< مَتَّى 24 >

ثُمَّ خَرَجَ يَسُوعُ وَمَضَى مِنَ ٱلْهَيْكَلِ، فَتَقَدَّمَ تَلَامِيذُهُ لِكَيْ يُرُوهُ أَبْنِيَةَ ٱلْهَيْكَلِ. ١ 1
और ईसा हैकल से निकल कर जा रहा था, कि उसके शागिर्द उसके पास आए, ताकि उसे हैकल की इमारतें दिखाएँ।
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «أَمَا تَنْظُرُونَ جَمِيعَ هَذِهِ؟ اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ لَا يُتْرَكُ هَهُنَا حَجَرٌ عَلَى حَجَرٍ لَا يُنْقَضُ!». ٢ 2
उसने जवाब में उनसे कहा, “क्या तुम इन सब चीज़ों को नहीं देखते? मैं तुम से सच कहता हूँ, कि यहाँ किसी पत्थर पर पत्थर बाक़ी न रहेगा; जो गिराया न जाएगा।”
وَفِيمَا هُوَ جَالِسٌ عَلَى جَبَلِ ٱلزَّيْتُونِ، تَقَدَّمَ إِلَيْهِ ٱلتَّلَامِيذُ عَلَى ٱنْفِرَادٍ قَائِلِينَ: «قُلْ لَنَا مَتَى يَكُونُ هَذَا؟ وَمَا هِيَ عَلَامَةُ مَجِيئِكَ وَٱنْقِضَاءِ ٱلدَّهْرِ؟». (aiōn g165) ٣ 3
जब वो ज़ैतून के पहाड़ पर बैठा था, उसके शागिर्दों ने अलग उसके पास आकर कहा, “हम को बता ये बातें कब होंगी? और तेरे आने और दुनिया के आख़िर होने का निशान क्या होगा?” (aiōn g165)
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «ٱنْظُرُوا! لَا يُضِلَّكُمْ أَحَدٌ. ٤ 4
ईसा' ने जवाब में उनसे कहा, “ख़बरदार! कोई तुम को गुमराह न कर दे,
فَإِنَّ كَثِيرِينَ سَيَأْتُونَ بِٱسْمِي قَائِلِينَ: أَنَا هُوَ ٱلْمَسِيحُ! وَيُضِلُّونَ كَثِيرِينَ. ٥ 5
क्यूँकि बहुत से मेरे नाम से आएँगे और कहेंगे, ‘मैं मसीह हूँ।’ और बहुत से लोगों को गुमराह करेंगे।
وَسَوْفَ تَسْمَعُونَ بِحُرُوبٍ وَأَخْبَارِ حُرُوبٍ. اُنْظُرُوا، لَا تَرْتَاعُوا. لِأَنَّهُ لَا بُدَّ أَنْ تَكُونَ هَذِهِ كُلُّهَا، وَلَكِنْ لَيْسَ ٱلْمُنْتَهَى بَعْدُ. ٦ 6
और तुम लड़ाइयाँ और लड़ाइयों की अफ़वाह सुनोगे, ख़बरदार, घबरा न जाना, क्यूँकि इन बातों का वाक़े होना ज़रूर है।
لِأَنَّهُ تَقُومُ أُمَّةٌ عَلَى أُمَّةٍ وَمَمْلَكَةٌ عَلَى مَمْلَكَةٍ، وَتَكُونُ مَجَاعَاتٌ وَأَوْبِئَةٌ وَزَلَازِلُ فِي أَمَاكِنَ. ٧ 7
क्यूँकि क़ौम पर क़ौम और सल्तनत पर सल्तनत चढ़ाई करेगी, और जगह — जगह काल पड़ेंगे, और भुन्चाल आएँगे।
وَلَكِنَّ هَذِهِ كُلَّهَا مُبْتَدَأُ ٱلْأَوْجَاعِ. ٨ 8
लेकिन ये सब बातें मुसीबतों का शुरू ही होंगी।
حِينَئِذٍ يُسَلِّمُونَكُمْ إِلَى ضِيقٍ وَيَقْتُلُونَكُمْ، وَتَكُونُونَ مُبْغَضِينَ مِنْ جَمِيعِ ٱلْأُمَمِ لِأَجْلِ ٱسْمِي. ٩ 9
उस वक़्त लोग तुम को तकलीफ़ देने के लिए पकड़वाएँगे, और तुम को क़त्ल करेंगे; और मेरे नाम की ख़ातिर सब क़ौमें तुम से दुश्मनी रख्खेंगी।
وَحِينَئِذٍ يَعْثُرُ كَثِيرُونَ وَيُسَلِّمُونَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا وَيُبْغِضُونَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا. ١٠ 10
और उस वक़्त बहुत से ठोकर खाएँगे, और एक दूसरे को पकड़वाएँगे; और एक दूसरे से दुश्मनी रख्खेंगे।
وَيَقُومُ أَنْبِيَاءُ كَذَبَةٌ كَثِيرُونَ وَيُضِلُّونَ كَثِيرِينَ. ١١ 11
और बहुत से झूठे नबी उठ खड़े होंगे, और बहुतों को गुमराह करेंगे।
وَلِكَثْرَةِ ٱلْإِثْمِ تَبْرُدُ مَحَبَّةُ ٱلْكَثِيرِينَ. ١٢ 12
और बेदीनी के बढ़ जाने से बहुतेरों की मुहब्बत ठन्डी पड़ जाएगी।
وَلَكِنِ ٱلَّذِي يَصْبِرُ إِلَى ٱلْمُنْتَهَى فَهَذَا يَخْلُصُ. ١٣ 13
लेकिन जो आख़िर तक बर्दाश्त करेगा वो नजात पाएगा।
وَيُكْرَزُ بِبِشَارَةِ ٱلْمَلَكُوتِ هَذِهِ فِي كُلِّ ٱلْمَسْكُونَةِ شَهَادَةً لِجَمِيعِ ٱلْأُمَمِ. ثُمَّ يَأْتِي ٱلْمُنْتَهَى. ١٤ 14
और बादशाही की इस ख़ुशख़बरी का एलान तमाम दुनिया में होगा, ताकि सब क़ौमों के लिए गवाही हो, तब ख़ातिमा होगा।”
«فَمَتَى نَظَرْتُمْ «رِجْسَةَ ٱلْخَرَابِ» ٱلَّتِي قَالَ عَنْهَا دَانِيآلُ ٱلنَّبِيُّ قَائِمَةً فِي ٱلْمَكَانِ ٱلْمُقَدَّسِ - لِيَفْهَمِ ٱلْقَارِئُ - ١٥ 15
“पस जब तुम उस उजाड़ने वाली मकरूह चीज़ जिसका ज़िक्र दानीएल नबी की ज़रिए हुआ, मुक़द्दस मुक़ामों में खड़ा हुआ देखो (पढ़ने वाले समझ लें)
فَحِينَئِذٍ لِيَهْرُبِ ٱلَّذِينَ فِي ٱلْيَهُودِيَّةِ إِلَى ٱلْجِبَالِ، ١٦ 16
तो जो यहूदिया में हों वो पहाड़ों पर भाग जाएँ।
وَٱلَّذِي عَلَى ٱلسَّطْحِ فَلَا يَنْزِلْ لِيَأْخُذَ مِنْ بَيْتِهِ شَيْئًا، ١٧ 17
जो छत पर हो वो अपने घर का माल लेने को नीचे न उतरे।
وَٱلَّذِي فِي ٱلْحَقْلِ فَلَا يَرْجِعْ إِلَى وَرَائِهِ لِيَأْخُذَ ثِيَابَهُ. ١٨ 18
और जो खेत में हो वो अपना कपड़ा लेने को पीछे न लौटे।”
وَوَيْلٌ لِلْحَبَالَى وَٱلْمُرْضِعَاتِ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ! ١٩ 19
“मगर अफ़सोस उन पर जो उन दिनों में हामिला हों और जो दूध पिलाती हों।
وَصَلُّوا لِكَيْ لَا يَكُونَ هَرَبُكُمْ فِي شِتَاءٍ وَلَا فِي سَبْتٍ، ٢٠ 20
पस, दुआ करो कि तुम को जाड़ों में या सबत के दिन भागना न पड़े।
لِأَنَّهُ يَكُونُ حِينَئِذٍ ضِيقٌ عَظِيمٌ لَمْ يَكُنْ مِثْلُهُ مُنْذُ ٱبْتِدَاءِ ٱلْعَالَمِ إِلَى ٱلْآنَ وَلَنْ يَكُونَ. ٢١ 21
क्यूँकि उस वक़्त ऐसी बड़ी मुसीबत होगी कि दुनिया के शुरू से न अब तक हुई न कभी होगी।
وَلَوْ لَمْ تُقَصَّرْ تِلْكَ ٱلْأَيَّامُ لَمْ يَخْلُصْ جَسَدٌ. وَلَكِنْ لِأَجْلِ ٱلْمُخْتَارِينَ تُقَصَّرُ تِلْكَ ٱلْأَيَّامُ. ٢٢ 22
अगर वो दिन घटाए न जाते तो कोई बशर न बचता मगर चुने हुवों की ख़ातिर वो दिन घटाए जाएँगे।
حِينَئِذٍ إِنْ قَالَ لَكُمْ أَحَدٌ: هُوَذَا ٱلْمَسِيحُ هُنَا! أَوْ: هُنَاكَ! فَلَا تُصَدِّقُوا. ٢٣ 23
उस वक़्त अगर कोई तुम को कहे, देखो, मसीह ‘यहाँ है’ या ‘वह वहाँ है’ तो यक़ीन न करना।”
لِأَنَّهُ سَيَقُومُ مُسَحَاءُ كَذَبَةٌ وَأَنْبِيَاءُ كَذَبَةٌ وَيُعْطُونَ آيَاتٍ عَظِيمَةً وَعَجَائِبَ، حَتَّى يُضِلُّوا لَوْ أَمْكَنَ ٱلْمُخْتَارِينَ أَيْضًا. ٢٤ 24
“क्यूँकि झूठे मसीह और झूठे नबी उठ खड़े होंगे और ऐसे बड़े निशान और अजीब काम दिखाएँगे कि अगर मुम्किन हो तो बरगुज़ीदों को भी गुमराह कर लें।
هَا أَنَا قَدْ سَبَقْتُ وَأَخْبَرْتُكُمْ. ٢٥ 25
देखो, मैं ने पहले ही तुम को कह दिया है।
فَإِنْ قَالُوا لَكُمْ: هَا هُوَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ! فَلَا تَخْرُجُوا. هَا هُوَ فِي ٱلْمَخَادِعِ! فَلَا تُصَدِّقُوا. ٢٦ 26
पस अगर वो तुम से कहें, देखो, वो वीरानों में है तो बाहर न जाना। या देखो, कोठरियों में है तो यक़ीन न करना।”
لِأَنَّهُ كَمَا أَنَّ ٱلْبَرْقَ يَخْرُجُ مِنَ ٱلْمَشَارِقِ وَيَظْهَرُ إِلَى ٱلْمَغَارِبِ، هَكَذَا يَكُونُ أَيْضًا مَجِيءُ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ. ٢٧ 27
“क्यूँकि जैसे बिजली पूरब से कौंध कर पच्छिम तक दिखाई देती है वैसे ही इबने आदम का आना होगा।
لِأَنَّهُ حَيْثُمَا تَكُنِ ٱلْجُثَّةُ، فَهُنَاكَ تَجْتَمِعُ ٱلنُّسُورُ. ٢٨ 28
जहाँ मुर्दार है, वहाँ गिद्ध जमा हो जाएँगे।”
«وَلِلْوَقْتِ بَعْدَ ضِيقِ تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ تُظْلِمُ ٱلشَّمْسُ، وَٱلْقَمَرُ لَا يُعْطِي ضَوْءَهُ، وَٱلنُّجُومُ تَسْقُطُ مِنَ ٱلسَّمَاءِ، وَقُوَّاتُ ٱلسَّمَاوَاتِ تَتَزَعْزَعُ. ٢٩ 29
“फ़ौरन इन दिनों की मुसीबत के बाद सूरज तारीक हो जाएगा। और चाँद अपनी रौशनी न देगा, और सितारे आसमान से गिरेंगे और आस्मान की क़ुव्वतें हिलाई जाएँगी।
وَحِينَئِذٍ تَظْهَرُ عَلَامَةُ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ فِي ٱلسَّمَاءِ. وَحِينَئِذٍ تَنُوحُ جَمِيعُ قَبَائِلِ ٱلْأَرْضِ، وَيُبْصِرُونَ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ آتِيًا عَلَى سَحَابِ ٱلسَّمَاءِ بِقُوَّةٍ وَمَجْدٍ كَثِيرٍ. ٣٠ 30
और उस वक़्त इब्न — ए — आदम का निशान आस्मान पर दिखाई देगा। और उस वक़्त ज़मीन की सब क़ौमें छाती पीटेंगी; और इबने आदम को बड़ी क़ुदरत और जलाल के साथ आसमान के बादलों पर आते देखेंगी।
فَيُرْسِلُ مَلَائِكَتَهُ بِبُوقٍ عَظِيمِ ٱلصَّوْتِ، فَيَجْمَعُونَ مُخْتَارِيهِ مِنَ ٱلْأَرْبَعِ ٱلرِّيَاحِ، مِنْ أَقْصَاءِ ٱلسَّمَاوَاتِ إِلَى أَقْصَائِهَا. ٣١ 31
और वो नरसिंगे की बड़ी आवाज़ के साथ अपने फ़रिश्तों को भेजेगा और वो उसके चुने हुवों को चारों तरफ़ से आसमान के इस किनारे से उस किनारे तक जमा करेंगे।”
فَمِنْ شَجَرَةِ ٱلتِّينِ تَعَلَّمُوا ٱلْمَثَلَ: مَتَى صَارَ غُصْنُهَا رَخْصًا وَأَخْرَجَتْ أَوْرَاقَهَا، تَعْلَمُونَ أَنَّ ٱلصَّيْفَ قَرِيبٌ. ٣٢ 32
“अब अंजीर के दरख़्त से एक मिसाल सीखो, जैसे ही उसकी डाली नर्म होती और पत्ते निकलते हैं तुम जान लेते हो कि गर्मी नज़दीक है।
هَكَذَا أَنْتُمْ أَيْضًا، مَتَى رَأَيْتُمْ هَذَا كُلَّهُ فَٱعْلَمُوا أَنَّهُ قَرِيبٌ عَلَى ٱلْأَبْوَابِ. ٣٣ 33
इसी तरह जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वो नज़दीक बल्कि दरवाज़े पर है।
اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَا يَمْضِي هَذَا ٱلْجِيلُ حَتَّى يَكُونَ هَذَا كُلُّهُ. ٣٤ 34
मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक ये सब बातें न हो लें ये नस्ल हरगिज़ तमाम न होगी।
اَلسَّمَاءُ وَٱلْأَرْضُ تَزُولَانِ وَلَكِنَّ كَلَامِي لَا يَزُولُ. ٣٥ 35
आसमान और ज़मीन टल जाएँगी लेकिन मेरी बातें हरगिज़ न टलेंगी।”
«وَأَمَّا ذَلِكَ ٱلْيَوْمُ وَتِلْكَ ٱلسَّاعَةُ فَلَا يَعْلَمُ بِهِمَا أَحَدٌ، وَلَا مَلَائِكَةُ ٱلسَّمَاوَاتِ، إِلَّا أَبِي وَحْدَهُ. ٣٦ 36
“लेकिन उस दिन और उस वक़्त के बारे में कोई नहीं जानता, न आसमान के फ़रिश्ते न बेटा मगर, सिर्फ़ बाप।
وَكَمَا كَانَتْ أَيَّامُ نُوحٍ كَذَلِكَ يَكُونُ أَيْضًا مَجِيءُ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ. ٣٧ 37
जैसा नूह के दिनों में हुआ वैसा ही इबने आदम के आने के वक़्त होगा।
لِأَنَّهُ كَمَا كَانُوا فِي ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي قَبْلَ ٱلطُّوفَانِ يَأْكُلُونَ وَيَشْرَبُونَ وَيَتَزَوَّجُونَ وَيُزَوِّجُونَ، إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي دَخَلَ فِيهِ نُوحٌ ٱلْفُلْكَ، ٣٨ 38
क्यूँकि जिस तरह तूफ़ान से पहले के दिनों में लोग खाते पीते और ब्याह शादी करते थे, उस दिन तक कि नूह नाव में दाख़िल हुआ।
وَلَمْ يَعْلَمُوا حَتَّى جَاءَ ٱلطُّوفَانُ وَأَخَذَ ٱلْجَمِيعَ، كَذَلِكَ يَكُونُ أَيْضًا مَجِيءُ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ. ٣٩ 39
और जब तक तूफ़ान आकर उन सब को बहा न ले गया, उन को ख़बर न हुई, उसी तरह इबने आदम का आना होगा।
حِينَئِذٍ يَكُونُ ٱثْنَانِ فِي ٱلْحَقْلِ، يُؤْخَذُ ٱلْوَاحِدُ وَيُتْرَكُ ٱلْآخَرُ. ٤٠ 40
उस वक़्त दो आदमी खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा, और दूसरा छोड़ दिया जाएगा,
اِثْنَتَانِ تَطْحَنَانِ عَلَى ٱلرَّحَى، تُؤْخَذُ ٱلْوَاحِدَةُ وَتُتْرَكُ ٱلْأُخْرَى. ٤١ 41
दो औरतें चक्की पीसती होंगी, एक ले ली जाएगी और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
«اِسْهَرُوا إِذًا لِأَنَّكُمْ لَا تَعْلَمُونَ فِي أَيَّةِ سَاعَةٍ يَأْتِي رَبُّكُمْ. ٤٢ 42
पस जागते रहो, क्यूँकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा ख़ुदावन्द किस दिन आएगा
وَٱعْلَمُوا هَذَا: أَنَّهُ لَوْ عَرَفَ رَبُّ ٱلْبَيْتِ فِي أَيِّ هَزِيعٍ يَأْتِي ٱلسَّارِقُ، لَسَهِرَ وَلَمْ يَدَعْ بَيْتَهُ يُنْقَبُ. ٤٣ 43
लेकिन ये जान रख्खो, कि अगर घर के मालिक को मा'लूम होता कि चोर रात के कौन से पहर आएगा, तो जागता रहता और अपने घर में नक़ब न लगाने देता।
لِذَلِكَ كُونُوا أَنْتُمْ أَيْضًا مُسْتَعِدِّينَ، لِأَنَّهُ فِي سَاعَةٍ لَا تَظُنُّونَ يَأْتِي ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ. ٤٤ 44
इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्यूँकि जिस घड़ी तुम को गुमान भी न होगा इबने आदम आ जाएगा।”
فَمَنْ هُوَ ٱلْعَبْدُ ٱلْأَمِينُ ٱلْحَكِيمُ ٱلَّذِي أَقَامَهُ سَيِّدُهُ عَلَى خَدَمِهِ لِيُعْطِيَهُمُ ٱلطَّعَامَ فِي حِينِهِ؟ ٤٥ 45
“पस वो ईमानदार और अक़्लमन्द नौकर कौन सा है, जिसे मालिक ने अपने नौकर चाकरों पर मुक़र्रर किया ताकि वक़्त पर उनको खाना दे।
طُوبَى لِذَلِكَ ٱلْعَبْدِ ٱلَّذِي إِذَا جَاءَ سَيِّدُهُ يَجِدُهُ يَفْعَلُ هَكَذَا! ٤٦ 46
मुबारिक़ है वो नौकर जिसे उस का मालिक आकर ऐसा ही करते पाए।
اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ يُقِيمُهُ عَلَى جَمِيعِ أَمْوَالِهِ. ٤٧ 47
मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वो उसे अपने सारे माल का मुख़्तार कर देगा।
وَلَكِنْ إِنْ قَالَ ذَلِكَ ٱلْعَبْدُ ٱلرَّدِيُّ فِي قَلْبِهِ: سَيِّدِي يُبْطِئُ قُدُومَهُ. ٤٨ 48
लेकिन अगर वो ख़राब नौकर अपने दिल में ये कह कर कि मेरे मालिक के आने में देर है।
فَيَبْتَدِئُ يَضْرِبُ ٱلْعَبِيدَ رُفَقَاءَهُ وَيَأْكُلُ وَيَشْرَبُ مَعَ ٱلسُّكَارَى. ٤٩ 49
अपने हमख़िदमतों को मारना शुरू करे, और शराबियों के साथ खाए पिए।
يَأْتِي سَيِّدُ ذَلِكَ ٱلْعَبْدِ فِي يَوْمٍ لَا يَنْتَظِرُهُ وَفِي سَاعَةٍ لَا يَعْرِفُهَا، ٥٠ 50
तो उस नौकर का मालिक ऐसे दिन कि वो उसकी राह न देखता हो और ऐसी घड़ी कि वो न जानता हो आ मौजूद होगा।
فَيُقَطِّعُهُ وَيَجْعَلُ نَصِيبَهُ مَعَ ٱلْمُرَائِينَ. هُنَاكَ يَكُونُ ٱلْبُكَاءُ وَصَرِيرُ ٱلْأَسْنَانِ. ٥١ 51
और ख़ूब कोड़े लगा कर उसको रियाकारों में शामिल करेगा वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।”

< مَتَّى 24 >

The World is Destroyed by Water
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