< لُوقا 15 >

وَكَانَ جَمِيعُ ٱلْعَشَّارِينَ وَٱلْخُطَاةِ يَدْنُونَ مِنْهُ لِيَسْمَعُوهُ. ١ 1
सब महसूल लेनेवाले और गुनहगार उसके पास आते थे ताकि उसकी बातें सुनें।
فَتَذَمَّرَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ وَٱلْكَتَبَةُ قَائِلِينَ: «هَذَا يَقْبَلُ خُطَاةً وَيَأْكُلُ مَعَهُمْ!». ٢ 2
और उलमा और फ़रीसी बुदबुदाकर कहने लगे, “ये आदमी गुनाहगारों से मिलता और उनके साथ खाना खाता है।”
فَكَلَّمَهُمْ بِهَذَا ٱلْمَثَلِ قَائِلًا: ٣ 3
उसने उनसे ये मिसाल कही,
«أَيُّ إِنْسَانٍ مِنْكُمْ لَهُ مِئَةُ خَرُوفٍ، وَأَضَاعَ وَاحِدًا مِنْهَا، أَلَا يَتْرُكُ ٱلتِّسْعَةَ وَٱلتِّسْعِينَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، وَيَذْهَبَ لِأَجْلِ ٱلضَّالِّ حَتَّى يَجِدَهُ؟ ٤ 4
“तुम में से कौन है जिसकी सौ भेड़ें हों, और उनमें से एक गुम हो जाए तो निनानवें को जंगल में छोड़कर उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए ढूँडता न रहेगा?
وَإِذَا وَجَدَهُ يَضَعُهُ عَلَى مَنْكِبَيْهِ فَرِحًا، ٥ 5
फिर मिल जाती है तो वो ख़ुश होकर उसे कन्धे पर उठा लेता है,
وَيَأْتِي إِلَى بَيْتِهِ وَيَدْعُو ٱلْأَصْدِقَاءَ وَٱلْجِيرَانَ قَائِلًا لَهُمُ: ٱفْرَحُوا مَعِي، لِأَنِّي وَجَدْتُ خَرُوفِي ٱلضَّالَّ! ٦ 6
और घर पहुँचकर दोस्तों और पड़ोसियों को बुलाता और कहता है, 'मेरे साथ ख़ुशी करो, क्यूँकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई।
أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ هَكَذَا يَكُونُ فَرَحٌ فِي ٱلسَّمَاءِ بِخَاطِئٍ وَاحِدٍ يَتُوبُ أَكْثَرَ مِنْ تِسْعَةٍ وَتِسْعِينَ بَارًّا لَا يَحْتَاجُونَ إِلَى تَوْبَةٍ. ٧ 7
मैं तुम से कहता हूँ कि इसी तरह निनानवें, रास्तबाज़ों की निस्बत जो तौबा की हाजत नहीं रखते, एक तौबा करने वाले गुनहगार के बा'इस आसमान पर ज़्यादा ख़ुशी होगी।”
«أَوْ أَيَّةُ ٱمْرَأَةٍ لَهَا عَشْرَةُ دَرَاهِمَ، إِنْ أَضَاعَتْ دِرْهَمًا وَاحِدًا، أَلَا تُوقِدُ سِرَاجًا وَتَكْنُسُ ٱلْبَيْتَ وَتُفَتِّشُ بِٱجْتِهَادٍ حَتَّى تَجِدَهُ؟ ٨ 8
“या कौन ऐसी “औरत है जिसके पास दस दिरहम हों और एक खो जाए तो वो चराग़ जलाकर घर में झाडू न दे, और जब तक मिल न जाए कोशिश से ढूँडती न रहे।
وَإِذَا وَجَدَتْهُ تَدْعُو ٱلصَّدِيقَاتِ وَٱلْجَارَاتِ قَائِلَةً: ٱفْرَحْنَ مَعِي لِأَنِّي وَجَدْتُ ٱلدِّرْهَمَ ٱلَّذِي أَضَعْتُهُ. ٩ 9
और जब मिल जाए तो अपनी दोस्तों और पड़ोसियों को बुलाकर न कहे, 'मेरे साथ ख़ुशी करो, क्यूँकि 'मेरा खोया हुआ दिरहम मिल गया।
هَكَذَا، أَقُولُ لَكُمْ: يَكُونُ فَرَحٌ قُدَّامَ مَلَائِكَةِ ٱللهِ بِخَاطِئٍ وَاحِدٍ يَتُوبُ. ١٠ 10
मैं तुम से कहता हूँ कि इसी तरह एक तौबा करनेवाला गुनाहगार के बारे में ख़ुदा के फ़रिश्तों के सामने ख़ुशी होती है।”
وَقَالَ: «إِنْسَانٌ كَانَ لَهُ ٱبْنَانِ. ١١ 11
फिर उसने कहा, “किसी शख़्स के दो बेटे थे।
فَقَالَ أَصْغَرُهُمَا لِأَبِيهِ: يَا أَبِي أَعْطِنِي ٱلْقِسْمَ ٱلَّذِي يُصِيبُنِي مِنَ ٱلْمَالِ. فَقَسَمَ لَهُمَا مَعِيشَتَهُ. ١٢ 12
उनमें से छोटे ने बाप से कहा, 'ऐ बाप! माल का जो हिस्सा मुझ को पहुँचता है मुझे दे दे। उसने अपना माल — ओ — अस्बाब उन्हें बाँट दिया।
وَبَعْدَ أَيَّامٍ لَيْسَتْ بِكَثِيرَةٍ جَمَعَ ٱلِٱبْنُ ٱلْأَصْغَرُ كُلَّ شَيْءٍ وَسَافَرَ إِلَى كُورَةٍ بَعِيدَةٍ، وَهُنَاكَ بَذَّرَ مَالَهُ بِعَيْشٍ مُسْرِفٍ. ١٣ 13
और बहुत दिन न गुज़रे कि छोटा बेटा अपना सब कुछ जमा करके दूर दराज़ मुल्क को रवाना हुआ, और वहाँ अपना माल बदचलनी में उड़ा दिया।
فَلَمَّا أَنْفَقَ كُلَّ شَيْءٍ، حَدَثَ جُوعٌ شَدِيدٌ فِي تِلْكَ ٱلْكُورَةِ، فَٱبْتَدَأَ يَحْتَاجُ. ١٤ 14
जब सब ख़र्च कर चुका तो उस मुल्क में सख़्त काल पड़ा, और वो मुहताज होने लगा।
فَمَضَى وَٱلْتَصَقَ بِوَاحِدٍ مِنْ أَهْلِ تِلْكَ ٱلْكُورَةِ، فَأَرْسَلَهُ إِلَى حُقُولِهِ لِيَرْعَى خَنَازِيرَ. ١٥ 15
फिर उस मुल्क के एक बाशिन्दे के वहाँ जा पड़ा। उसने उसको अपने खेत में खिंजीर यनी [सूअवर] चराने भेजा।
وَكَانَ يَشْتَهِي أَنْ يَمْلَأَ بَطْنَهُ مِنَ ٱلْخُرْنُوبِ ٱلَّذِي كَانَتِ ٱلْخَنَازِيرُ تَأْكُلُهُ، فَلَمْ يُعْطِهِ أَحَدٌ. ١٦ 16
और उसे आरज़ू थी कि जो फलियाँ खिंजीर यनी [सूअवर] खाते थे उन्हीं से अपना पेट भरे, मगर कोई उसे न देता था।
فَرَجَعَ إِلَى نَفْسِهِ وَقَالَ: كَمْ مِنْ أَجِيرٍ لِأَبِي يَفْضُلُ عَنْهُ ٱلْخُبْزُ وَأَنَا أَهْلِكُ جُوعًا! ١٧ 17
फिर उसने होश में आकर कहा, 'मेरे बाप के बहुत से मज़दूरों को इफ़रात से रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ।
أَقُومُ وَأَذْهَبُ إِلَى أَبِي وَأَقُولُ لَهُ: يَا أَبِي، أَخْطَأْتُ إِلَى ٱلسَّمَاءِ وَقُدَّامَكَ، ١٨ 18
मैं उठकर अपने बाप के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा, 'ऐ बाप! मैं आसमान का और तेरी नज़र में गुनहगार हुआ।
وَلَسْتُ مُسْتَحِقًّا بَعْدُ أَنْ أُدْعَى لَكَ ٱبْنًا. اِجْعَلْنِي كَأَحَدِ أَجْرَاكَ. ١٩ 19
अब इस लायक़ नहीं रहा कि फिर तेरा बेटा कहलाऊँ। मुझे अपने मज़दूरों जैसा कर ले।”
فَقَامَ وَجَاءَ إِلَى أَبِيهِ. وَإِذْ كَانَ لَمْ يَزَلْ بَعِيدًا رَآهُ أَبُوهُ، فَتَحَنَّنَ وَرَكَضَ وَوَقَعَ عَلَى عُنُقِهِ وَقَبَّلَهُ. ٢٠ 20
“पस वो उठकर अपने बाप के पास चला। वो अभी दूर ही था कि उसे देखकर उसके बाप को तरस आया, और दौड़कर उसको गले लगा लिया और चूमा।
فَقَالَ لَهُ ٱلِٱبْنُ: يَا أَبِي، أَخْطَأْتُ إِلَى ٱلسَّمَاءِ وَقُدَّامَكَ، وَلَسْتُ مُسْتَحِقًّا بَعْدُ أَنْ أُدْعَى لَكَ ٱبْنًا. ٢١ 21
बेटे ने उससे कहा, 'ऐ बाप! मैं आसमान का और तेरी नज़र मैं गुनहगार हुआ। अब इस लायक़ नहीं रहा कि फिर तेरा बेटा कहलाऊँ।
فَقَالَ ٱلْأَبُ لِعَبِيدِهِ: أَخْرِجُوا ٱلْحُلَّةَ ٱلْأُولَى وَأَلْبِسُوهُ، وَٱجْعَلُوا خَاتَمًا فِي يَدِهِ، وَحِذَاءً فِي رِجْلَيْهِ، ٢٢ 22
बाप ने अपने नौकरों से कहा, 'अच्छे से अच्छा लिबास जल्द निकाल कर उसे पहनाओ और उसके हाथ में अँगूठी और पैरों में जूती पहनाओ;
وَقَدِّمُوا ٱلْعِجْلَ ٱلْمُسَمَّنَ وَٱذْبَحُوهُ فَنَأْكُلَ وَنَفْرَحَ، ٢٣ 23
और तैयार किए हुए जानवर को लाकर ज़बह करो, ताकि हम खाकर ख़ुशी मनाएँ।
لِأَنَّ ٱبْنِي هَذَا كَانَ مَيِّتًا فَعَاشَ، وَكَانَ ضَالًّا فَوُجِدَ. فَٱبْتَدَأُوا يَفْرَحُونَ. ٢٤ 24
क्यूँकि मेरा ये बेटा मुर्दा था, अब ज़िन्दा हुआ; खो गया था, अब मिला है। पस वो ख़ुशी मनाने लगे।”
وَكَانَ ٱبْنُهُ ٱلْأَكْبَرُ فِي ٱلْحَقْلِ. فَلَمَّا جَاءَ وَقَرُبَ مِنَ ٱلْبَيْتِ، سَمِعَ صَوْتَ آلَاتِ طَرَبٍ وَرَقْصًا. ٢٥ 25
“लेकिन उसका बड़ा बेटा खेत में था। जब वो आकर घर के नज़दीक पहुँचा, तो गाने बजाने और नाचने की आवाज़ सुनी।
فَدَعَا وَاحِدًا مِنَ ٱلْغِلْمَانِ وَسَأَلَهُ: مَا عَسَى أَنْ يَكُونَ هَذَا؟ ٢٦ 26
और एक नौकर को बुलाकर मालूम करने लगा, 'ये क्या हो रहा है?'
فَقَالَ لَهُ: أَخُوكَ جَاءَ فَذَبَحَ أَبُوكَ ٱلْعِجْلَ ٱلْمُسَمَّنَ، لِأَنَّهُ قَبِلَهُ سَالِمًا. ٢٧ 27
उसने उससे कहा, 'तेरा भाई आ गया है, और तेरे बाप ने तैयार किया हुआ जानवर ज़बह कराया है, क्यूँकि उसे भला चंगा पाया।
فَغَضِبَ وَلَمْ يُرِدْ أَنْ يَدْخُلَ. فَخَرَجَ أَبُوهُ يَطْلُبُ إِلَيْهِ. ٢٨ 28
वो ग़ुस्सा हुआ और अन्दर जाना न चाहा, मगर उसका बाप बाहर जाकर उसे मनाने लगा।
فَأَجَابَ وَقَالَ لِأَبِيهِ: هَا أَنَا أَخْدِمُكَ سِنِينَ هَذَا عَدَدُهَا، وَقَطُّ لَمْ أَتَجَاوَزْ وَصِيَّتَكَ، وَجَدْيًا لَمْ تُعْطِنِي قَطُّ لِأَفْرَحَ مَعَ أَصْدِقَائِي. ٢٩ 29
उसने अपने बाप से जवाब में कहा, 'देख, इतने बरसों से मैं तेरी ख़िदमत करता हूँ और कभी तेरी नाफ़रमानी नहीं की, मगर मुझे तूने कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया कि अपने दोस्तों के साथ ख़ुशी मनाता।
وَلَكِنْ لَمَّا جَاءَ ٱبْنُكَ هَذَا ٱلَّذِي أَكَلَ مَعِيشَتَكَ مَعَ ٱلزَّوَانِي، ذَبَحْتَ لَهُ ٱلْعِجْلَ ٱلْمُسَمَّنَ! ٣٠ 30
लेकिन जब तेरा ये बेटा आया जिसने तेरा माल — ओ — अस्बाब कस्बियों में उड़ा दिया, तो उसके लिए तूने तैयार किया हुआ जानवर ज़बह कराया है'।
فَقَالَ لَهُ: يَا بُنَيَّ أَنْتَ مَعِي فِي كُلِّ حِينٍ، وَكُلُّ مَا لِي فَهُوَ لَكَ. ٣١ 31
उसने उससे कहा, बेटा, तू तो हमेशा मेरे पास है और जो कुछ मेरा है वो तेरा ही है।
وَلَكِنْ كَانَ يَنْبَغِي أَنْ نَفْرَحَ وَنُسَرَّ، لِأَنَّ أَخَاكَ هَذَا كَانَ مَيِّتًا فَعَاشَ، وَكَانَ ضَالًّا فَوُجِدَ». ٣٢ 32
लेकिन ख़ुशी मनाना और शादमान होना मुनासिब था, क्यूँकि तेरा ये भाई मुर्दा था अब ज़िन्दा हुआ, खोया था अब मिला है'।”

< لُوقا 15 >