< لُوقا 11 >

وَإِذْ كَانَ يُصَلِّي فِي مَوْضِعٍ، لَمَّا فَرَغَ، قَالَ وَاحِدٌ مِنْ تَلَامِيذِهِ: «يَارَبُّ، عَلِّمْنَا أَنْ نُصَلِّيَ كَمَا عَلَّمَ يُوحَنَّا أَيْضًا تَلَامِيذَهُ». ١ 1
फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था। और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उससे कहा, “हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया वैसे ही हमें भी तू सीखा दे।”
فَقَالَ لَهُمْ: «مَتَى صَلَّيْتُمْ فَقُولُوا: أَبَانَا ٱلَّذِي فِي ٱلسَّمَاوَاتِ، لِيَتَقَدَّسِ ٱسْمُكَ، لِيَأْتِ مَلَكُوتُكَ، لِتَكُنْ مَشِيئَتُكَ كَمَا فِي ٱلسَّمَاءِ كَذَلِكَ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ٢ 2
उसने उनसे कहा, “जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो: ‘हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए।
خُبْزَنَا كَفَافَنَا أَعْطِنَا كُلَّ يَوْمٍ، ٣ 3
‘हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।
وَٱغْفِرْ لَنَا خَطَايَانَا لِأَنَّنَا نَحْنُ أَيْضًا نَغْفِرُ لِكُلِّ مَنْ يُذْنِبُ إِلَيْنَا، وَلَا تُدْخِلْنَا فِي تَجْرِبَةٍ لَكِنْ نَجِّنَا مِنَ ٱلشِّرِّيرِ». ٤ 4
‘और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला।’”
ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «مَنْ مِنْكُمْ يَكُونُ لَهُ صَدِيقٌ، وَيَمْضِي إِلَيْهِ نِصْفَ ٱللَّيْلِ، وَيَقُولُ لَهُ يَا صَدِيقُ، أَقْرِضْنِي ثَلَاثَةَ أَرْغِفَةٍ، ٥ 5
और उसने उनसे कहा, “तुम में से कौन है कि उसका एक मित्र हो, और वह आधी रात को उसके पास जाकर उससे कहे, ‘हे मित्र; मुझे तीन रोटियाँ दे।
لِأَنَّ صَدِيقًا لِي جَاءَنِي مِنْ سَفَرٍ، وَلَيْسَ لِي مَا أُقَدِّمُ لَهُ. ٦ 6
क्योंकि एक यात्री मित्र मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है।’
فَيُجِيبَ ذَلِكَ مِنْ دَاخِلٍ وَيَقُولَ: لَا تُزْعِجْنِي! اَلْبَابُ مُغْلَقٌ ٱلْآنَ، وَأَوْلَادِي مَعِي فِي ٱلْفِرَاشِ. لَا أَقْدِرُ أَنْ أَقُومَ وَأُعْطِيَكَ. ٧ 7
और वह भीतर से उत्तर देता, कि मुझे दुःख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिए मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता।
أَقُولُ لَكُمْ: وَإِنْ كَانَ لَا يَقُومُ وَيُعْطِيهِ لِكَوْنِهِ صَدِيقَهُ، فَإِنَّهُ مِنْ أَجْلِ لَجَاجَتِهِ يَقُومُ وَيُعْطِيهِ قَدْرَ مَا يَحْتَاجُ. ٨ 8
मैं तुम से कहता हूँ, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, फिर भी उसके लज्जा छोड़कर माँगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा।
وَأَنَا أَقُولُ لَكُمُ: ٱسْأَلُوا تُعْطَوْا، اُطْلُبُوا تَجِدُوا، اِقْرَعُوا يُفْتَحْ لَكُمْ. ٩ 9
और मैं तुम से कहता हूँ; कि माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
لِأَنَّ كُلَّ مَنْ يَسْأَلُ يَأْخُذُ، وَمَنْ يَطْلُبُ يَجِدُ، وَمَنْ يَقْرَعُ يُفْتَحُ لَهُ. ١٠ 10
१०क्योंकि जो कोई माँगता है, उसे मिलता है; और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
فَمَنْ مِنْكُمْ، وَهُوَ أَبٌ، يَسْأَلُهُ ٱبْنُهُ خُبْزًا، أَفَيُعْطِيهِ حَجَرًا؟ أَوْ سَمَكَةً، أَفَيُعْطِيهِ حَيَّةً بَدَلَ ٱلسَّمَكَةِ؟ ١١ 11
११तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी माँगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली माँगे, तो मछली के बदले उसे साँप दे?
أَوْ إِذَا سَأَلَهُ بَيْضَةً، أَفَيُعْطِيهِ عَقْرَبًا؟ ١٢ 12
१२या अण्डा माँगे तो उसे बिच्छू दे?
فَإِنْ كُنْتُمْ وَأَنْتُمْ أَشْرَارٌ تَعْرِفُونَ أَنْ تُعْطُوا أَوْلَادَكُمْ عَطَايَا جَيِّدَةً، فَكَمْ بِٱلْحَرِيِّ ٱلْآبُ ٱلَّذِي مِنَ ٱلسَّمَاءِ، يُعْطِي ٱلرُّوحَ ٱلْقُدُسَ لِلَّذِينَ يَسْأَلُونَهُ؟». ١٣ 13
१३अतः जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।”
وَكَانَ يُخْرِجُ شَيْطَانًا، وَكَانَ ذَلِكَ أَخْرَسَ. فَلَمَّا أُخْرِجَ ٱلشَّيْطَانُ تَكَلَّمَ ٱلْأَخْرَسُ، فَتَعَجَّبَ ٱلْجُمُوعُ. ١٤ 14
१४फिर उसने एक गूँगी दुष्टात्मा को निकाला; जब दुष्टात्मा निकल गई, तो गूँगा बोलने लगा; और लोगों ने अचम्भा किया।
وَأَمَّا قَوْمٌ مِنْهُمْ فَقَالُوا: «بِبَعْلَزَبُولَ رَئِيسِ ٱلشَّيَاطِينِ يُخْرِجُ ٱلشَّيَاطِينَ». ١٥ 15
१५परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के प्रधान शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
وَآخَرُونَ طَلَبُوا مِنْهُ آيَةً مِنَ ٱلسَّمَاءِ يُجَرِّبُونَهُ. ١٦ 16
१६औरों ने उसकी परीक्षा करने के लिये उससे आकाश का एक चिन्ह माँगा।
فَعَلِمَ أَفْكَارَهُمْ، وَقَالَ لَهُمْ: «كُلُّ مَمْلَكَةٍ مُنْقَسِمَةٍ عَلَى ذَاتِهَا تَخْرَبُ، وَبَيْتٍ مُنْقَسِمٍ عَلَى بَيْتٍ يَسْقُطُ. ١٧ 17
१७परन्तु उसने, उनके मन की बातें जानकर, उनसे कहा, “जिस-जिस राज्य में फूट होती है, वह राज्य उजड़ जाता है; और जिस घर में फूट होती है, वह नाश हो जाता है।
فَإِنْ كَانَ ٱلشَّيْطَانُ أَيْضًا يَنْقَسِمُ عَلَى ذَاتِهِ، فَكَيْفَ تَثْبُتُ مَمْلَكَتُهُ؟ لِأَنَّكُمْ تَقُولُونَ: إِنِّي بِبَعْلَزَبُولَ أُخْرِجُ ٱلشَّيَاطِينَ. ١٨ 18
१८और यदि शैतान अपना ही विरोधी हो जाए, तो उसका राज्य कैसे बना रहेगा? क्योंकि तुम मेरे विषय में तो कहते हो, कि यह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।
فَإِنْ كُنْتُ أَنَا بِبَعْلَزَبُولَ أُخْرِجُ ٱلشَّيَاطِينَ، فَأَبْنَاؤُكُمْ بِمَنْ يُخْرِجُونَ؟ لِذَلِكَ هُمْ يَكُونُونَ قُضَاتَكُمْ! ١٩ 19
१९भला यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो तुम्हारी सन्तान किसकी सहायता से निकालते हैं? इसलिए वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएँगे।
وَلَكِنْ إِنْ كُنْتُ بِأَصْبِعِ ٱللهِ أُخْرِجُ ٱلشَّيَاطِينَ، فَقَدْ أَقْبَلَ عَلَيْكُمْ مَلَكُوتُ ٱللهِ. ٢٠ 20
२०परन्तु यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ्य से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा।
حِينَمَا يَحْفَظُ ٱلْقَوِيُّ دَارَهُ مُتَسَلِّحًا،تَكُونُ أَمْوَالُهُ فِي أَمَانٍ. ٢١ 21
२१जब बलवन्त मनुष्य हथियार बाँधे हुए अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी सम्पत्ति बची रहती है।
وَلَكِنْ مَتَى جَاءَ مَنْ هُوَ أَقْوَى مِنْهُ فَإِنَّهُ يَغْلِبُهُ، وَيَنْزِعُ سِلَاحَهُ ٱلْكَامِلَ ٱلَّذِي ٱتَّكَلَ عَلَيْهِ، وَيُوَزِّعُ غَنَائِمَهُ. ٢٢ 22
२२पर जब उससे बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता है, तो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा था, छीन लेता है और उसकी सम्पत्ति लूटकर बाँट देता है।
مَنْ لَيْسَ مَعِي فَهُوَ عَلَيَّ، وَمَنْ لَا يَجْمَعُ مَعِي فَهُوَ يُفَرِّقُ. ٢٣ 23
२३जो मेरे साथ नहीं वह मेरे विरोध में है, और जो मेरे साथ नहीं बटोरता वह बिखेरता है।
مَتَى خَرَجَ ٱلرُّوحُ ٱلنَّجِسُ مِنَ ٱلْإِنْسَانِ، يَجْتَازُ فِي أَمَاكِنَ لَيْسَ فِيهَا مَاءٌ يَطْلُبُ رَاحَةً، وَإِذْ لَا يَجِدُ يَقُولُ: أَرْجِعُ إِلَى بَيْتِي ٱلَّذِي خَرَجْتُ مِنْهُ. ٢٤ 24
२४“जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है तो सूखी जगहों में विश्राम ढूँढ़ती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहाँ से निकली थी लौट जाऊँगी।
فَيَأْتِي وَيَجِدُهُ مَكْنُوسًا مُزَيَّنًا. ٢٥ 25
२५और आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है।
ثُمَّ يَذْهَبُ وَيَأْخُذُ سَبْعَةَ أَرْوَاحٍ أُخَرَ أَشَرَّ مِنْهُ، فَتَدْخُلُ وَتَسْكُنُ هُنَاكَ، فَتَصِيرُ أَوَاخِرُ ذَلِكَ ٱلْإِنْسَانِ أَشَرَّ مِنْ أَوَائِلِهِ!». ٢٦ 26
२६तब वह आकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उसमें समाकर वास करती हैं, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहले से भी बुरी हो जाती है।”
وَفِيمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ بِهَذَا، رَفَعَتِ ٱمْرَأَةٌ صَوْتَهَا مِنَ ٱلْجَمْعِ وَقَالَتْ لَهُ: «طُوبَى لِلْبَطْنِ ٱلَّذِي حَمَلَكَ وَٱلثَّدْيَيْنِ ٱللَّذَيْنِ رَضِعْتَهُمَا». ٢٧ 27
२७जब वह ये बातें कह ही रहा था तो भीड़ में से किसी स्त्री ने ऊँचे शब्द से कहा, “धन्य है वह गर्भ जिसमें तू रहा और वे स्तन, जो तूने चूसे।”
أَمَّا هُوَ فَقَالَ: «بَلْ طُوبَى لِلَّذِينَ يَسْمَعُونَ كَلَامَ ٱللهِ وَيَحْفَظُونَهُ». ٢٨ 28
२८उसने कहा, “हाँ; परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।”
وَفِيمَا كَانَ ٱلْجُمُوعُ مُزْدَحِمِينَ، ٱبْتَدَأَ يَقُولُ: «هَذَا ٱلْجِيلُ شِرِّيرٌ. يَطْلُبُ آيَةً، وَلَا تُعْطَى لَهُ آيَةٌ إِلَّا آيَةُ يُونَانَ ٱلنَّبِيِّ. ٢٩ 29
२९जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती जाती थी तो वह कहने लगा, “इस युग के लोग बुरे हैं; वे चिन्ह ढूँढ़ते हैं; पर योना के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा।
لِأَنَّهُ كَمَا كَانَ يُونَانُ آيَةً لِأَهْلِ نِينَوَى، كَذَلِكَ يَكُونُ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ أَيْضًا لِهَذَا ٱلْجِيلِ. ٣٠ 30
३०जैसा योना नीनवे के लोगों के लिये चिन्ह ठहरा, वैसा ही मनुष्य का पुत्र भी इस युग के लोगों के लिये ठहरेगा।
مَلِكَةُ ٱلتَّيْمَنِ سَتَقُومُ فِي ٱلدِّينِ مَعَ رِجَالِ هَذَا ٱلْجِيلِ وَتَدِينُهُمْ، لِأَنَّهَا أَتَتْ مِنْ أَقَاصِي ٱلْأَرْضِ لِتَسْمَعَ حِكْمَةَ سُلَيْمَانَ، وَهُوَذَا أَعْظَمُ مِنْ سُلَيْمَانَ هَهُنَا! ٣١ 31
३१दक्षिण की रानी न्याय के दिन इस समय के मनुष्यों के साथ उठकर, उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने को पृथ्वी की छोर से आई, और देखो यहाँ वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
رِجَالُ نِينَوَى سَيَقُومُونَ فِي ٱلدِّينِ مَعَ هَذَا ٱلْجِيلِ وَيَدِينُونَهُ، لِأَنَّهُمْ تَابُوا بِمُنَادَاةِ يُونَانَ، وَهُوَذَا أَعْظَمُ مِنْ يُونَانَ هَهُنَا! ٣٢ 32
३२नीनवे के लोग न्याय के दिन इस समय के लोगों के साथ खड़े होकर, उन्हें दोषी ठहराएँगे; क्योंकि उन्होंने योना का प्रचार सुनकर मन फिराया और देखो, यहाँ वह है, जो योना से भी बड़ा है।
«لَيْسَ أَحَدٌ يُوقِدُ سِرَاجًا وَيَضَعُهُ فِي خِفْيَةٍ، وَلَا تَحْتَ ٱلْمِكْيَالِ، بَلْ عَلَى ٱلْمَنَارَةِ، لِكَيْ يَنْظُرَ ٱلدَّاخِلُونَ ٱلنُّورَ. ٣٣ 33
३३“कोई मनुष्य दीया जला के तलघर में, या पैमाने के नीचे नहीं रखता, परन्तु दीवट पर रखता है कि भीतर आनेवाले उजियाला पाएँ।
سِرَاجُ ٱلْجَسَدِ هُوَ ٱلْعَيْنُ، فَمَتَى كَانَتْ عَيْنُكَ بَسِيطَةً فَجَسَدُكَ كُلُّهُ يَكُونُ نَيِّرًا، وَمَتَى كَانَتْ شِرِّيرَةً فَجَسَدُكَ يَكُونُ مُظْلِمًا. ٣٤ 34
३४तेरे शरीर का दीया तेरी आँख है, इसलिए जब तेरी आँख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अंधेरा है।
اُنْظُرْ إِذًا لِئَلَّا يَكُونَ ٱلنُّورُ ٱلَّذِي فِيكَ ظُلْمَةً. ٣٥ 35
३५इसलिए सावधान रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अंधेरा न हो जाए।
فَإِنْ كَانَ جَسَدُكَ كُلُّهُ نَيِّرًا لَيْسَ فِيهِ جُزْءٌ مُظْلِمٌ، يَكُونُ نَيِّرًا كُلُّهُ، كَمَا حِينَمَا يُضِيءُ لَكَ ٱلسِّرَاجُ بِلَمَعَانِهِ». ٣٦ 36
३६इसलिए यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, और उसका कोई भाग अंधेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उजियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है।”
وَفِيمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ سَأَلَهُ فَرِّيسِيٌّ أَنْ يَتَغَدَّى عِنْدَهُ، فَدَخَلَ وَاتَّكَأَ. ٣٧ 37
३७जब वह बातें कर रहा था, तो किसी फरीसी ने उससे विनती की, कि मेरे यहाँ भोजन कर; और वह भीतर जाकर भोजन करने बैठा।
وَأَمَّا ٱلْفَرِّيسِيُّ فَلَمَّا رَأَى ذَلِكَ تَعَجَّبَ أَنَّهُ لَمْ يَغْتَسِلْ أَوَّلًا قَبْلَ ٱلْغَدَاءِ. ٣٨ 38
३८फरीसी ने यह देखकर अचम्भा किया कि उसने भोजन करने से पहले हाथ-पैर नहीं धोये।
فَقَالَ لَهُ ٱلرَّبُّ: «أَنْتُمُ ٱلْآنَ أَيُّهَا ٱلْفَرِّيسِيُّونَ تُنَقُّونَ خَارِجَ ٱلْكَأْسِ وَٱلْقَصْعَةِ، وَأَمَّا بَاطِنُكُمْ فَمَمْلُوءٌ ٱخْتِطَافًا وَخُبْثًا. ٣٩ 39
३९प्रभु ने उससे कहा, “हे फरीसियों, तुम कटोरे और थाली को ऊपर-ऊपर तो माँजते हो, परन्तु तुम्हारे भीतर अंधेर और दुष्टता भरी है।
يَا أَغْبِيَاءُ، أَلَيْسَ ٱلَّذِي صَنَعَ ٱلْخَارِجَ صَنَعَ ٱلدَّاخِلَ أَيْضًا؟ ٤٠ 40
४०हे निर्बुद्धियों, जिसने बाहर का भाग बनाया, क्या उसने भीतर का भाग नहीं बनाया?
بَلْ أَعْطُوا مَا عِنْدَكُمْ صَدَقَةً، فَهُوَذَا كُلُّ شَيْءٍ يَكُونُ نَقِيًّا لَكُمْ. ٤١ 41
४१परन्तु हाँ, भीतरवाली वस्तुओं को दान कर दो, तब सब कुछ तुम्हारे लिये शुद्ध हो जाएगा।
وَلَكِنْ وَيْلٌ لَكُمْ أَيُّهَا ٱلْفَرِّيسِيُّونَ! لِأَنَّكُمْ تُعَشِّرُونَ ٱلنَّعْنَعَ وَٱلسَّذَابَ وَكُلَّ بَقْلٍ، وَتَتَجَاوَزُونَ عَنِ ٱلْحَقِّ وَمَحَبَّةِ ٱللهِ. كَانَ يَنْبَغِي أَنْ تَعْمَلُوا هَذِهِ وَلَا تَتْرُكُوا تِلْكَ. ٤٢ 42
४२“पर हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम पोदीने और सुदाब का, और सब भाँति के साग-पात का दसवाँ अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हो; चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते।
وَيْلٌ لَكُمْ أَيُّهَا ٱلْفَرِّيسِيُّونَ! لِأَنَّكُمْ تُحِبُّونَ ٱلْمَجْلِسَ ٱلْأَوَّلَ فِي ٱلْمَجَامِعِ، وَٱلتَّحِيَّاتِ فِي ٱلْأَسْوَاقِ. ٤٣ 43
४३हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम आराधनालयों में मुख्य-मुख्य आसन और बाजारों में नमस्कार चाहते हो।
وَيْلٌ لَكُمْ أَيُّهَا ٱلْكَتَبَةُ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ ٱلْمُرَاؤُونَ! لِأَنَّكُمْ مِثْلُ ٱلْقُبُورِ ٱلْمُخْتَفِيَةِ، وَٱلَّذِينَ يَمْشُونَ عَلَيْهَا لَا يَعْلَمُونَ!». ٤٤ 44
४४हाय तुम पर! क्योंकि तुम उन छिपी कब्रों के समान हो, जिन पर लोग चलते हैं, परन्तु नहीं जानते।”
فَأجَابَ وَاحِدٌ مِنَ ٱلنَّامُوسِيِّينَ وَقالَ لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، حِينَ تَقُولُ هَذَا تَشْتُمُنَا نَحْنُ أَيْضًا!». ٤٥ 45
४५तब एक व्यवस्थापक ने उसको उत्तर दिया, “हे गुरु, इन बातों के कहने से तू हमारी निन्दा करता है।”
فَقَالَ: «وَوَيْلٌ لَكُمْ أَنْتُمْ أَيُّهَا ٱلنَّامُوسِيُّونَ! لِأَنَّكُمْ تُحَمِّلُونَ ٱلنَّاسَ أَحْمَالًا عَسِرَةَ ٱلْحَمْلِ وَأَنْتُمْ لَا تَمَسُّونَ ٱلْأَحْمَالَ بِإِحْدَى أَصَابِعِكُمْ. ٤٦ 46
४६उसने कहा, “हे व्यवस्थापकों, तुम पर भी हाय! तुम ऐसे बोझ जिनको उठाना कठिन है, मनुष्यों पर लादते हो परन्तु तुम आप उन बोझों को अपनी एक उँगली से भी नहीं छूते।
وَيْلٌ لَكُمْ! لِأَنَّكُمْ تَبْنُونَ قُبُورَ ٱلْأَنْبِيَاءِ، وَآبَاؤُكُمْ قَتَلُوهُمْ. ٤٧ 47
४७हाय तुम पर! तुम उन भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें बनाते हो, जिन्हें तुम्हारे पूर्वजों ने मार डाला था।
إِذًا تَشْهَدُونَ وَتَرْضَوْنَ بِأَعْمَالِ آبَائِكُمْ، لِأَنَّهُمْ هُمْ قَتَلُوهُمْ وَأَنْتُمْ تَبْنُونَ قُبُورَهُمْ. ٤٨ 48
४८अतः तुम गवाह हो, और अपने पूर्वजों के कामों से सहमत हो; क्योंकि उन्होंने तो उन्हें मार डाला और तुम उनकी कब्रें बनाते हो।
لِذَلِكَ أَيْضًا قَالَتْ حِكْمَةُ ٱللهِ: إِنِّي أُرْسِلُ إِلَيْهِمْ أَنْبِيَاءَ وَرُسُلًا، فَيَقْتُلُونَ مِنْهُمْ وَيَطْرُدُونَ، ٤٩ 49
४९इसलिए परमेश्वर की बुद्धि ने भी कहा है, कि मैं उनके पास भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूँगी, और वे उनमें से कितनों को मार डालेंगे, और कितनों को सताएँगे।
لِكَيْ يُطْلَبَ مِنْ هَذَا ٱلْجِيلِ دَمُ جَمِيعِ ٱلْأَنْبِيَاءِ ٱلْمُهْرَقُ مُنْذُ إِنْشَاءِ ٱلْعَالَمِ، ٥٠ 50
५०ताकि जितने भविष्यद्वक्ताओं का लहू जगत की उत्पत्ति से बहाया गया है, सब का लेखा, इस युग के लोगों से लिया जाए,
مِنْ دَمِ هَابِيلَ إِلَى دَمِ زَكَرِيَّا ٱلَّذِي أُهْلِكَ بَيْنَ ٱلْمَذْبَحِ وَٱلْبَيْتِ. نَعَمْ، أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ يُطْلَبُ مِنْ هَذَا ٱلْجِيلِ! ٥١ 51
५१हाबिल की हत्या से लेकर जकर्याह की हत्या तक जो वेदी और मन्दिर के बीच में मारा गया: मैं तुम से सच कहता हूँ; उसका लेखा इसी समय के लोगों से लिया जाएगा।
وَيْلٌ لَكُمْ أَيُّهَا ٱلنَّامُوسِيُّونَ! لِأَنَّكُمْ أَخَذْتُمْ مِفْتَاحَ ٱلْمَعْرِفَةِ. مَا دَخَلْتُمْ أَنْتُمْ، وَٱلدَّاخِلُونَ مَنَعْتُمُوهُمْ». ٥٢ 52
५२हाय तुम व्यवस्थापकों पर! कि तुम ने ज्ञान की कुँजीले तो ली, परन्तु तुम ने आप ही प्रवेश नहीं किया, और प्रवेश करनेवालों को भी रोक दिया।”
وَفِيمَا هُوَ يُكَلِّمُهُمْ بِهَذَا، ٱبْتَدَأَ ٱلْكَتَبَةُ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ يَحْنَقُونَ جِدًّا، وَيُصَادِرُونَهُ عَلَى أُمُورٍ كَثِيرَةٍ، ٥٣ 53
५३जब वह वहाँ से निकला, तो शास्त्री और फरीसी बहुत पीछे पड़ गए और छेड़ने लगे, कि वह बहुत सी बातों की चर्चा करे,
وَهُمْ يُرَاقِبُونَهُ طَالِبِينَ أَنْ يَصْطَادُوا شَيْئًا مِنْ فَمِهِ لِكَيْ يَشْتَكُوا عَلَيْهِ. ٥٤ 54
५४और उसकी घात में लगे रहे, कि उसके मुँह की कोई बात पकड़ें।

< لُوقا 11 >