< أَمْثَالٌ 19 >
ٱلْفَقِيرُ ٱلسَّالِكُ بِكَمَالِهِ خَيْرٌ مِنْ مُلْتَوِي ٱلشَّفَتَيْنِ وَهُوَ جَاهِلٌ. | ١ 1 |
वह निर्धन व्यक्ति, जिसका चालचलन खराई है, उस व्यक्ति से उत्तम है, जो कुटिल है और मूर्ख भी.
أَيْضًا كَوْنُ ٱلنَّفْسِ بِلَا مَعْرِفَةٍ لَيْسَ حَسَنًا، وَٱلْمُسْتَعْجِلُ بِرِجْلَيْهِ يُخْطِئُ. | ٢ 2 |
ज्ञान-रहित इच्छा निरर्थक होती है तथा वह, जो किसी भी कार्य के लिए उतावली करता है, लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाता!
حَمَاقَةُ ٱلرَّجُلِ تُعَوِّجُ طَرِيقَهُ، وَعَلَى ٱلرَّبِّ يَحْنَقُ قَلْبُهُ. | ٣ 3 |
जब किसी व्यक्ति की मूर्खता के परिणामस्वरूप उसकी योजनाएं विफल हो जाती हैं, तब उसके हृदय में याहवेह के प्रति क्रोध भड़क उठता है.
اَلْغِنَى يُكْثِرُ ٱلْأَصْحَابَ، وَٱلْفَقِيرُ مُنْفَصِلٌ عَنْ قَرِيبِهِ. | ٤ 4 |
धन-संपत्ति अनेक नए मित्रों को आकर्षित करती है, किंतु निर्धन व्यक्ति के मित्र उसे छोड़कर चले जाते हैं.
شَاهِدُ ٱلزُّورِ لَا يَتَبَرَّأُ، وَٱلْمُتَكَلِّمُ بِٱلْأَكَاذِيبِ لَا يَنْجُو. | ٥ 5 |
झूठे साक्षी का दंड सुनिश्चित है, तथा दंडित वह भी होगा, जो झूठा है.
كَثِيرُونَ يَسْتَعْطِفُونَ وَجْهَ ٱلشَّرِيفِ، وَكُلٌّ صَاحِبٌ لِذِي ٱلْعَطَايَا. | ٦ 6 |
उदार व्यक्ति का समर्थन अनेक व्यक्ति चाहते हैं, और उस व्यक्ति के मित्र सभी हो जाते हैं, जो उपहार देने में उदार है.
كُلُّ إِخْوَةِ ٱلْفَقِيرِ يُبْغِضُونَهُ، فَكَمْ بِٱلْحَرِيِّ أَصْدِقَاؤُهُ يَبْتَعِدُونَ عَنْهُ! مَنْ يَتْبَعُ أَقْوَالًا فَهِيَ لَهُ. | ٧ 7 |
निर्धन व्यक्ति तो अपने संबंधियों के लिए भी घृणा का पात्र हो जाता है. उसके मित्र उससे कितने दूर हो जाते हैं! वह उन्हें मनाता रह जाता है, किंतु इसका उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
اَلْمُقْتَنِي ٱلْحِكْمَةَ يُحِبُّ نَفْسَهُ. ٱلْحَافِظُ ٱلْفَهْمِ يَجِدُ خَيْرًا. | ٨ 8 |
बुद्धि प्राप्त करना स्वयं से प्रेम करना है; तथा ज्ञान को सुरक्षित रखना समृद्धि है.
شَاهِدُ ٱلزُّورِ لَا يَتَبَرَّأُ، وَٱلْمُتَكَلِّمُ بِٱلْأَكَاذِيبِ يَهْلِكُ. | ٩ 9 |
झूठे साक्षी का दंड सुनिश्चित है तथा जो झूठा है, वह नष्ट हो जाएगा.
اَلتَّنَعُّمُ لَا يَلِيقُ بِٱلْجَاهِلِ. كَمْ بِٱلْأَوْلَى لَا يَلِيقُ بِٱلْعَبْدِ أَنْ يَتَسَلَّطَ عَلَى ٱلرُّؤَسَاءِ! | ١٠ 10 |
सुख से रहना मूर्ख को शोभा नहीं देता, ठीक जिस प्रकार दास का शासकों पर शासन करना.
تَعَقُّلُ ٱلْإِنْسَانِ يُبْطِئُ غَضَبَهُ، وَفَخْرُهُ ٱلصَّفْحُ عَنْ مَعْصِيَةٍ. | ١١ 11 |
सद्बुद्धि मनुष्य को क्रोध पर नियंत्रण रखने योग्य बनाती है; और जब वह अपराध को भुला देता है, उसकी प्रतिष्ठा होती है.
كَزَمْجَرَةِ ٱلْأَسَدِ حَنَقُ ٱلْمَلِكِ، وَكَالطَّلِّ عَلَى ٱلْعُشْبِ رِضْوَانُهُ. | ١٢ 12 |
राजा का क्रोध सिंह के गरजने के समान होता है, किंतु उसकी कृपा घास पर पड़ी ओस समान.
اَلِٱبْنُ ٱلْجَاهِلُ مُصِيبَةٌ عَلَى أَبِيهِ، وَمُخَاصَمَاتُ ٱلزَّوْجَةِ كَٱلْوَكْفِ ٱلْمُتَتَابِعِ. | ١٣ 13 |
मूर्ख संतान पिता के विनाश का कारक होती है, और झगड़ालू पत्नी नित टपक रहे जल समान.
اَلْبَيْتُ وَٱلثَّرْوَةُ مِيرَاثٌ مِنَ ٱلْآبَاءِ، أَمَّا ٱلزَّوْجَةُ ٱلْمُتَعَقِّلَةُ فَمِنْ عِنْدِ ٱلرَّبِّ. | ١٤ 14 |
घर और संपत्ति पूर्वजों का धन होता है, किंतु बुद्धिमती पत्नी याहवेह की ओर से प्राप्त होती है.
اَلْكَسَلُ يُلْقِي فِي ٱلسُّبَاتِ، وَٱلنَّفْسُ ٱلْمُتَرَاخِيَةُ تَجُوعُ. | ١٥ 15 |
आलस्य का परिणाम होता है गहन नींद, ढीला व्यक्ति भूखा रह जाता है.
حَافِظُ ٱلْوَصِيَّةِ حَافِظٌ نَفْسَهُ، وَٱلْمُتَهَاوِنُ بِطُرُقِهِ يَمُوتُ. | ١٦ 16 |
वह, जो आदेशों को मानता है, अपने ही जीवन की रक्षा करता है, किंतु जो अपने चालचलन के विषय में असावधान रहता है, मृत्यु अपना लेता है.
مَنْ يَرْحَمُ ٱلْفَقِيرَ يُقْرِضُ ٱلرَّبَّ، وَعَنْ مَعْرُوفِهِ يُجَازِيهِ. | ١٧ 17 |
वह, जो निर्धनों के प्रति उदार मन का है, मानो याहवेह को ऋण देता है; याहवेह उसे उत्तम प्रतिफल प्रदान करेंगे.
أَدِّبِ ٱبْنَكَ لِأَنَّ فِيهِ رَجَاءً، وَلَكِنْ عَلَى إِمَاتَتِهِ لَا تَحْمِلْ نَفْسَكَ. | ١٨ 18 |
यथासंभव अपनी संतान पर अनुशासन रखो उसी में तुम्हारी आशा निहित है; किंतु ताड़ना इस सीमा तक न की जाए, कि इसमें उसकी मृत्यु ही हो जाए.
اَلشَّدِيدُ ٱلْغَضَبِ يَحْمِلُ عُقُوبَةً، لِأَنَّكَ إِذَا نَجَّيْتَهُ فَبَعْدُ تُعِيدُ. | ١٩ 19 |
अति क्रोधी व्यक्ति को इसका दंड भोगना होता है; यदि तुम उसे दंड से बचाओगे तो तुम समस्त प्रक्रिया को दोहराते रहोगे.
اِسْمَعِ ٱلْمَشُورَةَ وَٱقْبَلِ ٱلتَّأْدِيبَ، لِكَيْ تَكُونَ حَكِيمًا فِي آخِرَتِكَ. | ٢٠ 20 |
परामर्श पर विचार करते रहो और निर्देश स्वीकार करो, कि तुम उत्तरोत्तर बुद्धिमान होते जाओ.
فِي قَلْبِ ٱلْإِنْسَانِ أَفْكَارٌ كَثِيرَةٌ، لَكِنْ مَشُورَةُ ٱلرَّبِّ هِيَ تَثْبُتُ. | ٢١ 21 |
मनुष्य के मन में अनेक-अनेक योजनाएं उत्पन्न होती रहती हैं, किंतु अंततः याहवेह का उद्देश्य ही पूरा होता है.
زِينَةُ ٱلْإِنْسَانِ مَعْرُوفَهُ، وَٱلْفَقِيرُ خَيْرٌ مِنَ ٱلْكَذُوبِ. | ٢٢ 22 |
मनुष्य में खराई की अपेक्षा की जाती है; तथा झूठ बोलनेवाले की अपेक्षा निर्धन अधिक उत्तम है.
مَخَافَةُ ٱلرَّبِّ لِلْحَيَاةِ. يَبِيتُ شَبْعَانَ لَا يَتَعَهَّدُهُ شَرٌّ. | ٢٣ 23 |
याहवेह के प्रति श्रद्धा ही जीवन का मार्ग है; तथा जिस किसी में यह भय है, उसका ठिकाना सुखी रहता है, अनिष्ट उसको स्पर्श नहीं करता.
اَلْكَسْلَانُ يُخْفِي يَدَهُ فِي ٱلصَّحْفَةِ، وَأَيْضًا إِلَى فَمِهِ لَا يَرُدُّهَا. | ٢٤ 24 |
एक आलसी ऐसा भी होता है, जो अपना हाथ भोजन की थाली में डाल तो देता है; किंतु आलस्य में भोजन को मुख तक नहीं ले जाता.
اِضْرِبِ ٱلْمُسْتَهْزِئَ فَيَتَذَكَّى ٱلْأَحْمَقُ، وَوَبِّخْ فَهِيمًا فَيَفْهَمَ مَعْرِفَةً. | ٢٥ 25 |
ज्ञान के ठट्ठा करनेवाले पर प्रहार करो कि सरल-साधारण व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाये; विवेकशील व्यक्ति को डांटा करो कि उसका ज्ञान बढ़ सके.
ٱلْمُخَرِّبُ أَبَاهُ وَٱلطَّارِدُ أُمَّهُ هُوَ ٱبْنٌ مُخْزٍ وَمُخْجِلٌ. | ٢٦ 26 |
जो व्यक्ति अपने पिता के प्रति हिंसक हो जाता तथा अपनी माता को घर से बाहर निकाल देता है, ऐसी संतान है, जो परिवार पर लज्जा और निंदा ले आती है.
كُفَّ يَا ٱبْنِي عَنِ ٱسْتِمَاعِ ٱلتَّعْلِيمِ لِلضَّلَالَةِ عَنْ كَلَامِ ٱلْمَعْرِفَةِ. | ٢٧ 27 |
मेरे पुत्र, यदि तुम शिक्षाओं को सुनना छोड़ दो, तो तुम ज्ञान के वचनों से दूर चले जाओगे.
اَلشَّاهِدُ ٱللَّئِيمُ يَسْتَهْزِئُ بِٱلْحَقِّ، وَفَمُ ٱلْأَشْرَارِ يَبْلَعُ ٱلْإِثْمَ. | ٢٨ 28 |
कुटिल साक्षी न्याय का उपहास करता है, और दुष्ट का मुख अपराध का समर्थन करता है.
اَلْقِصَاصُ مُعَدٌّ لِلْمُسْتَهْزِئِينَ، وَٱلضَّرْبُ لِظَهْرِ ٱلْجُهَّالِ. | ٢٩ 29 |
ठट्ठा करनेवालों के लिए दंड निर्धारित है, और मूर्ख की पीठ के लिए कोड़े हैं.