< مَرْقُس 13 >

وَفِيمَا هُوَ خَارِجٌ مِنَ ٱلْهَيْكَلِ، قَالَ لَهُ وَاحِدٌ مِنْ تَلَامِيذِهِ: «يَا مُعَلِّمُ، ٱنْظُرْ! مَا هَذِهِ ٱلْحِجَارَةُ! وَهَذِهِ ٱلْأَبْنِيَةُ!». ١ 1
जब वो हैकल से बाहर जा रहा था तो उसके शागिर्दों में से एक ने उससे कहा “ऐ उस्ताद देख ये कैसे कैसे पत्थर और कैसी कैसी इमारतें हैं!”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُ: «أَتَنْظُرُ هَذِهِ ٱلْأَبْنِيَةَ ٱلْعَظِيمَةَ؟ لَا يُتْرَكُ حَجَرٌ عَلَى حَجَرٍ لَا يُنْقَضُ». ٢ 2
ईसा ने उनसे कहा, “तू इन बड़ी बड़ी इमारतों को देखता है? यहाँ किसी पत्थर पर पत्थर बाक़ी न रहेगा जो गिराया न जाए।”
وَفِيمَا هُوَ جَالِسٌ عَلَى جَبَلِ ٱلزَّيْتُونِ، تُجَاهَ ٱلْهَيْكَلِ، سَأَلَهُ بُطْرُسُ وَيَعْقُوبُ وَيُوحَنَّا وَأَنْدَرَاوُسُ عَلَى ٱنْفِرَادٍ: ٣ 3
जब वो ज़ैतून के पहाड़ पर हैकल के सामने बैठा था तो पतरस और या'क़ूब और यूहन्ना और अन्द्रियास ने तन्हाई में उससे पूछा।
«قُلْ لَنَا مَتَى يَكُونُ هَذَا؟ وَمَا هِيَ ٱلْعَلَامَةُ عِنْدَمَا يَتِمُّ جَمِيعُ هَذَا؟». ٤ 4
“हमें बता कि ये बातें कब होंगी? और जब ये सब बातें पूरी होने को हों उस वक़्त का क्या निशान है।”
فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ وَٱبْتَدَأَ يَقُولُ: «ٱنْظُرُوا! لَا يُضِلُّكُمْ أَحَدٌ. ٥ 5
ईसा ने उनसे कहना शुरू किया “ख़बरदार कोई तुम को गुमराह न कर दे।
فَإِنَّ كَثِيرِينَ سَيَأْتُونَ بِٱسْمِي قَائِلِينَ: إِنِّي أَنَا هُوَ! وَيُضِلُّونَ كَثِيرِينَ. ٦ 6
बहुतेरे मेरे नाम से आएँगे और कहेंगे ‘वो मैं ही हूँ। और बहुत से लोगों को गुमराह करेंगे।
فَإِذَا سَمِعْتُمْ بِحُرُوبٍ وَبِأَخْبَارِ حُرُوبٍ فَلَا تَرْتَاعُوا، لِأَنَّهَا لَابُدَّ أَنْ تَكُونَ، وَلَكِنْ لَيْسَ ٱلْمُنْتَهَى بَعْدُ. ٧ 7
जब तुम लड़ाइयाँ और लड़ाइयों की अफ़वाहें सुनो तो घबरा न जाना इनका वाक़े होना ज़रूर है लेकिन उस वक़्त ख़ातिमा न होगा।
لِأَنَّهُ تَقُومُ أُمَّةٌ عَلَى أُمَّةٍ، وَمَمْلَكَةٌ عَلَى مَمْلَكَةٍ، وَتَكُونُ زَلَازِلُ فِي أَمَاكِنَ، وَتَكُونُ مَجَاعَاتٌ وَٱضْطِرَابَاتٌ. هَذِهِ مُبْتَدَأُ ٱلْأَوْجَاعِ. ٨ 8
क्यूँकि क़ौम पर क़ौम और सल्तनत पर सल्तनत चढ़ाई करेगी जगह जगह भुन्चाल आएँगे और काल पड़ेंगे ये बातें मुसीबतों की शुरुआत ही होंगी।”
فَٱنْظُرُوا إِلَى نُفُوسِكُمْ. لِأَنَّهُمْ سَيُسَلِّمُونَكُمْ إِلَى مَجَالِسَ، وَتُجْلَدُونَ فِي مَجَامِعَ، وَتُوقَفُونَ أَمَامَ وُلَاةٍ وَمُلُوكٍ، مِنْ أَجْلِي، شَهَادَةً لَهُمْ. ٩ 9
“लेकिन तुम ख़बरदार रहो क्यूँकि लोग तुम को अदालतों के हवाले करेंगे और तुम इबादतख़ानों में पीटे जाओगे; और हाकिमों और बादशाहों के सामने मेरी ख़ातिर हाज़िर किए जाओगे ताकि उनके लिए गवाही हो।
وَيَنْبَغِي أَنْ يُكْرَزَ أَوَّلًا بِٱلْإِنْجِيلِ فِي جَمِيعِ ٱلْأُمَمِ. ١٠ 10
और ज़रूर है कि पहले सब क़ौमों में इन्जील की मनादी की जाए।
فَمَتَى سَاقُوكُمْ لِيُسَلِّمُوكُمْ، فَلَا تَعْتَنُوا مِنْ قَبْلُ بِمَا تَتَكَلَّمُونَ وَلَا تَهْتَمُّوا، بَلْ مَهْمَا أُعْطِيتُمْ فِي تِلْكَ ٱلسَّاعَةِ فَبِذَلِكَ تَكَلَّمُوا. لِأَنْ لَسْتُمْ أَنْتُمُ ٱلْمُتَكَلِّمِينَ بَلِ ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ. ١١ 11
लेकिन जब तुम्हें ले जा कर हवाले करें तो पहले से फ़िक्र न करना कि हम क्या कहें बल्कि जो कुछ उस घड़ी तुम्हें बताया जाए वही करना क्यूँकि कहने वाले तुम नहीं हो बल्कि रूह — उल क़ुद्दूस है।
وَسَيُسْلِمُ ٱلْأَخُ أَخَاهُ إِلَى ٱلْمَوْتِ، وَٱلْأَبُ وَلَدَهُ، وَيَقُومُ ٱلْأَوْلَادُ عَلَى وَالِدِيهِمْ وَيَقْتُلُونَهُمْ. ١٢ 12
भाई को भाई और बेटे को बाप क़त्ल के लिए हवाले करेगा और बेटे माँ बाप के बरख़िलाफ़ खड़े हो कर उन्हें मरवा डालेंगे।
وَتَكُونُونَ مُبْغَضِينَ مِنَ ٱلْجَمِيعِ مِنْ أَجْلِ ٱسْمِي. وَلَكِنَّ ٱلَّذِي يَصْبِرُ إِلَى ٱلْمُنْتَهَى فَهَذَا يَخْلُصُ. ١٣ 13
और मेरे नाम की वजह से सब लोग तुम से अदावत रखेंगे मगर जो आख़िर तक बर्दाश्त करेगा वो नजात पाएगा।”
فَمَتَى نَظَرْتُمْ «رِجْسَةَ ٱلْخَرَابِ» ٱلَّتِي قَالَ عَنْهَا دَانِيآلُ ٱلنَّبِيُّ، قَائِمَةً حَيْثُ لَا يَنْبَغِي-لِيَفْهَمِ ٱلْقَارِئُ- فَحِينَئِذٍ لِيَهْرُبِ ٱلَّذِينَ فيِ ٱلْيَهُودِيَّةِ إِلَى ٱلْجِبَالِ، ١٤ 14
“पस जब तुम उस उजाड़ने वाली नापसन्द चीज़ को उस जगह खड़ी हुई देखो जहाँ उसका खड़ा होना जायज़ नहीं पढ़ने वाला समझ ले उस वक़्त जो यहूदिया में हों वो पहाड़ों पर भाग जाएँ।
وَٱلَّذِي عَلَى ٱلسَّطْحِ فَلَا يَنْزِلْ إِلَى ٱلْبَيْتِ وَلَا يَدْخُلْ لِيَأْخُذَ مِنْ بَيْتِهِ شَيْئًا، ١٥ 15
जो छत पर हो वो अपने घर से कुछ लेने को न नीचे उतरे न अन्दर जाए।
وَٱلَّذِي فِي ٱلْحَقْلِ فَلَا يَرْجِعْ إِلَى ٱلْوَرَاءِ لِيَأْخُذَ ثَوْبَهُ. ١٦ 16
और जो खेत में हो वो आपना कपड़ा लेने को पीछे न लोटे।
وَوَيْلٌ لِلْحَبَالَى وَٱلْمُرْضِعَاتِ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ! ١٧ 17
मगर उन पर अफ़सोस जो उन दिनों में हामिला हों और जो दूध पिलाती हों।
وَصَلُّوا لِكَيْ لَا يَكُونَ هَرَبُكُمْ فِي شِتَاءٍ. ١٨ 18
और दुआ करो कि ये जाड़ों में न हो।
لِأَنَّهُ يَكُونُ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ ضِيقٌ لَمْ يَكُنْ مِثْلُهُ مُنْذُ ٱبْتِدَاءِ ٱلْخَلِيقَةِ ٱلَّتِي خَلَقَهَا ٱللهُ إِلَى ٱلْآنَ، وَلَنْ يَكُونَ. ١٩ 19
क्यूँकि वो दिन एसी मुसीबत के होंगे कि पैदाइश के शुरू से जिसे ख़ुदा ने पैदा किया न अब तक हुई है न कभी होगी।
وَلَوْ لَمْ يُقَصِّرِ ٱلرَّبُّ تِلْكَ ٱلْأَيَّامَ، لَمْ يَخْلُصْ جَسَدٌ. وَلَكِنْ لِأَجْلِ ٱلْمُخْتَارِينَ ٱلَّذِينَ ٱخْتَارَهُمْ، قَصَّرَ ٱلْأَيَّامَ. ٢٠ 20
अगर ख़ुदावन्द उन दिनों को न घटाता तो कोई इंसान न बचता मगर उन चुने हुवों की ख़ातिर जिनको उसने चुना है उन दिनों को घटाया।
حِينَئِذٍ إِنْ قَالَ لَكُمْ أَحَدٌ: هُوَذَا ٱلْمَسِيحُ هُنَا! أَوْ: هُوَذَا هُنَاكَ! فَلَا تُصَدِّقُوا. ٢١ 21
और उस वक़्त अगर कोई तुम से कहे ‘देखो, मसीह यहाँ है’, या ‘देखो वहाँ है’ तो यक़ीन न करना।
لِأَنَّهُ سَيَقُومُ مُسَحَاءُ كَذَبَةٌ وَأَنْبِيَاءُ كَذَبَةٌ، وَيُعْطُونَ آيَاتٍ وَعَجَائِبَ، لِكَيْ يُضِلُّوا لَوْ أَمْكَنَ ٱلْمُخْتَارِينَ أَيْضًا. ٢٢ 22
क्यूँकि झूठे मसीह और झूठे नबी उठ खड़े होंगे और निशान और अजीब काम दिखाएँगे ताकि अगर मुम्किन हो तो चुने हुवों को भी गुमराह कर दें।
فَٱنْظُرُوا أَنْتُمْ. هَا أَنَا قَدْ سَبَقْتُ وَأَخْبَرْتُكُمْ بِكُلِّ شَيْءٍ. ٢٣ 23
लेकिन तुम ख़बरदार रहो; देखो मैंने तुम से सब कुछ पहले ही कह दिया है।”
«وَأَمَّا فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ بَعْدَ ذَلِكَ ٱلضِّيقِ، فَٱلشَّمْسُ تُظْلِمُ، وَٱلْقَمَرُ لَا يُعْطِي ضَوْءَهُ، ٢٤ 24
“मगर उन दिनों में उस मुसीबत के बाद सूरज अँधेरा हो जाएगा और चाँद अपनी रोशनी न देगा।
وَنُجُومُ ٱلسَّمَاءِ تَتَسَاقَطُ، وَٱلْقُوَّاتُ ٱلَّتِي فِي ٱلسَّمَاوَاتِ تَتَزَعْزَعُ. ٢٥ 25
और आसमान के सितारे गिरने लगेंगे और जो ताक़तें आसमान में हैं वो हिलाई जाएँगी।
وَحِينَئِذٍ يُبْصِرُونَ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ آتِيًا فِي سَحَابٍ بِقُوَّةٍ كَثِيرَةٍ وَمَجْدٍ، ٢٦ 26
और उस वक़्त लोग इब्न — ए आदम को बड़ी क़ुदरत और जलाल के साथ बादलों में आते देखेंगे।
فَيُرْسِلُ حِينَئِذٍ مَلَائِكَتَهُ وَيَجْمَعُ مُخْتَارِيهِ مِنَ ٱلْأَرْبَعِ ٱلرِّيَاحِ، مِنْ أَقْصَاءِ ٱلْأَرْضِ إِلَى أَقْصَاءِ ٱلسَّمَاءِ. ٢٧ 27
उस वक़्त वो फ़रिश्तों को भेज कर अपने चुने हुए को ज़मीन की इन्तिहा से आसमान की इन्तिहा तक चारों तरफ़ से जमा करेगा।”
فَمِنْ شَجَرَةِ ٱلتِّينِ تَعَلَّمُوا ٱلْمَثَلَ: مَتَى صَارَ غُصْنُهَا رَخْصًا وَأَخْرَجَتْ أَوْرَاقًا، تَعْلَمُونَ أَنَّ ٱلصَّيْفَ قَرِيبٌ. ٢٨ 28
“अब अंजीर के दरख़्त से एक तम्सील सीखो; जूँ ही उसकी डाली नर्म होती और पत्ते निकलते हैं तुम जान लेते हो कि गर्मी नज़दीक है।
هَكَذَا أَنْتُمْ أَيْضًا، مَتَى رَأَيْتُمْ هَذِهِ ٱلْأَشْيَاءَ صَائِرَةً، فَٱعْلَمُوا أَنَّهُ قَرِيبٌ عَلَى ٱلْأَبْوَابِ. ٢٩ 29
इसी तरह जब तुम इन बातों को होते देखो तो जान लो कि वो नज़दीक बल्कि दरवाज़े पर है।
اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَا يَمْضِي هَذَا ٱلْجِيلُ حَتَّى يَكُونَ هَذَا كُلُّهُ. ٣٠ 30
मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक ये सब बातें न हों लें ये नस्ल हरगिज़ ख़त्म न होगी।
اَلسَّمَاءُ وَٱلْأَرْضُ تَزُولَانِ، وَلَكِنَّ كَلَامِي لَا يَزُولُ. ٣١ 31
आसमान और ज़मीन टल जाएँगे लेकिन मेरी बातें न टलेंगी।”
«وَأَمَّا ذَلِكَ ٱلْيَوْمُ وَتِلْكَ ٱلسَّاعَةُ فَلَا يَعْلَمُ بِهِمَا أَحَدٌ، وَلَا ٱلْمَلَائِكَةُ ٱلَّذِينَ فِي ٱلسَّمَاءِ، وَلَا ٱلِٱبْنُ، إِلَّا ٱلْآبُ. ٣٢ 32
“लेकिन उस दिन या उस वक़्त के बारे कोई नहीं जानता न आसमान के फ़रिश्ते न बेटा मगर बाप।
اُنْظُرُوا! اِسْهَرُوا وَصَلُّوا، لِأَنَّكُمْ لَا تَعْلَمُونَ مَتَى يَكُونُ ٱلْوَقْتُ. ٣٣ 33
ख़बरदार; जागते और दुआ करते रहो, क्यूँकि तुम नहीं जानते कि वो वक़्त कब आएगा।
كَأَنَّمَا إِنْسَانٌ مُسَافِرٌ تَرَكَ بَيْتَهُ، وَأَعْطَى عَبِيدَهُ ٱلسُّلْطَانَ، وَلِكُلِّ وَاحِدٍ عَمَلَهُ، وَأَوْصَى ٱلْبَوَّابَ أَنْ يَسْهَرَ. ٣٤ 34
ये उस आदमी का सा हाल है जो परदेस गया और उस ने घर से रुख़्सत होते वक़्त अपने नौकरों को इख़्तियार दिया या'नी हर एक को उस का काम बता दिया और दरबान को हुक्म दिया कि जागता रहे।
اِسْهَرُوا إِذًا، لِأَنَّكُمْ لَا تَعْلَمُونَ مَتَى يَأْتِي رَبُّ ٱلْبَيْتِ، أَمَسَاءً، أَمْ نِصْفَ ٱللَّيْلِ، أَمْ صِيَاحَ ٱلدِّيكِ، أَمْ صَبَاحًا. ٣٥ 35
पस जागते रहो क्यूँकि तुम नहीं जानते कि घर का मालिक कब आएगा शाम को या आधी रात को या मुर्ग़ के बाँग देते वक़्त या सुबह को।
لِئَلَّا يَأْتِيَ بَغْتَةً فَيَجِدَكُمْ نِيَامًا! ٣٦ 36
ऐसा न हो कि अचानक आकर वो तुम को सोते पाए।
وَمَا أَقُولُهُ لَكُمْ أَقُولُهُ لِلْجَمِيعِ: ٱسْهَرُوا». ٣٧ 37
और जो कुछ मैं तुम से कहता हूँ, वही सब से कहता हूँ जागते रहो!”

< مَرْقُس 13 >