< اَلْعَدَد 22 >

وَٱرْتَحَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ وَنَزَلُوا فِي عَرَبَاتِ مُوآبَ مِنْ عَبْرِ أُرْدُنِّ أَرِيحَا. ١ 1
इसके बाद इस्राएली यात्रा करते हुए मोआब के मैदानों में आ पहुंचे, जो यरदन पार येरीख़ो के सामने है, यहां उन्होंने डेरा डाल दिया.
وَلَمَّا رَأَى بَالَاقُ بْنُ صِفُّورَ جَمِيعَ مَا فَعَلَ إِسْرَائِيلُ بِٱلْأَمُورِيِّينَ، ٢ 2
ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक की जानकारी में वह सब था, जो इस्राएल द्वारा अमोरियों के साथ किया गया था.
فَزِعَ مُوآبُ مِنَ ٱلشَّعْبِ جِدًّا لِأَنَّهُ كَثِيرٌ، وَضَجِرَ مُوآبُ مِنْ قِبَلَ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ٣ 3
तब मोआब देश इस्राएलियों की विशाल संख्या के कारण बहुत ही डर गया, इस्राएल मोआब के लिए आतंक का विषय हो गया.
فَقَالَ مُوآبُ لِشُيُوخِ مِدْيَانَ: «ٱلْآنَ يَلْحَسُ ٱلْجُمْهُورُ كُلَّ مَا حَوْلَنَا كَمَا يَلْحَسُ ٱلثَّوْرُ خُضْرَةَ ٱلْحَقْلِ». وَكَانَ بَالَاقُ بْنُ صِفُّورَ مَلِكًا لِمُوآبَ فِي ذَلِكَ ٱلزَّمَانِ. ٤ 4
मोआब ने मिदियान के प्राचीनों के सामने अपने विचार इस प्रकार रखे, “अब तो यह विशाल जनसमूह हमारे आस-पास की वस्तुओं को इस प्रकार चट कर जाएगा, जिस प्रकार बैल मैदान के घास को चट कर जाता है.” इस अवसर पर ज़ीप्पोर का पुत्र बालाक जो मोआब देश का राजा था,
فَأَرْسَلَ رُسُلًا إِلَى بَلْعَامَ بْنِ بَعُورَ، إِلَى فَتُورَ ٱلَّتِي عَلَى ٱلنَّهْرِ فِي أَرْضِ بَنِي شَعْبِهِ لِيَدْعُوَهُ قَائِلًا: «هُوَذَا شَعْبٌ قَدْ خَرَجَ مِنْ مِصْرَ. هُوَذَا قَدْ غَشَّى وَجْهَ ٱلْأَرْضِ، وَهُوَ مُقِيمٌ مُقَابِلِي. ٥ 5
उसने पेथोर नगर को, जो फरात नदी के निकट है, उस नगर का रहवासी, बेओर के पुत्र बिलआम के पास अपने दूतों के द्वारा यह आमंत्रण भेजा: “सुनिए, मिस्र देश से यह जनसमूह यहां आ गया है. ये लोग इतनी बड़ी संख्या में हैं कि वे भूमि पर छा गए हैं और इन्होंने हमारे देश के सामने ही पड़ाव डाल रखा है.
فَٱلْآنَ تَعَالَ وَٱلْعَنْ لِي هَذَا ٱلشَّعْبَ، لِأَنَّهُ أَعْظَمُ مِنِّي، لَعَلَّهُ يُمْكِنُنَا أَنْ نَكْسِرَهُ فَأَطْرُدَهُ مِنَ ٱلْأَرْضِ، لِأَنِّي عَرَفْتُ أَنَّ ٱلَّذِي تُبَارِكُهُ مُبَارَكٌ وَٱلَّذِي تَلْعَنُهُ مَلْعُونٌ». ٦ 6
तब कृपा कर यहां पधारिए, मेरी ओर से इन्हें शाप दीजिए, क्योंकि ये हमारी तुलना में बहुत ही शक्तिशाली हैं. तब मेरे लिए यह संभव हो जाएगा कि मैं उन्हें पराजित कर हमारे देश से बाहर खदेड़ सकूं. क्योंकि इतना मुझे मालूम है कि आप जिनको आशीर्वाद देते हैं, वे फलवंत हो जाते हैं, तथा जिन्हें आप शाप देते हैं, वे शापित ही रह जाते हैं.”
فَٱنْطَلَقَ شُيُوخُ مُوآبَ وَشُيُوخُ مِدْيَانَ، وَحُلْوَانُ ٱلْعِرَافَةِ فِي أَيْدِيهِمْ، وَأَتَوْا إِلَى بَلْعَامَ وَكَلَّمُوهُ بِكَلَامِ بَالَاقَ. ٧ 7
फिर मोआब तथा मिदियान के प्राचीन अपने साथ भविष्य बताने का उपहार लेकर उपस्थित हुए. बिलआम के घर पर पहुंचकर उन्होंने उसके सामने बालाक का आग्रह दोहरा दिया.
فَقَالَ لَهُمْ: «بِيتُوا هُنَا ٱللَّيْلَةَ فَأَرُدَّ عَلَيْكُمْ جَوَابًا كَمَا يُكَلِّمُنِي ٱلرَّبُّ». فَمَكَثَ رُؤَسَاءُ مُوآبَ عِنْدَ بَلْعَامَ. ٨ 8
बिलआम ने उनके सामने प्रस्ताव रखा, “आप यहां रात्रि के लिए ठहर कर विश्राम कीजिए. जब याहवेह मुझसे बातें करेंगे, मैं आपको उनका संदेश दे दूंगा.” मोआब के वे प्रधान बिलआम के यहां ठहर गए.
فَأَتَى ٱللهُ إِلَى بَلْعَامَ وَقَالَ: «مَنْ هُمْ هَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالُ ٱلَّذِينَ عِنْدَكَ؟» ٩ 9
परमेश्वर बिलआम पर प्रकट हुए तथा उससे प्रश्न किया, “कौन हैं ये व्यक्ति, जो तुम्हारे साथ हैं?”
فَقَالَ بَلْعَامُ لِلهِ: «بَالَاقُ بْنُ صِفُّورَ مَلِكُ مُوآبَ قَدْ أَرْسَلَ إِلَيَّ يَقُولُ: ١٠ 10
बिलआम ने परमेश्वर को उत्तर दिया, “ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक ने, जो मोआब का राजा है, मेरे लिए संदेश भेजा है:
هُوَذَا ٱلشَّعْبُ ٱلْخَارِجُ مِنْ مِصْرَ قَدْ غَشَّى وَجْهَ ٱلْأَرْضِ. تَعَالَ ٱلْآنَ ٱلْعَنْ لِي إِيَّاهُ، لَعَلِّي أَقْدِرُ أَنْ أُحَارِبَهُ وَأَطْرُدَهُ». ١١ 11
‘सुनिए, मिस्र से ये लोग निकलकर आए हुए हैं. ये लोग तो भूमि पर छा गए हैं. अब आकर मेरी ओर से इन्हें शाप दे दो. तब संभवतः मैं उनसे युद्ध कर उन्हें यहां से खदेड़ सकूंगा.’”
فَقَالَ ٱللهُ لِبَلْعَامَ: «لَا تَذْهَبْ مَعَهُمْ وَلَا تَلْعَنِ ٱلشَّعْبَ، لِأَنَّهُ مُبَارَكٌ». ١٢ 12
परमेश्वर ने बिलआम को आज्ञा दी, “मत जाओ उनके साथ. तुम उन लोगों को शाप नहीं दोगे, क्योंकि वे लोग आशीषित लोग हैं.”
فَقَامَ بَلْعَامُ صَبَاحًا وَقَالَ لِرُؤَسَاءِ بَالَاقَ: «ٱنْطَلِقُوا إِلَى أَرْضِكُمْ لِأَنَّ ٱلرَّبَّ أَبَى أَنْ يَسْمَحَ لِي بِٱلذَّهَابِ مَعَكُمْ». ١٣ 13
फिर सुबह होते ही बिलआम ने बालाक के प्रधानों को उत्तर दिया, “आप लोग अपने देश लौट जाइए, क्योंकि याहवेह ने मुझे आप लोगों के साथ जाने के लिए मना कर दिया है.”
فَقَامَ رُؤَسَاءُ مُوآبَ وَأَتَوْا إِلَى بَالَاقَ وَقَالُوا: «أَبَى بَلْعَامُ أَنْ يَأْتِيَ مَعَنَا». ١٤ 14
मोआब के उन प्रधानों ने लौटकर बालाक को यह सूचना दे दी, “बिलआम ने हमारे साथ यहां आने से मना कर दिया है.”
فَعَادَ بَالَاقُ وَأَرْسَلَ أَيْضًا رُؤَسَاءَ أَكْثَرَ وَأَعْظَمَ مِنْ أُولَئِكَ. ١٥ 15
फिर बालाक ने दोबारा इन प्रधानों से अधिक संख्या में तथा अधिक सम्मानजनक प्रधानों को बिलआम के पास भेज दिया.
فَأَتَوْا إِلَى بَلْعَامَ وَقَالُوا لَهُ: «هَكَذَا قَالَ بَالَاقُ بْنُ صِفُّورَ: لَا تَمْتَنِعْ مِنَ ٱلْإِتْيَانِ إِلَيَّ، ١٦ 16
बिलआम के सामने जाकर उन्होंने विनती की, “ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक की विनती है, ‘आपको मेरे पास आने में कोई भी बाधा न हो,
لِأَنِّي أُكْرِمُكَ إِكْرَامًا عَظِيمًا، وَكُلَّ مَا تَقُولُ لِي أَفْعَلُهُ. فَتَعَالَ ٱلْآنَ ٱلْعَنْ لِي هَذَا ٱلشَّعْبَ». ١٧ 17
विश्वास कीजिए मैं आपको अपार धन से सम्मानित कर दूंगा, आप जो कुछ कहेंगे, मैं वही करने के लिए तैयार हूं. बस, आप कृपा कर यहां आ जाइए और मेरी ओर से इन लोगों को शाप दे दीजिए.’”
فَأَجَابَ بَلْعَامُ وَقَالَ لِعَبِيدِ بَالَاقَ: «وَلَوْ أَعْطَانِي بَالَاقُ مِلْءَ بَيْتِهِ فِضَّةً وَذَهَبًا لَا أَقْدِرُ أَنْ أَتَجَاوَزَ قَوْلَ ٱلرَّبِّ إِلَهِي لِأَعْمَلَ صَغِيرًا أَوْ كَبِيرًا. ١٨ 18
बिलआम ने बालाक के लोगों को उत्तर दिया, “यदि बालाक मेरे घर को चांदी और सोने से भर भी दें, मेरे लिए कुछ भी करना संभव न होगा, चाहे यह विनती छोटी हो या बड़ी. मैं याहवेह, मेरे परमेश्वर के आदेश के विपरीत कुछ नहीं कर सकता.
فَٱلْآنَ ٱمْكُثُوا هُنَا أَنْتُمْ أَيْضًا هَذِهِ ٱللَّيْلَةَ لِأَعْلَمَ مَاذَا يَعُودُ ٱلرَّبُّ يُكَلِّمُنِي بِهِ». ١٩ 19
फिर अब, आप रात्रि में मेरे यहां विश्राम कीजिए. मैं मालूम करूंगा, कि याहवेह इस विषय में मुझसे और क्या कहना चाहेंगे.”
فَأَتَى ٱللهُ إِلَى بَلْعَامَ لَيْلًا وَقَالَ لَهُ: «إِنْ أَتَى ٱلرِّجَالُ لِيَدْعُوكَ فَقُمِ ٱذْهَبْ مَعَهُمْ، إِنَّمَا تَعْمَلُ ٱلْأَمْرَ ٱلَّذِي أُكَلِّمُكَ بِهِ فَقَطْ». ٢٠ 20
रात में परमेश्वर ने बिलआम के सामने आकर उसे आज्ञा दी, “यदि वे तुम्हें अपने साथ ले जाने के उद्देश्य से आ ही गए हैं, तो जाओ उनके साथ; किंतु तुम सिर्फ वही कहोगे, जो मैं तुमसे कहूंगा, वही करना.”
فَقَامَ بَلْعَامُ صَبَاحًا وَشَدَّ عَلَى أَتَانِهِ وَٱنْطَلَقَ مَعَ رُؤَسَاءِ مُوآبَ. ٢١ 21
फिर सुबह बिलआम उठा, अपनी गधी की काठी कसी तथा मोआब के प्रधानों के साथ चल दिया.
فَحَمِيَ غَضَبُ ٱللهِ لِأَنَّهُ مُنْطَلِقٌ، وَوَقَفَ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ فِي ٱلطَّرِيقِ لِيُقَاوِمَهُ وَهُوَ رَاكِبٌ عَلَى أَتَانِهِ وَغُلَامَاهُ مَعَهُ. ٢٢ 22
बिलआम के उनके साथ चले जाने पर परमेश्वर अप्रसन्‍न हो गए. याहवेह का दूत बिलआम के मार्ग में शत्रु के समान विरोधी बनकर खड़ा हो गया. बिलआम अपनी गधी पर बैठा हुआ था, तथा उसके साथ उसके दो सेवक भी थे.
فَأَبْصَرَتِ ٱلْأَتَانُ مَلَاكَ ٱلرَّبِّ وَاقِفًا فِي ٱلطَّرِيقِ وَسَيْفُهُ مَسْلُولٌ فِي يَدِهِ، فَمَالَتِ ٱلْأَتَانُ عَنِ ٱلطَّرِيقِ وَمَشَتْ فِي ٱلْحَقْلِ. فَضَرَبَ بَلْعَامُ ٱلْأَتَانَ لِيَرُدَّهَا إِلَى ٱلطَّرِيقِ. ٢٣ 23
जैसे ही गधी की दृष्टि हाथ में तलवार लिए हुए, मार्ग में खड़े हुए याहवेह के दूत पर पड़ी, वह मार्ग छोड़ खेत में चली गई. बिलआम ने गधी को प्रहार किए, कि वह दोबारा मार्ग पर आ जाए.
ثُمَّ وَقَفَ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ فِي خَنْدَقٍ لِلْكُرُومِ، لَهُ حَائِطٌ مِنْ هُنَا وَحَائِطٌ مِنْ هُنَاكَ. ٢٤ 24
फिर याहवेह का दूत अंगूर के बगीचे के बीच की संकरी पगडंडी पर जा खड़ा हुआ, जिसके दोनों ओर दीवार थी.
فَلَمَّا أَبْصَرَتِ ٱلْأَتَانُ مَلَاكَ ٱلرَّبِّ زَحَمَتِ ٱلْحَائِطَ، وَضَغَطَتْ رِجْلَ بَلْعَامَ بِٱلْحَائِطِ، فَضَرَبَهَا أَيْضًا. ٢٥ 25
जब गधी की दृष्टि याहवेह के दूत पर पड़ी वह दीवार से सट गई, जिससे बिलआम का पैर दीवार से दब गया. बिलआम ने दोबारा उस गधी पर प्रहार किया.
ثُمَّ ٱجْتَازَ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ أَيْضًا وَوَقَفَ فِي مَكَانٍ ضَيِّقٍ حَيْثُ لَيْسَ سَبِيلٌ لِلنُّكُوبِ يَمِينًا أَوْ شِمَالًا. ٢٦ 26
याहवेह का वह दूत आगे चला गया तथा एक ऐसे संकरे स्थान पर जा खड़ा हुआ जहां न तो दाएं मुड़ने का कोई स्थान था, न बाएं मुड़ने का.
فَلَمَّا أَبْصَرَتِ ٱلْأَتَانُ مَلَاكَ ٱلرَّبِّ، رَبَضَتْ تَحْتَ بَلْعَامَ. فَحَمِيَ غَضَبُ بَلْعَامَ وَضَرَبَ ٱلْأَتَانَ بِٱلْقَضِيبِ. ٢٧ 27
जब उस गधी ने याहवेह के दूत को देखा तो वह बिलआम के नीचे पसर गई. बिलआम क्रोधित हो गया तथा उसने अपनी लाठी से उस गधी पर वार किया.
فَفَتَحَ ٱلرَّبُّ فَمَ ٱلْأَتَانِ، فَقَالَتْ لِبَلْعَامَ: «مَاذَا صَنَعْتُ بِكَ حَتَّى ضَرَبْتَنِي ٱلْآنَ ثَلَاثَ دَفَعَاتٍ؟». ٢٨ 28
तब याहवेह ने उस गधी को बोलने की क्षमता प्रदान कर दी. वह बिलआम से कहने लगी, “मैंने ऐसा क्या किया है, जो आपने मुझ पर इस प्रकार तीन बार वार किया है?”
فَقَالَ بَلْعَامُ لِلْأَتَانِ: «لِأَنَّكِ ٱزْدَرَيْتِ بِي. لَوْ كَانَ فِي يَدِي سَيْفٌ لَكُنْتُ ٱلْآنَ قَدْ قَتَلْتُكِ». ٢٩ 29
बिलआम ने उसे उत्तर दिया, “इसलिये कि तुमने मुझे हंसी का पात्र बना रखा है! यदि मेरे हाथ में तलवार होती, मैं अब तक तुम्हारा वध कर चुका होता.”
فَقَالَتِ ٱلْأَتَانُ لِبَلْعَامَ: «أَلَسْتُ أَنَا أَتَانَكَ ٱلَّتِي رَكِبْتَ عَلَيْهَا مُنْذُ وُجُودِكَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ؟ هَلْ تَعَوَّدْتُ أَنْ أَفْعَلَ بِكَ هَكَذَا؟» فَقَالَ: «لَا». ٣٠ 30
उस गधी ने उसे उत्तर दिया, “क्या मैं आपकी वही गधी नहीं रही हूं, जिस पर आप आजीवन यात्रा करते रहे हैं, जैसे कि आज भी? क्या मैंने भी आपके साथ कभी ऐसा व्यवहार किया है?” बिलआम ने उत्तर दिया, “नहीं तो?”
ثُمَّ كَشَفَ ٱلرَّبُّ عَنْ عَيْنَيْ بَلْعَامَ، فَأَبْصَرَ مَلَاكَ ٱلرَّبِّ وَاقِفًا فِي ٱلطَّرِيقِ وَسَيْفُهُ مَسْلُولٌ فِي يَدِهِ، فَخَرَّ سَاجِدًا عَلَى وَجْهِهِ. ٣١ 31
फिर याहवेह ने बिलआम को वह दृष्टि प्रदान की, कि उसे याहवेह का वह दूत दिखाई देने लगा, जो मार्ग में तलवार लिए हुए खड़ा था. बिलआम उसके सामने गिर पड़ा.
فَقَالَ لَهُ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ: «لِمَاذَا ضَرَبْتَ أَتَانَكَ ٱلْآنَ ثَلَاثَ دَفَعَاتٍ؟ هَأَنَذَا قَدْ خَرَجْتُ لِلْمُقَاوَمَةِ لِأَنَّ ٱلطَّرِيقَ وَرْطَةٌ أَمَامِي، ٣٢ 32
याहवेह के दूत ने बिलआम से पूछा, “तुमने तीन बार इस गधी पर वार क्यों किया है? यह समझ लो कि मैं तुम्हारा विरोध करने आ गया हूं, क्योंकि तुम्हारी चाल मुझसे ठीक विपरीत है.
فَأَبْصَرَتْنِي ٱلْأَتَانُ وَمَالَتْ مِنْ قُدَّامِي ٱلْآنَ ثَلَاثَ دَفَعَاتٍ. وَلَوْ لَمْ تَمِلْ مِنْ قُدَّامِي لَكُنْتُ ٱلْآنَ قَدْ قَتَلْتُكَ وَٱسْتَبْقَيْتُهَا». ٣٣ 33
इस गधी ने मुझे देख लिया और इन तीनों बार मुझसे दूर चली गई; यदि उसने ऐसा न किया होता तो निश्चित ही इस समय मैं तुम्हारा नाश कर चुका होता, और उसे जीवित ही रहने देता.”
فَقَالَ بَلْعَامُ لِمَلَاكِ ٱلرَّبِّ: «أَخْطَأْتُ. إِنِّي لَمْ أَعْلَمْ أَنَّكَ وَاقِفٌ تِلْقَائِي فِي ٱلطَّرِيقِ. وَٱلْآنَ إِنْ قَبُحَ فِي عَيْنَيْكَ فَإِنِّي أَرْجِعُ». ٣٤ 34
बिलआम ने याहवेह के उस दूत के सामने यह स्वीकार किया, “मैंने पाप किया है. मैं इस बात से अनजान था, कि मार्ग में खड़े हुए आप मेरा सामना कर रहे थे. फिर अब, यदि यह आपके विरुद्ध हो रहा है, मैं लौट जाना चाहूंगा.”
فَقَالَ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ لِبَلْعَامَ: «ٱذْهَبْ مَعَ ٱلرِّجَالِ، وَإِنَّمَا تَتَكَلَّمُ بِٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي أُكَلِّمُكَ بِهِ فَقَطْ». فَٱنْطَلَقَ بَلْعَامُ مَعَ رُؤَسَاءِ بَالَاقَ. ٣٥ 35
किंतु याहवेह के दूत ने बिलआम से कहा, “अब तो तुम इन लोगों के साथ चले जाओ, किंतु तुम वही कहोगे, जो मैं तुम्हें कहने के लिए प्रेरित करूंगा.” फिर बिलआम बालाक के उन प्रधानों के साथ चला गया.
فَلَمَّا سَمِعَ بَالَاقُ أَنَّ بَلْعَامَ جَاءَ، خَرَجَ لِٱسْتِقْبَالِهِ إِلَى مَدِينَةِ مُوآبَ ٱلَّتِي عَلَى تَخْمِ أَرْنُونَ ٱلَّذِي فِي أَقْصَى ٱلتُّخُومِ. ٣٦ 36
जब बालाक को यह मालूम हुआ, कि बिलआम आ रहा है, वह उससे भेंट करने मोआब के उस नगर के लिए निकल पड़ा, जो आरनोन की सीमा पर स्थित है; सीमा के दूर वाले छोर पर.
فَقَالَ بَالَاقُ لِبَلْعَامَ: «أَلَمْ أُرْسِلْ إِلَيْكَ لِأَدْعُوَكَ؟ لِمَاذَا لَمْ تَأْتِ إِلَيَّ؟ أَحَقًّا لَا أَقْدِرُ أَنْ أُكْرِمَكَ؟» ٣٧ 37
भेंट होने पर बालाक ने बिलआम से कहा, “क्या मैंने आपको अत्यंत आवश्यक विनती के साथ आमंत्रित न किया था? आप फिर क्यों न आए? क्या मेरे लिए आपका उचित सम्मान करना असंभव था?”
فَقَالَ بَلْعَامُ لِبَالَاقَ: «هَأَنَذَا قَدْ جِئْتُ إِلَيْكَ. أَلَعَلِّي ٱلْآنَ أَسْتَطِيعُ أَنْ أَتَكَلَّمَ بِشَيْءٍ؟ اَلْكَلَامُ ٱلَّذِي يَضَعُهُ ٱللهُ فِي فَمِي بِهِ أَتَكَلَّمُ». ٣٨ 38
बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “देखिए अब तो मैं आपके लिए प्रस्तुत हूं. क्या मुझमें ऐसी कोई क्षमता है, कि मैं कुछ भी कह सकूं? मैं तो वही कहूंगा, जो परमेश्वर मेरे मुख में डालेंगे.”
فَٱنْطَلَقَ بَلْعَامُ مَعَ بَالَاقَ وَأَتَيَا إِلَى قَرْيَةِ حَصُوتَ. ٣٩ 39
यह कहते हुए बिलआम बालाक के साथ चला गया और वे किरयथ-हुज़ोथ नामक स्थल पर पहुंचे.
فَذَبَحَ بَالَاقُ بَقَرًا وَغَنَمًا، وَأَرْسَلَ إِلَى بَلْعَامَ وَإِلَى ٱلرُّؤَسَاءِ ٱلَّذِينَ مَعَهُ. ٤٠ 40
वहां बालाक ने बछड़ों तथा भेड़ों की बलि भेंट की. इसका कुछ अंश उसने बिलआम तथा उसके साथ आए प्रधानों को दे दिया.
وَفِي ٱلصَّبَاحِ أَخَذَ بَالَاقُ بَلْعَامَ وَأَصْعَدَهُ إِلَى مُرْتَفَعَاتِ بَعْلٍ، فَرَأَى مِنْ هُنَاكَ أَقْصَى ٱلشَّعْبِ. ٤١ 41
सुबह होते ही बालाक बिलआम को बामोथ-बाल के पूजा-स्थल पर ले गया, जहां से इस्राएली प्रजा का एक अंश दिखाई दे रहा था.

< اَلْعَدَد 22 >