< مَرْقُس 9 >

وَقَالَ لَهُمُ: «ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ مِنَ ٱلْقِيَامِ هَهُنَا قَوْمًا لَا يَذُوقُونَ ٱلْمَوْتَ حَتَّى يَرَوْا مَلَكُوتَ ٱللهِ قَدْ أَتَى بِقُوَّةٍ». ١ 1
और उसने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो यहाँ खड़े हैं, उनमें से कोई ऐसे हैं, कि जब तक परमेश्वर के राज्य को सामर्थ्य सहित आता हुआ न देख लें, तब तक मृत्यु का स्वाद कदापि न चखेंगे।”
وَبَعْدَ سِتَّةِ أَيَّامٍ أَخَذَ يَسُوعُ بُطْرُسَ وَيَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا، وَصَعِدَ بِهِمْ إِلَى جَبَلٍ عَالٍ مُنْفَرِدِينَ وَحْدَهُمْ. وَتَغَيَّرَتْ هَيْئَتُهُ قُدَّامَهُمْ، ٢ 2
छः दिन के बाद यीशु ने पतरस और याकूब और यूहन्ना को साथ लिया, और एकान्त में किसी ऊँचे पहाड़ पर ले गया; और उनके सामने उसका रूप बदल गया।
وَصَارَتْ ثِيَابُهُ تَلْمَعُ بَيْضَاءَ جِدًّا كَٱلثَّلْجِ، لَا يَقْدِرُ قَصَّارٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ أَنْ يُبَيِّضَ مِثْلَ ذَلِكَ. ٣ 3
और उसका वस्त्र ऐसा चमकने लगा और यहाँ तक अति उज्‍ज्वल हुआ, कि पृथ्वी पर कोई धोबी भी वैसा उज्‍ज्वल नहीं कर सकता।
وَظَهَرَ لَهُمْ إِيلِيَّا مَعَ مُوسَى، وَكَانَا يَتَكَلَّمَانِ مَعَ يَسُوعَ. ٤ 4
और उन्हें मूसा के साथ एलिय्याह दिखाई दिया; और वे यीशु के साथ बातें करते थे।
فَجَعَلَ بُطْرُسُ يَقولُ لِيَسُوعَ: «يَا سَيِّدِي، جَيِّدٌ أَنْ نَكُونَ هَهُنَا. فَلْنَصْنَعْ ثَلَاثَ مَظَالَّ: لَكَ وَاحِدَةً، وَلِمُوسَى وَاحِدَةً، وَلِإِيلِيَّا وَاحِدَةً». ٥ 5
इस पर पतरस ने यीशु से कहा, “हे रब्बी, हमारा यहाँ रहना अच्छा है: इसलिए हम तीन मण्डप बनाएँ; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।”
لِأَنَّهُ لَمْ يَكُنْ يَعْلَمُ مَا يَتَكَلَّمُ بِهِ إِذْ كَانُوا مُرْتَعِبِينَ. ٦ 6
क्योंकि वह न जानता था कि क्या उत्तर दे, इसलिए कि वे बहुत डर गए थे।
وَكَانَتْ سَحَابَةٌ تُظَلِّلُهُمْ. فَجَاءَ صَوْتٌ مِنَ ٱلسَّحَابَةِ قَائِلًا: «هَذَا هُوَ ٱبْنِي ٱلْحَبِيبُ. لَهُ ٱسْمَعُوا». ٧ 7
तब एक बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला, “यह मेरा प्रिय पुत्र है; इसकी सुनो।”
فَنَظَرُوا حَوْلَهُمْ بَغْتَةً وَلَمْ يَرَوْا أَحَدًا غَيْرَ يَسُوعَ وَحْدَهُ مَعَهُمْ. ٨ 8
तब उन्होंने एकाएक चारों ओर दृष्टि की, और यीशु को छोड़ अपने साथ और किसी को न देखा।
وَفِيمَا هُمْ نَازِلُونَ مِنَ ٱلْجَبَلِ، أَوْصَاهُمْ أَنْ لَا يُحَدِّثُوا أَحَدًا بِمَا أَبْصَرُوا، إِلَّا مَتَى قَامَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. ٩ 9
पहाड़ से उतरते हुए, उसने उन्हें आज्ञा दी, कि जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जी न उठे, तब तक जो कुछ तुम ने देखा है वह किसी से न कहना।
فَحَفِظُوا ٱلْكَلِمَةَ لِأَنْفُسِهِمْ يَتَسَاءَلُونَ: «مَا هُوَ ٱلْقِيَامُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ؟». ١٠ 10
१०उन्होंने इस बात को स्मरण रखा; और आपस में वाद-विवाद करने लगे, “मरे हुओं में से जी उठने का क्या अर्थ है?”
فَسَأَلُوهُ قَائِليِنَ: «لِمَاذَا يَقُولُ ٱلْكَتَبَةُ: إِنَّ إِيلِيَّا يَنْبَغِي أَنْ يَأْتِيَ أَوَّلًا؟». ١١ 11
११और उन्होंने उससे पूछा, “शास्त्री क्यों कहते हैं, कि एलिय्याह का पहले आना अवश्य है?”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «إِنَّ إِيلِيَّا يَأْتِي أَوَّلًا وَيَرُدُّ كُلَّ شَيْءٍ. وَكَيْفَ هُوَ مَكْتُوبٌ عَنِ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ أَنْ يَتَأَلَّمَ كَثِيرًا وَيُرْذَلَ. ١٢ 12
१२उसने उन्हें उत्तर दिया, “एलिय्याह सचमुच पहले आकर सब कुछ सुधारेगा, परन्तु मनुष्य के पुत्र के विषय में यह क्यों लिखा है, कि वह बहुत दुःख उठाएगा, और तुच्छ गिना जाएगा?
لَكِنْ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ إِيلِيَّا أَيْضًا قَدْ أَتَى، وَعَمِلُوا بِهِ كُلَّ مَا أَرَادُوا، كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ عَنْهُ». ١٣ 13
१३परन्तु मैं तुम से कहता हूँ, कि एलिय्याह तो आ चुका, और जैसा उसके विषय में लिखा है, उन्होंने जो कुछ चाहा उसके साथ किया।”
وَلَمَّا جَاءَ إِلَى ٱلتَّلَامِيذِ رَأَى جَمْعًا كَثِيرًا حَوْلَهُمْ وَكَتَبَةً يُحَاوِرُونَهُمْ. ١٤ 14
१४और जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उनके चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उनके साथ विवाद कर रहे हैं।
وَلِلْوَقْتِ كُلُّ ٱلْجَمْعِ لَمَّا رَأَوْهُ تَحَيَّرُوا، وَرَكَضُوا وَسَلَّمُوا عَلَيْهِ. ١٥ 15
१५और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उसकी ओर दौड़कर उसे नमस्कार किया।
فَسَأَلَ ٱلْكَتَبَةَ: «بِمَاذَا تُحَاوِرُونَهُمْ؟» ١٦ 16
१६उसने उनसे पूछा, “तुम इनसे क्या विवाद कर रहे हो?”
فَأَجَابَ وَاحِدٌ مِنَ ٱلْجَمْعِ وَقَالَ: «يَا مُعَلِّمُ، قَدْ قَدَّمْتُ إِلَيْكَ ٱبْنِي بِهِ رُوحٌ أَخْرَسُ، ١٧ 17
१७भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, “हे गुरु, मैं अपने पुत्र को, जिसमें गूँगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था।
وَحَيْثُمَا أَدْرَكَهُ يُمَزِّقْهُ فَيُزْبِدُ وَيَصِرُّ بِأَسْنَانِهِ وَيَيْبَسُ. فَقُلْتُ لِتَلَامِيذِكَ أَنْ يُخْرِجُوهُ فَلَمْ يَقْدِرُوا». ١٨ 18
१८जहाँ कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है; और वह मुँह में फेन भर लाता, और दाँत पीसता, और सूखता जाता है। और मैंने तेरे चेलों से कहा, कि वे उसे निकाल दें, परन्तु वे निकाल न सके।”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «أَيُّهَا ٱلْجِيلُ غَيْرُ ٱلْمُؤْمِنِ، إِلَى مَتَى أَكُونُ مَعَكُمْ؟ إِلَى مَتَى أَحْتَمِلُكُمْ؟ قَدِّمُوهُ إِلَيَّ!». ١٩ 19
१९यह सुनकर उसने उनसे उत्तर देके कहा, “हे अविश्वासी लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? और कब तक तुम्हारी सहूँगा? उसे मेरे पास लाओ।”
فَقَدَّمُوهُ إِلَيْهِ. فَلَمَّا رَآهُ لِلْوَقْتِ صَرَعَهُ ٱلرُّوحُ، فَوَقَعَ عَلَى ٱلْأَرْضِ يَتَمَرَّغُ وَيُزْبِدُ. ٢٠ 20
२०तब वे उसे उसके पास ले आए। और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा, और वह भूमि पर गिरा, और मुँह से फेन बहाते हुए लोटने लगा।
فَسَأَلَ أَبَاهُ: «كَمْ مِنَ ٱلزَّمَانِ مُنْذُ أَصَابَهُ هَذَا؟». فَقَالَ: «مُنْذُ صِبَاهُ. ٢١ 21
२१उसने उसके पिता से पूछा, “इसकी यह दशा कब से है?” और उसने कहा, “बचपन से।
وَكَثِيرًا مَا أَلْقَاهُ فِي ٱلنَّارِ وَفِي ٱلْمَاءِ لِيُهْلِكَهُ. لَكِنْ إِنْ كُنْتَ تَسْتَطِيعُ شَيْئًا فَتَحَنَّنْ عَلَيْنَا وَأَعِنَّا». ٢٢ 22
२२उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «إِنْ كُنْتَ تَسْتَطِيعُ أَنْ تُؤْمِنَ. كُلُّ شَيْءٍ مُسْتَطَاعٌ لِلْمُؤْمِنِ». ٢٣ 23
२३यीशु ने उससे कहा, “यदि तू कर सकता है! यह क्या बात है? विश्वास करनेवाले के लिये सब कुछ हो सकता है।”
فَلِلْوَقْتِ صَرَخَ أَبُو ٱلْوَلَدِ بِدُمُوعٍ وَقَالَ: «أُومِنُ يَا سَيِّدُ، فَأَعِنْ عَدَمَ إِيمَانِي». ٢٤ 24
२४बालक के पिता ने तुरन्त पुकारकर कहा, “हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ; मेरे अविश्वास का उपाय कर।”
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ أَنَّ ٱلْجَمْعَ يَتَرَاكَضُونَ، ٱنْتَهَرَ ٱلرُّوحَ ٱلنَّجِسَ قَائِلًا لَهُ: «أَيُّهَا ٱلرُّوحُ ٱلْأَخْرَسُ ٱلْأَصَمُّ، أَنَا آمُرُكَ: ٱخْرُجْ مِنْهُ وَلَا تَدْخُلْهُ أَيْضًا!». ٢٥ 25
२५जब यीशु ने देखा, कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डाँटा, कि “हे गूँगी और बहरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूँ, उसमें से निकल आ, और उसमें फिर कभी प्रवेश न करना।”
فَصَرَخَ وَصَرَعَهُ شَدِيدًا وَخَرَجَ. فَصَارَ كَمَيْتٍ، حَتَّى قَالَ كَثِيرُونَ: «إِنَّهُ مَاتَ!». ٢٦ 26
२६तब वह चिल्लाकर, और उसे बहुत मरोड़कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहाँ तक कि बहुत लोग कहने लगे, कि वह मर गया।
فَأَمْسَكَهُ يَسُوعُ بِيَدِهِ وَأَقَامَهُ، فَقَامَ. ٢٧ 27
२७परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया।
وَلَمَّا دَخَلَ بَيْتًا سَأَلَهُ تَلَامِيذُهُ عَلَى ٱنْفِرَادٍ: «لِمَاذَا لَمْ نَقْدِرْ نَحْنُ أَنْ نُخْرِجَهُ؟». ٢٨ 28
२८जब वह घर में आया, तो उसके चेलों ने एकान्त में उससे पूछा, “हम उसे क्यों न निकाल सके?”
فَقَالَ لَهُمْ: «هَذَا ٱلْجِنْسُ لَا يُمْكِنُ أَنْ يَخْرُجَ بِشَيْءٍ إِلَّا بِٱلصَّلَاةِ وَٱلصَّوْمِ». ٢٩ 29
२९उसने उनसे कहा, “यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती।”
وَخَرَجُوا مِنْ هُنَاكَ وَٱجْتَازُوا ٱلْجَلِيلَ، وَلَمْ يُرِدْ أَنْ يَعْلَمَ أَحَدٌ، ٣٠ 30
३०फिर वे वहाँ से चले, और गलील में होकर जा रहे थे, वह नहीं चाहता था कि कोई जाने,
لِأَنَّهُ كَانَ يُعَلِّمُ تَلَامِيذَهُ وَيَقُولُ لَهُمْ: «إِنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ يُسَلَّمُ إِلَى أَيْدِي ٱلنَّاسِ فَيَقْتُلُونَهُ. وَبَعْدَ أَنْ يُقْتَلَ يَقُومُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ». ٣١ 31
३१क्योंकि वह अपने चेलों को उपदेश देता और उनसे कहता था, “मनुष्य का पुत्र, मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा, और वे उसे मार डालेंगे; और वह मरने के तीन दिन बाद जी उठेगा।”
وَأَمَّا هُمْ فَلَمْ يَفْهَمُوا ٱلْقَوْلَ، وَخَافُوا أَنْ يَسْأَلُوهُ. ٣٢ 32
३२पर यह बात उनकी समझ में नहीं आई, और वे उससे पूछने से डरते थे।
وَجَاءَ إِلَى كَفْرِنَاحُومَ. وَإِذْ كَانَ فِي ٱلْبَيْتِ سَأَلَهُمْ: «بِمَاذَا كُنْتُمْ تَتَكَالَمُونَ فِيمَا بَيْنَكُمْ فِي ٱلطَّرِيقِ؟». ٣٣ 33
३३फिर वे कफरनहूम में आए; और घर में आकर उसने उनसे पूछा, “रास्ते में तुम किस बात पर विवाद कर रहे थे?”
فَسَكَتُوا، لِأَنَّهُمْ تَحَاجُّوا فِي ٱلطَّرِيقِ بَعْضُهُمْ مَعَ بَعْضٍ فِي مَنْ هُوَ أَعْظَمُ. ٣٤ 34
३४वे चुप रहे क्योंकि, मार्ग में उन्होंने आपस में यह वाद-विवाद किया था, कि हम में से बड़ा कौन है?
فَجَلَسَ وَنَادَى ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ وَقَالَ لَهُمْ: «إِذَا أَرَادَ أَحَدٌ أَنْ يَكُونَ أَوَّلًا فَيَكُونُ آخِرَ ٱلْكُلِّ وَخَادِمًا لِلْكُلِّ». ٣٥ 35
३५तब उसने बैठकर बारहों को बुलाया, और उनसे कहा, “यदि कोई बड़ा होना चाहे, तो सबसे छोटा और सब का सेवक बने।”
فَأَخَذَ وَلَدًا وَأَقَامَهُ فِي وَسْطِهِمْ ثُمَّ ٱحْتَضَنَهُ وَقَالَ لَهُمْ: ٣٦ 36
३६और उसने एक बालक को लेकर उनके बीच में खड़ा किया, और उसको गोद में लेकर उनसे कहा,
«مَنْ قَبِلَ وَاحِدًا مِنْ أَوْلَادٍ مِثْلَ هَذَا بِٱسْمِي يَقْبَلُنِي، وَمَنْ قَبِلَنِي فَلَيْسَ يَقْبَلُنِي أَنَا بَلِ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي». ٣٧ 37
३७“जो कोई मेरे नाम से ऐसे बालकों में से किसी एक को भी ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो कोई मुझे ग्रहण करता, वह मुझे नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है।”
فَأَجَابَهُ يُوحَنَّا قَائِلًا: «يَا مُعَلِّمُ، رَأَيْنَا وَاحِدًا يُخْرِجُ شَيَاطِينَ بِٱسْمِكَ وَهُوَ لَيْسَ يَتْبَعُنَا، فَمَنَعْنَاهُ لِأَنَّهُ لَيْسَ يَتْبَعُنَا». ٣٨ 38
३८तब यूहन्ना ने उससे कहा, “हे गुरु, हमने एक मनुष्य को तेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालते देखा और हम उसे मना करने लगे, क्योंकि वह हमारे पीछे नहीं हो लेता था।”
فَقَالَ يَسُوعُ: «لَا تَمْنَعُوهُ، لِأَنَّهُ لَيْسَ أَحَدٌ يَصْنَعُ قُوَّةً بِٱسْمِي وَيَسْتَطِيعُ سَرِيعًا أَنْ يَقُولَ عَلَيَّ شَرًّا. ٣٩ 39
३९यीशु ने कहा, “उसको मना मत करो; क्योंकि ऐसा कोई नहीं जो मेरे नाम से सामर्थ्य का काम करे, और आगे मेरी निन्दा करे,
لِأَنَّ مَنْ لَيْسَ عَلَيْنَا فَهُوَ مَعَنَا. ٤٠ 40
४०क्योंकि जो हमारे विरोध में नहीं, वह हमारी ओर है।
لِأَنَّ مَنْ سَقَاكُمْ كَأْسَ مَاءٍ بِٱسْمِي لِأَنَّكُمْ لِلْمَسِيحِ، فَٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ لَا يُضِيعُ أَجْرَهُ. ٤١ 41
४१जो कोई एक कटोरा पानी तुम्हें इसलिए पिलाए कि तुम मसीह के हो तो मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह अपना प्रतिफल किसी तरह से न खोएगा।”
«وَمَنْ أَعْثَرَ أَحَدَ ٱلصِّغَارِ ٱلْمُؤْمِنِينَ بِي، فَخَيْرٌ لَهُ لَوْ طُوِّقَ عُنُقُهُ بِحَجَرِ رَحًى وَطُرِحَ فِي ٱلْبَحْرِ. ٤٢ 42
४२“जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं, किसी को ठोकर खिलाए तो उसके लिये भला यह है कि एक बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाए और वह समुद्र में डाल दिया जाए।
وَإِنْ أَعْثَرَتْكَ يَدُكَ فَٱقْطَعْهَا. خَيْرٌ لَكَ أَنْ تَدْخُلَ ٱلْحَيَاةَ أَقْطَعَ مِنْ أَنْ تَكُونَ لَكَ يَدَانِ وَتَمْضِيَ إِلَى جَهَنَّمَ، إِلَى ٱلنَّارِ ٱلَّتِي لَا تُطْفَأُ. (Geenna g1067) ٤٣ 43
४३यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना, तेरे लिये इससे भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक के बीच उस आग में डाला जाए जो कभी बुझने की नहीं। (Geenna g1067)
حَيْثُ دُودُهُمْ لَا يَمُوتُ وَٱلنَّارُ لَا تُطْفَأُ. ٤٤ 44
४४जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती।
وَإِنْ أَعْثَرَتْكَ رِجْلُكَ فَٱقْطَعْهَا. خَيْرٌ لَكَ أَنْ تَدْخُلَ ٱلْحَيَاةَ أَعْرَجَ مِنْ أَنْ تَكُونَ لَكَ رِجْلَانِ وَتُطْرَحَ فِي جَهَنَّمَ فِي ٱلنَّارِ ٱلَّتِي لَا تُطْفَأُ. (Geenna g1067) ٤٥ 45
४५और यदि तेरा पाँव तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल। लँगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है, कि दो पाँव रहते हुए नरक में डाला जाए। (Geenna g1067)
حَيْثُ دُودُهُمْ لَا يَمُوتُ وَٱلنَّارُ لَا تُطْفَأُ. ٤٦ 46
४६जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती
وَإِنْ أَعْثَرَتْكَ عَيْنُكَ فَٱقْلَعْهَا. خَيْرٌ لَكَ أَنْ تَدْخُلَ مَلَكُوتَ ٱللهِ أَعْوَرَ مِنْ أَنْ تَكُونَ لَكَ عَيْنَانِ وَتُطْرَحَ فِي جَهَنَّمِ ٱلنَّارِ. (Geenna g1067) ٤٧ 47
४७और यदि तेरी आँख तुझे ठोकर खिलाए तो उसे निकाल डाल, काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना तेरे लिये इससे भला है, कि दो आँख रहते हुए तू नरक में डाला जाए। (Geenna g1067)
حَيْثُ دُودُهُمْ لَا يَمُوتُ وَٱلنَّارُ لَا تُطْفَأُ. ٤٨ 48
४८जहाँ उनका कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती।
لِأَنَّ كُلَّ وَاحِدٍ يُمَلَّحُ بِنَارٍ، وَكُلَّ ذَبِيحَةٍ تُمَلَّحُ بِمِلْحٍ. ٤٩ 49
४९क्योंकि हर एक जन आग से नमकीन किया जाएगा।
اَلْمِلْحُ جَيِّدٌ. وَلَكِنْ إِذَا صَارَ ٱلْمِلْحُ بِلَا مُلُوحَةٍ، فَبِمَاذَا تُصْلِحُونَهُ؟ لِيَكُنْ لَكُمْ فِي أَنْفُسِكُمْ مِلْحٌ، وَسَالِمُوا بَعْضُكُمْ بَعْضًا». ٥٠ 50
५०नमक अच्छा है, पर यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो उसे किस से नमकीन करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो।”

< مَرْقُس 9 >