< لُوقا 8 >

وَعَلَى أَثَرِ ذَلِكَ كَانَ يَسِيرُ فِي مَدِينَةٍ وَقَرْيَةٍ يَكْرِزُ وَيُبَشِّرُ بِمَلَكُوتِ ٱللهِ، وَمَعَهُ ٱلِٱثْنَا عَشَرَ. ١ 1
इसके बाद शीघ्र ही प्रभु येशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा तथा प्रचार करते हुए नगर-नगर और गांव-गांव फिरने लगे. बारहों शिष्य उनके साथ साथ थे.
وَبَعْضُ ٱلنِّسَاءِ كُنَّ قَدْ شُفِينَ مِنْ أَرْوَاحٍ شِرِّيرَةٍ وَأَمْرَاضٍ: مَرْيَمُ ٱلَّتِي تُدْعَى ٱلْمَجْدَلِيَّةَ ٱلَّتِي خَرَجَ مِنْهَا سَبْعَةُ شَيَاطِينَ، ٢ 2
इनके अतिरिक्त कुछ वे स्त्रियां भी उनके साथ यात्रा कर रही थी, जिन्हें रोगों और दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया गया था: मगदालावासी मरियम, जिसमें से सात दुष्टात्मा निकाले गए थे,
وَيُوَنَّا ٱمْرَأَةُ خُوزِي وَكِيلِ هِيرُودُسَ، وَسُوسَنَّةُ، وَأُخَرُ كَثِيرَاتٌ كُنَّ يَخْدِمْنَهُ مِنْ أَمْوَالِهِنَّ. ٣ 3
हेरोदेस के भंडारी कूज़ा की पत्नी योहान्‍ना, सूज़न्‍ना तथा अन्य स्त्रियां. ये वे स्त्रियां थी, जो अपनी संपत्ति से इनकी सहायता कर रही थी.
فَلَمَّا ٱجْتَمَعَ جَمْعٌ كَثِيرٌ أَيْضًا مِنَ ٱلَّذِينَ جَاءُوا إِلَيْهِ مِنْ كُلِّ مَدِينَةٍ، قَالَ بِمَثَلٍ: ٤ 4
जब नगर-नगर से बड़ी भीड़ इकट्ठा हो रही थी और लोग प्रभु येशु के पास आ रहे थे, प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा शिक्षा दी.
«خَرَجَ ٱلزَّارِعُ لِيَزْرَعَ زَرْعَهُ. وَفِيمَا هُوَ يَزْرَعُ سَقَطَ بَعْضٌ عَلَى ٱلطَّرِيقِ، فَٱنْدَاسَ وَأَكَلَتْهُ طُيُورُ ٱلسَّمَاءِ. ٥ 5
“एक किसान बीज बोने के लिए निकला. बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, पैरों के नीचे कुचले गए तथा आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया.
وَسَقَطَ آخَرُ عَلَى ٱلصَّخْرِ، فَلَمَّا نَبَتَ جَفَّ لِأَنَّهُ لَمْ تَكُنْ لَهُ رُطُوبَةٌ. ٦ 6
कुछ पथरीली भूमि पर जा पड़े, वे अंकुरित तो हुए परंतु नमी न होने के कारण मुरझा गए.
وَسَقَطَ آخَرُ فِي وَسْطِ ٱلشَّوْكِ، فَنَبَتَ مَعَهُ ٱلشَّوْكُ وَخَنَقَهُ. ٧ 7
कुछ बीज कंटीली झाड़ियों में जा पड़े और झाड़ियों ने उनके साथ बड़े होते हुए उन्हें दबा दिया.
وَسَقَطَ آخَرُ فِي ٱلْأَرْضِ ٱلصَّالِحَةِ، فَلَمَّا نَبَتَ صَنَعَ ثَمَرًا مِئَةَ ضِعْفٍ». قَالَ هَذَا وَنَادَى: «مَنْ لَهُ أُذْنَانِ لِلسَّمْعِ فَلْيَسْمَعْ!». ٨ 8
कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, बड़े हुए और फल लाए—जितना बोया गया था उससे सौ गुणा.” जब प्रभु येशु यह दृष्टांत सुना चुके तो उन्होंने ऊंचे शब्द में कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले.”
فَسَأَلَهُ تَلَامِيذُهُ قَائِلِينَ: «مَا عَسَى أَنْ يَكُونَ هَذَا ٱلْمَثَلُ؟». ٩ 9
उनके शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “इस दृष्टांत का अर्थ क्या है?”
فَقَالَ: «لَكُمْ قَدْ أُعْطِيَ أَنْ تَعْرِفُوا أَسْرَارَ مَلَكُوتِ ٱللهِ، وَأَمَّا لِلْبَاقِينَ فَبِأَمْثَالٍ، حَتَّى إِنَّهُمْ مُبْصِرِينَ لَا يُبْصِرُونَ، وَسَامِعِينَ لَا يَفْهَمُونَ. ١٠ 10
प्रभु येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद जानने की क्षमता प्रदान की गई है किंतु अन्यों के लिए मुझे दृष्टान्तों का प्रयोग करना पड़ता हैं जिससे कि, “‘वे देखते हुए भी न देखें; और सुनते हुए भी न समझें.’
وَهَذَا هُوَ ٱلْمَثَلُ: ٱلزَّرْعُ هُوَ كَلَامُ ٱللهِ، ١١ 11
“इस दृष्टांत का अर्थ यह है: बीज परमेश्वर का वचन है.
وَٱلَّذِينَ عَلَى ٱلطَّرِيقِ هُمُ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ، ثُمَّ يَأْتِي إِبْلِيسُ وَيَنْزِعُ ٱلْكَلِمَةَ مِنْ قُلُوبِهِمْ لِئَلَّا يُؤْمِنُوا فَيَخْلُصُوا. ١٢ 12
मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जो वचन सुनते तो हैं किंतु शैतान आता है और उनके मन से वचन उठा ले जाता है कि वे विश्वास करके उद्धार प्राप्‍त न कर सकें
وَٱلَّذِينَ عَلَى ٱلصَّخْرِ هُمُ ٱلَّذِينَ مَتَى سَمِعُوا يَقْبَلُونَ ٱلْكَلِمَةَ بِفَرَحٍ، وَهَؤُلَاءِ لَيْسَ لَهُمْ أَصْلٌ، فَيُؤْمِنُونَ إِلَى حِينٍ، وَفِي وَقْتِ ٱلتَّجْرِبَةِ يَرْتَدُّونَ. ١٣ 13
पथरीली भूमि वे लोग हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुनने पर खुशी से स्वीकारते हैं किंतु उनमें जड़ न होने के कारण वे विश्वास में थोड़े समय के लिए ही स्थिर रह पाते हैं. कठिन परिस्थितियों में घिरने पर वे विश्वास से दूर हो जाते हैं.
وَٱلَّذِي سَقَطَ بَيْنَ ٱلشَّوْكِ هُمُ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ، ثُمَّ يَذْهَبُونَ فَيَخْتَنِقُونَ مِنْ هُمُومِ ٱلْحَيَاةِ وَغِنَاهَا وَلَذَّاتِهَا، وَلَا يُنْضِجُونَ ثَمَرًا. ١٤ 14
वह भूमि जहां बीज कंटीली झाड़ियों के मध्य गिरा, वे लोग हैं, जो सुनते तो हैं किंतु जब वे जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं, जीवन की चिंताएं, धन तथा विलासिता उनका दमन कर देती हैं और वे मजबूत हो ही नहीं पाते.
وَٱلَّذِي فِي ٱلْأَرْضِ ٱلْجَيِّدَةِ، هُوَ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ ٱلْكَلِمَةَ فَيَحْفَظُونَهَا فِي قَلْبٍ جَيِّدٍ صَالِحٍ، وَيُثْمِرُونَ بِٱلصَّبْرِ. ١٥ 15
इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढतापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरंतर फल लाते हैं.
«وَلَيْسَ أَحَدٌ يُوقِدُ سِرَاجًا وَيُغَطِّيهِ بِإِنَاءٍ أَوْ يَضَعُهُ تَحْتَ سَرِيرٍ، بَلْ يَضَعُهُ عَلَى مَنَارَةٍ، لِيَنْظُرَ ٱلدَّاخِلُونَ ٱلنُّورَ. ١٦ 16
“कोई भी दीपक को जलाकर न तो उसे बर्तन से ढांकता है और न ही उसे पलंग के नीचे रखता है परंतु उसे दीवट पर रखता है कि कमरे में प्रवेश करने पर लोग देख सकें.
لِأَنَّهُ لَيْسَ خَفِيٌّ لَا يُظْهَرُ، وَلَا مَكْتُومٌ لَا يُعْلَمُ وَيُعْلَنُ. ١٧ 17
ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है जिसे प्रकट न किया जाएगा तथा ऐसा कोई रहस्य नहीं जिसे उजागर कर सामने न लाया जाएगा.
فَٱنْظُرُوا كَيْفَ تَسْمَعُونَ، لِأَنَّ مَنْ لَهُ سَيُعْطَى، وَمَنْ لَيْسَ لَهُ فَٱلَّذِي يَظُنُّهُ لَهُ يُؤْخَذُ مِنْهُ». ١٨ 18
इसलिये इसका विशेष ध्यान रखो कि तुम कैसे सुनते हो. जिस किसी के पास है, उसे और भी दिया जाएगा तथा जिस किसी के पास नहीं है, उसके पास से वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके विचार से उसका है.”
وَجَاءَ إِلَيْهِ أُمُّهُ وَإِخْوَتُهُ، وَلَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يَصِلُوا إِلَيْهِ لِسَبَبِ ٱلْجَمْعِ. ١٩ 19
तब प्रभु येशु की माता और उनके भाई उनसे भेंट करने वहां आए किंतु लोगों की भीड़ के कारण वे उनके पास पहुंचने में असमर्थ रहे.
فَأَخْبَرُوهُ قَائِلِينَ: «أُمُّكَ وَإِخْوَتُكَ وَاقِفُونَ خَارِجًا، يُرِيدُونَ أَنْ يَرَوْكَ». ٢٠ 20
किसी ने प्रभु येशु को सूचना दी, “आपकी माता तथा भाई बाहर खड़े हैं—वे आपसे भेंट करना चाह रहे हैं.”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «أُمِّي وَإِخْوَتِي هُمُ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ كَلِمَةَ ٱللهِ وَيَعْمَلُونَ بِهَا». ٢١ 21
प्रभु येशु ने कहा, “मेरी माता और भाई वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते तथा उसका पालन करते हैं.”
وَفِي أَحَدِ ٱلْأَيَّامِ دَخَلَ سَفِينَةً هُوَ وَتَلَامِيذُهُ، فَقَالَ لَهُمْ: «لِنَعْبُرْ إِلَى عَبْرِ ٱلْبُحَيْرَةِ». فَأَقْلَعُوا. ٢٢ 22
एक दिन प्रभु येशु ने शिष्यों से कहा, “आओ, हम झील की दूसरी ओर चलें.” इसलिये वे सब नाव में बैठकर चल दिए.
وَفِيمَا هُمْ سَائِرُونَ نَامَ. فَنَزَلَ نَوْءُ رِيحٍ فِي ٱلْبُحَيْرَةِ، وَكَانُوا يَمْتَلِئُونَ مَاءً وَصَارُوا فِي خَطَرٍ. ٢٣ 23
जब वे नाव खे रहे थे प्रभु येशु सो गए. उसी समय झील पर प्रचंड बवंडर उठा, यहां तक कि नाव में जल भरने लगा और उनका जीवन खतरे में पड़ गया.
فَتَقَدَّمُوا وَأَيْقَظُوهُ قَائِلِينَ: «يَا مُعَلِّمُ، يَا مُعَلِّمُ، إِنَّنَا نَهْلِكُ!». فَقَامَ وَٱنْتَهَرَ ٱلرِّيحَ وَتَمَوُّجَ ٱلْمَاءِ، فَٱنْتَهَيَا وَصَارَ هُدُوُّ. ٢٤ 24
शिष्यों ने जाकर प्रभु येशु को जगाते हुए कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जा रहे हैं!” प्रभु येशु उठे. और बवंडर और तेज लहरों को डांटा; बवंडर थम गया तथा तेज लहरें शांत हो गईं.
ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «أَيْنَ إِيمَانُكُمْ؟». فَخَافُوا وَتَعَجَّبُوا قَائِلِينَ فِيمَا بَيْنَهُمْ: «مَنْ هُوَ هَذَا؟ فَإِنَّهُ يَأْمُرُ ٱلرِّيَاحَ أَيْضًا وَٱلْمَاءَ فَتُطِيعُهُ!». ٢٥ 25
“कहां है तुम्हारा विश्वास?” प्रभु येशु ने अपने शिष्यों से प्रश्न किया. भय और अचंभे में वे एक दूसरे से पूछने लगे, “कौन हैं यह, जो बवंडर और लहरों तक को आदेश देते हैं और वे भी उनके आदेशों का पालन करती हैं!”
وَسَارُوا إِلَى كُورَةِ ٱلْجَدَرِيِّينَ ٱلَّتِي هِيَ مُقَابِلَ ٱلْجَلِيلِ. ٢٦ 26
इसके बाद वे गिरासेन प्रदेश में आए, जो गलील झील के दूसरी ओर है.
وَلَمَّا خَرَجَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱسْتَقْبَلَهُ رَجُلٌ مِنَ ٱلْمَدِينَةِ كَانَ فِيهِ شَيَاطِينُ مُنْذُ زَمَانٍ طَوِيلٍ، وَكَانَ لَا يَلْبَسُ ثَوْبًا، وَلَا يُقِيمُ فِي بَيْتٍ، بَلْ فِي ٱلْقُبُورِ. ٢٧ 27
जब प्रभु येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक दुष्टात्मा समाये हुए थे. दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लंबे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परंतु कब्रों की गुफाओं में रहता था.
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعَ صَرَخَ وَخَرَّ لَهُ، وَقَالَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «مَا لِي وَلَكَ يَا يَسُوعُ ٱبْنَ ٱللهِ ٱلْعَلِيِّ؟ أَطْلُبُ مِنْكَ أَنْ لَا تُعَذِّبَنِي!». ٢٨ 28
प्रभु येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यंत ऊंचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना देना? आपसे मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,”
لِأَنَّهُ أَمَرَ ٱلرُّوحَ ٱلنَّجِسَ أَنْ يَخْرُجَ مِنَ ٱلْإِنْسَانِ. لِأَنَّهُ مُنْذُ زَمَانٍ كَثِيرٍ كَانَ يَخْطَفُهُ، وَقَدْ رُبِطَ بِسَلَاسِلٍ وَقُيُودٍ مَحْرُوسًا، وَكَانَ يَقْطَعُ ٱلرُّبُطَ وَيُسَاقُ مِنَ ٱلشَّيْطَانِ إِلَى ٱلْبَرَارِي. ٢٩ 29
क्योंकि प्रभु येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय समय पर दुष्टात्मा उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बांधकर पहरे में रखते थे, फिर भी वह दुष्टात्मा बेड़ियां तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.
فَسَأَلَهُ يَسُوعُ قَائِلًا: «مَا ٱسْمُكَ؟». فَقَالَ: «لَجِئُونُ». لِأَنَّ شَيَاطِينَ كَثِيرَةً دَخَلَتْ فِيهِ. ٣٠ 30
प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तुम्हारा?” “विशाल सेना,” उसने उत्तर दिया क्योंकि अनेक दुष्टात्मा उसमें समाए हुए थे.
وَطَلَبَ إِلَيْهِ أَنْ لَا يَأْمُرَهُمْ بِٱلذَّهَابِ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ. (Abyssos g12) ٣١ 31
दुष्टात्मा-गण प्रभु येशु से निरंतर विनती कर रहे थे कि वह उन्हें पाताल में न भेजें. (Abyssos g12)
وَكَانَ هُنَاكَ قَطِيعُ خَنَازِيرَ كَثِيرَةٍ تَرْعَى فِي ٱلْجَبَلِ، فَطَلَبُوا إِلَيْهِ أَنْ يَأْذَنَ لَهُمْ بِٱلدُّخُولِ فِيهَا، فَأَذِنَ لَهُمْ. ٣٢ 32
वहीं पहाड़ी के ढाल पर सूअरों का एक विशाल समूह चर रहा था. दुष्टात्माओं ने प्रभु येशु से विनती की कि वह उन्हें सूअरों में जाने की अनुमति दे दें. प्रभु येशु ने उन्हें अनुमति दे दी.
فَخَرَجَتِ ٱلشَّيَاطِينُ مِنَ ٱلْإِنْسَانِ وَدَخَلَتْ فِي ٱلْخَنَازِيرِ، فَٱنْدَفَعَ ٱلْقَطِيعُ مِنْ عَلَى ٱلْجُرُفِ إِلَى ٱلْبُحَيْرَةِ وَٱخْتَنَقَ. ٣٣ 33
जब दुष्टात्मा उस व्यक्ति में से बाहर आए, उन्होंने तुरंत जाकर सूअरों में प्रवेश किया और सूअर ढाल से झपटकर दौड़ते हुए झील में जा डूबे.
فَلَمَّا رَأَى ٱلرُّعَاةُ مَا كَانَ هَرَبُوا وَذَهَبُوا وَأَخْبَرُوا فِي ٱلْمَدِينَةِ وَفِي ٱلضِّيَاعِ، ٣٤ 34
इन सूअरों के चरवाहे यह देख दौड़कर गए और नगर तथा उस प्रदेश में सब जगह इस घटना के विषय में बताने लगे.
فَخَرَجُوا لِيَرَوْا مَا جَرَى. وَجَاءُوا إِلَى يَسُوعَ فَوَجَدُوا ٱلْإِنْسَانَ ٱلَّذِي كَانَتِ ٱلشَّيَاطِينُ قَدْ خَرَجَتْ مِنْهُ لَابِسًا وَعَاقِلًا، جَالِسًا عِنْدَ قَدَمَيْ يَسُوعَ، فَخَافُوا. ٣٥ 35
लोग वहां यह देखने आने लगे कि क्या हुआ है. तब वे प्रभु येशु के पास आए. वहां उन्होंने देखा कि वह व्यक्ति, जो पहले दुष्टात्मा से पीड़ित था, वस्त्र धारण किए हुए, पूरी तरह स्वस्थ और सचेत प्रभु येशु के चरणों में बैठा हुआ है. यह देख वे हैरान रह गए.
فَأَخْبَرَهُمْ أَيْضًا ٱلَّذِينَ رَأَوْا كَيْفَ خَلَصَ ٱلْمَجْنُونُ. ٣٦ 36
जिन्होंने यह सब देखा, उन्होंने जाकर अन्यों को सूचित किया कि यह दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार दुष्टात्मा से मुक्त हुआ है.
فَطَلَبَ إِلَيْهِ كُلُّ جُمْهُورِ كُورَةِ ٱلْجَدَرِيِّينَ أَنْ يَذْهَبَ عَنْهُمْ، لِأَنَّهُ ٱعْتَرَاهُمْ خَوْفٌ عَظِيمٌ. فَدَخَلَ ٱلسَّفِينَةَ وَرَجَعَ. ٣٧ 37
तब गिरासेन प्रदेश तथा पास के क्षेत्रों के सभी निवासियों ने प्रभु येशु को वहां से दूर चले जाने को कहा क्योंकि वे अत्यंत भयभीत हो गए थे. इसलिये प्रभु येशु नाव द्वारा वहां से चले गए.
أَمَّا ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي خَرَجَتْ مِنْهُ ٱلشَّيَاطِينُ فَطَلَبَ إِلَيْهِ أَنْ يَكُونَ مَعَهُ، وَلَكِنَّ يَسُوعَ صَرَفَهُ قَائِلًا: ٣٨ 38
वह व्यक्ति जिसमें से दुष्टात्मा निकाला गया था उसने प्रभु येशु से विनती की कि वह उसे अपने साथ ले लें किंतु प्रभु येशु ने उसे यह कहते हुए विदा किया,
«ٱرْجِعْ إِلَى بَيْتِكَ وَحَدِّثْ بِكَمْ صَنَعَ ٱللهُ بِكَ». فَمَضَى وَهُوَ يُنَادِي فِي ٱلْمَدِينَةِ كُلِّهَا بِكَمْ صَنَعَ بِهِ يَسُوعُ. ٣٩ 39
“अपने परिजनों में लौट जाओ तथा इन बड़े-बड़े कामों का वर्णन करो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे लिए किए हैं.” इसलिये वह लौटकर सभी नगर में यह वर्णन करने लगा कि प्रभु येशु ने उसके लिए कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं.
وَلَمَّا رَجَعَ يَسُوعُ قَبِلَهُ ٱلْجَمْعُ لِأَنَّهُمْ كَانُوا جَمِيعُهُمْ يَنْتَظِرُونَهُ. ٤٠ 40
जब प्रभु येशु झील की दूसरी ओर पहुंचे, वहां इंतजार करती भीड़ ने उनका स्वागत किया.
وَإِذَا رَجُلٌ ٱسْمُهُ يَايِرُسُ قَدْ جَاءَ، وَكَانَ رَئِيسَ ٱلْمَجْمَعِ، فَوَقَعَ عِنْدَ قَدَمَيْ يَسُوعَ وَطَلَبَ إِلَيْهِ أَنْ يَدْخُلَ بَيْتَهُ، ٤١ 41
जाइरूस नामक एक व्यक्ति, जो यहूदी सभागृह का प्रधान था, उनसे भेंट करने आया. उसने प्रभु येशु के चरणों पर गिरकर उनसे विनती की कि वह उसके साथ उसके घर जाएं
لِأَنَّهُ كَانَ لَهُ بِنْتٌ وَحِيدَةٌ لَهَا نَحْوُ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً، وَكَانَتْ فِي حَالِ ٱلْمَوْتِ. فَفِيمَا هُوَ مُنْطَلِقٌ زَحَمَتْهُ ٱلْجُمُوعُ. ٤٢ 42
क्योंकि उसकी एकमात्र बेटी, जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी. जब प्रभु येशु वहां जा रहे थे, मार्ग में वह भीड़ में दबे जा रहे थे.
وَٱمْرَأَةٌ بِنَزْفِ دَمٍ مُنْذُ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً، وَقَدْ أَنْفَقَتْ كُلَّ مَعِيشَتِهَا لِلْأَطِبَّاءِ، وَلَمْ تَقْدِرْ أَنْ تُشْفَى مِنْ أَحَدٍ، ٤٣ 43
वहां बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री थी. उसने अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी.
جَاءَتْ مِنْ وَرَائِهِ وَلَمَسَتْ هُدْبَ ثَوْبِهِ. فَفِي ٱلْحَالِ وَقَفَ نَزْفُ دَمِهَا. ٤٤ 44
इस स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ, और उसी क्षण उसका लहू बहना बंद हो गया.
فَقَالَ يَسُوعُ: «مَنِ ٱلَّذِي لَمَسَنِي؟». وَإِذْ كَانَ ٱلْجَمِيعُ يُنْكِرُونَ، قَالَ بُطْرُسُ وَٱلَّذِينَ مَعَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، ٱلْجُمُوعُ يُضَيِّقُونَ عَلَيْكَ وَيَزْحَمُونَكَ، وَتَقُولُ: مَنِ ٱلَّذِي لَمَسَنِي؟». ٤٥ 45
“किसने मुझे छुआ है?” प्रभु येशु ने पूछा. जब सभी इससे इनकार कर रहे थे, पेतरॉस ने उनसे कहा, “स्वामी! यह बढ़ती हुई भीड़ आप पर गिरी जा रही है.”
فَقَالَ يَسُوعُ: «قَدْ لَمَسَنِي وَاحِدٌ، لِأَنِّي عَلِمْتُ أَنَّ قُوَّةً قَدْ خَرَجَتْ مِنِّي». ٤٦ 46
किंतु प्रभु येशु ने उनसे कहा, “किसी ने तो मुझे छुआ है क्योंकि मुझे यह पता चला है कि मुझमें से सामर्थ्य निकली है.”
فَلَمَّا رَأَتِ ٱلْمَرْأَةُ أَنَّهَا لَمْ تَخْتَفِ، جَاءَتْ مُرْتَعِدَةً وَخَرَّتْ لَهُ، وَأَخْبَرَتْهُ قُدَّامَ جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ لِأَيِّ سَبَبٍ لَمَسَتْهُ، وَكَيْفَ بَرِئَتْ فِي ٱلْحَالِ. ٤٧ 47
जब उस स्त्री ने यह समझ लिया कि उसका छुपा रहना असंभव है, भय से कांपती हुई सामने आई और प्रभु येशु के चरणों में गिर पड़ी. उसने सभी उपस्थित भीड़ के सामने यह स्वीकार किया कि उसने प्रभु येशु को क्यों छुआ था तथा कैसे वह तत्काल रोग से चंगी हो गई.
فَقَالَ لَهَا: «ثِقِي يَا ٱبْنَةُ، إِيمَانُكِ قَدْ شَفَاكِ، اِذْهَبِي بِسَلَامٍ». ٤٨ 48
इस पर प्रभु येशु ने उससे कहा, “बेटी! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है. परमेश्वर की शांति में लौट जाओ.”
وَبَيْنَمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ، جَاءَ وَاحِدٌ مِنْ دَارِ رَئِيسِ ٱلْمَجْمَعِ قَائِلًا لَهُ: «قَدْ مَاتَتِ ٱبْنَتُكَ. لَا تُتْعِبِ ٱلْمُعَلِّمَ». ٤٩ 49
जब प्रभु येशु यह कह ही रहे थे, यहूदी सभागृह प्रधान जाइरूस के घर से किसी व्यक्ति ने आकर सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है, अब गुरुवर को कष्ट न दीजिए.”
فَسَمِعَ يَسُوعُ، وَأَجَابَهُ قَائِلًا: «لَاتَخَفْ! آمِنْ فَقَطْ، فَهِيَ تُشْفَى». ٥٠ 50
यह सुन प्रभु येशु ने जाइरूस को संबोधित कर कहा, “डरो मत! केवल विश्वास करो और वह स्वस्थ हो जाएगी.”
فَلَمَّا جَاءَ إِلَى ٱلْبَيْتِ لَمْ يَدَعْ أَحَدًا يَدْخُلُ إِلَّا بُطْرُسَ وَيَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا، وَأَبَا ٱلصَّبِيَّةِ وَأُمَّهَا. ٥١ 51
जब वे जाइरूस के घर पर पहुंचे, प्रभु येशु ने पेतरॉस, योहन और याकोब तथा कन्या के माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को अपने साथ भीतर आने की अनुमति नहीं दी.
وَكَانَ ٱلْجَمِيعُ يَبْكُونَ عَلَيْهَا وَيَلْطِمُونَ. فَقَالَ: «لَا تَبْكُوا. لَمْ تَمُتْ لَكِنَّهَا نَائِمَةٌ». ٥٢ 52
उस समय सभी उस बालिका के लिए रो-रोकर शोक प्रकट कर रहे थे. “बंद करो यह रोना-चिल्लाना!” प्रभु येशु ने आज्ञा दी, “उसकी मृत्यु नहीं हुई है—वह सिर्फ सो रही है.”
فَضَحِكُوا عَلَيْهِ، عَارِفِينَ أَنَّهَا مَاتَتْ. ٥٣ 53
इस पर वे प्रभु येशु पर हंसने लगे क्योंकि वे जानते थे कि बालिका की मृत्यु हो चुकी है.
فَأَخْرَجَ ٱلْجَمِيعَ خَارِجًا، وَأَمْسَكَ بِيَدِهَا وَنَادَى قَائِلًا: «يَا صَبِيَّةُ، قُومِي!». ٥٤ 54
प्रभु येशु ने बालिका का हाथ पकड़कर कहा, “बेटी, उठो!”
فَرَجَعَتْ رُوحُهَا وَقَامَتْ فِي ٱلْحَالِ. فَأَمَرَ أَنْ تُعْطَى لِتَأْكُلَ. ٥٥ 55
उसके प्राण उसमें लौट आए और वह तुरंत खड़ी हो गई. प्रभु येशु ने उनसे कहा कि बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए.
فَبُهِتَ وَالِدَاهَا. فَأَوْصَاهُمَا أَنْ لَا يَقُولَا لِأَحَدٍ عَمَّا كَانَ. ٥٦ 56
उसके माता-पिता चकित रह गए किंतु प्रभु येशु ने उन्हें निर्देश दिया कि जो कुछ हुआ है, उसकी चर्चा किसी से न करें.

< لُوقا 8 >