< مَتَّى 9 >

فَدَخَلَ ٱلسَّفِينَةَ وَٱجْتَازَ وَجَاءَ إِلَى مَدِينَتِهِ. ١ 1
फिर वो नाव पर चढ़ कर पार गया; और अपने शहर में आया।
وَإِذَا مَفْلُوجٌ يُقَدِّمُونَهُ إِلَيْهِ مَطْرُوحًا عَلَى فِرَاشٍ. فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ إِيمَانَهُمْ قَالَ لِلْمَفْلُوجِ: «ثِقْ يا بُنَيَّ. مَغْفُورَةٌ لَكَ خَطَايَاكَ». ٢ 2
और देखो, लोग एक फ़ालिज के मारे हुए को जो चारपाई पर पड़ा हुआ था उसके पास लाए; ईसा ने उसका ईमान देखकर मफ़्लूज से कहा “बेटा, इत्मीनान रख। तेरे गुनाह मुआफ़ हुए।”
وَإِذَا قَوْمٌ مِنَ ٱلْكَتَبَةِ قَدْ قَالُوا فِي أَنْفُسِهِمْ: «هَذَا يُجَدِّفُ!». ٣ 3
और देखो कुछ आलिमों ने अपने दिल में कहा, “ये कुफ़्र बकता है”
فَعَلِمَ يَسُوعُ أَفْكَارَهُمْ، فَقَالَ: «لِمَاذَا تُفَكِّرُونَ بِٱلشَّرِّ فِي قُلُوبِكُمْ؟ ٤ 4
ईसा ने उनके ख़याल मा'लूम करके कहा, “तुम क्यूँ अपने दिल में बुरे ख़याल लाते हो?
أَيُّمَا أَيْسَرُ، أَنْ يُقَالَ: مَغْفُورَةٌ لَكَ خَطَايَاكَ، أَمْ أَنْ يُقَالَ: قُمْ وَٱمْشِ؟ ٥ 5
आसान क्या है? ये कहना तेरे गुनाह मु'आफ़ हुए; या ये कहना; उठ और चल फिर।
وَلَكِنْ لِكَيْ تَعْلَمُوا أَنَّ لِٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ سُلْطَانًا عَلَى ٱلْأَرْضِ أَنْ يَغْفِرَ ٱلْخَطَايَا». حِينَئِذٍ قَالَ لِلْمَفْلُوجِ: «قُمِ ٱحْمِلْ فِرَاشَكَ وَٱذْهَبْ إِلَى بَيْتِكَ!». ٦ 6
लेकिन इसलिए कि तुम जान लो कि इबने आदम को ज़मीन पर गुनाह मु'आफ़ करने का इख़्तियार है,” उसने फ़ालिज का मारे हुए से कहा, “उठ, अपनी चारपाई उठा और अपने घर चला जा।”
فَقَامَ وَمَضَى إِلَى بَيْتِهِ. ٧ 7
वो उठ कर अपने घर चला गया।
فَلَمَّا رَأَى ٱلْجُمُوعُ تَعَجَّبُوا وَمَجَّدُوا ٱللهَ ٱلَّذِي أَعْطَى ٱلنَّاسَ سُلْطَانًا مِثْلَ هَذَا. ٨ 8
लोग ये देख कर डर गए; और ख़ुदा की बड़ाई करने लगे; जिसने आदमियों को ऐसा इख़्तियार बख़्शा।
وَفِيمَا يَسُوعُ مُجْتَازٌ مِنْ هُنَاكَ، رَأَى إِنْسَانًا جَالِسًا عِنْدَ مَكَانِ ٱلْجِبَايَةِ، ٱسْمُهُ مَتَّى. فَقَالَ لَهُ: «ٱتْبَعْنِي». فَقَامَ وَتَبِعَهُ. ٩ 9
ईसा ने वहाँ से आगे बढ़कर मत्ती नाम एक शख़्स को महसूल की चौकी पर बैठे देखा; और उस से कहा, “मेरे पीछे हो ले।” वो उठ कर उसके पीछे हो लिया।
وَبَيْنَمَا هُوَ مُتَّكِئٌ فِي ٱلْبَيْتِ، إِذَا عَشَّارُونَ وَخُطَاةٌ كَثِيرُونَ قَدْ جَاءُوا وَٱتَّكَأُوا مَعَ يَسُوعَ وَتَلَامِيذِهِ. ١٠ 10
जब वो घर में खाना खाने बैठा; तो ऐसा हुआ कि बहुत से महसूल लेने वाले और गुनहगार आकर ईसा और उसके शागिर्दों के साथ खाना खाने बैठे।
فَلَمَّا نَظَرَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ قَالُوا لِتَلَامِيذِهِ: «لِمَاذَا يَأْكُلُ مُعَلِّمُكُمْ مَعَ ٱلْعَشَّارِينَ وَٱلْخُطَاةِ؟». ١١ 11
फ़रीसियों ने ये देख कर उसके शागिर्दों से कहा, “तुम्हारा उस्ताद महसूल लेने वालों और गुनहगारों के साथ क्यूँ खाता है?”
فَلَمَّا سَمِعَ يَسُوعُ قَالَ لَهُمْ: «لَا يَحْتَاجُ ٱلْأَصِحَّاءُ إِلَى طَبِيبٍ بَلِ ٱلْمَرْضَى. ١٢ 12
उसने ये सुनकर कहा, “तन्दरुस्तों को हकीम की ज़रुरत नहीं बल्कि बीमारों को।
فَٱذْهَبُوا وَتَعَلَّمُوا مَا هُوَ: إِنِّي أُرِيدُ رَحْمَةً لَا ذَبِيحَةً، لِأَنِّي لَمْ آتِ لِأَدْعُوَ أَبْرَارًا بَلْ خُطَاةً إِلَى ٱلتَّوْبَةِ». ١٣ 13
मगर तुम जाकर उसके मा'ने मा'लूम करो: मैं क़ुर्बानी नहीं बल्कि रहम पसन्द करता हूँ। क्यूँकि मैं रास्तबाज़ों को नहीं बल्कि गुनाहगारों को बुलाने आया हूँ।”
حِينَئِذٍ أَتَى إِلَيْهِ تَلَامِيذُ يُوحَنَّا قَائِلِينَ: «لِمَاذَا نَصُومُ نَحْنُ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ كَثِيرًا، وَأَمَّا تَلَامِيذُكَ فَلَا يَصُومُونَ؟». ١٤ 14
उस वक़्त यूहन्ना के शागिर्दों ने उसके पास आकर कहा, “क्या वजह है कि हम और फ़रीसी तो अक्सर रोज़ा रखते हैं, और तेरे शागिर्द रोज़ा नहीं रखते?”
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «هَلْ يَسْتَطِيعُ بَنُو ٱلْعُرْسِ أَنْ يَنُوحُوا مَا دَامَ ٱلْعَرِيسُ مَعَهُمْ؟ وَلَكِنْ سَتَأْتِي أَيَّامٌ حِينَ يُرْفَعُ ٱلْعَرِيسُ عَنْهُمْ، فَحِينَئِذٍ يَصُومُونَ. ١٥ 15
ईसा ने उस से कहा, “क्या बाराती जब तक दुल्हा उनके साथ है, मातम कर सकते हैं? मगर वो दिन आएँगे; कि दुल्हा उनसे जुदा किया जाएगा; उस वक़्त वो रोज़ा रखेंगे।
لَيْسَ أَحَدٌ يَجْعَلُ رُقْعَةً مِنْ قِطْعَةٍ جَدِيدَةٍ عَلَى ثَوْبٍ عَتِيقٍ، لِأَنَّ ٱلْمِلْءَ يَأْخُذُ مِنَ ٱلثَّوْبِ، فَيَصِيرُ ٱلْخَرْقُ أَرْدَأَ. ١٦ 16
कोरे कपड़े का पैवन्द पुरानी पोशाक में कोई नहीं लगाता क्यूँकि वो पैवन्द पोशाक में से कुछ खींच लेता है और वो ज़्यादा फट जाती है।
وَلَا يَجْعَلُونَ خَمْرًا جَدِيدَةً فِي زِقَاقٍ عَتِيقَةٍ، لِئَلَّا تَنْشَقَّ ٱلزِّقَاقُ، فَٱلْخَمْرُ تَنْصَبُّ وَٱلزِّقَاقُ تَتْلَفُ. بَلْ يَجْعَلُونَ خَمْرًا جَدِيدَةً فِي زِقَاقٍ جَدِيدَةٍ فَتُحْفَظُ جَمِيعًا». ١٧ 17
और नई मय पुरानी मश्कों में नहीं भरते वर्ना मश्कें फट जाती हैं; और मय बह जाती है, और मश्कें बरबाद हो जाती हैं; बल्कि नई मय नई मश्कों में भरते हैं; और वो दोनों बची रहती हैं।”
وَفِيمَا هُوَ يُكَلِّمُهُمْ بِهَذَا، إِذَا رَئِيسٌ قَدْ جَاءَ فَسَجَدَ لَهُ قَائِلًا: «إِنَّ ٱبْنَتِي ٱلْآنَ مَاتَتْ، لَكِنْ تَعَالَ وَضَعْ يَدَكَ عَلَيْهَا فَتَحْيَا». ١٨ 18
वो उन से ये बातें कह ही रहा था, कि देखो एक सरदार ने आकर उसे सज्दा किया और कहा, “मेरी बेटी अभी मरी है लेकिन तू चलकर अपना हाथ उस पर रख तो वो ज़िन्दा हो जाएगी।”
فَقَامَ يَسُوعُ وَتَبِعَهُ هُوَ وَتَلَامِيذُهُ. ١٩ 19
ईसा उठ कर अपने शागिर्दों समेत उस के पीछे हो लिया।
وَإِذَا ٱمْرَأَةٌ نَازِفَةُ دَمٍ مُنْذُ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً قَدْ جَاءَتْ مِنْ وَرَائِهِ وَمَسَّتْ هُدْبَ ثَوْبِهِ، ٢٠ 20
और देखो; एक 'औरत ने जिसके बारह बरस से ख़ून जारी था; उसके पीछे आकर उस की पोशाक का किनारा छुआ।
لِأَنَّهَا قَالَتْ فِي نَفْسِهَا: «إِنْ مَسَسْتُ ثَوْبَهُ فَقَطْ شُفِيتُ». ٢١ 21
क्यूँकि वो अपने जी में कहती थी; अगर सिर्फ़ उसकी पोशाक ही छू लूँगी “तो अच्छी हो जाऊँगी।”
فَٱلْتَفَتَ يَسُوعُ وَأَبْصَرَهَا، فَقَالَ: «ثِقِي يا ٱبْنَةُ، إِيمَانُكِ قَدْ شَفَاكِ». فَشُفِيَتِ ٱلْمَرْأَةُ مِنْ تِلْكَ ٱلسَّاعَةِ. ٢٢ 22
ईसा ने फिर कर उसे देखा और कहा, “बेटी, इत्मीनान रख! तेरे ईमान ने तुझे अच्छा कर दिया।” पस वो 'औरत उसी घड़ी अच्छी हो गई।
وَلَمَّا جَاءَ يَسُوعُ إِلَى بَيْتِ ٱلرَّئِيسِ، وَنَظَرَ ٱلْمُزَمِّرِينَ وَٱلْجَمْعَ يَضِجُّونَ، ٢٣ 23
जब ईसा सरदार के घर में आया और बाँसुरी बजाने वालों को और भीड़ को शोर मचाते देखा।
قَالَ لَهُمْ: «تَنَحَّوْا، فَإِنَّ ٱلصَّبِيَّةَ لَمْ تَمُتْ لَكِنَّهَا نَائِمَةٌ». فَضَحِكُوا عَلَيْهِ. ٢٤ 24
तो कहा, “हट जाओ! क्यूँकि लड़की मरी नहीं बल्कि सोती है।” वो उस पर हँसने लगे।
فَلَمَّا أُخْرِجَ ٱلْجَمْعُ دَخَلَ وَأَمْسَكَ بِيَدِهَا، فَقَامَتِ ٱلصَّبِيَّةُ. ٢٥ 25
मगर जब भीड़ निकाल दी गई तो उस ने अन्दर जाकर उसका हाथ पकड़ा और लड़की उठी।
فَخَرَجَ ذَلِكَ ٱلْخَبَرُ إِلَى تِلْكَ ٱلْأَرْضِ كُلِّهَا. ٢٦ 26
और इस बात की शोहरत उस तमाम इलाक़े में फैल गई।
وَفِيمَا يَسُوعُ مُجْتَازٌ مِنْ هُنَاكَ، تَبِعَهُ أَعْمَيَانِ يَصْرَخَانِ وَيَقُولَانِ: «ٱرْحَمْنَا يا ٱبْنَ دَاوُدَ!». ٢٧ 27
जब ईसा वहाँ से आगे बढ़ा तो दो अन्धे उसके पीछे ये पुकारते हुए चले “ऐ इब्न — ए — दाऊद, हम पर रहम कर।”
وَلَمَّا جَاءَ إِلَى ٱلْبَيْتِ تَقَدَّمَ إِلَيْهِ ٱلْأَعْمَيَانِ، فَقَالَ لَهُمَا يَسُوعُ: «أَتُؤْمِنَانِ أَنِّي أَقْدِرُ أَنْ أَفْعَلَ هَذَا؟». قَالَا لَهُ: «نَعَمْ، يا سَيِّدُ!». ٢٨ 28
जब वो घर में पहुँचा तो वो अन्धे उसके पास आए और 'ईसा ने उनसे कहा “क्या तुम को यक़ीन है कि मैं ये कर सकता हूँ?” उन्हों ने उस से कहा “हाँ ख़ुदावन्द।”
حِينَئِذٍ لَمَسَ أَعْيُنَهُمَا قَائِلًا: «بِحَسَبِ إِيمَانِكُمَا لِيَكُنْ لَكُمَا». ٢٩ 29
फिर उस ने उन की आँखें छू कर कहा, “तुम्हारे यक़ीन के मुताबिक़ तुम्हारे लिए हो।”
فَٱنْفَتَحَتْ أَعْيُنُهُمَا. فَٱنْتَهَرَهُمَا يَسُوعُ قَائِلًا: «ٱنْظُرَا، لَا يَعْلَمْ أَحَدٌ!». ٣٠ 30
और उन की आँखें खुल गईं और ईसा ने उनको ताकीद करके कहा, “ख़बरदार, कोई इस बात को न जाने!”
وَلَكِنَّهُمَا خَرَجَا وَأَشَاعَاهُ فِي تِلْكَ ٱلْأَرْضِ كُلِّهَا. ٣١ 31
मगर उन्होंने निकल कर उस तमाम इलाक़े में उसकी शोहरत फैला दी।
وَفِيمَا هُمَا خَارِجَانِ، إِذَا إِنْسَانٌ أَخْرَسُ مَجْنُونٌ قَدَّمُوهُ إِلَيْهِ. ٣٢ 32
जब वो बाहर जा रहे थे, तो देखो लोग एक गूँगे को जिस में बदरूह थी उसके पास लाए।
فَلَمَّا أُخْرِجَ ٱلشَّيْطَانُ تَكَلَّمَ ٱلْأَخْرَسُ، فَتَعَجَّبَ ٱلْجُمُوعُ قَائِلِينَ: «لَمْ يَظْهَرْ قَطُّ مِثْلُ هَذَا فِي إِسْرَائِيلَ!». ٣٣ 33
और जब वो बदरूह निकाल दी गई तो गूँगा बोलने लगा; और लोगों ने ता'अज्जुब करके कहा, “इस्राईल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।”
أَمَّا ٱلْفَرِّيسِيُّونَ فَقَالُوا: «بِرَئِيسِ ٱلشَّيَاطِينِ يُخْرِجُ ٱلشَّيَاطِينَ!». ٣٤ 34
मगर फ़रीसियों ने कहा, “ये तो बदरूहों के सरदार की मदद से बदरूहों को निकालता है।”
وَكَانَ يَسُوعُ يَطُوفُ ٱلْمُدُنَ كُلَّهَا وَٱلْقُرَى يُعَلِّمُ فِي مَجَامِعِهَا، وَيَكْرِزُ بِبِشَارَةِ ٱلْمَلَكُوتِ، وَيَشْفِي كُلَّ مَرَضٍ وَكُلَّ ضُعْفٍ فِي ٱلشَّعْبِ. ٣٥ 35
ईसा सब शहरों और गाँव में फिरता रहा, और उनके इबादतख़ानों में ता'लीम देता और बादशाही की ख़ुशख़बरी का एलान करता और — और हर तरह की बीमारी और हर तरह की कमज़ोरी दूर करता रहा।
وَلَمَّا رَأَى ٱلْجُمُوعَ تَحَنَّنَ عَلَيْهِمْ، إِذْ كَانُوا مُنْزَعِجِينَ وَمُنْطَرِحِينَ كَغَنَمٍ لَا رَاعِيَ لَهَا. ٣٦ 36
और जब उसने भीड़ को देखा तो उस को लोगों पर तरस आया; क्यूँकि वो उन भेड़ों की तरह थे जिनका चरवाहा न हो बुरी हालत में पड़े थे।
حِينَئِذٍ قَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «ٱلْحَصَادُ كَثِيرٌ وَلَكِنَّ ٱلْفَعَلَةَ قَلِيلُونَ. ٣٧ 37
उस ने अपने शागिर्दों से कहा, “फ़सल बहुत है, लेकिन मज़दूर थोड़े हैं।
فَٱطْلُبُوا مِنْ رَبِّ ٱلْحَصَادِ أَنْ يُرْسِلَ فَعَلَةً إِلَى حَصَادِهِ». ٣٨ 38
पस फ़सल के मालिक से मिन्नत करो कि वो अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूर भेज दे।”

< مَتَّى 9 >