< مَتَّى 8 >
وَلَمَّا نَزَلَ مِنَ ٱلْجَبَلِ تَبِعَتْهُ جُمُوعٌ كَثِيرَةٌ. | ١ 1 |
जब वो उस पहाड़ से उतरा तो बहुत सी भीड़ उस के पीछे हो ली।
وَإِذَا أَبْرَصُ قَدْ جَاءَ وَسَجَدَ لَهُ قَائِلًا: «يَا سَيِّدُ، إِنْ أَرَدْتَ تَقْدِرْ أَنْ تُطَهِّرَنِي». | ٢ 2 |
और देखो: एक कौढ़ी ने पास आकर उसे सज्दा किया और कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! अगर तू चाहे तो मुझे पाक साफ़ कर सकता है।”
فَمَدَّ يَسُوعُ يَدَهُ وَلَمَسَهُ قَائِلًا: «أُرِيدُ، فَٱطْهُرْ!». وَلِلْوَقْتِ طَهُرَ بَرَصُهُ. | ٣ 3 |
उसने हाथ बढ़ा कर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ, तू पाक — साफ़ हो जा।” वह फ़ौरन कौढ़ से पाक — साफ़ हो गया।
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «ٱنْظُرْ أَنْ لَا تَقُولَ لِأَحَدٍ. بَلِ ٱذْهَبْ أَرِ نَفْسَكَ لِلْكَاهِنِ، وَقَدِّمِ ٱلْقُرْبَانَ ٱلَّذِي أَمَرَ بِهِ مُوسَى شَهَادَةً لَهُمْ». | ٤ 4 |
ईसा ने उस से कहा, “ख़बरदार! किसी से न कहना बल्कि जाकर अपने आप को काहिन को दिखा; और जो नज़्र मूसा ने मुक़र्रर की है उसे गुज़रान; ताकि उन के लिए गवाही हो।”
وَلَمَّا دَخَلَ يَسُوعُ كَفْرَنَاحُومَ، جَاءَ إِلَيْهِ قَائِدُ مِئَةٍ يَطْلُبُ إِلَيْهِ | ٥ 5 |
जब वो कफ़रनहूम में दाख़िल हुआ तो एक सूबेदार उसके पास आया; और उसकी मिन्नत करके कहा।
وَيَقُولُ: «يَا سَيِّدُ، غُلَامِي مَطْرُوحٌ فِي ٱلْبَيْتِ مَفْلُوجًا مُتَعَذِّبًا جِدًّا». | ٦ 6 |
“ऐ ख़ुदावन्द, मेरा ख़ादिम फ़ालिज का मारा घर में पड़ा है; और बहुत ही तकलीफ़ में है।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «أَنَا آتِي وَأَشْفِيهِ». | ٧ 7 |
उस ने उस से कहा, “मैं आ कर उसे शिफ़ा दूँगा।”
فَأَجَابَ قَائِدُ ٱلْمِئَةِ وَقَالَ: «يَا سَيِّدُ، لَسْتُ مُسْتَحِقًّا أَنْ تَدْخُلَ تَحْتَ سَقْفِي، لَكِنْ قُلْ كَلِمَةً فَقَطْ فَيَبْرَأَ غُلَامِي. | ٨ 8 |
सूबेदार ने जवाब में कहा “ऐ ख़ुदावन्द, मैं इस लायक़ नहीं कि तू मेरी छत के नीचे आए; बल्कि सिर्फ़ ज़बान से कह दे तो मेरा ख़ादिम शिफ़ा पाएगा।
لِأَنِّي أَنَا أَيْضًا إِنْسَانٌ تَحْتَ سُلْطَانٍ. لِي جُنْدٌ تَحْتَ يَدِي. أَقُولُ لِهَذَا: ٱذْهَبْ! فَيَذْهَبُ، وَلِآخَرَ: ٱئْتِ! فَيَأْتِي، وَلِعَبْدِيَ: ٱفْعَلْ هَذَا! فَيَفْعَلُ». | ٩ 9 |
क्यूँकि मैं भी दूसरे के इख़्तियार में हूँ; और सिपाही मेरे मातहत हैं; जब एक से कहता हूँ, जा! तो वह जाता है और दूसरे से ‘आ!’ तो वह आता है। और अपने नौकर से‘ये कर’ तो वह करता है।”
فَلَمَّا سَمِعَ يَسُوعُ تَعَجَّبَ، وَقَالَ لِلَّذِينَ يَتْبَعُونَ: «اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَمْ أَجِدْ وَلَا فِي إِسْرَائِيلَ إِيمَانًا بِمِقْدَارِ هَذَا! | ١٠ 10 |
ईसा ने ये सुनकर त'अज्जुब किया और पीछे आने वालों से कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मैं ने इस्राईल में भी ऐसा ईमान नहीं पाया।
وَأَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ كَثِيرِينَ سَيَأْتُونَ مِنَ ٱلْمَشَارِقِ وَٱلْمَغَارِبِ وَيَتَّكِئُونَ مَعَ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ فِي مَلَكُوتِ ٱلسَّمَاوَاتِ، | ١١ 11 |
और मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत सारे पूरब और पश्चिम से आ कर अब्रहाम, इज़्हाक़ और याक़ूब के साथ आसमान की बादशाही की ज़ियाफ़त में शरीक होंगे।
وَأَمَّا بَنُو ٱلْمَلَكُوتِ فَيُطْرَحُونَ إِلَى ٱلظُّلْمَةِ ٱلْخَارِجِيَّةِ. هُنَاكَ يَكُونُ ٱلْبُكَاءُ وَصَرِيرُ ٱلْأَسْنَانِ». | ١٢ 12 |
मगर बादशाही के बेटे बाहर अंधेरे में डाले जाँएगे; जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।”
ثُمَّ قَالَ يَسُوعُ لِقَائِدِ ٱلْمِئَةِ: «ٱذْهَبْ، وَكَمَا آمَنْتَ لِيَكُنْ لَكَ». فَبَرَأَ غُلَامُهُ فِي تِلْكَ ٱلسَّاعَةِ. | ١٣ 13 |
और ईसा ने सूबेदार से कहा, “जा! जैसा तू ने यक़ीन किया तेरे लिए वैसा ही हो।” और उसी घड़ी ख़ादिम ने शिफ़ा पाई।
وَلَمَّا جَاءَ يَسُوعُ إِلَى بَيْتِ بُطْرُسَ، رَأَى حَمَاتَهُ مَطْرُوحَةً وَمَحْمُومَةً، | ١٤ 14 |
और ईसा ने पतरस के घर में आकर उसकी सास को बुख़ार में पड़ी देखा।
فَلَمَسَ يَدَهَا فَتَرَكَتْهَا ٱلْحُمَّى، فَقَامَتْ وَخَدَمَتْهُمْ. | ١٥ 15 |
उस ने उसका हाथ छुआ और बुख़ार उस पर से उतर गया; और वो उठ खड़ी हुई और उसकी ख़िदमत करने लगी।
وَلَمَّا صَارَ ٱلْمَسَاءُ قَدَّمُوا إِلَيْهِ مَجَانِينَ كَثِيرِينَ، فَأَخْرَجَ ٱلْأَرْوَاحَ بِكَلِمَةٍ، وَجَمِيعَ ٱلْمَرْضَى شَفَاهُمْ، | ١٦ 16 |
जब शाम हुई तो उसके पास बहुत से लोगों को लाए; जिन में बदरूहें थी उसने बदरूहों को ज़बान ही से कह कर निकाल दिया; और सब बीमारों को अच्छा कर दिया।
لِكَيْ يَتِمَّ مَا قِيلَ بِإِشَعْيَاءَ ٱلنَّبِيِّ ٱلْقَائِلِ: «هُوَ أَخَذَ أَسْقَامَنَا وَحَمَلَ أَمْرَاضَنَا». | ١٧ 17 |
ताकि जो यसायाह नबी के ज़रिए कहा गया था, वो पूरा हो: “उसने आप हमारी कमज़ोरियाँ ले लीं और बीमारियाँ उठा लीं।”
وَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ جُمُوعًا كَثِيرَةً حَوْلَهُ، أَمَرَ بِٱلذَّهَابِ إِلَى ٱلْعَبْرِ. | ١٨ 18 |
जब ईसा ने अपने चारों तरफ़ बहुत सी भीड़ देखी तो पार चलने का हुक्म दिया।
فَتَقَدَّمَ كَاتِبٌ وَقَالَ لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، أَتْبَعُكَ أَيْنَمَا تَمْضِي». | ١٩ 19 |
और एक आलिम ने पास आकर उस से कहा “ऐ उस्ताद, जहाँ कहीं भी तू जाएगा मैं तेरे पीछे चलूँगा।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «لِلثَّعَالِبِ أَوْجِرَةٌ وَلِطُيُورِ ٱلسَّمَاءِ أَوْكَارٌ، وَأَمَّا ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ فَلَيْسَ لَهُ أَيْنَ يُسْنِدُ رَأْسَهُ». | ٢٠ 20 |
ईसा ने उस से कहा, “लोमड़ियों के भठ होते हैं और हवा के परिन्दों के घोंसले, मगर इबने आदम के लिए सर रखने की भी जगह नहीं।”
وَقَالَ لَهُ آخَرُ مِنْ تَلَامِيذِهِ: «يَا سَيِّدُ، ٱئْذَنْ لِي أَنْ أَمْضِيَ أَوَّلًا وَأَدْفِنَ أَبِي». | ٢١ 21 |
एक और शागिर्द ने उस से कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मुझे इजाज़त दे कि पहले जाकर अपने बाप को दफ़्न करूँ।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «ٱتْبَعْنِي، وَدَعِ ٱلْمَوْتَى يَدْفِنُونَ مَوْتَاهُمْ». | ٢٢ 22 |
ईसा ने उससे कहा, “तू मेरे पीछे चल और मुर्दों को अपने मुर्दे दफ़्न करने दे।”
وَلَمَّا دَخَلَ ٱلسَّفِينَةَ تَبِعَهُ تَلَامِيذُهُ. | ٢٣ 23 |
जब वो नाव पर चढ़ा तो उस के शागिर्द उसके साथ हो लिए।
وَإِذَا ٱضْطِرَابٌ عَظِيمٌ قَدْ حَدَثَ فِي ٱلْبَحْرِ حَتَّى غَطَّتِ ٱلْأَمْوَاجُ ٱلسَّفِينَةَ، وَكَانَ هُوَ نَائِمًا. | ٢٤ 24 |
और देखो झील में ऐसा बड़ा तूफ़ान आया कि नाव लहरों से छिप गई, मगर वो सोता रहा।
فَتَقَدَّمَ تَلَامِيذُهُ وَأَيْقَظُوهُ قَائِلِينَ: «يَا سَيِّدُ، نَجِّنَا فَإِنَّنَا نَهْلِكُ!». | ٢٥ 25 |
उन्होंने पास आकर उसे जगाया और कहा “ऐ ख़ुदावन्द, हमें बचा, हम हलाक हुए जाते हैं”।
فَقَالَ لَهُمْ: «مَا بَالُكُمْ خَائِفِينَ يا قَلِيلِي ٱلْإِيمَانِ؟». ثُمَّ قَامَ وَٱنْتَهَرَ ٱلرِّيَاحَ وَٱلْبَحْرَ، فَصَارَ هُدُوٌّ عَظِيمٌ. | ٢٦ 26 |
उसने उनसे कहा, “ऐ कम ईमान वालो! डरते क्यूँ हो?” तब उसने उठकर हवा और पानी को डाँटा और बड़ा अम्न हो गया।
فَتَعَجَّبَ ٱلنَّاسُ قَائِلِينَ: «أَيُّ إِنْسَانٍ هَذَا؟ فَإِنَّ ٱلرِّيَاحَ وَٱلْبَحْرَ جَمِيعًا تُطِيعُهُ!». | ٢٧ 27 |
और लोग ता'अज्जुब करके कहने लगे “ये किस तरह का आदमी है कि हवा और पानी सब इसका हुक्म मानते हैं।”
وَلَمَّا جَاءَ إِلَى ٱلْعَبْرِ إِلَى كُورَةِ ٱلْجِرْجَسِيِّينَ، ٱسْتَقْبَلَهُ مَجْنُونَانِ خَارِجَانِ مِنَ ٱلْقُبُورِ هَائِجَانِ جِدًّا، حَتَّى لَمْ يَكُنْ أَحَدٌ يَقْدِرُ أَنْ يَجْتَازَ مِنْ تِلْكَ ٱلطَّرِيقِ. | ٢٨ 28 |
जब वो उस पार गदरीनियों के मुल्क में पहुँचा तो दो आदमी जिन में बदरूहें थी; क़ब्रों से निकल कर उससे मिले: वो ऐसे तंग मिज़ाज थे कि कोई उस रास्ते से गुज़र नहीं सकता था।
وَإِذَا هُمَا قَدْ صَرَخَا قَائِلَيْنِ: «مَا لَنَا وَلَكَ يا يَسُوعُ ٱبْنَ ٱللهِ؟ أَجِئْتَ إِلَى هُنَا قَبْلَ ٱلْوَقْتِ لِتُعَذِّبَنَا؟». | ٢٩ 29 |
और देखो उन्होंने चिल्लाकर कहा “ऐ ख़ुदा के बेटे हमें तुझ से क्या काम? क्या तू इसलिए यहाँ आया है कि वक़्त से पहले हमें ऐज़ाब में डाले?”
وَكَانَ بَعِيدًا مِنْهُمْ قَطِيعُ خَنَازِيرَ كَثِيرَةٍ تَرْعَى. | ٣٠ 30 |
उनसे कुछ दूर बहुत से सूअरों का ग़ोल चर रहा था।
فَٱلشَّيَاطِينُ طَلَبُوا إِلَيْهِ قَائِلِينَ: «إِنْ كُنْتَ تُخْرِجُنَا، فَأْذَنْ لَنَا أَنْ نَذْهَبَ إِلَى قَطِيعِ ٱلْخَنَازِيرِ». | ٣١ 31 |
पस बदरूहों ने उसकी मिन्नत करके कहा “अगर तू हम को निकालता है तो हमें सूअरों के ग़ोल में भेज दे।”
فَقَالَ لَهُمُ: «ٱمْضُوا». فَخَرَجُوا وَمَضَوْا إِلَى قَطِيعِ ٱلْخَنَازِيرِ، وَإِذَا قَطِيعُ ٱلْخَنَازِيرِ كُلُّهُ قَدِ ٱنْدَفَعَ مِنْ عَلَى ٱلْجُرُفِ إِلَى ٱلْبَحْرِ، وَمَاتَ فِي ٱلْمِيَاهِ. | ٣٢ 32 |
उसने उनसे कहा “जाओ।” वो निकल कर सुअरों के अन्दर चली गईं; और देखो; सारा ग़ोल किनारे पर से झपट कर झील में जा पड़ा और पानी में डूब मरा।
أَمَّا ٱلرُّعَاةُ فَهَرَبُوا وَمَضَوْا إِلَى ٱلْمَدِينَةِ، وَأَخْبَرُوا عَنْ كُلِّ شَيْءٍ، وَعَنْ أَمْرِ ٱلْمَجْنُونَيْنِ. | ٣٣ 33 |
और चराने वाले भागे और शहर में जाकर सब माजरा और उनके हालात जिन में बदरूहें थी बयान किया।
فَإِذَا كُلُّ ٱلْمَدِينَةِ قَدْ خَرَجَتْ لِمُلَاقَاةِ يَسُوعَ. وَلَمَّا أَبْصَرُوهُ طَلَبُوا أَنْ يَنْصَرِفَ عَنْ تُخُومِهِمْ. | ٣٤ 34 |
और देखो सारा शहर ईसा से मिलने को निकला और उसे देख कर मिन्नत की, कि हमारी सरहदों से बाहर चला जा।