< مَرْقُس 10 >

وَقَامَ مِنْ هُنَاكَ وَجَاءَ إِلَى تُخُومِ ٱلْيَهُودِيَّةِ مِنْ عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ. فَٱجْتَمَعَ إِلَيْهِ جُمُوعٌ أَيْضًا، وَكَعَادَتِهِ كَانَ أَيْضًا يُعَلِّمُهُمْ. ١ 1
फिर वह वहाँ से उठकर यहूदिया के सीमा-क्षेत्र और यरदन के पार आया, और भीड़ उसके पास फिर इकट्ठी हो गई, और वह अपनी रीति के अनुसार उन्हें फिर उपदेश देने लगा।
فَتَقَدَّمَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ وَسَأَلُوهُ: «هَلْ يَحِلُّ لِلرَّجُلِ أَنْ يُطَلِّقَ ٱمْرَأَتَهُ؟». لِيُجَرِّبُوهُ. ٢ 2
तब फरीसियों ने उसके पास आकर उसकी परीक्षा करने को उससे पूछा, “क्या यह उचित है, कि पुरुष अपनी पत्नी को त्यागे?”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «بِمَاذَا أَوْصَاكُمْ مُوسَى؟». ٣ 3
उसने उनको उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्हें क्या आज्ञा दी है?”
فَقَالُوا: «مُوسَى أَذِنَ أَنْ يُكْتَبَ كِتَابُ طَلَاقٍ، فَتُطَلَّقُ». ٤ 4
उन्होंने कहा, “मूसा ने त्याग-पत्र लिखने और त्यागने की आज्ञा दी है।”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «مِنْ أَجْلِ قَسَاوَةِ قُلُوبِكُمْ كَتَبَ لَكُمْ هَذِهِ ٱلْوَصِيَّةَ، ٥ 5
यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे मन की कठोरता के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी।
وَلَكِنْ مِنْ بَدْءِ ٱلْخَلِيقَةِ، ذَكَرًا وَأُنْثَى خَلَقَهُمَا ٱللهُ. ٦ 6
पर सृष्टि के आरम्भ से, परमेश्वर ने नर और नारी करके उनको बनाया है।
مِنْ أَجْلِ هَذَا يَتْرُكُ ٱلرَّجُلُ أَبَاهُ وَأُمَّهُ وَيَلْتَصِقُ بِٱمْرَأَتِهِ، ٧ 7
इस कारण मनुष्य अपने माता-पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा,
وَيَكُونُ ٱلِٱثْنَانِ جَسَدًا وَاحِدًا. إِذًا لَيْسَا بَعْدُ ٱثْنَيْنِ بَلْ جَسَدٌ وَاحِدٌ. ٨ 8
और वे दोनों एक तन होंगे; इसलिए वे अब दो नहीं, पर एक तन हैं।
فَٱلَّذِي جَمَعَهُ ٱللهُ لَا يُفَرِّقْهُ إِنْسَانٌ». ٩ 9
इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे।”
ثُمَّ فِي ٱلْبَيْتِ سَأَلَهُ تَلَامِيذُهُ أَيْضًا عَنْ ذَلِكَ، ١٠ 10
१०और घर में चेलों ने इसके विषय में उससे फिर पूछा।
فَقَالَ لَهُمْ: «مَنْ طَلَّقَ ٱمْرَأَتَهُ وَتَزَوَّجَ بِأُخْرَى يَزْنِي عَلَيْهَا. ١١ 11
११उसने उनसे कहा, “जो कोई अपनी पत्नी को त्याग कर दूसरी से विवाह करे तो वह उस पहली के विरोध में व्यभिचार करता है।
وَإِنْ طَلَّقَتِ ٱمْرَأَةٌ زَوْجَهَا وَتَزَوَّجَتْ بِآخَرَ تَزْنِي». ١٢ 12
१२और यदि पत्नी अपने पति को छोड़कर दूसरे से विवाह करे, तो वह व्यभिचार करती है।”
وَقَدَّمُوا إِلَيْهِ أَوْلَادًا لِكَيْ يَلْمِسَهُمْ. وَأَمَّا ٱلتَّلَامِيذُ فَٱنْتَهَرُوا ٱلَّذِينَ قَدَّمُوهُمْ. ١٣ 13
१३फिर लोग बालकों को उसके पास लाने लगे, कि वह उन पर हाथ रखे; पर चेलों ने उनको डाँटा।
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ ذَلِكَ ٱغْتَاظَ وَقَالَ لَهُمْ: «دَعُوا ٱلْأَوْلَادَ يَأْتُونَ إِلَيَّ وَلَا تَمْنَعُوهُمْ، لِأَنَّ لِمِثْلِ هَؤُلَاءِ مَلَكُوتَ ٱللهِ. ١٤ 14
१४यीशु ने यह देख क्रुद्ध होकर उनसे कहा, “बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है।
اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: مَنْ لَا يَقْبَلُ مَلَكُوتَ ٱللهِ مِثْلَ وَلَدٍ فَلَنْ يَدْخُلَهُ». ١٥ 15
१५मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की तरह ग्रहण न करे, वह उसमें कभी प्रवेश करने न पाएगा।”
فَٱحْتَضَنَهُمْ وَوَضَعَ يَدَيْهِ عَلَيْهِمْ وَبَارَكَهُمْ. ١٦ 16
१६और उसने उन्हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्हें आशीष दी।
وَفِيمَا هُوَ خَارِجٌ إِلَى ٱلطَّرِيقِ، رَكَضَ وَاحِدٌ وَجَثَا لَهُ وَسَأَلَهُ: «أَيُّهَا ٱلْمُعَلِّمُ ٱلصَّالِحُ، مَاذَا أَعْمَلُ لِأَرِثَ ٱلْحَيَاةَ ٱلْأَبَدِيَّةَ؟». (aiōnios g166) ١٧ 17
१७और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उससे पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूँ?” (aiōnios g166)
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «لِمَاذَا تَدْعُونِي صَالِحًا؟ لَيْسَ أَحَدٌ صَالِحًا إِلَّا وَاحِدٌ وَهُوَ ٱللهُ. ١٨ 18
१८यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात् परमेश्वर।
أَنْتَ تَعْرِفُ ٱلْوَصَايَا: لَا تَزْنِ. لَا تَقْتُلْ. لَا تَسْرِقْ. لَا تَشْهَدْ بِٱلزُّورِ. لَا تَسْلُبْ. أَكْرِمْ أَبَاكَ وَأُمَّكَ». ١٩ 19
१९तू आज्ञाओं को तो जानता है: ‘हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।’”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، هَذِهِ كُلُّهَا حَفِظْتُهَا مُنْذُ حَدَاثَتِي». ٢٠ 20
२०उसने उससे कहा, “हे गुरु, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूँ।”
فَنَظَرَ إِلَيْهِ يَسُوعُ وَأَحَبَّهُ، وَقَالَ لَهُ: «يُعْوِزُكَ شَيْءٌ وَاحِدٌ: اِذْهَبْ بِعْ كُلَّ مَا لَكَ وَأَعْطِ ٱلْفُقَرَاءَ، فَيَكُونَ لَكَ كَنْزٌ فِي ٱلسَّمَاءِ، وَتَعَالَ ٱتْبَعْنِي حَامِلًا ٱلصَّلِيبَ». ٢١ 21
२१यीशु ने उस पर दृष्टि करके उससे प्रेम किया, और उससे कहा, “तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेचकर गरीबों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले।”
فَٱغْتَمَّ عَلَى ٱلْقَوْلِ وَمَضَى حَزِينًا، لِأَنَّهُ كَانَ ذَا أَمْوَالٍ كَثِيرَةٍ. ٢٢ 22
२२इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था।
فَنَظَرَ يَسُوعُ حَوْلَهُ وَقَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «مَا أَعْسَرَ دُخُولَ ذَوِي ٱلْأَمْوَالِ إِلَى مَلَكُوتِ ٱللهِ!». ٢٣ 23
२३यीशु ने चारों ओर देखकर अपने चेलों से कहा, “धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!”
فَتَحَيَّرَ ٱلتَّلَامِيذُ مِنْ كَلَامِهِ. فَأَجَابَ يَسُوعُ أَيْضًا وَقَالَ لَهُمْ: «يَا بَنِيَّ، مَا أَعْسَرَ دُخُولَ ٱلْمُتَّكِلِينَ عَلَى ٱلْأَمْوَالِ إِلَى مَلَكُوتِ ٱللهِ! ٢٤ 24
२४चेले उसकी बातों से अचम्भित हुए। इस पर यीशु ने फिर उनसे कहा, “हे बालकों, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उनके लिए परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!
مُرُورُ جَمَلٍ مِنْ ثَقْبِ إِبْرَةٍ أَيْسَرُ مِنْ أَنْ يَدْخُلَ غَنِيٌّ إِلَى مَلَكُوتِ ٱللهِ». ٢٥ 25
२५परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!”
فَبُهِتُوا إِلَى ٱلْغَايَةِ قَائِلِينَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «فَمَنْ يَسْتَطِيعُ أَنْ يَخْلُصَ؟». ٢٦ 26
२६वे बहुत ही चकित होकर आपस में कहने लगे, “तो फिर किसका उद्धार हो सकता है?”
فَنَظَرَ إِلَيْهِمْ يَسُوعُ وَقَالَ: «عِنْدَ ٱلنَّاسِ غَيْرُ مُسْتَطَاعٍ، وَلَكِنْ لَيْسَ عِنْدَ ٱللهِ، لِأَنَّ كُلَّ شَيْءٍ مُسْتَطَاعٌ عِنْدَ ٱللهِ». ٢٧ 27
२७यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, “मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है।”
وَٱبْتَدَأَ بُطْرُسُ يَقُولُ لَهُ: «هَا نَحْنُ قَدْ تَرَكْنَا كُلَّ شَيْءٍ وَتَبِعْنَاكَ». ٢٨ 28
२८पतरस उससे कहने लगा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं।”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ: «ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَيْسَ أَحَدٌ تَرَكَ بَيْتًا أَوْ إِخْوَةً أَوْ أَخَوَاتٍ أَوْ أَبًا أَوْ أُمًّا أَوِ ٱمْرَأَةً أَوْ أَوْلَادًا أَوْ حُقُولًا، لِأَجْلِي وَلِأَجْلِ ٱلْإِنْجِيلِ، ٢٩ 29
२९यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि ऐसा कोई नहीं, जिसने मेरे और सुसमाचार के लिये घर या भाइयों या बहनों या माता या पिता या बाल-बच्चों या खेतों को छोड़ दिया हो,
إِلَّا وَيَأْخُذُ مِئَةَ ضِعْفٍ ٱلْآنَ فِي هَذَا ٱلزَّمَانِ، بُيُوتًا وَإِخْوَةً وَأَخَوَاتٍ وَأُمَّهَاتٍ وَأَوْلَادًا وَحُقُولًا، مَعَ ٱضْطِهَادَاتٍ، وَفِي ٱلدَّهْرِ ٱلْآتِي ٱلْحَيَاةَ ٱلْأَبَدِيَّةَ. (aiōn g165, aiōnios g166) ٣٠ 30
३०और अब इस समयसौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहनों और माताओं और बाल-बच्चों और खेतों को, पर सताव के साथ और परलोक में अनन्त जीवन। (aiōn g165, aiōnios g166)
وَلَكِنْ كَثِيرُونَ أَوَّلُونَ يَكُونُونَ آخِرِينَ، وَٱلْآخِرُونَ أَوَّلِينَ». ٣١ 31
३१पर बहुत सारे जो पहले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, वे पहले होंगे।”
وَكَانُوا فِي ٱلطَّرِيقِ صَاعِدِينَ إِلَى أُورُشَلِيمَ وَيَتَقَدَّمُهُمْ يَسُوعُ، وَكَانُوا يَتَحَيَّرُونَ. وَفِيمَا هُمْ يَتْبَعُونَ كَانُوا يَخَافُونَ. فَأَخَذَ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ أَيْضًا وَٱبْتَدَأَ يَقُولُ لَهُمْ عَمَّا سَيَحْدُثُ لَهُ: ٣٢ 32
३२और वे यरूशलेम को जाते हुए मार्ग में थे, और यीशु उनके आगे-आगे जा रहा था: और चेले अचम्भा करने लगे और जो उसके पीछे-पीछे चलते थे वे डरे हुए थे, तब वह फिर उन बारहों को लेकर उनसे वे बातें कहने लगा, जो उस पर आनेवाली थीं।
«هَا نَحْنُ صَاعِدُونَ إِلَى أُورُشَلِيمَ، وَٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ يُسَلَّمُ إِلَى رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْكَتَبَةِ، فَيَحْكُمُونَ عَلَيْهِ بِٱلْمَوْتِ، وَيُسَلِّمُونَهُ إِلَى ٱلْأُمَمِ، ٣٣ 33
३३“देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं, और मनुष्य का पुत्र प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हाथ पकड़वाया जाएगा, और वे उसको मृत्यु के योग्य ठहराएँगे, और अन्यजातियों के हाथ में सौंपेंगे।
فَيَهْزَأُونَ بِهِ وَيَجْلِدُونَهُ وَيَتْفُلُونَ عَلَيْهِ وَيَقْتُلُونَهُ، وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ يَقُومُ». ٣٤ 34
३४और वे उसका उपहास करेंगे, उस पर थूकेंगे, उसे कोड़े मारेंगे, और उसे मार डालेंगे, और तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।”
وَتَقَدَّمَ إِلَيْهِ يَعْقُوبُ وَيُوحَنَّا ٱبْنَا زَبْدِي قَائِلَيْنِ: «يَا مُعَلِّمُ، نُرِيدُ أَنْ تَفْعَلَ لَنَا كُلَّ مَا طَلَبْنَا». ٣٥ 35
३५तब जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, “हे गुरु, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से माँगे, वही तू हमारे लिये करे।”
فَقَالَ لَهُمَا: «مَاذَا تُرِيدَانِ أَنْ أَفْعَلَ لَكُمَا؟». ٣٦ 36
३६उसने उनसे कहा, “तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूँ?”
فَقَالَا لَهُ: «أَعْطِنَا أَنْ نَجْلِسَ وَاحِدٌ عَنْ يَمِينِكَ وَٱلْآخَرُ عَنْ يَسَارِكَ فِي مَجْدِكَ». ٣٧ 37
३७उन्होंने उससे कहा, “हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बाएँ बैठे।”
فَقَالَ لَهُمَا يَسُوعُ: «لَسْتُمَا تَعْلَمَانِ مَا تَطْلُبَانِ. أَتَسْتَطِيعَانِ أَنْ تَشْرَبَا ٱلْكَأْسَ ٱلَّتِي أَشْرَبُهَا أَنَا، وَأَنْ تَصْطَبِغَا بِٱلصِّبْغَةِ ٱلَّتِي أَصْطَبغُ بِهَا أَنَا؟» ٣٨ 38
३८यीशु ने उनसे कहा, “तुम नहीं जानते, कि क्या माँगते हो? जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, क्या तुम पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ, क्या तुम ले सकते हो?”
فَقَالَا لَهُ: «نَسْتَطِيعُ». فَقَالَ لَهُمَا يَسُوعُ: «أَمَّا ٱلْكَأْسُ ٱلَّتِي أَشْرَبُهَا أَنَا فَتَشْرَبَانِهَا، وَبَالصِّبْغَةِ ٱلَّتِي أَصْطَبِغُ بِهَا أَنَا تَصْطَبِغَانِ. ٣٩ 39
३९उन्होंने उससे कहा, “हम से हो सकता है।” यीशु ने उनसे कहा, “जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, तुम पीओगे; और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ, उसे लोगे।
وَأَمَّا ٱلْجُلُوسُ عَنْ يَمِينِي وَعَنْ يَسَارِي فَلَيْسَ لِي أَنْ أُعْطِيَهُ إِلَّا لِلَّذِينَ أُعِدَّ لَهُمْ». ٤٠ 40
४०पर जिनके लिये तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएँ बैठाना मेरा काम नहीं।”
وَلَمَّا سَمِعَ ٱلْعَشَرَةُ ٱبْتَدَأُوا يَغْتَاظُونَ مِنْ أَجْلِ يَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا. ٤١ 41
४१यह सुनकर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसियाने लगे।
فَدَعَاهُمْ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ ٱلَّذِينَ يُحْسَبُونَ رُؤَسَاءَ ٱلْأُمَمِ يَسُودُونَهُمْ، وَأَنَّ عُظَمَاءَهُمْ يَتَسَلَّطُونَ عَلَيْهِمْ. ٤٢ 42
४२तो यीशु ने उनको पास बुलाकर उनसे कहा, “तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के अधिपति समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उनमें जो बड़े हैं, उन पर अधिकार जताते हैं।
فَلَا يَكُونُ هَكَذَا فِيكُمْ. بَلْ مَنْ أَرَادَ أَنْ يَصِيرَ فِيكُمْ عَظِيمًا، يَكُونُ لَكُمْ خَادِمًا، ٤٣ 43
४३पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन् जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने;
وَمَنْ أَرَادَ أَنْ يَصِيرَ فِيكُمْ أَوَّلًا، يَكُونُ لِلْجَمِيعِ عَبْدًا. ٤٤ 44
४४और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने।
لِأَنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ أَيْضًا لَمْ يَأْتِ لِيُخْدَمَ بَلْ لِيَخْدِمَ وَلِيَبْذِلَ نَفْسَهُ فِدْيَةً عَنْ كَثِيرِينَ». ٤٥ 45
४५क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिए नहीं आया, कि उसकी सेवा टहल की जाए, पर इसलिए आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों के छुटकारे के लिये अपना प्राण दे।”
وَجَاءُوا إِلَى أَرِيحَا. وَفِيمَا هُوَ خَارِجٌ مِنْ أَرِيحَا مَعَ تَلَامِيذِهِ وَجَمْعٍ غَفِيرٍ، كَانَ بَارْتِيمَاوُسُ ٱلْأَعْمَى ٱبْنُ تِيمَاوُسَ جَالِسًا عَلَى ٱلطَّرِيقِ يَسْتَعْطِي. ٤٦ 46
४६वे यरीहो में आए, और जब वह और उसके चेले, और एक बड़ी भीड़ यरीहो से निकलती थी, तब तिमाई का पुत्र बरतिमाई एक अंधा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा था।
فَلَمَّا سَمِعَ أَنَّهُ يَسُوعُ ٱلنَّاصِرِيُّ، ٱبْتَدَأَ يَصْرُخُ وَيَقُولُ: «يَا يَسُوعُ ٱبْنَ دَاوُدَ، ٱرْحَمْنِي!» ٤٧ 47
४७वह यह सुनकर कि यीशु नासरी है, पुकार पुकारकर कहने लगा “हे दाऊद की सन्तान, यीशु मुझ पर दया कर।”
فَٱنْتَهَرَهُ كَثِيرُونَ لِيَسْكُتَ، فَصَرَخَ أَكْثَرَ كَثِيرًا: «يَا ٱبْنَ دَاوُدَ، ٱرْحَمْنِي!». ٤٨ 48
४८बहुतों ने उसे डाँटा कि चुप रहे, पर वह और भी पुकारने लगा, “हे दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर।”
فَوَقَفَ يَسُوعُ وَأَمَرَ أَنْ يُنَادَى. فَنَادَوْا ٱلْأَعْمَى قَائِلِينَ لَهُ: «ثِقْ! قُمْ! هُوَذَا يُنَادِيكَ». ٤٩ 49
४९तब यीशु ने ठहरकर कहा, “उसे बुलाओ।” और लोगों ने उस अंधे को बुलाकर उससे कहा, “धैर्य रख, उठ, वह तुझे बुलाता है।”
فَطَرَحَ رِدَاءَهُ وَقَامَ وَجَاءَ إِلَى يَسُوعَ. ٥٠ 50
५०वह अपना बाहरी वस्त्र फेंककर शीघ्र उठा, और यीशु के पास आया।
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُ: «مَاذَا تُرِيدُ أَنْ أَفْعَلَ بِكَ؟» فَقَالَ لَهُ ٱلْأَعْمَى: «يَا سَيِّدِي، أَنْ أُبْصِرَ!». ٥١ 51
५१इस पर यीशु ने उससे कहा, “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिये करूँ?” अंधे ने उससे कहा, “हे रब्बी, यह कि मैं देखने लगूँ।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «ٱذْهَبْ. إِيمَانُكَ قَدْ شَفَاكَ». فَلِلْوَقْتِ أَبْصَرَ، وَتَبِعَ يَسُوعَ فِي ٱلطَّرِيقِ. ٥٢ 52
५२यीशु ने उससे कहा, “चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा कर दिया है।” और वह तुरन्त देखने लगा, और मार्ग में उसके पीछे हो लिया।

< مَرْقُس 10 >