< اَلْمَزَامِيرُ 115 >

لَيْسَ لَنَا يَارَبُّ لَيْسَ لَنَا، لَكِنْ لِٱسْمِكَ أَعْطِ مَجْدًا، مِنْ أَجْلِ رَحْمَتِكَ مِنْ أَجْلِ أَمَانَتِكَ. ١ 1
हे यहोवा, हमारी नहीं, हमारी नहीं, वरन् अपने ही नाम की महिमा, अपनी करुणा और सच्चाई के निमित्त कर।
لِمَاذَا يَقُولُ ٱلْأُمَمُ: «أَيْنَ هُوَ إِلَهُهُمْ؟». ٢ 2
जाति-जाति के लोग क्यों कहने पाएँ, “उनका परमेश्वर कहाँ रहा?”
إِنَّ إِلَهَنَا فِي ٱلسَّمَاءِ. كُلَّمَا شَاءَ صَنَعَ. ٣ 3
हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं; उसने जो चाहा वही किया है।
أَصْنَامُهُمْ فِضَّةٌ وَذَهَبٌ، عَمَلُ أَيْدِي ٱلنَّاسِ. ٤ 4
उन लोगों की मूरतें सोने चाँदी ही की तो हैं, वे मनुष्यों के हाथ की बनाई हुई हैं।
لَهَا أَفْوَاهٌ وَلَا تَتَكَلَّمُ. لَهَا أَعْيُنٌ وَلَا تُبْصِرُ. ٥ 5
उनके मुँह तो रहता है परन्तु वे बोल नहीं सकती; उनके आँखें तो रहती हैं परन्तु वे देख नहीं सकती।
لَهَا آذَانٌ وَلَا تَسْمَعُ. لَهَا مَنَاخِرُ وَلَا تَشُمُّ. ٦ 6
उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकती; उनके नाक तो रहती हैं, परन्तु वे सूँघ नहीं सकती।
لَهَا أَيْدٍ وَلَا تَلْمِسُ. لَهَا أَرْجُلٌ وَلَا تَمْشِي، وَلَا تَنْطِقُ بِحَنَاجِرِهَا. ٧ 7
उनके हाथ तो रहते हैं, परन्तु वे स्पर्श नहीं कर सकती; उनके पाँव तो रहते हैं, परन्तु वे चल नहीं सकती; और उनके कण्ठ से कुछ भी शब्द नहीं निकाल सकती।
مِثْلَهَا يَكُونُ صَانِعُوهَا، بَلْ كُلُّ مَنْ يَتَّكِلُ عَلَيْهَا. ٨ 8
जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनानेवाले हैं; और उन पर सब भरोसा रखनेवाले भी वैसे ही हो जाएँगे।
يَا إِسْرَائِيلُ، ٱتَّكِلْ عَلَى ٱلرَّبِّ. هُوَ مُعِينُهُمْ وَمِجَنُّهُمْ. ٩ 9
हे इस्राएल, यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहायक और ढाल वही है।
يَا بَيْتَ هَارُونَ، ٱتَّكِلُوا عَلَى ٱلرَّبِّ. هُوَ مُعِينُهُمْ وَمِجَنُّهُمْ. ١٠ 10
१०हे हारून के घराने, यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहायक और ढाल वही है।
يَا مُتَّقِي ٱلرَّبِّ، ٱتَّكِلُوا عَلَى ٱلرَّبِّ. هُوَ مُعِينُهُمْ وَمِجَنُّهُمْ. ١١ 11
११हे यहोवा के डरवैयों, यहोवा पर भरोसा रखो! तुम्हारा सहायक और ढाल वही है।
ٱلرَّبُّ قَدْ ذَكَرَنَا فَيُبَارِكُ. يُبَارِكُ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ. يُبَارِكُ بَيْتَ هَارُونَ. ١٢ 12
१२यहोवा ने हमको स्मरण किया है; वह आशीष देगा; वह इस्राएल के घराने को आशीष देगा; वह हारून के घराने को आशीष देगा।
يُبَارِكُ مُتَّقِي ٱلرَّبِّ، ٱلصِّغَارَ مَعَ ٱلْكِبَارِ. ١٣ 13
१३क्या छोटे क्या बड़े जितने यहोवा के डरवैये हैं, वह उन्हें आशीष देगा।
لِيَزِدِ ٱلرَّبُّ عَلَيْكُمْ، عَلَيْكُمْ وَعَلَى أَبْنَائِكُمْ. ١٤ 14
१४यहोवा तुम को और तुम्हारे वंश को भी अधिक बढ़ाता जाए।
أَنْتُمْ مُبَارَكُونَ لِلرَّبِّ ٱلصَّانِعِ ٱلسَّمَاوَاتِ وَٱلْأَرْضِ. ١٥ 15
१५यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, उसकी ओर से तुम आशीष पाए हो।
ٱلسَّمَاوَاتُ سَمَاوَاتٌ لِلرَّبِّ، أَمَّا ٱلْأَرْضُ فَأَعْطَاهَا لِبَنِي آدَمَ. ١٦ 16
१६स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उसने मनुष्यों को दी है।
لَيْسَ ٱلْأَمْوَاتُ يُسَبِّحُونَ ٱلرَّبَّ، وَلَا مَنْ يَنْحَدِرُ إِلَى أَرْضِ ٱلسُّكُوتِ. ١٧ 17
१७मृतक जितने चुपचाप पड़े हैं, वे तो यहोवा की स्तुति नहीं कर सकते,
أَمَّا نَحْنُ فَنُبَارِكُ ٱلرَّبَّ مِنَ ٱلْآنَ وَإِلَى ٱلدَّهْرِ. هَلِّلُويَا. ١٨ 18
१८परन्तु हम लोग यहोवा को अब से लेकर सर्वदा तक धन्य कहते रहेंगे। यहोवा की स्तुति करो!

< اَلْمَزَامِيرُ 115 >