< مَتَّى 27 >

وَلَمَّا كَانَ ٱلصَّبَاحُ تَشَاوَرَ جَمِيعُ رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَشُيُوخُ ٱلشَّعْبِ عَلَى يَسُوعَ حَتَّى يَقْتُلُوهُ، ١ 1
जब सुबह हुई तो सब सरदार काहिनों और क़ौम के बुज़ुर्गों ने ईसा के ख़िलाफ़ मशवरा किया कि उसे मार डालें।
فَأَوْثَقُوهُ وَمَضَوْا بِهِ وَدَفَعُوهُ إِلَى بِيلَاطُسَ ٱلْبُنْطِيِّ ٱلْوَالِي. ٢ 2
और उसे बाँध कर ले गए, और पीलातुस हाकिम के हवाले किया।
حِينَئِذٍ لَمَّا رَأَى يَهُوذَا ٱلَّذِي أَسْلَمَهُ أَنَّهُ قَدْ دِينَ، نَدِمَ وَرَدَّ ٱلثَّلَاثِينَ مِنَ ٱلْفِضَّةِ إِلَى رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلشُّيُوخِ ٣ 3
जब उसके पकड़वाने वाले यहूदाह ने ये देखा, कि वो मुजरिम ठहराया गया, तो अफ़्सोस किया और वो तीस रुपऐ सरदार काहिन और बुज़ुर्गों के पास वापस लाकर कहा।
قَائِلًا: «قَدْ أَخْطَأْتُ إِذْ سَلَّمْتُ دَمًا بَرِيئًا». فَقَالُوا: «مَاذَا عَلَيْنَا؟ أَنْتَ أَبْصِرْ!». ٤ 4
“मैंने गुनाह किया, कि बेक़ुसूर को क़त्ल के लिए पकड़वाया।” उन्हों ने कहा “हमें क्या! तू जान।”
فَطَرَحَ ٱلْفِضَّةَ فِي ٱلْهَيْكَلِ وَٱنْصَرَفَ، ثُمَّ مَضَى وَخَنَقَ نَفْسَهُ. ٥ 5
वो रुपऐऊँ को मक़दिस में फेंक कर चला गया। और जाकर अपने आपको फाँसी दी।
فَأَخَذَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ ٱلْفِضَّةَ وَقَالُوا: «لَا يَحِلُّ أَنْ نُلْقِيَهَا فِي ٱلْخِزَانَةِ لِأَنَّهَا ثَمَنُ دَمٍ». ٦ 6
सरदार काहिन ने रुपऐ लेकर कहा “इनको हैकल के ख़ज़ाने में डालना जायज़ नहीं; क्यूँकि ये ख़ून की क़ीमत है।”
فَتَشَاوَرُوا وَٱشْتَرَوْا بِهَا حَقْلَ ٱلْفَخَّارِيِّ مَقْبَرَةً لِلْغُرَبَاءِ. ٧ 7
पस उन्होंने मशवरा करके उन रुपऐऊँ से कुम्हार का खेत परदेसियों के दफ़्न करने के लिए ख़रीदा।
لِهَذَا سُمِّيَ ذَلِكَ ٱلْحَقْلُ «حَقْلَ ٱلدَّمِ» إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٨ 8
इस वजह से वो खेत आज तक ख़ून का खेत कहलाता है।
حِينَئِذٍ تَمَّ مَا قِيلَ بِإِرْمِيَا ٱلنَّبِيِّ ٱلْقَائِلِ: «وَأَخَذُوا ٱلثَّلَاثِينَ مِنَ ٱلْفِضَّةِ، ثَمَنَ ٱلْمُثَمَّنِ ٱلَّذِي ثَمَّنُوهُ مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ، ٩ 9
उस वक़्त वो पूरा हुआ जो यरमियाह नबी के ज़रिए कहा गया था कि जिसकी क़ीमत ठहराई गई थी, “उन्होंने उसकी क़ीमत के वो तीस रुपऐ ले लिए, (उसकी क़ीमत कुछ बनी इस्राईल ने ठहराई थी)
وَأَعْطَوْهَا عَنْ حَقْلِ ٱلْفَخَّارِيِّ، كَمَا أَمَرَنِي ٱلرَّبُّ». ١٠ 10
और उसको कुम्हार के खेत के लिए दिया, जैसा ख़ुदावन्द ने मुझे हुक्म दिया।”
فَوَقَفَ يَسُوعُ أَمَامَ ٱلْوَالِي. فَسَأَلَهُ ٱلْوَالِي قَائِلًا: «أَأَنْتَ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ؟». فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «أَنْتَ تَقُولُ». ١١ 11
ईसा हाकिम के सामने खड़ा था, और हाकिम ने उससे पूछा, क्या तू यहूदियों का बादशाह है? ईसा ने उस से कहा, “तू ख़ुद कहता है।”
وَبَيْنَمَا كَانَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلشُّيُوخُ يَشْتَكُونَ عَلَيْهِ لَمْ يُجِبْ بِشَيْءٍ. ١٢ 12
जब सरदार काहिन और बुज़ुर्ग उस पर इल्ज़ाम लगा रहे थे, उसने कुछ जवाब न दिया।
فَقَالَ لَهُ بِيلَاطُسُ: «أَمَا تَسْمَعُ كَمْ يَشْهَدُونَ عَلَيْكَ؟». ١٣ 13
इस पर पीलातुस ने उस से कहा “क्या तू नहीं सुनता, ये तेरे ख़िलाफ़ कितनी गवाहियाँ देते हैं?”
فَلَمْ يُجِبْهُ وَلَا عَنْ كَلِمَةٍ وَاحِدَةٍ، حَتَّى تَعَجَّبَ ٱلْوَالِي جِدًّا. ١٤ 14
उसने एक बात का भी उसको जवाब न दिया, यहाँ तक कि हाकिम ने बहुत ता'ज्जुब किया।
وَكَانَ ٱلْوَالِي مُعْتَادًا فِي ٱلْعِيدِ أَنْ يُطْلِقَ لِلْجَمْعِ أَسِيرًا وَاحِدًا، مَنْ أَرَادُوهُ. ١٥ 15
और हाकिम का दस्तूर था, कि ईद पर लोगों की ख़ातिर एक क़ैदी जिसे वो चाहते थे छोड़ देता था।
وَكَانَ لَهُمْ حِينَئِذٍ أَسِيرٌ مَشْهُورٌ يُسَمَّى بَارَابَاسَ. ١٦ 16
उस वक़्त बरअब्बा नाम उन का एक मशहूर क़ैदी था।
فَفِيمَا هُمْ مُجْتَمِعُونَ قَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «مَنْ تُرِيدُونَ أَنْ أُطْلِقَ لَكُمْ؟ بَارَابَاسَ أَمْ يَسُوعَ ٱلَّذِي يُدْعَى ٱلْمَسِيحَ؟». ١٧ 17
पस जब वो इकटठे हुए तो पीलातुस ने उस से कहा, “तुम किसे चाहते हो कि तुम्हारी ख़ातिर छोड़ दूँ? बरअब्बा को या ईसा को जो मसीह कहलाता है?”
لِأَنَّهُ عَلِمَ أَنَّهُمْ أَسْلَمُوهُ حَسَدًا. ١٨ 18
क्यूँकि उसे मा'लूम था, कि उन्होंने उसको जलन से पकड़वाया है।
وَإِذْ كَانَ جَالِسًا عَلَى كُرْسِيِّ ٱلْوِلَايَةِ أَرْسَلَتْ إِلَيْهِ ٱمْرَأَتُهُ قَائِلَةً: «إِيَّاكَ وَذَلِكَ ٱلْبَارَّ، لِأَنِّي تَأَلَّمْتُ ٱلْيَوْمَ كَثِيرًا فِي حُلْمٍ مِنْ أَجْلِهِ». ١٩ 19
और जब वो तख़्त — ए आदालत पर बैठा था तो उस की बीवी ने उसे कहला भेजा “तू इस रास्तबाज़ से कुछ काम न रख क्यूँकि मैंने आज ख़्वाब में इस की वजह से बहुत दु: ख उठाया है।”
وَلَكِنَّ رُؤَسَاءَ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلشُّيُوخَ حَرَّضُوا ٱلْجُمُوعَ عَلَى أَنْ يَطْلُبُوا بَارَابَاسَ وَيُهْلِكُوا يَسُوعَ. ٢٠ 20
लेकिन सरदार काहिनों और बुज़ुर्गों ने लोगों को उभारा कि बरअब्बा को माँग लें, और ईसा को हलाक कराएँ।
فَأجَابَ ٱلْوَالِي وَقَالَ لَهُمْ: «مَنْ مِنْ ٱلِٱثْنَيْنِ تُرِيدُونَ أَنْ أُطْلِقَ لَكُمْ؟». فَقَالُوا: «بَارَابَاسَ!». ٢١ 21
हाकिम ने उनसे कहा इन दोनों में से किसको चाहते हो कि तुम्हारी ख़ातिर छोड़ दूँ? उन्होंने कहा “बरअब्बा को।”
قَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «فَمَاذَا أَفْعَلُ بِيَسُوعَ ٱلَّذِي يُدْعَى ٱلْمَسِيحَ؟». قَالَ لَهُ ٱلْجَمِيعُ: «لِيُصْلَبْ!». ٢٢ 22
पीलातुस ने उनसे कहा “फिर ईसा को जो मसीह कहलाता है क्या करूँ?” सब ने कहा “वो मस्लूब हो।”
فَقَالَ ٱلْوَالِي: «وَأَيَّ شَرٍّ عَمِلَ؟». فَكَانُوا يَزْدَادُونَ صُرَاخًا قَائِلِينَ: «لِيُصْلَبْ!». ٢٣ 23
उसने कहा “क्यूँ? उस ने क्या बुराई की है?” मगर वो और भी चिल्ला — चिल्ला कर कहने लगे “वो मस्लूब हो!”
فَلَمَّا رَأَى بِيلَاطُسُ أَنَّهُ لَا يَنْفَعُ شَيْئًا، بَلْ بِٱلْحَرِيِّ يَحْدُثُ شَغَبٌ، أَخَذَ مَاءً وَغَسَلَ يَدَيْهِ قُدَّامَ ٱلْجَمْعِ قَائِلًا: «إِنِّي بَرِيءٌ مِنْ دَمِ هَذَا ٱلْبَارِّ! أَبْصِرُوا أَنْتُمْ!». ٢٤ 24
जब पीलातुस ने देखा कि कुछ बन नहीं पड़ता बल्कि उल्टा बलवा होता जाता है तो पानी लेकर लोगों के रूबरू अपने हाथ धोए “और कहा, मैं इस रास्तबाज़ के ख़ून से बरी हूँ; तुम जानो।”
فَأَجَابَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ وَقَالُوا: «دَمُهُ عَلَيْنَا وَعَلَى أَوْلَادِنَا». ٢٥ 25
सब लोगों ने जवाब में कहा “इसका ख़ून हमारी और हमारी औलाद की गर्दन पर।”
حِينَئِذٍ أَطْلَقَ لَهُمْ بَارَابَاسَ، وَأَمَّا يَسُوعُ فَجَلَدَهُ وَأَسْلَمَهُ لِيُصْلَبَ. ٢٦ 26
इस पर उस ने बरअब्बा को उनकी ख़ातिर छोड़ दिया, और ईसा को कोड़े लगवा कर हवाले किया कि मस्लूब हो।
فَأَخَذَ عَسْكَرُ ٱلْوَالِي يَسُوعَ إِلَى دَارِ ٱلْوِلَايَةِ وَجَمَعُوا عَلَيْهِ كُلَّ ٱلْكَتِيبَةِ، ٢٧ 27
इस पर हाकिम के सिपाहियों ने ईसा को क़िले में ले जाकर सारी पलटन उसके आस पास जमा की।
فَعَرَّوْهُ وَأَلْبَسُوهُ رِدَاءً قِرْمِزِيًّا، ٢٨ 28
और उसके कपड़े उतार कर उसे क़िरमिज़ी चोग़ा पहनाया।
وَضَفَرُوا إِكْلِيلًا مِنْ شَوْكٍ وَوَضَعُوهُ عَلَى رَأْسِهِ، وَقَصَبَةً فِي يَمِينِهِ. وَكَانُوا يَجْثُونَ قُدَّامَهُ وَيَسْتَهْزِئُونَ بِهِ قَائِلِينَ: «ٱلسَّلَامُ يا مَلِكَ ٱلْيَهُودِ!». ٢٩ 29
और काँटों का ताज बना कर उसके सिर पर रख्खा, और एक सरकंडा उस के दहने हाथ में दिया और उसके आगे घुटने टेक कर उसे ठठ्ठों में उड़ाने लगे; “ऐ यहूदियों के बादशाह, आदाब!”
وَبَصَقُوا عَلَيْهِ، وَأَخَذُوا ٱلْقَصَبَةَ وَضَرَبُوهُ عَلَى رَأْسِهِ. ٣٠ 30
और उस पर थूका, और वही सरकंडा लेकर उसके सिर पर मारने लगे।
وَبَعْدَ مَا ٱسْتَهْزَأُوا بِهِ، نَزَعُوا عَنْهُ ٱلرِّدَاءَ وَأَلْبَسُوهُ ثِيَابَهُ، وَمَضَوْا بِهِ لِلصَّلْبِ. ٣١ 31
और जब उसका ठठ्ठा कर चुके तो चोग़े को उस पर से उतार कर फिर उसी के कपड़े उसे पहनाए; और मस्लूब करने को ले गए।
وَفِيمَا هُمْ خَارِجُونَ وَجَدُوا إِنْسَانًا قَيْرَوَانِيًّا ٱسْمُهُ سِمْعَانُ، فَسَخَّرُوهُ لِيَحْمِلَ صَلِيبَهُ. ٣٢ 32
जब बाहर आए तो उन्होंने शमौन नाम एक कुरेनी आदमी को पाकर उसे बेग़ार में पकड़ा, कि उसकी सलीब उठाए।
وَلَمَّا أَتَوْا إِلَى مَوْضِعٍ يُقَالُ لَهُ جُلْجُثَةُ، وَهُوَ ٱلْمُسَمَّى «مَوْضِعَ ٱلْجُمْجُمَةِ» ٣٣ 33
और उस जगह जो गुल्गुता या'नी खोपड़ी की जगह कहलाती है पहुँचकर।
أَعْطَوْهُ خَلًّا مَمْزُوجًا بِمَرَارَةٍ لِيَشْرَبَ. وَلَمَّا ذَاقَ لَمْ يُرِدْ أَنْ يَشْرَبَ. ٣٤ 34
पित मिली हुई मय उसे पीने को दी, मगर उसने चख कर पीना न चाहा।
وَلَمَّا صَلَبُوهُ ٱقْتَسَمُوا ثِيَابَهُ مُقْتَرِعِينَ عَلَيْهَا، لِكَيْ يَتِمَّ مَا قِيلَ بِٱلنَّبِيِّ: «ٱقْتَسَمُوا ثِيَابِي بَيْنَهُمْ، وَعَلَى لِبَاسِي أَلْقَوْا قُرْعَةً». ٣٥ 35
और उन्होंने उसे मस्लूब किया; और उसके कपड़े पर्ची डाल कर बाँट लिए।
ثُمَّ جَلَسُوا يَحْرُسُونَهُ هُنَاكَ. ٣٦ 36
और वहाँ बैठ कर उसकी निगहबानी करने लगे।
وَجَعَلُوا فَوْقَ رَأْسِهِ عِلَّتَهُ مَكْتُوبَةً: «هَذَا هُوَ يَسُوعُ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ». ٣٧ 37
और उस का इल्ज़ाम लिख कर उसके सिर से ऊपर लगा दिया “कि ये यहूदियों का बादशाह ईसा है।”
حِينَئِذٍ صُلِبَ مَعَهُ لِصَّانِ، وَاحِدٌ عَنِ ٱلْيَمِينِ وَوَاحِدٌ عَنِ ٱلْيَسَارِ. ٣٨ 38
उस वक़्त उसके साथ दो डाकू मस्लूब हुए, एक दहने और एक बाएँ।
وَكَانَ ٱلْمُجْتَازُونَ يُجَدِّفُونَ عَلَيْهِ وَهُمْ يَهُزُّونَ رُؤُوسَهُمْ ٣٩ 39
और राह चलने वाले सिर हिला — हिला कर उसको ला'न ता'न करते और कहते थे।
قَائِلِينَ: «يَا نَاقِضَ ٱلْهَيْكَلِ وَبَانِيَهُ فِي ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ، خَلِّصْ نَفْسَكَ! إِنْ كُنْتَ ٱبْنَ ٱللهِ فَٱنْزِلْ عَنِ ٱلصَّلِيبِ!». ٤٠ 40
“ऐ मक़दिस के ढानेवाले और तीन दिन में बनाने वाले अपने आप को बचा; अगर तू ख़ुदा का बेटा है तो सलीब पर से उतर आ।”
وَكَذَلِكَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ أَيْضًا وَهُمْ يَسْتَهْزِئُونَ مَعَ ٱلْكَتَبَةِ وَٱلشُّيُوخِ قَالُوا: ٤١ 41
इसी तरह सरदार काहिन भी फ़क़ीहों और बुज़ुर्गों के साथ मिलकर ठठ्ठे से कहते थे,
«خَلَّصَ آخَرِينَ وَأَمَّا نَفْسُهُ فَمَا يَقْدِرُ أَنْ يُخَلِّصَهَا! إِنْ كَانَ هُوَ مَلِكَ إِسْرَائِيلَ فَلْيَنْزِلِ ٱلْآنَ عَنِ ٱلصَّلِيبِ فَنُؤْمِنَ بِهِ! ٤٢ 42
“इसने औरों को बचाया, अपने आप को नहीं बचा सकता, ये तो इस्राईल का बादशाह है; अब सलीब पर से उतर आए, तो हम इस पर ईमान लाएँ।
قَدِ ٱتَّكَلَ عَلَى ٱللهِ، فَلْيُنْقِذْهُ ٱلْآنَ إِنْ أَرَادَهُ! لِأَنَّهُ قَالَ: أَنَا ٱبْنُ ٱللهِ!». ٤٣ 43
इस ने ख़ुदा पर भरोसा किया है, अगरचे इसे चाहता है तो अब इस को छुड़ा ले, क्यूँकि इस ने कहा था, मैं ख़ुदा का बेटा हूँ।”
وَبِذَلِكَ أَيْضًا كَانَ ٱللِّصَّانِ ٱللَّذَانِ صُلِبَا مَعَهُ يُعَيِّرَانِهِ. ٤٤ 44
इसी तरह डाकू भी जो उसके साथ मस्लूब हुए थे, उस पर ला'न ता'न करते थे।
وَمِنَ ٱلسَّاعَةِ ٱلسَّادِسَةِ كَانَتْ ظُلْمَةٌ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ إِلَى ٱلسَّاعَةِ ٱلتَّاسِعَةِ. ٤٥ 45
और दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक तमाम मुल्क में अन्धेरा छाया रहा।
وَنَحْوَ ٱلسَّاعَةِ ٱلتَّاسِعَةِ صَرَخَ يَسُوعُ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ قَائِلًا: «إِيلِي، إِيلِي، لَمَا شَبَقْتَنِي؟» أَيْ: إِلَهِي، إِلَهِي، لِمَاذَا تَرَكْتَنِي؟ ٤٦ 46
और तीसरे पहर के क़रीब ईसा ने बड़ी आवाज़ से चिल्ला कर कहा “एली, एली, लमा शबक़तनी ऐ मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे ख़ुदा, तू ने मुझे क्यूँ छोड़ दिया?”
فَقَوْمٌ مِنَ ٱلْوَاقِفِينَ هُنَاكَ لَمَّا سَمِعُوا قَالُوا: «إِنَّهُ يُنَادِي إِيلِيَّا». ٤٧ 47
जो वहाँ खड़े थे उन में से कुछ ने सुन कर कहा “ये एलियाह को पुकारता है।”
وَلِلْوَقْتِ رَكَضَ وَاحِدٌ مِنْهُمْ وَأَخَذَ إِسْفِنْجَةً وَمَلَأَهَا خَلًّا وَجَعَلَهَا عَلَى قَصَبَةٍ وَسَقَاهُ. ٤٨ 48
और फ़ौरन उनमें से एक शख़्स दौड़ा और सोख़ते को लेकर सिरके में डुबोया और सरकंडे पर रख कर उसे चुसाया।
وَأَمَّا ٱلْبَاقُونَ فَقَالُوا: «ٱتْرُكْ. لِنَرَى هَلْ يَأْتِي إِيلِيَّا يُخَلِّصُهُ!». ٤٩ 49
मगर बाक़ियों ने कहा, “ठहर जाओ, देखें तो एलियाह उसे बचाने आता है या नहीं।”
فَصَرَخَ يَسُوعُ أَيْضًا بِصَوْتٍ عَظِيمٍ، وَأَسْلَمَ ٱلرُّوحَ. ٥٠ 50
ईसा ने फिर बड़ी आवाज़ से चिल्ला कर जान दे दी।
وَإِذَا حِجَابُ ٱلْهَيْكَلِ قَدِ ٱنْشَقَّ إِلَى ٱثْنَيْنِ، مِنْ فَوْقُ إِلَى أَسْفَلُ. وَٱلْأَرْضُ تَزَلْزَلَتْ، وَٱلصُّخُورُ تَشَقَّقَتْ، ٥١ 51
और मक़दिस का पर्दा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया, और ज़मीन लरज़ी और चट्टानें तड़क गईं।
وَٱلْقُبُورُ تَفَتَّحَتْ، وَقَامَ كَثِيرٌ مِنْ أَجْسَادِ ٱلْقِدِّيسِينَ ٱلرَّاقِدِينَ ٥٢ 52
और क़ब्रें खुल गईं। और बहुत से जिस्म उन मुक़द्दसों के जो सो गए थे, जी उठे।
وَخَرَجُوا مِنَ ٱلْقُبُورِ بَعْدَ قِيَامَتِهِ، وَدَخَلُوا ٱلْمَدِينَةَ ٱلْمُقَدَّسَةَ، وَظَهَرُوا لِكَثِيرِينَ. ٥٣ 53
और उसके जी उठने के बाद क़ब्रों से निकल कर मुक़द्दस शहर में गए, और बहुतों को दिखाई दिए।
وَأَمَّا قَائِدُ ٱلْمِئَةِ وَٱلَّذِينَ مَعَهُ يَحْرُسُونَ يَسُوعَ فَلَمَّا رَأَوْا ٱلزَّلْزَلَةَ وَمَا كَانَ، خَافُوا جِدًّا وَقَالُوا: «حَقًّا كَانَ هَذَا ٱبْنَ ٱللهِ!». ٥٤ 54
पस सुबेदार और जो उस के साथ ईसा की निगहबानी करते थे, भुन्चाल और तमाम माजरा देख कर बहुत ही डर कर कहने लगे “बै — शक ये ख़ुदा का बेटा था।”
وَكَانَتْ هُنَاكَ نِسَاءٌ كَثِيرَاتٌ يَنْظُرْنَ مِنْ بَعِيدٍ، وَهُنَّ كُنَّ قَدْ تَبِعْنَ يَسُوعَ مِنَ ٱلْجَلِيلِ يَخْدِمْنَهُ، ٥٥ 55
और वहाँ बहुत सी औरतें जो गलील से ईसा की ख़िदमत करती हुई उसके पीछे — पीछे आई थी, दूर से देख रही थीं।
وَبَيْنَهُنَّ مَرْيَمُ ٱلْمَجْدَلِيَّةُ، وَمَرْيَمُ أُمُّ يَعْقُوبَ وَيُوسِي، وَأُمُّ ٱبْنَيْ زَبْدِي. ٥٦ 56
उन में मरियम मग़दलिनी थी, और या'क़ूब और योसेस की माँ मरियम और ज़ब्दी के बेटों की माँ।
وَلَمَّا كَانَ ٱلْمَسَاءُ، جَاءَ رَجُلٌ غَنِيٌّ مِنَ ٱلرَّامَةِ ٱسْمُهُ يُوسُفُ، وَكَانَ هُوَ أَيْضًا تِلْمِيذًا لِيَسُوعَ. ٥٧ 57
जब शाम हुई तो यूसुफ़ नाम अरिमतियाह का एक दौलतमन्द आदमी आया जो ख़ुद भी ईसा का शागिर्द था।
فَهَذَا تَقَدَّمَ إِلَى بِيلَاطُسَ وَطَلَبَ جَسَدَ يَسُوعَ. فَأَمَرَ بِيلَاطُسُ حِينَئِذٍ أَنْ يُعْطَى ٱلْجَسَدُ. ٥٨ 58
उस ने पीलातुस के पास जा कर ईसा की लाश माँगी, इस पर पीलातुस ने दे देने का हुक्म दे दिया।
فَأَخَذَ يُوسُفُ ٱلْجَسَدَ وَلَفَّهُ بِكَتَّانٍ نَقِيٍّ، ٥٩ 59
यूसुफ़ ने लाश को लेकर साफ़ महीन चादर में लपेटा।
وَوَضَعَهُ فِي قَبْرِهِ ٱلْجَدِيدِ ٱلَّذِي كَانَ قَدْ نَحَتَهُ فِي ٱلصَّخْرَةِ، ثُمَّ دَحْرَجَ حَجَرًا كَبِيرًا عَلَى بَابِ ٱلْقَبْرِ وَمَضَى. ٦٠ 60
और अपनी नई क़ब्र में जो उस ने चट्टान में खुदवाई थी रख्खा, फिर वो एक बड़ा पत्थर क़ब्र के मुँह पर लुढ़का कर चला गया।
وَكَانَتْ هُنَاكَ مَرْيَمُ ٱلْمَجْدَلِيَّةُ وَمَرْيَمُ ٱلْأُخْرَى جَالِسَتَيْنِ تُجَاهَ ٱلْقَبْرِ. ٦١ 61
और मरियम मग़दलिनी और दूसरी मरियम वहाँ क़ब्र के सामने बैठी थीं।
وَفِي ٱلْغَدِ ٱلَّذِي بَعْدَ ٱلِٱسْتِعْدَادِ ٱجْتَمَعَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ إِلَى بِيلَاطُسَ ٦٢ 62
दूसरे दिन जो तैयारी के बाद का दिन था, सरदार काहिन और फ़रीसियों ने पीलातुस के पास जमा होकर कहा।
قَائِلِينَ: «يَا سَيِّدُ، قَدْ تَذَكَّرْنَا أَنَّ ذَلِكَ ٱلْمُضِلَّ قَالَ وَهُوَ حَيٌّ: إِنِّي بَعْدَ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ أَقُومُ. ٦٣ 63
ख़ुदावन्द हमें याद है “कि उस धोखेबाज़ ने जीते जी कहा था, मैं तीन दिन के बाद जी उठूँगा।
فَمُرْ بِضَبْطِ ٱلْقَبْرِ إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ، لِئَلَّا يَأْتِيَ تَلَامِيذُهُ لَيْلًا وَيَسْرِقُوهُ، وَيَقُولُوا لِلشَّعْبِ: إِنَّهُ قَامَ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ، فَتَكُونَ ٱلضَّلَالَةُ ٱلْأَخِيرَةُ أَشَرَّ مِنَ ٱلْأُولَى!». ٦٤ 64
पस हुक्म दे कि तीसरे दिन तक क़ब्र की निगहबानी की जाए, कहीं ऐसा न हो कि उसके शागिर्द आकर उसे चुरा ले जाएँ, और लोगों से कह दें, वो मुर्दों में से जी उठा, और ये पिछला धोखा पहले से भी बुरा हो।”
فَقَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «عِنْدَكُمْ حُرَّاسٌ. اِذْهَبُوا وَٱضْبُطُوهُ كَمَا تَعْلَمُونَ». ٦٥ 65
पीलातुस ने उनसे कहा “तुम्हारे पास पहरे वाले हैं जाओ, जहाँ तक तुम से हो सके उसकी निगहबानी करो।”
فَمَضَوْا وَضَبَطُوا ٱلْقَبْرَ بِٱلْحُرَّاسِ وَخَتَمُوا ٱلْحَجَرَ. ٦٦ 66
पस वो पहरेदारों को साथ लेकर गए, और पत्थर पर मुहर करके क़ब्र की निगहबानी की।

< مَتَّى 27 >