< اَلْمَزَامِيرُ 105 >

اِحْمَدُوا ٱلرَّبَّ. ٱدْعُوا بِٱسْمِهِ. عَرِّفُوا بَيْنَ ٱلْأُمَمِ بِأَعْمَالِهِ. ١ 1
यहोवा का धन्यवाद करो, उससे प्रार्थना करो, देश-देश के लोगों में उसके कामों का प्रचार करो!
غَنُّوا لَهُ. رَنِّمُوا لَهُ. أَنْشِدُوا بِكُلِّ عَجَائِبِهِ. ٢ 2
उसके लिये गीत गाओ, उसके लिये भजन गाओ, उसके सब आश्चर्यकर्मों का वर्णन करो!
ٱفْتَخِرُوا بِٱسْمِهِ ٱلْقُدُّوسِ. لِتَفْرَحْ قُلُوبُ ٱلَّذِينَ يَلْتَمِسُونَ ٱلرَّبَّ. ٣ 3
उसके पवित्र नाम की बड़ाई करो; यहोवा के खोजियों का हृदय आनन्दित हो!
اُطْلُبُوا ٱلرَّبَّ وَقُدْرَتَهُ. ٱلْتَمِسُوا وَجْهَهُ دَائِمًا. ٤ 4
यहोवा और उसकी सामर्थ्य को खोजो, उसके दर्शन के लगातार खोजी बने रहो!
ٱذْكُرُوا عَجَائِبَهُ ٱلَّتِي صَنَعَ، آيَاتِهِ وَأَحْكَامَ فِيهِ، ٥ 5
उसके किए हुए आश्चर्यकर्मों को स्मरण करो, उसके चमत्कार और निर्णय स्मरण करो!
يَا ذُرِّيَّةَ إِبْراهِيمَ عَبْدِهِ، يَا بَنِي يَعْقُوبَ مُخْتَارِيهِ. ٦ 6
हे उसके दास अब्राहम के वंश, हे याकूब की सन्तान, तुम तो उसके चुने हुए हो!
هُوَ ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا فِي كُلِّ ٱلْأَرْضِ أَحْكَامُهُ. ٧ 7
वही हमारा परमेश्वर यहोवा है; पृथ्वी भर में उसके निर्णय होते हैं।
ذَكَرَ إِلَى ٱلدَّهْرِ عَهْدَهُ، كَلَامًا أَوْصَى بِهِ إِلَى أَلْفِ دَوْرٍ، ٨ 8
वह अपनी वाचा को सदा स्मरण रखता आया है, यह वही वचन है जो उसने हजार पीढ़ियों के लिये ठहराया है;
ٱلَّذِي عَاهَدَ بِهِ إِبْراهِيمَ، وَقَسَمَهُ لِإِسْحاقَ، ٩ 9
वही वाचा जो उसने अब्राहम के साथ बाँधी, और उसके विषय में उसने इसहाक से शपथ खाई,
فَثَبَّتَهُ لِيَعْقُوبَ فَرِيضَةً، وَلِإِسْرَائِيلَ عَهْدًا أَبَدِيًّا، ١٠ 10
१०और उसी को उसने याकूब के लिये विधि करके, और इस्राएल के लिये यह कहकर सदा की वाचा करके दृढ़ किया,
قَائِلًا: «لَكَ أُعْطِي أَرْضَ كَنْعَانَ حَبْلَ مِيرَاثِكُمْ». ١١ 11
११“मैं कनान देश को तुझी को दूँगा, वह बाँट में तुम्हारा निज भाग होगा।”
إِذْ كَانُوا عَدَدًا يُحْصَى، قَلِيلِينَ وَغُرَبَاءَ فِيهَا. ١٢ 12
१२उस समय तो वे गिनती में थोड़े थे, वरन् बहुत ही थोड़े, और उस देश में परदेशी थे।
ذَهَبُوا مِنْ أُمَّةٍ إِلَى أُمَّةٍ، مِنْ مَمْلَكَةٍ إِلَى شَعْبٍ آخَرَ. ١٣ 13
१३वे एक जाति से दूसरी जाति में, और एक राज्य से दूसरे राज्य में फिरते रहे;
فَلَمْ يَدَعْ إِنْسَانًا يَظْلِمُهُمْ، بَلْ وَبَّخَ مُلُوكًا مِنْ أَجْلِهِمْ، ١٤ 14
१४परन्तु उसने किसी मनुष्य को उन पर अत्याचार करने न दिया; और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता था,
قَائِلًا: «لَا تَمَسُّوا مُسَحَائِي، وَلَا تُسِيئُوا إِلَى أَنْبِيَائِي». ١٥ 15
१५“मेरे अभिषिक्तों को मत छूओ, और न मेरे नबियों की हानि करो!”
دَعَا بِٱلْجُوعِ عَلَى ٱلْأَرْضِ. كَسَرَ قِوَامَ ٱلْخُبْزِ كُلَّهُ. ١٦ 16
१६फिर उसने उस देश में अकाल भेजा, और अन्न के सब आधार को दूर कर दिया।
أَرْسَلَ أَمَامَهُمْ رَجُلًا. بِيعَ يُوسُفُ عَبْدًا. ١٧ 17
१७उसने यूसुफ नामक एक पुरुष को उनसे पहले भेजा था, जो दास होने के लिये बेचा गया था।
آذَوْا بِٱلْقَيْدِ رِجْلَيْهِ. فِي ٱلْحَدِيدِ دَخَلَتْ نَفْسُهُ، ١٨ 18
१८लोगों ने उसके पैरों में बेड़ियाँ डालकर उसे दुःख दिया; वह लोहे की साँकलों से जकड़ा गया;
إِلَى وَقْتِ مَجِيءِ كَلِمَتِهِ. قَوْلُ ٱلرَّبِّ ٱمْتَحَنَهُ. ١٩ 19
१९जब तक कि उसकी बात पूरी न हुई तब तक यहोवा का वचन उसे कसौटी पर कसता रहा।
أَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ فَحَلَّهُ. أَرْسَلَ سُلْطَانُ ٱلشَّعْبِ فَأَطْلَقَهُ. ٢٠ 20
२०तब राजा ने दूत भेजकर उसे निकलवा लिया, और देश-देश के लोगों के स्वामी ने उसके बन्धन खुलवाए;
أَقَامَهُ سَيِّدًا عَلَى بَيْتِهِ، وَمُسَلَّطًا عَلَى كُلِّ مُلْكِهِ، ٢١ 21
२१उसने उसको अपने भवन का प्रधान और अपनी पूरी सम्पत्ति का अधिकारी ठहराया,
لِيَأْسُرَ رُؤَسَاءَهُ حَسَبَ إِرَادَتِهِ وَيُعَلِّمَ مَشَايِخَهُ حِكْمَةً. ٢٢ 22
२२कि वह उसके हाकिमों को अपनी इच्छा के अनुसार नियंत्रित करे और पुरनियों को ज्ञान सिखाए।
فَجَاءَ إِسْرَائِيلُ إِلَى مِصْرَ، وَيَعْقُوبُ تَغَرَّبَ فِي أَرْضِ حَامٍ. ٢٣ 23
२३फिर इस्राएल मिस्र में आया; और याकूब हाम के देश में रहा।
جَعَلَ شَعْبَهُ مُثْمِرًا جِدًّا، وَأَعَزَّهُ عَلَى أَعْدَائِهِ. ٢٤ 24
२४तब उसने अपनी प्रजा को गिनती में बहुत बढ़ाया, और उसके शत्रुओं से अधिक बलवन्त किया।
حَوَّلَ قُلُوبَهُمْ لِيُبْغِضُوا شَعْبَهُ، لِيَحْتَالُوا عَلَى عَبِيدِهِ. ٢٥ 25
२५उसने मिस्रियों के मन को ऐसा फेर दिया, कि वे उसकी प्रजा से बैर रखने, और उसके दासों से छल करने लगे।
أَرْسَلَ مُوسَى عَبْدَهُ وَهارُونَ ٱلَّذِي ٱخْتَارَهُ. ٢٦ 26
२६उसने अपने दास मूसा को, और अपने चुने हुए हारून को भेजा।
أَقَامَا بَيْنَهُمْ كَلَامَ آيَاتِهِ، وَعَجَائِبَ فِي أَرْضِ حَامٍ. ٢٧ 27
२७उन्होंने मिस्रियों के बीच उसकी ओर से भाँति-भाँति के चिन्ह, और हाम के देश में चमत्कार दिखाए।
أَرْسَلَ ظُلْمَةً فَأَظْلَمَتْ، وَلَمْ يَعْصَوْا كَلَامَهُ. ٢٨ 28
२८उसने अंधकार कर दिया, और अंधियारा हो गया; और उन्होंने उसकी बातों को न माना।
حَوَّلَ مِيَاهَهُمْ إِلَى دَمٍ وَقَتَلَ أَسْمَاكَهُمْ. ٢٩ 29
२९उसने मिस्रियों के जल को लहू कर डाला, और मछलियों को मार डाला।
أَفَاضَتْ أَرْضُهُمْ ضَفَادِعَ حَتَّى فِي مَخَادِعِ مُلُوكِهِمْ. ٣٠ 30
३०मेंढ़क उनकी भूमि में वरन् उनके राजा की कोठरियों में भी भर गए।
أَمَرَ فَجَاءَ ٱلذُّبَّانُ وَٱلْبَعُوضُ فِي كُلِّ تُخُومِهِمْ. ٣١ 31
३१उसने आज्ञा दी, तब डांस आ गए, और उनके सारे देश में कुटकियाँ आ गईं।
جَعَلَ أَمْطَارَهُمْ بَرَدًا وَنَارًا مُلْتَهِبَةً فِي أَرْضِهِمْ. ٣٢ 32
३२उसने उनके लिये जलवृष्टि के बदले ओले, और उनके देश में धधकती आग बरसाई।
ضَرَبَ كُرُومَهُمْ وَتِينَهُمْ، وَكَسَّرَ كُلَّ أَشْجَارِ تُخُومِهِمْ. ٣٣ 33
३३और उसने उनकी दाखलताओं और अंजीर के वृक्षों को वरन् उनके देश के सब पेड़ों को तोड़ डाला।
أَمَرَ فَجَاءَ ٱلْجَرَادُ وَغَوْغَاءُ بِلَا عَدَدٍ، ٣٤ 34
३४उसने आज्ञा दी तब अनगिनत टिड्डियाँ, और कीड़े आए,
فَأَكَلَ كُلَّ عُشْبٍ فِي بِلَادِهِمْ، وَأَكَلَ أَثْمَارَ أَرْضِهِمْ. ٣٥ 35
३५और उन्होंने उनके देश के सब अन्न आदि को खा डाला; और उनकी भूमि के सब फलों को चट कर गए।
قَتَلَ كُلَّ بِكْرٍ فِي أَرْضِهِمْ، أَوَائِلَ كُلِّ قُوَّتِهِمْ. ٣٦ 36
३६उसने उनके देश के सब पहिलौठों को, उनके पौरूष के सब पहले फल को नाश किया।
فَأَخْرَجَهُمْ بِفِضَّةٍ وَذَهَبٍ، وَلَمْ يَكُنْ فِي أَسْبَاطِهِمْ عَاثِرٌ. ٣٧ 37
३७तब वह इस्राएल को सोना चाँदी दिलाकर निकाल लाया, और उनमें से कोई निर्बल न था।
فَرِحَتْ مِصْرُ بِخُرُوجِهِمْ، لِأَنَّ رُعْبَهُمْ سَقَطَ عَلَيْهِمْ. ٣٨ 38
३८उनके जाने से मिस्री आनन्दित हुए, क्योंकि उनका डर उनमें समा गया था।
بَسَطَ سَحَابًا سَجْفًا، وَنَارًا لِتُضِيءَ ٱللَّيْلَ. ٣٩ 39
३९उसने छाया के लिये बादल फैलाया, और रात को प्रकाश देने के लिये आग प्रगट की।
سَأَلُوا فَأَتَاهُمْ بِٱلسَّلْوَى، وَخُبْزَ ٱلسَّمَاءِ أَشْبَعَهُمْ. ٤٠ 40
४०उन्होंने माँगा तब उसने बटेरें पहुँचाई, और उनको स्वर्गीय भोजन से तृप्त किया।
شَقَّ ٱلصَّخْرَةَ فَٱنْفَجَرَتِ ٱلْمِيَاهُ. جَرَتْ فِي ٱلْيَابِسَةِ نَهْرًا. ٤١ 41
४१उसने चट्टान फाड़ी तब पानी बह निकला; और निर्जल भूमि पर नदी बहने लगी।
لِأَنَّهُ ذَكَرَ كَلِمَةَ قُدْسِهِ مَعَ إِبْراهِيمَ عَبْدِهِ، ٤٢ 42
४२क्योंकि उसने अपने पवित्र वचन और अपने दास अब्राहम को स्मरण किया।
فَأَخْرَجَ شَعْبَهُ بِٱبْتِهَاجٍ، وَمُخْتَارِيهِ بِتَرَنُّمٍ. ٤٣ 43
४३वह अपनी प्रजा को हर्षित करके और अपने चुने हुओं से जयजयकार कराके निकाल लाया।
وَأَعْطَاهُمْ أَرَاضِيَ ٱلْأُمَمِ، وَتَعَبَ ٱلشُّعُوبِ وَرِثُوهُ، ٤٤ 44
४४और उनको जाति-जाति के देश दिए; और वे अन्य लोगों के श्रम के फल के अधिकारी किए गए,
لِكَيْ يَحْفَظُوا فَرَائِضَهُ وَيُطِيعُوا شَرَائِعَهُ. هَلِّلُويَا. ٤٥ 45
४५कि वे उसकी विधियों को मानें, और उसकी व्यवस्था को पूरी करें। यहोवा की स्तुति करो!

< اَلْمَزَامِيرُ 105 >