< لُوقا 9 >

وَدَعَا تَلَامِيذَهُ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ، وَأَعْطَاهُمْ قُوَّةً وَسُلْطَانًا عَلَى جَمِيعِ ٱلشَّيَاطِينِ وَشِفَاءِ أَمْرَاضٍ، ١ 1
फिर उसने उन बारह को बुलाकर उन्हें सब बदरूहों पर इख़्तियार बख़्शा और बीमारियों को दूर करने की क़ुदरत दी।
وَأَرْسَلَهُمْ لِيَكْرِزُوا بِمَلَكُوتِ ٱللهِ وَيَشْفُوا ٱلْمَرْضَى. ٢ 2
और उन्हें ख़ुदा की बादशाही का ऐलान करने और बीमारों को अच्छा करने के लिए भेजा,
وَقَالَ لَهُمْ: «لَا تَحْمِلُوا شَيْئًا لِلطَّرِيقِ: لَا عَصًا وَلَا مِزْوَدًا وَلَا خُبْزًا وَلَا فِضَّةً، وَلَا يَكُونُ لِلْوَاحِدِ ثَوْبَانِ. ٣ 3
और उनसे कहा, “राह के लिए कुछ न लेना, न लाठी, न झोली, न रोटी, न रुपए, न दो दो कुरते रखना।
وَأَيُّ بَيْتٍ دَخَلْتُمُوهُ فَهُنَاكَ أَقِيمُوا، وَمِنْ هُنَاكَ ٱخْرُجُوا. ٤ 4
और जिस घर में दाख़िल हो वहीं रहना और वहीं से रवाना होना;
وَكُلُّ مَنْ لَا يَقْبَلُكُمْ فَٱخْرُجُوا مِنْ تِلْكَ ٱلْمَدِينَةِ، وَٱنْفُضُوا ٱلْغُبَارَ أَيْضًا عَنْ أَرْجُلِكُمْ شَهَادَةً عَلَيْهِمْ». ٥ 5
और जिस शहर के लोग तुम्हें क़ुबूल ना करें, उस शहर से निकलते वक़्त अपने पाँव की धूल झाड़ देना ताकि उन पर गवाही हो।”
فَلَمَّا خَرَجُوا كَانُوا يَجْتَازُونَ فِي كُلِّ قَرْيَةٍ يُبَشِّرُونَ وَيَشْفُونَ فِي كُلِّ مَوْضِعٍ. ٦ 6
पस वो रवाना होकर गाँव गाँव ख़ुशख़बरी सुनाते और हर जगह शिफ़ा देते फिरे।
فَسَمِعَ هِيرُودُسُ رَئِيسُ ٱلرُّبْعِ بِجَمِيعِ مَا كَانَ مِنْهُ، وَٱرْتَابَ، لِأَنَّ قَوْمًا كَانُوا يَقُولُونَ: «إِنَّ يُوحَنَّا قَدْ قَامَ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ». ٧ 7
चौथाई मुल्क का हाकिम हेरोदेस सब अहवाल सुन कर घबरा गया, इसलिए कि कुछ ये कहते थे कि युहन्ना मुर्दों में से जी उठा है,
وَقَوْمًا: «إِنَّ إِيلِيَّا ظَهَرَ». وَآخَرِينَ: «إِنَّ نَبِيًّا مِنَ ٱلْقُدَمَاءِ قَامَ». ٨ 8
और कुछ ये कि एलियाह ज़ाहिर हुआ, और कुछ ये कि क़दीम नबियों में से कोई जी उठा है।
فَقَالَ هِيرُودُسُ: «يُوحَنَّا أَنَا قَطَعْتُ رَأْسَهُ. فَمَنْ هُوَ هَذَا ٱلَّذِي أَسْمَعُ عَنْهُ مِثْلَ هَذَا؟». وَكَانَ يَطْلُبُ أَنْ يَرَاهُ. ٩ 9
मगर हेरोदेस ने कहा, “युहन्ना का तो मैं ने सिर कटवा दिया, अब ये कौन जिसके बारे में ऐसी बातें सुनता हूँ?” पस उसे देखने की कोशिश में रहा।
وَلَمَّا رَجَعَ ٱلرُّسُلُ أَخْبَرُوهُ بِجَمِيعِ مَا فَعَلُوا، فَأَخَذَهُمْ وَٱنْصَرَفَ مُنْفَرِدًا إِلَى مَوْضِعٍ خَلَاءٍ لِمَدِينَةٍ تُسَمَّى بَيْتَ صَيْدَا. ١٠ 10
फिर रसूलों ने जो कुछ किया था लौटकर उससे बयान किया; और वो उनको अलग लेकर बैतसैदा नाम एक शहर को चला गया।
فَٱلْجُمُوعُ إِذْ عَلِمُوا تَبِعُوهُ، فَقَبِلَهُمْ وَكَلَّمَهُمْ عَنْ مَلَكُوتِ ٱللهِ، وَٱلْمُحْتَاجُونَ إِلَى ٱلشِّفَاءِ شَفَاهُمْ. ١١ 11
ये जानकर भीड़ उसके पीछे गई और वो ख़ुशी के साथ उनसे मिला और उनसे ख़ुदा की बादशाही की बातें करने लगा, और जो शिफ़ा पाने के मुहताज थे उन्हें शिफ़ा बख़्शी।
فَٱبْتَدَأَ ٱلنَّهَارُ يَمِيلُ. فَتَقَدَّمَ ٱلِٱثْنَا عَشَرَ وَقَالُوا لَهُ: «ٱصْرِفِ ٱلْجَمْعَ لِيَذْهَبُوا إِلَى ٱلْقُرَى وَٱلضِّيَاعِ حَوَالَيْنَا فَيَبِيتُوا وَيَجِدُوا طَعَامًا، لِأَنَّنَا هَهُنَا فِي مَوْضِعٍ خَلَاءٍ». ١٢ 12
जब दिन ढलने लगा तो उन बारह ने आकर उससे कहा, “भीड़ को रुख़्सत कर के चारों तरफ़ के गाँव और बस्तियों में जा टिकें और खाने का इन्तिज़ाम करें।” क्यूँकि हम यहाँ वीरान जगह में हैं।
فَقَالَ لَهُمْ: «أَعْطُوهُمْ أَنْتُمْ لِيَأْكُلُوا». فَقَالُوا: «لَيْسَ عِنْدَنَا أَكْثَرُ مِنْ خَمْسَةِ أَرْغِفَةٍ وَسَمَكَتَيْنِ، إِلَّا أَنْ نَذْهَبَ وَنَبْتَاعَ طَعَامًا لِهَذَا ٱلشَّعْبِ كُلِّهِ». ١٣ 13
उसने उनसे कहा, “तुम ही उन्हें खाने को दो,” उन्होंने कहा, “हमारे पास सिर्फ़ पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ है, मगर हाँ हम जा जाकर इन सब लोगों के लिए खाना मोल ले आएँ।”
لِأَنَّهُمْ كَانُوا نَحْوَ خَمْسَةِ آلَافِ رَجُلٍ. فَقَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «أَتْكِئُوهُمْ فِرَقًا خَمْسِينَ خَمْسِينَ». ١٤ 14
क्यूँकि वो पाँच हज़ार मर्द के क़रीब थे। उसने अपने शागिर्दों से कहा, “उनको तक़रीबन पचास — पचास की क़तारों में बिठाओ।”
فَفَعَلُوا هَكَذَا، وَأَتْكَأُوا ٱلْجَمِيعَ. ١٥ 15
उन्होंने उसी तरह किया और सब को बिठाया।
فَأَخَذَ ٱلْأَرْغِفَةَ ٱلْخَمْسَةَ وَٱلسَّمَكَتَيْنِ، وَرَفَعَ نَظَرَهُ نَحْوَ ٱلسَّمَاءِ وَبَارَكَهُنَّ، ثُمَّ كَسَّرَ وَأَعْطَى ٱلتَّلَامِيذَ لِيُقَدِّمُوا لِلْجَمْعِ. ١٦ 16
फिर उसने वो पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं और आसमान की तरफ़ देख कर उन पर बर्क़त बख़्शी, और तोड़कर अपने शागिर्दों को देता गया कि लोगों के आगे रख्खें।
فَأَكَلُوا وَشَبِعُوا جَمِيعًا. ثُمَّ رُفِعَ مَا فَضَلَ عَنْهُمْ مِنَ ٱلْكِسَرِ ٱثْنَتَا عَشْرَةَ قُفَّةً. ١٧ 17
उन्होंने खाया और सब सेर हो गए, और उनके बचे हुए बे इस्तेमाल खाने की बारह टोकरियाँ उठाई गईं।
وَفِيمَا هُوَ يُصَلِّي عَلَى ٱنْفِرَادٍ كَانَ ٱلتَّلَامِيذُ مَعَهُ. فَسَأَلَهُمْ قَائِلًا: «مَنْ تَقُولُ ٱلْجُمُوعُ أَنِّي أَنَا؟». ١٨ 18
जब वो तन्हाई में दुआ कर रहा था और शागिर्द उसके पास थे, तो ऐसा हुआ कि उसने उनसे पूछा, “लोग मुझे क्या कहते हैं?”
فَأَجَابُوا وَقَالوا: «يُوحَنَّا ٱلْمَعْمَدَانُ. وَآخَرُونَ: إِيلِيَّا. وَآخَرُونَ: إِنَّ نَبِيًّا مِنَ ٱلْقُدَمَاءِ قَامَ». ١٩ 19
उन्होंने जवाब में कहा, “युहन्ना बपतिस्मा देनेवाला और कुछ एलियाह कहते हैं, और कुछ ये कि पुराने नबियों में से कोई जी उठा है।”
فَقَالَ لَهُمْ: «وَأَنْتُمْ، مَنْ تَقُولُونَ أَنِّي أَنَا؟» فَأَجَابَ بُطْرُسُ وَقَالَ: «مَسِيحُ ٱللهِ!». ٢٠ 20
उसने उनसे कहा, “लेकिन तुम मुझे क्या कहते हो?” पतरस ने जवाब में कहा, “ख़ुदावन्द का मसीह।”
فَٱنْتَهَرَهُمْ وَأَوْصَى أَنْ لَا يَقُولُوا ذَلِكَ لِأَحَدٍ، ٢١ 21
उसने उनको हिदायत करके हुक्म दिया कि ये किसी से न कहना,
قَائِلًا: «إِنَّهُ يَنْبَغِي أَنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ يَتَأَلَّمُ كَثِيرًا، وَيُرْفَضُ مِنَ ٱلشُّيُوخِ وَرُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْكَتَبَةِ، وَيُقْتَلُ، وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ يَقُومُ». ٢٢ 22
और कहा, “ज़रूर है इब्न — ए — आदम बहुत दुःख उठाए और बुज़ुर्ग और सरदार काहिन और आलिम उसे रद्द करें और वो क़त्ल किया जाए और तीसरे दिन जी उठे।”
وَقَالَ لِلْجَمِيعِ: «إِنْ أَرَادَ أَحَدٌ أَنْ يَأْتِيَ وَرَائِي، فَلْيُنْكِرْ نَفْسَهُ وَيَحْمِلْ صَلِيبَهُ كُلَّ يَوْمٍ، وَيَتْبَعْنِي. ٢٣ 23
और उसने सब से कहा, “अगर कोई मेरे पीछे आना चाहे तो अपने आप से इनकार करे और हर रोज़ अपनी सलीब उठाए और मेरे पीछे हो ले।
فَإِنَّ مَنْ أَرَادَ أَنْ يُخَلِّصَ نَفْسَهُ يُهْلِكُهَا، وَمَنْ يُهْلِكُ نَفْسَهُ مِنْ أَجْلِي فَهَذَا يُخَلِّصُهَا. ٢٤ 24
क्यूँकि जो कोई अपनी जान बचाना चाहे, वो उसे खोएगा और जो कोई मेरी ख़ातिर अपनी जान खोए वही उसे बचाएगा।
لِأَنَّهُ مَاذَا يَنْتَفِعُ ٱلْإِنْسَانُ لَوْ رَبِحَ ٱلْعَالَمَ كُلَّهُ، وَأَهْلَكَ نَفْسَهُ أَوْ خَسِرَهَا؟ ٢٥ 25
और आदमी अगर सारी दुनिया को हासिल करे और अपनी जान को खो दे या नुक़्सान उठाए तो उसे क्या फ़ाइदा होगा?
لِأَنَّ مَنِ ٱسْتَحَى بِي وَبِكَلَامِي، فَبِهَذَا يَسْتَحِي ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ مَتَى جَاءَ بِمَجْدِهِ وَمَجْدِ ٱلْآبِ وَٱلْمَلَائِكَةِ ٱلْقِدِّيسِينَ. ٢٦ 26
क्यूँकि जो कोई मुझ से और मेरी बातों से शरमाएगा, इब्न — ए — आदम भी जब अपने और अपने बाप के और पाक फ़रिश्तों के जलाल में आएगा तो उस से शरमाएगा।
حَقًّا أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ مِنَ ٱلْقِيَامِ هَهُنَا قَوْمًا لَا يَذُوقُونَ ٱلْمَوْتَ حَتَّى يَرَوْا مَلَكُوتَ ٱللهِ». ٢٧ 27
लेकिन मैं तुम से सच कहता हूँ कि उनमें से जो यहाँ खड़े हैं कुछ ऐसे हैं कि जब तक ख़ुदा की बादशाही को देख न लें मौत का मज़ा हरगिज़ न चखेंगे।”
وَبَعْدَ هَذَا ٱلْكَلَامِ بِنَحْوِ ثَمَانِيَةِ أَيَّامٍ، أَخَذَ بُطْرُسَ وَيُوحَنَّا وَيَعْقُوبَ وَصَعِدَ إِلَى جَبَلٍ لِيُصَلِّيَ. ٢٨ 28
फिर इन बातों के कोई आठ रोज़ बाद ऐसा हुआ, कि वो पतरस और यूहन्ना और या'क़ूब को साथ लेकर पहाड़ पर दुआ करने गया।
وَفِيمَا هُوَ يُصَلِّي صَارَتْ هَيْئَةُ وَجْهِهِ مُتَغَيِّرَةً، وَلِبَاسُهُ مُبْيَضًّا لَامِعًا. ٢٩ 29
जब वो दुआ कर रहा था, तो ऐसा हुआ कि उसके चेहरे की सूरत बदल गई, और उसकी पोशाक सफ़ेद बर्राक़ हो गई।
وَإِذَا رَجُلَانِ يَتَكَلَّمَانِ مَعَهُ، وَهُمَا مُوسَى وَإِيلِيَّا، ٣٠ 30
और देखो, दो शख़्स या'नी मूसा और एलियाह उससे बातें कर रहे थे।
اللَّذَانِ ظَهَرَا بِمَجْدٍ، وَتَكَلَّمَا عَنْ خُرُوجِهِ ٱلَّذِي كَانَ عَتِيدًا أَنْ يُكَمِّلَهُ فِي أُورُشَلِيمَ. ٣١ 31
ये जलाल में दिखाई दिए और उसके इन्तक़ाल का ज़िक्र करते थे, जो येरूशलेम में वाक़े' होने को था।
وَأَمَّا بُطْرُسُ وَٱللَّذَانِ مَعَهُ فَكَانُوا قَدْ تَثَقَّلُوا بِٱلنَّوْمِ. فَلَمَّا ٱسْتَيْقَظُوا رَأَوْا مَجْدَهُ، وَٱلرَّجُلَيْنِ ٱلْوَاقِفَيْنِ مَعَهُ. ٣٢ 32
मगर पतरस और उसके साथी नींद में पड़े थे और जब अच्छी तरह जागे, तो उसके जलाल को और उन दो शख़्सों को देखा जो उसके साथ खड़े थे।
وَفِيمَا هُمَا يُفَارِقَانِهِ قَالَ بُطْرُسُ لِيَسُوعَ «يَا مُعَلِّمُ، جَيِّدٌ أَنْ نَكُونَ هَهُنَا. فَلْنَصْنَعْ ثَلَاثَ مَظَالَّ: لَكَ وَاحِدَةً، وَلِمُوسَى وَاحِدَةً، وَلِإِيلِيَّا وَاحِدَةً». وَهُوَ لَا يَعْلَمُ مَا يَقُولُ. ٣٣ 33
जब वो उससे जुदा होने लगे तो ऐसा हुआ कि पतरस ने ईसा से कहा, “ऐ उस्ताद! हमारा यहाँ रहना अच्छा है: पस हम तीन डेरे बनाएँ, एक तेरे लिए एक मूसा के लिए और एक एलियाह के लिए।” लेकिन वो जानता न था कि क्या कहता है।
وَفِيمَا هُوَ يَقُولُ ذَلِكَ كَانَتْ سَحَابَةٌ فَظَلَّلَتْهُمْ. فَخَافُوا عِنْدَمَا دَخَلُوا فِي ٱلسَّحَابَةِ. ٣٤ 34
वो ये कहता ही था कि बादल ने आकर उन पर साया कर लिया, और जब वो बादल में घिरने लगे तो डर गए।
وَصَارَ صَوْتٌ مِنَ ٱلسَّحَابَةِ قَائِلًا: «هَذَا هُوَ ٱبْنِي ٱلْحَبِيبُ. لَهُ ٱسْمَعُوا». ٣٥ 35
और बादल में से एक आवाज़ आई, “ये मेरा चुना हुआ बेटा है, इसकी सुनो।”
وَلَمَّا كَانَ ٱلصَّوْتُ وُجِدَ يَسُوعُ وَحْدَهُ، وَأَمَّا هُمْ فَسَكَتُوا وَلَمْ يُخْبِرُوا أَحَدًا فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ بِشَيْءٍ مِمَّا أَبْصَرُوهُ. ٣٦ 36
ये आवाज़ आते ही ईसा अकेला दिखाई दिया; और वो चुप रहे, और जो बातें देखी थीं उन दिनों में किसी को उनकी कुछ ख़बर न दी।
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلتَّالِي إِذْ نَزَلُوا مِنَ ٱلْجَبَلِ، ٱسْتَقْبَلَهُ جَمْعٌ كَثِيرٌ. ٣٧ 37
दूसरे दिन जब वो पहाड़ से उतरे थे, तो ऐसा हुआ कि एक बड़ी भीड़ उससे आ मिली।
وَإِذَا رَجُلٌ مِنَ ٱلْجَمْعِ صَرَخَ قَائِلًا: «يَا مُعَلِّمُ، أَطْلُبُ إِلَيْكَ. اُنْظُرْ إِلَى ٱبْنِي، فَإِنَّهُ وَحِيدٌ لِي. ٣٨ 38
और देखो एक आदमी ने भीड़ में से चिल्लाकर कहा, “ऐ उस्ताद! मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि मेरे बेटे पर नज़र कर; क्यूँकि वो मेरा इकलौता है।
وَهَا رُوحٌ يَأْخُذُهُ فَيَصْرُخُ بَغْتَةً، فَيَصْرَعُهُ مُزْبِدًا، وَبِٱلْجَهْدِ يُفَارِقُهُ مُرَضِّضًا إِيَّاهُ. ٣٩ 39
और देखो, एक रूह उसे पकड़ लेती है, और वो यकायक चीख़ उठता है; और उसको ऐसा मरोड़ती है कि क़फ़ भर लाता है, और उसको कुचल कर मुश्किल से छोड़ती है।
وَطَلَبْتُ مِنْ تَلَامِيذِكَ أَنْ يُخْرِجُوهُ فَلَمْ يَقْدِرُوا». ٤٠ 40
मैंने तेरे शागिर्दों की मिन्नत की कि उसे निकाल दें, लेकिन वो न निकाल सके।”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلْجِيلُ غَيْرُ ٱلْمُؤْمِنِ وَٱلْمُلْتَوِي إِلَى مَتَى أَكُونُ مَعَكُمْ وَأَحْتَمِلُكُمْ؟ قَدِّمِ ٱبْنَكَ إِلَى هُنَا!». ٤١ 41
ईसा ने जवाब में कहा, “ऐ कम ईमान वालों मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हारी बर्दाश्त करूँगा? अपने बेटे को ले आ।”
وَبَيْنَمَا هُوَ آتٍ مَزَّقَهُ ٱلشَّيْطَانُ وَصَرَعَهُ، فَٱنْتَهَرَ يَسُوعُ ٱلرُّوحَ ٱلنَّجِسَ، وَشَفَى ٱلصَّبِيَّ وَسَلَّمَهُ إِلَى أَبِيهِ. ٤٢ 42
वो आता ही था कि बदरूह ने उसे पटक कर मरोड़ा और ईसा ने उस नापाक रूह को झिड़का और लड़के को अच्छा करके उसके बाप को दे दिया।
فَبُهِتَ ٱلْجَمِيعُ مِنْ عَظَمَةِ ٱللهِ. وَإِذْ كَانَ ٱلْجَمِيعُ يَتَعَجَّبُونَ مِنْ كُلِّ مَا فَعَلَ يَسُوعُ، قَالَ لِتَلَامِيذِهِ: ٤٣ 43
और सब लोग ख़ुदा की शान देखकर हैरान हुए। लेकिन जिस वक़्त सब लोग उन सब कामों पर जो वो करता था ता'ज्जुब कर रहे थे, उसने अपने शागिर्दों से कहा,
«ضَعُوا أَنْتُمْ هَذَا ٱلْكَلَامَ فِي آذَانِكُمْ: إِنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ سَوْفَ يُسَلَّمُ إِلَى أَيْدِي ٱلنَّاسِ». ٤٤ 44
“तुम्हारे कानों में ये बातें पड़ी रहें, क्यूँकि इब्न — ए — आदम आदमियों के हवाले किए जाने को है।”
وَأَمَّا هُمْ فَلَمْ يَفْهَمُوا هَذَا ٱلْقَوْلَ، وَكَانَ مُخْفًى عَنْهُمْ لِكَيْ لَا يَفْهَمُوهُ، وَخَافُوا أَنْ يَسْأَلُوهُ عَنْ هَذَا ٱلْقَوْلِ. ٤٥ 45
लेकिन वो इस बात को समझते न थे, बल्कि ये उनसे छिपाई गई ताकि उसे मा'लूम न करें; और इस बात के बारे में उससे पूछते हुए डरते थे।
وَدَاخَلَهُمْ فِكْرٌ مَنْ عَسَى أَنْ يَكُونَ أَعْظَمَ فِيهِمْ؟ ٤٦ 46
फिर उनमें ये बहस शुरू' हुई, कि हम में से बड़ा कौन है?
فَعَلِمَ يَسُوعُ فِكْرَ قَلْبِهِمْ، وَأَخَذَ وَلَدًا وَأَقَامَهُ عِنْدَهُ، ٤٧ 47
लेकिन ईसा ने उनके दिलों का ख़याल मा'लूम करके एक बच्चे को लिया, और अपने पास खड़ा करके उनसे कहा,
وَقَالَ لَهُمْ: «مَنْ قَبِلَ هَذَا ٱلْوَلَدَ بِٱسْمِي يَقْبَلُنِي، وَمَنْ قَبِلَنِي يَقْبَلُ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي، لِأَنَّ ٱلْأَصْغَرَ فِيكُمْ جَمِيعًا هُوَ يَكُونُ عَظِيمًا». ٤٨ 48
“जो कोई इस बच्चे को मेरे नाम से क़ुबूल करता है, वो मुझे क़ुबूल करता है; और जो मुझे क़ुबूल करता है, वो मेरे भेजनेवाले को क़ुबूल करता है; क्यूँकि जो तुम में सब से छोटा है वही बड़ा है”
فَأجَابَ يُوحَنَّا وَقَالَ: «يَا مُعَلِّمُ، رَأَيْنَا وَاحِدًا يُخْرِجُ ٱلشَّيَاطِينَ بِٱسْمِكَ فَمَنَعْنَاهُ، لِأَنَّهُ لَيْسَ يَتْبَعُ مَعَنَا». ٤٩ 49
यूहन्ना ने जवाब में कहा, “ऐ उस्ताद! हम ने एक शख़्स को तेरे नाम से बदरूह निकालते देखा, और उसको मनह' करने लगे, क्यूँकि वो हमारे साथ तेरी पैरवी नहीं करता।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «لَا تَمْنَعُوهُ، لِأَنَّ مَنْ لَيْسَ عَلَيْنَا فَهُوَ مَعَنَا». ٥٠ 50
लेकिन ईसा ने उससे कहा, “उसे मनह' न करना, क्यूँकि जो तुम्हारे ख़िलाफ़ नहीं वो तुम्हारी तरफ़ है।”
وَحِينَ تَمَّتِ ٱلْأَيَّامُ لِٱرْتِفَاعِهِ ثَبَّتَ وَجْهَهُ لِيَنْطَلِقَ إِلَى أُورُشَلِيمَ، ٥١ 51
जब वो दिन नज़दीक आए कि वो ऊपर उठाया जाए, तो ऐसा हुआ कि उसने येरूशलेम जाने को कमर बाँधी।
وَأَرْسَلَ أَمَامَ وَجْهِهِ رُسُلًا، فَذَهَبُوا وَدَخَلُوا قَرْيَةً لِلسَّامِرِيِّينَ حَتَّى يُعِدُّوا لَهُ. ٥٢ 52
और आगे क़ासिद भेजे, वो जाकर सामरियों के एक गाँव में दाख़िल हुए ताकि उसके लिए तैयारी करें
فَلَمْ يَقْبَلُوهُ لِأَنَّ وَجْهَهُ كَانَ مُتَّجِهًا نَحْوَ أُورُشَلِيمَ. ٥٣ 53
लेकिन उन्होंने उसको टिकने न दिया, क्यूँकि उसका रुख येरूशलेम की तरफ़ था।
فَلَمَّا رَأَى ذَلِكَ تِلْمِيذَاهُ يَعْقُوبُ وَيُوحَنَّا، قَالَا: «يَارَبُّ، أَتُرِيدُ أَنْ نَقُولَ أَنْ تَنْزِلَ نَارٌ مِنَ ٱلسَّمَاءِ فَتُفْنِيَهُمْ، كَمَا فَعَلَ إِيلِيَّا أَيْضًا؟». ٥٤ 54
ये देखकर उसके शागिर्द या'क़ूब और यूहन्ना ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, क्या तू चाहता है कि हम हुक्म दें कि आसमान से आग नाज़िल होकर उन्हें भस्म कर दे [जैसा एलियाह ने किया]?”
فَٱلْتَفَتَ وَٱنْتَهَرَهُمَا وَقَالَ: «لَسْتُمَا تَعْلَمَانِ مِنْ أَيِّ رُوحٍ أَنْتُمَا! ٥٥ 55
मगर उसने फिरकर उन्हें झिड़का [और कहा, तुम नहीं जानते कि तुम कैसी रूह के हो। क्यूँकि इब्न — ए — आदम लोगों की जान बरबाद करने नहीं बल्कि बचाने आया है]
لِأَنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ لَمْ يَأْتِ لِيُهْلِكَ أَنْفُسَ ٱلنَّاسِ، بَلْ لِيُخَلِّصَ». فَمَضَوْا إِلَى قَرْيَةٍ أُخْرَى. ٥٦ 56
फिर वो किसी और गाँव में चले गए।
وَفِيمَا هُمْ سَائِرُونَ فِي ٱلطَّرِيقِ قَالَ لَهُ وَاحِدٌ: «يَا سَيِّدُ، أَتْبَعُكَ أَيْنَمَا تَمْضِي». ٥٧ 57
जब वो राह में चले जाते थे तो किसी ने उससे कहा, “जहाँ कहीं तू जाए, मैं तेरे पीछे चलूँगा।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «لِلثَّعَالِبِ أَوْجِرَةٌ، وَلِطُيُورِ ٱلسَّمَاءِ أَوْكَارٌ، وَأَمَّا ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ فَلَيْسَ لَهُ أَيْنَ يُسْنِدُ رَأْسَهُ». ٥٨ 58
ईसा ने उससे कहा, “लोमड़ियों के भठ होते हैं और हवा के परिन्दों के घोंसले, मगर इब्न — ए — आदम के लिए सिर रखने की भी जगह नहीं।”
وَقَالَ لِآخَرَ: «ٱتْبَعْنِي». فَقَالَ: «يَا سَيِّدُ، ٱئْذَنْ لِي أَنْ أَمْضِيَ أَوَّلًا وَأَدْفِنَ أَبِي». ٥٩ 59
फिर उसने दूसरे से कहा, “मेरे पीछे हो ले।” उसने जवाब में कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! मुझे इजाज़त दे कि पहले जाकर अपने बाप को दफ़्न करूँ।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «دَعِ ٱلْمَوْتَى يَدْفِنُونَ مَوْتَاهُمْ، وَأَمَّا أَنْتَ فَٱذْهَبْ وَنَادِ بِمَلَكُوتِ ٱللهِ». ٦٠ 60
उसने उससे कहा, “मुर्दों को अपने मुर्दे दफ़्न करने दे, लेकिन तू जाकर ख़ुदा की बादशाही की ख़बर फैला।”
وَقَالَ آخَرُ أَيْضًا: «أَتْبَعُكَ يَا سَيِّدُ، وَلَكِنِ ٱئْذَنْ لِي أَوَّلًا أَنْ أُوَدِّعَ ٱلَّذِينَ فِي بَيْتِي». ٦١ 61
एक और ने भी कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरे पीछे चलूँगा, लेकिन पहले मुझे इजाज़त दे कि अपने घर वालों से रुख़्सत हो आऊँ।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «لَيْسَ أَحَدٌ يَضَعُ يَدَهُ عَلَى ٱلْمِحْرَاثِ وَيَنْظُرُ إِلَى ٱلْوَرَاءِ يَصْلُحُ لِمَلَكُوتِ ٱللهِ». ٦٢ 62
ईसा ने उससे कहा, “जो कोई अपना हाथ हल पर रख कर पीछे देखता है वो ख़ुदा की बादशाही के लायक़ नहीं।”

< لُوقا 9 >