे पड़े हैं, परन्तु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है।
أَبْتَهِجُ أَنَا بِكَلَامِكَ كَمَنْ وَجَدَ غَنِيمَةً وَافِرَةً. ١٦٢ 162
१६२जैसे कोई बड़ी लूट पाकर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूँ।
أَبْغَضْتُ ٱلْكَذِبَ وَكَرِهْتُهُ، أَمَّا شَرِيعَتُكَ فَأَحْبَبْتُهَا. ١٦٣ 163
१६३झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूँ, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ।
سَبْعَ مَرَّاتٍ فِي ٱلنَّهَارِ سَبَّحْتُكَ عَلَى أَحْكَامِ عَدْلِكَ. ١٦٤ 164
१६४तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बार तेरी स्तुति करता हूँ।
سَلَامَةٌ جَزِيلَةٌ لِمُحِبِّي شَرِيعَتِكَ، وَلَيْسَ لَهُمْ مَعْثَرَةٌ. ١٦٥ 165
१६५तेरी व्यवस्था से प्रीति रखनेवालों को बड़ी शान्ति होती है; और उनको कुछ ठोकर नहीं लगती।
رَجَوْتُ خَلَاصَكَ يَارَبُّ، وَوَصَايَاكَ عَمِلْتُ. ١٦٦ 166
१६६हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की आशा रखता हूँ; और तेरी आज्ञाओं पर चलता आया हूँ।
حَفِظَتْ نَفْسِي شَهَادَاتِكَ، وَأُحِبُّهَا جِدًّا. ١٦٧ 167
१६७मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूँ, और उनसे बहुत प्रीति रखता आया हूँ।
حَفِظْتُ وَصَايَاكَ وَشَهَادَاتِكَ، لِأَنَّ كُلَّ طُرُقِي أَمَامَكَ. ١٦٨ 168
१६८मैं तेरे उपदेशों और चितौनियों को मानता आया हूँ, क्योंकि मेरी सारी चाल चलन तेरे सम्मुख प्रगट है।
لِيَبْلُغْ صُرَاخِي إِلَيْكَ يَارَبُّ. حَسَبَ كَلَامِكَ فَهِّمْنِي. ١٦٩ 169
१६९ताव हे यहोवा, मेरी दुहाई तुझ तक पहुँचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे!
لِتَدْخُلْ طِلْبَتِي إِلَى حَضْرَتِكَ. كَكَلِمَتِكَ نَجِّنِي. ١٧٠ 170
१७०मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुँचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले।
تُنَبِّعُ شَفَتَايَ تَسْبِيحًا إِذَا عَلَّمْتَنِي فَرَائِضَكَ. ١٧١ 171
१७१मेरे मुँह से स्तुति निकला करे, क्योंकि तू मुझे अपनी विधियाँ सिखाता है।
يُغَنِّي لِسَانِي بِأَقْوَالِكَ، لِأَنَّ كُلَّ وَصَايَاكَ عَدْلٌ. ١٧٢ 172
१७२मैं तेरे वचन का गीत गाऊँगा, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएँ धर्ममय हैं।
لِتَكُنْ يَدُكَ لِمَعُونَتِي، لِأَنَّنِي ٱخْتَرْتُ وَصَايَاكَ. ١٧٣ 173
१७३तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है, क्योंकि मैंने तेरे उपदेशों को अपनाया है।
ٱشْتَقْتُ إِلَى خَلَاصِكَ يَارَبُّ، وَشَرِيعَتُكَ هِيَ لَذَّتِي. ١٧٤ 174
१७४हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की अभिलाषा करता हूँ, मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूँ।
لِتَحْيَ نَفْسِي وَتُسَبِّحَكَ، وَأَحْكَامُكَ لِتُعِنِّي. ١٧٥ 175
१७५मुझे जिला, और मैं तेरी स्तुति करूँगा, तेरे नियमों से मेरी सहायता हो।
ضَلَلْتُ، كَشَاةٍ ضَالَّةٍ. ٱطْلُبْ عَبْدَكَ، لِأَنِّي لَمْ أَنْسَ وَصَايَاكَ. ١٧٦ 176
१७६मैं खोई हुई भेड़ के समान भटका हूँ; तू अपने दास को ढूँढ़ ले, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूल नहीं गया।

< اَلْمَزَامِيرُ 119 >