< مَتَّى 6 >

«اِحْتَرِزُوا مِنْ أَنْ تَصْنَعُوا صَدَقَتَكُمْ قُدَّامَ ٱلنَّاسِ لِكَيْ يَنْظُرُوكُمْ، وَإِلَّا فَلَيْسَ لَكُمْ أَجْرٌ عِنْدَ أَبِيكُمُ ٱلَّذِي فِي ٱلسَّمَاوَاتِ. ١ 1
“ख़बरदार! अपने रास्तबाज़ी के काम आदमियों के सामने दिखावे के लिए न करो, नहीं तो तुम्हारे बाप के पास जो आसमान पर है; तुम्हारे लिए कुछ अज्र नहीं है।”
فَمَتَى صَنَعْتَ صَدَقَةً فَلَا تُصَوِّتْ قُدَّامَكَ بِٱلْبُوقِ، كَمَا يَفْعَلُ ٱلْمُرَاؤُونَ فِي ٱلْمَجَامِعِ وَفِي ٱلْأَزِقَّةِ، لِكَيْ يُمَجَّدُوا مِنَ ٱلنَّاسِ. اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُمْ قَدِ ٱسْتَوْفَوْا أَجْرَهُمْ! ٢ 2
पस जब तुम ख़ैरात करो तो अपने आगे नरसिंगा न बजाओ, जैसा रियाकार 'इबादतख़ानों और कूचों में करते हैं; ताकि लोग उनकी बड़ाई करें मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वो अपना अज्र पा चुके।
وَأَمَّا أَنْتَ فَمَتَى صَنَعْتَ صَدَقَةً فَلَا تُعَرِّفْ شِمَالَكَ مَا تَفْعَلُ يَمِينُكَ، ٣ 3
बल्कि जब तू ख़ैरात करे तो जो तेरा दहना हाथ करता है; उसे तेरा बाँया हाथ न जाने।
لِكَيْ تَكُونَ صَدَقَتُكَ فِي ٱلْخَفَاءِ. فَأَبُوكَ ٱلَّذِي يَرَى فِي ٱلْخَفَاءِ هُوَ يُجَازِيكَ عَلَانِيَةً. ٤ 4
ताकि तेरी ख़ैरात पोशीदा रहे, इस सूरत में तेरा आसमानी बाप जो पोशीदगी में देखता है तुझे बदला देगा।
«وَمَتَى صَلَّيْتَ فَلَا تَكُنْ كَٱلْمُرَائِينَ، فَإِنَّهُمْ يُحِبُّونَ أَنْ يُصَلُّوا قَائِمِينَ فِي ٱلْمَجَامِعِ وَفِي زَوَايَا ٱلشَّوَارِعِ، لِكَيْ يَظْهَرُوا لِلنَّاسِ. اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُمْ قَدِ ٱسْتَوْفَوْا أَجْرَهُمْ! ٥ 5
जब तुम दुआ करो तो रियाकारों की तरह न बनो; क्यूँकि वो 'इबादतख़ानों में और बाज़ारों के मोड़ों पर खड़े होकर दुआ करना पसन्द करते हैं; ताकि लोग उन को देखें; मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वो अपना बदला पा चुके।
وَأَمَّا أَنْتَ فَمَتَى صَلَّيْتَ فَٱدْخُلْ إِلَى مِخْدَعِكَ وَأَغْلِقْ بَابَكَ، وَصَلِّ إِلَى أَبِيكَ ٱلَّذِي فِي ٱلْخَفَاءِ. فَأَبُوكَ ٱلَّذِي يَرَى فِي ٱلْخَفَاءِ يُجَازِيكَ عَلَانِيَةً. ٦ 6
बल्कि जब तू दुआ करे तो अपनी कोठरी में जा और दरवाज़ा बंद करके अपने आसमानी बाप से जो पोशीदगी में है; दुआ कर इस सूरत में तेरा आसमानी बाप जो पोशीदगी में देखता है तुझे बदला देगा।
وَحِينَمَا تُصَلُّونَ لَا تُكَرِّرُوا ٱلْكَلَامَ بَاطِلًا كَٱلْأُمَمِ، فَإِنَّهُمْ يَظُنُّونَ أَنَّهُ بِكَثْرَةِ كَلَامِهِمْ يُسْتَجَابُ لَهُمْ. ٧ 7
और दुआ करते वक़्त ग़ैर क़ौमों के लोगों की तरह बक — बक न करो क्यूँकि वो समझते हैं; कि हमारे बहुत बोलने की वजह से हमारी सुनी जाएगी।
فَلَا تَتَشَبَّهُوا بِهِمْ. لِأَنَّ أَبَاكُمْ يَعْلَمُ مَا تَحْتَاجُونَ إِلَيْهِ قَبْلَ أَنْ تَسْأَلُوهُ. ٨ 8
पस उन की तरह न बनो; क्यूँकि तुम्हारा आसमानी बाप तुम्हारे माँगने से पहले ही जानता है कि तुम किन — किन चीज़ों के मोहताज हो।
«فَصَلُّوا أَنْتُمْ هَكَذَا: أَبَانَا ٱلَّذِي فِي ٱلسَّمَاوَاتِ، لِيَتَقَدَّسِ ٱسْمُكَ. ٩ 9
पस तुम इस तरह दुआ किया करो, “ऐ हमारे बाप, तू जो आसमान पर है तेरा नाम पाक माना जाए।
لِيَأْتِ مَلَكُوتُكَ. لِتَكُنْ مَشِيئَتُكَ كَمَا فِي ٱلسَّمَاءِ كَذَلِكَ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ١٠ 10
तेरी बादशाही आए। तेरी मर्ज़ी जैसी आस्मान पर पूरी होती है ज़मीन पर भी हो।
خُبْزَنَا كَفَافَنَا أَعْطِنَا ٱلْيَوْمَ. ١١ 11
हमारी रोज़ की रोटी आज हमें दे।
وَٱغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا كَمَا نَغْفِرُ نَحْنُ أَيْضًا لِلْمُذْنِبِينَ إِلَيْنَا. ١٢ 12
और जिस तरह हम ने अपने क़ुसूरवारों को मु'आफ़ किया है; तू भी हमारे क़ुसूरों को मु'आफ़ कर।
وَلَا تُدْخِلْنَا فِي تَجْرِبَةٍ، لَكِنْ نَجِّنَا مِنَ ٱلشِّرِّيرِ. لِأَنَّ لَكَ ٱلْمُلْكَ، وَٱلْقُوَّةَ، وَٱلْمَجْدَ، إِلَى ٱلْأَبَدِ. آمِينَ. ١٣ 13
और हमें आज़्माइश में न ला, बल्कि बुराई से बचा; क्यूँकि बादशाही और क़ुदरत और जलाल हमेशा तेरे ही हैं; आमीन।”
فَإِنَّهُ إِنْ غَفَرْتُمْ لِلنَّاسِ زَلَّاتِهِمْ، يَغْفِرْ لَكُمْ أَيْضًا أَبُوكُمُ ٱلسَّمَاوِيُّ. ١٤ 14
इसलिए कि अगर तुम आदमियों के क़ुसूर मु'आफ़ करोगे तो तुम्हारा आसमानी बाप भी तुम को मु'आफ़ करेगा।
وَإِنْ لَمْ تَغْفِرُوا لِلنَّاسِ زَلَّاتِهِمْ، لَا يَغْفِرْ لَكُمْ أَبُوكُمْ أَيْضًا زَلَّاتِكُمْ. ١٥ 15
और अगर तुम आदमियों के क़ुसूर मु'आफ़ न करोगे तो तुम्हारा आसमानी बाप भी तुम को मु'आफ़ न करेगा।
«وَمَتَى صُمْتُمْ فَلَا تَكُونُوا عَابِسِينَ كَٱلْمُرَائِينَ، فَإِنَّهُمْ يُغَيِّرُونَ وُجُوهَهُمْ لِكَيْ يَظْهَرُوا لِلنَّاسِ صَائِمِينَ. اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُمْ قَدِ ٱسْتَوْفَوْا أَجْرَهُمْ. ١٦ 16
जब तुम रोज़ा रख्खो तो रियाकारों की तरह अपनी सूरत उदास न बनाओ; क्यूँकि वो अपना मुँह बिगाड़ते हैं; ताकि लोग उन को रोज़ादार जाने। मैं तुम से सच कहता हूँ कि वो अपना अज्र पा चुके।
وَأَمَّا أَنْتَ فَمَتَى صُمْتَ فَٱدْهُنْ رَأْسَكَ وَٱغْسِلْ وَجْهَكَ، ١٧ 17
बल्कि जब तू रोज़ा रख्खे तो अपने सिर पर तेल डाल और मुँह धो।
لِكَيْ لَا تَظْهَرَ لِلنَّاسِ صَائِمًا، بَلْ لِأَبِيكَ ٱلَّذِي فِي ٱلْخَفَاءِ. فَأَبُوكَ ٱلَّذِي يَرَى فِي ٱلْخَفَاءِ يُجَازِيكَ عَلَانِيَةً. ١٨ 18
ताकि आदमी नहीं बल्कि तेरा बाप जो पोशीदगी में है तुझे रोज़ादार जाने। इस सूरत में तेरा बाप जो पोशीदगी में देखता है तुझे बदला देगा।
«لَا تَكْنِزُوا لَكُمْ كُنُوزًا عَلَى ٱلْأَرْضِ حَيْثُ يُفْسِدُ ٱلسُّوسُ وَٱلصَّدَأُ، وَحَيْثُ يَنْقُبُ ٱلسَّارِقُونَ وَيَسْرِقُونَ. ١٩ 19
अपने वास्ते ज़मीन पर माल जमा न करो, जहाँ पर कीड़ा और ज़ँग ख़राब करता है; और जहाँ चोर नक़ब लगाते और चुराते हैं।
بَلِ ٱكْنِزُوا لَكُمْ كُنُوزًا فِي ٱلسَّمَاءِ، حَيْثُ لَا يُفْسِدُ سُوسٌ وَلَا صَدَأٌ، وَحَيْثُ لَا يَنْقُبُ سَارِقُونَ وَلَا يَسْرِقُونَ، ٢٠ 20
बल्कि अपने लिए आसमान पर माल जमा करो; जहाँ पर न कीड़ा ख़राब करता है; न ज़ँग और न वहाँ चोर नक़ब लगाते और चुराते हैं।
لِأَنَّهُ حَيْثُ يَكُونُ كَنْزُكَ هُنَاكَ يَكُونُ قَلْبُكَ أَيْضًا. ٢١ 21
क्यूँकि जहाँ तेरा माल है वहीं तेरा दिल भी लगा रहेगा।
سِرَاجُ ٱلْجَسَدِ هُوَ ٱلْعَيْنُ، فَإِنْ كَانَتْ عَيْنُكَ بَسِيطَةً فَجَسَدُكَ كُلُّهُ يَكُونُ نَيِّرًا، ٢٢ 22
बदन का चराग़ आँख है। पस अगर तेरी आँख दुरुस्त हो तो तेरा पूरा बदन रोशन होगा।
وَإِنْ كَانَتْ عَيْنُكَ شِرِّيرَةً فَجَسَدُكَ كُلُّهُ يَكُونُ مُظْلِمًا، فَإِنْ كَانَ ٱلنُّورُ ٱلَّذِي فِيكَ ظَلَامًا فَٱلظَّلَامُ كَمْ يَكُونُ! ٢٣ 23
अगर तेरी आँख ख़राब हो तो तेरा सारा बदन तारीक होगा। पस अगर वो रोशनी जो तुझ में है तारीक हो तो तारीकी कैसी बड़ी होगी।
«لَا يَقْدِرُ أَحَدٌ أَنْ يَخْدِمَ سَيِّدَيْنِ، لِأَنَّهُ إِمَّا أَنْ يُبْغِضَ ٱلْوَاحِدَ وَيُحِبَّ ٱلْآخَرَ، أَوْ يُلَازِمَ ٱلْوَاحِدَ وَيَحْتَقِرَ ٱلْآخَرَ. لَا تَقْدِرُونَ أَنْ تَخْدِمُوا ٱللهَ وَٱلْمَالَ. ٢٤ 24
कोई आदमी दो मालिकों की ख़िदमत नहीं कर सकता; क्यूँकि या तो एक से दुश्मनी रख्खे और दूसरे से मुहब्बत या एक से मिला रहेगा और दूसरे को नाचीज़ जानेगा; तुम ख़ुदा और दौलत दोनों की ख़िदमत नहीं कर सकते।
«لِذَلِكَ أَقُولُ لَكُمْ: لَا تَهْتَمُّوا لِحَيَاتِكُمْ بِمَا تَأْكُلُونَ وَبِمَا تَشْرَبُونَ، وَلَا لِأَجْسَادِكُمْ بِمَا تَلْبَسُونَ. أَلَيْسَتِ ٱلْحَيَاةُ أَفْضَلَ مِنَ ٱلطَّعَامِ، وَٱلْجَسَدُ أَفْضَلَ مِنَ ٱللِّبَاسِ؟ ٢٥ 25
इसलिए मैं तुम से कहता हूँ; कि अपनी जान की फ़िक्र न करना कि हम क्या खाएँगे या क्या पीएँगे, और न अपने बदन की कि क्या पहनेंगे; क्या जान ख़ूराक से और बदन पोशाक से बढ़ कर नहीं।
اُنْظُرُوا إِلَى طُيُورِ ٱلسَّمَاءِ: إِنَّهَا لَا تَزْرَعُ وَلَا تَحْصُدُ وَلَا تَجْمَعُ إِلَى مَخَازِنَ، وَأَبُوكُمُ ٱلسَّمَاوِيُّ يَقُوتُهَا. أَلَسْتُمْ أَنْتُمْ بِٱلْحَرِيِّ أَفْضَلَ مِنْهَا؟ ٢٦ 26
हवा के परिन्दों को देखो कि न बोते हैं न काटते न कोठियाँ में जमा करते हैं; तोभी तुम्हारा आसमानी बाप उनको खिलाता है क्या तुम उस से ज़्यादा क़द्र नहीं रखते?
وَمَنْ مِنْكُمْ إِذَا ٱهْتَمَّ يَقْدِرُ أَنْ يَزِيدَ عَلَى قَامَتِهِ ذِرَاعًا وَاحِدَةً؟ ٢٧ 27
तुम में से ऐसा कौन है जो फ़िक्र करके अपनी उम्र एक घड़ी भी बढ़ा सके?
وَلِمَاذَا تَهْتَمُّونَ بِٱللِّبَاسِ؟ تَأَمَّلُوا زَنَابِقَ ٱلْحَقْلِ كَيْفَ تَنْمُو! لَا تَتْعَبُ وَلَا تَغْزِلُ. ٢٨ 28
और पोशाक के लिए क्यूँ फ़िक्र करते हो; जंगली सोसन के दरख़्तों को ग़ौर से देखो कि वो किस तरह बढ़ते हैं; वो न मेहनत करते हैं न कातते हैं।
وَلَكِنْ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ وَلَا سُلَيْمَانُ فِي كُلِّ مَجْدِهِ كَانَ يَلْبَسُ كَوَاحِدَةٍ مِنْهَا. ٢٩ 29
तोभी मैं तुम से कहता हूँ; कि सुलैमान भी बावजूद अपनी सारी शानो शौकत के उन में से किसी की तरह कपड़े पहने न था।
فَإِنْ كَانَ عُشْبُ ٱلْحَقْلِ ٱلَّذِي يُوجَدُ ٱلْيَوْمَ وَيُطْرَحُ غَدًا فِي ٱلتَّنُّورِ، يُلْبِسُهُ ٱللهُ هَكَذَا، أَفَلَيْسَ بِٱلْحَرِيِّ جِدًّا يُلْبِسُكُمْ أَنْتُمْ ياقَلِيلِي ٱلْإِيمَانِ؟ ٣٠ 30
पस जब ख़ुदा मैदान की घास को जो आज है और कल तंदूर में झोंकी जाएगी; ऐसी पोशाक पहनाता है, तो ऐ कम ईमान वालो “तुम को क्यूँ न पहनाएगा?
فَلَا تَهْتَمُّوا قَائِلِينَ: مَاذَا نَأْكُلُ؟ أَوْ مَاذَا نَشْرَبُ؟ أَوْ مَاذَا نَلْبَسُ؟ ٣١ 31
“इस लिए फ़िक्रमन्द होकर ये न कहो, हम क्या खाएँगे? या क्या पिएँगे? या क्या पहनेंगे?”
فَإِنَّ هَذِهِ كُلَّهَا تَطْلُبُهَا ٱلْأُمَمُ. لِأَنَّ أَبَاكُمُ ٱلسَّمَاوِيَّ يَعْلَمُ أَنَّكُمْ تَحْتَاجُونَ إِلَى هَذِهِ كُلِّهَا. ٣٢ 32
क्यूँकि इन सब चीज़ों की तलाश में ग़ैर क़ौमें रहती हैं; और तुम्हारा आसमानी बाप जानता है, कि तुम इन सब चीज़ों के मोहताज हो।
لَكِنِ ٱطْلُبُوا أَوَّلًا مَلَكُوتَ ٱللهِ وَبِرَّهُ، وَهَذِهِ كُلُّهَا تُزَادُ لَكُمْ. ٣٣ 33
बल्कि तुम पहले उसकी बादशाही और उसकी रास्बाज़ी की तलाश करो तो ये सब चीज़ें भी तुम को मिल जाएँगी।
فَلَا تَهْتَمُّوا لِلْغَدِ، لِأَنَّ ٱلْغَدَ يَهْتَمُّ بِمَا لِنَفْسِهِ. يَكْفِي ٱلْيَوْمَ شَرُّهُ. ٣٤ 34
पस कल के लिए फ़िक्र न करो क्यूँकि कल का दिन अपने लिए आप फ़िक्र कर लेगा; आज के लिए आज ही का दु: ख काफ़ी है।

< مَتَّى 6 >