< لُوقا 1 >

إِذْ كَانَ كَثِيرُونَ قَدْ أَخَذُوا بِتَأْلِيفِ قِصَّةٍ فِي ٱلْأُمُورِ ٱلْمُتَيَقَّنَةِ عِنْدَنَا، ١ 1
चूँकि बहुतों ने इस पर कमर बाँधी है कि जो बातें हमारे दरमियान वाक़े' हुईं उनको सिलसिलावार बयान करें।
كَمَا سَلَّمَهَا إِلَيْنَا ٱلَّذِينَ كَانُوا مُنْذُ ٱلْبَدْءِ مُعَايِنِينَ وَخُدَّامًا لِلْكَلِمَةِ، ٢ 2
जैसा कि उन्होंने जो शुरू' से ख़ुद देखने वाले और कलाम के ख़ादिम थे उनको हम तक पहुँचाया।
رَأَيْتُ أَنَا أَيْضًا إِذْ قَدْ تَتَبَّعْتُ كُلَّ شَيْءٍ مِنَ ٱلْأَوَّلِ بِتَدْقِيقٍ، أَنْ أَكْتُبَ عَلَى ٱلتَّوَالِي إِلَيْكَ أَيُّهَا ٱلْعَزِيزُ ثَاوُفِيلُسُ، ٣ 3
इसलिए ऐ मु'अज़्ज़िज़ थियुफ़िलुस! मैंने भी मुनासिब जाना कि सब बातों का सिलसिला शुरू' से ठीक — ठीक मालूम करके उनको तेरे लिए तरतीब से लिखूँ।
لِتَعْرِفَ صِحَّةَ ٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي عُلِّمْتَ بِهِ. ٤ 4
ताकि जिन बातों की तूने तालीम पाई है उनकी पुख़्तगी तुझे मालूम हो जाए।
كَانَ فِي أَيَّامِ هِيرُودُسَ مَلِكِ ٱلْيَهُودِيَّةِ كَاهِنٌ ٱسْمُهُ زَكَرِيَّا مِنْ فِرْقَةِ أَبِيَّا، وَٱمْرَأَتُهُ مِنْ بَنَاتِ هارُونَ وَٱسْمُهَا أَلِيصَابَاتُ. ٥ 5
यहूदिया के बादशाह हेरोदेस के ज़माने में अबिय्याह के फ़रीके में से ज़करियाह नाम एक काहिन था और उसकी बीवी हारून की औलाद में से थी और उसका नाम इलीशिबा 'था।
وَكَانَا كِلَاهُمَا بَارَّيْنِ أَمَامَ ٱللهِ، سَالِكَيْنِ فِي جَمِيعِ وَصَايَا ٱلرَّبِّ وَأَحْكَامِهِ بِلَا لَوْمٍ. ٦ 6
और वो दोनों ख़ुदा के सामने रास्तबाज़ और ख़ुदावन्द के सब अहकाम — ओ — क़वानीन पर बे — 'ऐब चलने वाले थे।
وَلَمْ يَكُنْ لَهُمَا وَلَدٌ، إِذْ كَانَتْ أَلِيصَابَاتُ عَاقِرًا. وَكَانَا كِلَاهُمَا مُتَقَدِّمَيْنِ فِي أَيَّامِهِمَا. ٧ 7
और उनके औलाद न थी क्यूँकि इलीशिबा' बाँझ थी और दोनों उम्र रसीदा थे।
فَبَيْنَمَا هُوَ يَكْهَنُ فِي نَوْبَةِ فِرْقَتِهِ أَمَامَ ٱللهِ، ٨ 8
जब वो ख़ुदा के हुज़ूर अपने फ़रीके की बारी पर इमामत का काम अन्जाम देता था तो ऐसा हुआ,
حَسَبَ عَادَةِ ٱلْكَهَنُوتِ، أَصَابَتْهُ ٱلْقُرْعَةُ أَنْ يَدْخُلَ إِلَى هَيْكَلِ ٱلرَّبِّ وَيُبَخِّرَ. ٩ 9
कि इमामत के दस्तूर के मुवाफ़िक़ उसके नाम की पर्ची निकली कि ख़ुदावन्द के हुज़ूरी में जाकर ख़ुशबू जलाए।
وَكَانَ كُلُّ جُمْهُورِ ٱلشَّعْبِ يُصَلُّونَ خَارِجًا وَقْتَ ٱلْبَخُورِ. ١٠ 10
और लोगों की सारी जमा 'अत ख़ुशबू जलाते वक़्त बाहर दुआ कर रही थी।
فَظَهَرَ لَهُ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ وَاقِفًا عَنْ يَمِينِ مَذْبَحِ ٱلْبَخُورِ. ١١ 11
अचानक ख़ुदा का एक फ़रिश्ता ज़ाहिर हुआ जो ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह के दहनी तरफ़ खड़ा हुआ उसको दिखाई दिया।
فَلَمَّا رَآهُ زَكَرِيَّا ٱضْطَرَبَ وَوَقَعَ عَلَيْهِ خَوْفٌ. ١٢ 12
उसे देख कर ज़करियाह घबराया और बहुत डर गया।
فَقَالَ لَهُ ٱلْمَلَاكُ: «لَا تَخَفْ يَا زَكَرِيَّا، لِأَنَّ طِلْبَتَكَ قَدْ سُمِعَتْ، وَٱمْرَأَتُكَ أَلِيصَابَاتُ سَتَلِدُ لَكَ ٱبْنًا وَتُسَمِّيهِ يُوحَنَّا. ١٣ 13
लेकिन फ़रिश्ते ने उस से कहा, ज़करियाह, मत डर! ख़ुदा ने तेरी दुआ सुन ली है। तेरी बीवी इलीशिबा के बेटा होगा। उस का नाम युहन्ना रखना।
وَيَكُونُ لَكَ فَرَحٌ وَٱبْتِهَاجٌ، وَكَثِيرُونَ سَيَفْرَحُونَ بِوِلَادَتِهِ، ١٤ 14
वह न सिर्फ़ तेरे लिए ख़ुशी और मुसर्रत का बाइस होगा, बल्कि बहुत से लोग उस की पैदाइश पर ख़ुशी मनाएँगे।
لِأَنَّهُ يَكُونُ عَظِيمًا أَمَامَ ٱلرَّبِّ، وَخَمْرًا وَمُسْكِرًا لَا يَشْرَبُ، وَمِنْ بَطْنِ أُمِّهِ يَمْتَلِئُ مِنَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ. ١٥ 15
क्यूँकि वह ख़ुदा के नज़दीक अज़ीम होगा। ज़रूरी है कि वह मय और शराब से परहेज़ करे। वह पैदा होने से पहले ही रूह — उल — क़ुद्दूस से भरपूर होगा।
وَيَرُدُّ كَثِيرِينَ مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ. ١٦ 16
और इस्राईली क़ौम में से बहुतों को ख़ुदा उन के ख़ुदा के पास वापस लाएगा।
وَيَتَقَدَّمُ أَمَامَهُ بِرُوحِ إِيلِيَّا وَقُوَّتِهِ، لِيَرُدَّ قُلُوبَ ٱلْآبَاءِ إِلَى ٱلْأَبْنَاءِ، وَٱلْعُصَاةَ إِلَى فِكْرِ ٱلْأَبْرَارِ، لِكَيْ يُهَيِّئَ لِلرَّبِّ شَعْبًا مُسْتَعِدًّا». ١٧ 17
वह एलियाह की रूह और क़ुव्वत से ख़ुदावन्द के आगे आगे चलेगा। उस की ख़िदमत से वालिदों के दिल अपने बच्चों की तरफ़ माइल हो जाएँगे और नाफ़रमान लोग रास्तबाज़ों की अक़्लमन्दी की तरफ़ फिरेंगे। यूँ वह इस क़ौम को ख़ुदा के लिए तय्यार करेगा।”
فَقَالَ زَكَرِيَّا لِلْمَلَاكِ: «كَيْفَ أَعْلَمُ هَذَا، لِأَنِّي أَنَا شَيْخٌ وَٱمْرَأَتِي مُتَقَدِّمَةٌ فِي أَيَّامِهَا؟». ١٨ 18
ज़करियाह ने फ़रिश्ते से पूछा, “मैं किस तरह जानूँ कि यह बात सच है? मैं ख़ुद बूढ़ा हूँ और मेरी बीवी भी उम्र रसीदा है।”
فَأَجَابَ ٱلْمَلَاكُ وَقَالَ لَهُ: «أَنَا جِبْرَائِيلُ ٱلْوَاقِفُ قُدَّامَ ٱللهِ، وَأُرْسِلْتُ لِأُكَلِّمَكَ وَأُبَشِّرَكَ بِهَذَا. ١٩ 19
फ़रिश्ते ने जवाब दिया, “मैं जिब्राईल हूँ जो ख़ुदावन्द के सामने खड़ा रहता हूँ। मुझे इसी मक़्सद के लिए भेजा गया है कि तुझे यह ख़ुशख़बरी सुनाऊँ।
وَهَا أَنْتَ تَكُونُ صَامِتًا وَلَا تَقْدِرُ أَنْ تَتَكَلَّمَ، إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي يَكُونُ فِيهِ هَذَا، لِأَنَّكَ لَمْ تُصَدِّقْ كَلَامِي ٱلَّذِي سَيَتِمُّ فِي وَقْتِهِ». ٢٠ 20
लेकिन तूने मेरी बात का यक़ीन नहीं किया इस लिए तू ख़ामोश रहेगा और उस वक़्त तक बोल नहीं सकेगा जब तक तेरे बेटा पैदा न हो। मेरी यह बातें अपने वक़्त पर ही पूरी होंगी।”
وَكَانَ ٱلشَّعْبُ مُنْتَظِرِينَ زَكَرِيَّا وَمُتَعّجِّبِينَ مِنْ إِبْطَائِهِ فِي ٱلْهَيْكَلِ. ٢١ 21
इस दौरान बाहर के लोग ज़करियाह के इन्तिज़ार में थे। वह हैरान होते जा रहे थे कि उसे वापस आने में क्यूँ इतनी देर हो रही है।
فَلَمَّا خَرَجَ لَمْ يَسْتَطِعْ أَنْ يُكَلِّمَهُمْ، فَفَهِمُوا أَنَّهُ قَدْ رَأَى رُؤْيَا فِي ٱلْهَيْكَلِ. فَكَانَ يُومِئُ إِلَيْهِمْ وَبَقِيَ صَامِتًا. ٢٢ 22
आख़िरकार वह बाहर आया, लेकिन वह उन से बात न कर सका। तब उन्हों ने जान लिया कि उस ने ख़ुदा के घर में ख़्वाब देखा है। उस ने हाथों से इशारे तो किए, लेकिन ख़ामोश रहा।
وَلَمَّا كَمِلَتْ أَيَّامُ خِدْمَتِهِ مَضَى إِلَى بَيْتِهِ. ٢٣ 23
ज़करियाह अपने वक़्त तक ख़ुदा के घर में अपनी ख़िदमत अन्जाम देता रहा, फिर अपने घर वापस चला गया।
وَبَعْدَ تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ حَبِلَتْ أَلِيصَابَاتُ ٱمْرَأَتُهُ، وَأَخْفَتْ نَفْسَهَا خَمْسَةَ أَشْهُرٍ قَائِلَةً: ٢٤ 24
थोड़े दिनों के बाद उस की बीवी इलीशिबा हामिला हो गई और वह पाँच माह तक घर में छुपी रही।
«هَكَذَا قَدْ فَعَلَ بِيَ ٱلرَّبُّ فِي ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي فِيهَا نَظَرَ إِلَيَّ، لِيَنْزِعَ عَارِي بَيْنَ ٱلنَّاسِ». ٢٥ 25
उस ने कहा, “ख़ुदावन्द ने मेरे लिए कितना बड़ा काम किया है, क्यूँकि अब उस ने मेरी फ़िक्र की और लोगों के सामने से मेरी रुस्वाई दूर कर दी।”
وَفِي ٱلشَّهْرِ ٱلسَّادِسِ أُرْسِلَ جِبْرَائِيلُ ٱلْمَلَاكُ مِنَ ٱللهِ إِلَى مَدِينَةٍ مِنَ ٱلْجَلِيلِ ٱسْمُهَا نَاصِرَةُ، ٢٦ 26
इलीशिबा छः माह से हामिला थी जब ख़ुदा ने जिब्राईल फ़रिश्ते को एक कुँवारी के पास भेजा जो नासरत में रहती थी। नासरत गलील का एक शहर है और कुँवारी का नाम मरियम था।
إِلَى عَذْرَاءَ مَخْطُوبَةٍ لِرَجُلٍ مِنْ بَيْتِ دَاوُدَ ٱسْمُهُ يُوسُفُ. وَٱسْمُ ٱلْعَذْرَاءِ مَرْيَمُ. ٢٧ 27
उस की मंगनी एक मर्द के साथ हो चुकी थी जो दाऊद बादशाह की नस्ल से था और जिस का नाम यूसुफ़ था।
فَدَخَلَ إِلَيْهَا ٱلْمَلَاكُ وَقَالَ: «سَلَامٌ لَكِ أَيَّتُهَا ٱلْمُنْعَمُ عَلَيْهَا! اَلرَّبُّ مَعَكِ. مُبَارَكَةٌ أَنْتِ فِي ٱلنِّسَاءِ». ٢٨ 28
फ़रिश्ते ने उस के पास आ कर कहा, “ऐ ख़ातून जिस पर ख़ुदा का ख़ास फ़ज़ल हुआ है, सलाम! ख़ुदा तेरे साथ है।”
فَلَمَّا رَأَتْهُ ٱضْطَرَبَتْ مِنْ كَلَامِهِ، وَفَكَّرَتْ: «مَا عَسَى أَنْ تَكُونَ هَذِهِ ٱلتَّحِيَّةُ!». ٢٩ 29
मरियम यह सुन कर घबरा गई और सोचा, यह किस तरह का सलाम है?
فَقَالَ لَهَا ٱلْمَلَاكُ: «لَا تَخَافِي يَا مَرْيَمُ، لِأَنَّكِ قَدْ وَجَدْتِ نِعْمَةً عِنْدَ ٱللهِ. ٣٠ 30
लेकिन फ़रिश्ते ने अपनी बात जारी रखी और कहा, “ऐ मरियम, मत डर, क्यूँकि तुझ पर ख़ुदा का फ़ज़ल हुआ है।
وَهَا أَنْتِ سَتَحْبَلِينَ وَتَلِدِينَ ٱبْنًا وَتُسَمِّينَهُ يَسُوعَ. ٣١ 31
तू हमिला हो कर एक बेटे को पैदा करेगी। तू उस का नाम ईसा (नजात देने वाला) रखना।
هَذَا يَكُونُ عَظِيمًا، وَٱبْنَ ٱلْعَلِيِّ يُدْعَى، وَيُعْطِيهِ ٱلرَّبُّ ٱلْإِلَهُ كُرْسِيَّ دَاوُدَ أَبِيهِ، ٣٢ 32
वह बड़ा होगा और ख़ुदावन्द का बेटा कहलाएगा। ख़ुदा हमारा ख़ुदा उसे उस के बाप दाऊद के तख़्त पर बिठाएगा
وَيَمْلِكُ عَلَى بَيْتِ يَعْقُوبَ إِلَى ٱلْأَبَدِ، وَلَا يَكُونُ لِمُلْكِهِ نِهَايَةٌ». (aiōn g165) ٣٣ 33
और वह हमेशा तक इस्राईल पर हुकूमत करेगा। उस की सल्तनत कभी ख़त्म न होगी।” (aiōn g165)
فَقَالَتْ مَرْيَمُ لِلْمَلَاكِ: «كَيْفَ يَكُونُ هَذَا وَأَنَا لَسْتُ أَعْرِفُ رَجُلًا؟». ٣٤ 34
मरियम ने फ़रिश्ते से कहा, “यह क्यूँकर हो सकता है? अभी तो मैं कुँवारी हूँ।”
فَأَجَابَ ٱلْمَلَاكُ وَقَالَ لَها: «اَلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ يَحِلُّ عَلَيْكِ، وَقُوَّةُ ٱلْعَلِيِّ تُظَلِّلُكِ، فَلِذَلِكَ أَيْضًا ٱلْقُدُّوسُ ٱلْمَوْلُودُ مِنْكِ يُدْعَى ٱبْنَ ٱللهِ. ٣٥ 35
फ़रिश्ते ने जवाब दिया, “रूह — उल — क़ुद्दूस तुझ पर नाज़िल होगा, ख़ुदावन्द की क़ुदरत का साया तुझ पर छा जाएगा। इस लिए यह बच्चा क़ुद्दूस होगा और ख़ुदा का बेटा कहलाएगा।
وَهُوَذَا أَلِيصَابَاتُ نَسِيبَتُكِ هِيَ أَيْضًا حُبْلَى بِٱبْنٍ فِي شَيْخُوخَتِهَا، وَهَذَا هُوَ ٱلشَّهْرُ ٱلسَّادِسُ لِتِلْكَ ٱلْمَدْعُوَّةِ عَاقِرًا، ٣٦ 36
और देख, तेरी रिश्तेदार इलीशिबा के भी बेटा होगा हालाँकि वह उम्ररसीद है। गरचे उसे बाँझ क़रार दिया गया था, लेकिन वह छः माह से हामिला है।
لِأَنَّهُ لَيْسَ شَيْءٌ غَيْرَ مُمْكِنٍ لَدَى ٱللهِ». ٣٧ 37
क्यूँकि ख़ुदा के नज़दीक कोई काम नामुमकिन नहीं है।”
فَقَالَتْ مَرْيَمُ: «هُوَذَا أَنَا أَمَةُ ٱلرَّبِّ. لِيَكُنْ لِي كَقَوْلِكَ». فَمَضَى مِنْ عِنْدِهَا ٱلْمَلَاكُ. ٣٨ 38
मरियम ने जवाब दिया, “मैं ख़ुदा की ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ। मेरे साथ वैसा ही हो जैसा आप ने कहा है।” इस पर फ़रिश्ता चला गया।
فَقَامَتْ مَرْيَمُ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ وَذَهَبَتْ بِسُرْعَةٍ إِلَى ٱلْجِبَالِ إِلَى مَدِينَةِ يَهُوذَا، ٣٩ 39
उन दिनों में मरियम यहूदिया के पहाड़ी इलाक़े के एक शहर के लिए रवाना हुई। उस ने जल्दी जल्दी सफ़र किया।
وَدَخَلَتْ بَيْتَ زَكَرِيَّا وَسَلَّمَتْ عَلَى أَلِيصَابَاتَ. ٤٠ 40
वहाँ पहुँच कर वह ज़करियाह के घर में दाख़िल हुई और इलीशिबा को सलाम किया।
فَلَمَّا سَمِعَتْ أَلِيصَابَاتُ سَلَامَ مَرْيَمَ ٱرْتَكَضَ ٱلْجَنِينُ فِي بَطْنِهَا، وَٱمْتَلَأَتْ أَلِيصَابَاتُ مِنَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ، ٤١ 41
मरियम का यह सलाम सुन कर इलीशिबा का बच्चा उस के पेट में उछल पड़ा और इलीशिबा ख़ुद रूह — उल — क़ुद्दूस से भर गई।
وَصَرَخَتْ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ وَقَالَتْ: «مُبَارَكَةٌ أَنْتِ فِي ٱلنِّسَاءِ وَمُبَارَكَةٌ هِيَ ثَمَرَةُ بَطْنِكِ! ٤٢ 42
उस ने बुलन्द आवाज़ से कहा, “तू तमाम औरतों में मुबारिक़ है और मुबारिक़ है तेरा बच्चा!
فَمِنْ أَيْنَ لِي هَذَا أَنْ تَأْتِيَ أُمُّ رَبِّي إِلَيَّ؟ ٤٣ 43
मैं कौन हूँ कि मेरे ख़ुदावन्द की माँ मेरे पास आई!
فَهُوَذَا حِينَ صَارَ صَوْتُ سَلَامِكِ فِي أُذُنَيَّ ٱرْتَكَضَ ٱلْجَنِينُ بِٱبْتِهَاجٍ فِي بَطْنِي. ٤٤ 44
जैसे ही मैं ने तेरा सलाम सुना बच्चा मेरे पेट में ख़ुशी से उछल पड़ा।
فَطُوبَى لِلَّتِي آمَنَتْ أَنْ يَتِمَّ مَا قِيلَ لَهَا مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ». ٤٥ 45
तू कितनी मुबारिक़ है, क्यूँकि तू ईमान लाई कि जो कुछ ख़ुदा ने फ़रमाया है वह पूरा होगा।”
فَقَالَتْ مَرْيَمُ: «تُعَظِّمُ نَفْسِي ٱلرَّبَّ، ٤٦ 46
इस पर मरियम ने कहा, “मेरी जान ख़ुदा की बड़ाई करती है
وَتَبْتَهِجُ رُوحِي بِٱللهِ مُخَلِّصِي، ٤٧ 47
और मेरी रूह मेरे मुन्जी ख़ुदावन्द से बहुत ख़ुश है।
لِأَنَّهُ نَظَرَ إِلَى ٱتِّضَاعِ أَمَتِهِ. فَهُوَذَا مُنْذُ ٱلْآنَ جَمِيعُ ٱلْأَجْيَالِ تُطَوِّبُنِي، ٤٨ 48
क्यूँकि उस ने अपनी ख़ादिमा की पस्ती पर नज़र की है। हाँ, अब से तमाम नसलें मुझे मुबारिक़ कहेंगी,
لِأَنَّ ٱلْقَدِيرَ صَنَعَ بِي عَظَائِمَ، وَٱسْمُهُ قُدُّوسٌ، ٤٩ 49
क्यूँकि उस क़ादिर ने मेरे लिए बड़े — बड़े काम किए हैं, और उसका नाम पाक है।
وَرَحْمَتُهُ إِلَى جِيلِ ٱلْأَجْيَالِ لِلَّذِينَ يَتَّقُونَهُ. ٥٠ 50
और ख़ौफ़ रहम उन पर जो उससे डरते हैं, पुश्त — दर — पुश्त रहता है।
صَنَعَ قُوَّةً بِذِرَاعِهِ. شَتَّتَ ٱلْمُسْتَكْبِرِينَ بِفِكْرِ قُلُوبِهِمْ. ٥١ 51
उसने अपने बाज़ू से ज़ोर दिखाया, और जो अपने आपको बड़ा समझते थे उनको तितर बितर किया।
أَنْزَلَ ٱلْأَعِزَّاءَ عَنِ ٱلْكَرَاسِيِّ وَرَفَعَ ٱلْمُتَّضِعِينَ. ٥٢ 52
उसने इख़्तियार वालों को तख़्त से गिरा दिया, और पस्तहालों को बुलन्द किया।
أَشْبَعَ ٱلْجِيَاعَ خَيْرَاتٍ وَصَرَفَ ٱلْأَغْنِيَاءَ فَارِغِينَ. ٥٣ 53
उसने भूखों को अच्छी चीज़ों से सेर कर दिया, और दौलतमन्दों को ख़ाली हाथ लौटा दिया।
عَضَدَ إِسْرَائِيلَ فَتَاهُ لِيَذْكُرَ رَحْمَةً، ٥٤ 54
उसने अपने ख़ादिम इस्राईल को संभाल लिया, ताकि अपनी उस रहमत को याद फ़रमाए।
كَمَا كَلَّمَ آبَاءَنَا. لِإِبْراهِيمَ وَنَسْلِهِ إِلَى ٱلْأَبَدِ». (aiōn g165) ٥٥ 55
जो अब्रहाम और उसकी नस्ल पर हमेशा तक रहेगी, जैसा उसने हमारे बाप — दादा से कहा था।” (aiōn g165)
فَمَكَثَتْ مَرْيَمُ عِنْدَهَا نَحْوَ ثَلَاثَةِ أَشْهُرٍ، ثُمَّ رَجَعَتْ إِلَى بَيْتِهَا. ٥٦ 56
और मरियम तीन महीने के क़रीब उसके साथ रहकर अपने घर को लौट गई।
وَأَمَّا أَلِيصَابَاتُ فَتَمَّ زَمَانُهَا لِتَلِدَ، فَوَلَدَتِ ٱبْنًا. ٥٧ 57
और इलीशिबा' के वज़'ए हम्ल का वक़्त आ पहुँचा और उसके बेटा हुआ।
وَسَمِعَ جِيرَانُهَا وَأَقْرِبَاؤُهَا أَنَّ ٱلرَّبَّ عَظَّمَ رَحْمَتَهُ لَهَا، فَفَرِحُوا مَعَهَا. ٥٨ 58
उसके पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने ये सुनकर कि ख़ुदावन्द ने उस पर बड़ी रहमत की, उसके साथ ख़ुशी मनाई।
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ جَاءُوا لِيَخْتِنُوا ٱلصَّبِيَّ، وَسَمَّوْهُ بِٱسْمِ أَبِيهِ زَكَرِيَّا. ٥٩ 59
और आठवें दिन ऐसा हुआ कि वो लड़के का ख़तना करने आए और उसका नाम उसके बाप के नाम पर ज़करियाह रखने लगे।
فَأَجَابَتْ أمُّهُ وَقَالَتْ: «لَا! بَلْ يُسَمَّى يُوحَنَّا». ٦٠ 60
मगर उसकी माँ ने कहा, “नहीं बल्कि उसका नाम युहन्ना रखा जाए।”
فَقَالُوا لَهَا: «لَيْسَ أَحَدٌ فِي عَشِيرَتِكِ تَسَمَّى بِهَذَا ٱلِٱسْمِ». ٦١ 61
उन्होंने कहा, “तेरे ख़ानदान में किसी का ये नाम नहीं।”
ثُمَّ أَوْمَأُوا إِلَى أَبِيهِ، مَاذَا يُرِيدُ أَنْ يُسَمَّى. ٦٢ 62
और उन्होंने उसके बाप को इशारा किया कि तू उसका नाम क्या रखना चाहता है?
فَطَلَبَ لَوْحًا وَكَتَبَ قَائِلًا: «ٱسْمُهُ يُوحَنَّا». فَتَعَجَّبَ ٱلْجَمِيعُ. ٦٣ 63
उसने तख़्ती माँग कर ये लिखा, उसका नाम युहन्ना है, और सब ने ता'ज्जुब किया।
وَفِي ٱلْحَالِ ٱنْفَتَحَ فَمُهُ وَلِسَانُهُ وَتَكَلَّمَ وَبَارَكَ ٱللهَ. ٦٤ 64
उसी दम उसका मुँह और ज़बान खुल गई और वो बोलने और ख़ुदा की हम्द करने लगा।
فَوَقَعَ خَوْفٌ عَلَى كُلِّ جِيرَانِهِمْ. وَتُحُدِّثَ بِهَذِهِ ٱلْأُمُورِ جَمِيعِهَا فِي كُلِّ جِبَالِ ٱلْيَهُودِيَّةِ، ٦٥ 65
और उनके आसपास के सब रहने वालों पर दहशत छा गई और यहूदिया के तमाम पहाड़ी मुल्क में इन सब बातों की चर्चा फैल गई।
فَأَوْدَعَهَا جَمِيعُ ٱلسَّامِعِينَ فِي قُلُوبِهِمْ قَائِلِينَ: «أَتَرَى مَاذَا يَكُونُ هَذَا ٱلصَّبِيُّ؟». وَكَانَتْ يَدُ ٱلرَّبِّ مَعَهُ. ٦٦ 66
और उनके सब सुनने वालों ने उनको सोच कर दिलों में कहा, “तो ये लड़का कैसा होने वाला है?” क्यूँकि ख़ुदावन्द का हाथ उस पर था।
وَٱمْتَلَأَ زَكَرِيَّا أَبُوهُ مِنَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ، وَتَنَبَّأَ قَائِلًا: ٦٧ 67
और उस का बाप ज़करियाह रूह — उल — क़ुद्दूस से भर गया और नबुव्वत की राह से कहने लगा कि:
«مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ لِأَنَّهُ ٱفْتَقَدَ وَصَنَعَ فِدَاءً لِشَعْبِهِ، ٦٨ 68
“ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की हम्द हो क्यूँकि उसने अपनी उम्मत पर तवज्जुह करके उसे छुटकारा दिया।
وَأَقَامَ لَنَا قَرْنَ خَلَاصٍ فِي بَيْتِ دَاوُدَ فَتَاهُ. ٦٩ 69
और अपने ख़ादिम दाऊद के घराने में हमारे लिए नजात का सींग निकाला,
كَمَا تَكَلَّمَ بِفَمِ أَنْبِيَائِهِ ٱلْقِدِّيسِينَ ٱلَّذِينَ هُمْ مُنْذُ ٱلدَّهْرِ، (aiōn g165) ٧٠ 70
(जैसा उसने अपने पाक नबियों की ज़बानी कहा था जो कि दुनिया के शुरू' से होते आए है) (aiōn g165)
خَلَاصٍ مِنْ أَعْدَائِنَا وَمِنْ أَيْدِي جَمِيعِ مُبْغِضِينَا. ٧١ 71
या'नी हम को हमारे दुश्मनों से और सब बुग़्ज़ रखने वालों के हाथ से नजात बख़्शी।
لِيَصْنَعَ رَحْمَةً مَعَ آبَائِنَا وَيَذْكُرَ عَهْدَهُ ٱلْمُقَدَّسَ، ٧٢ 72
ताकि हमारे बाप — दादा पर रहम करे और अपने पाक 'अहद को याद फ़रमाए।
ٱلْقَسَمَ ٱلَّذِي حَلَفَ لِإِبْرَاهِيمَ أَبِينَا: ٧٣ 73
या'नी उस क़सम को जो उसने हमारे बाप अब्रहाम से खाई थी,
أَنْ يُعْطِيَنَا إِنَّنَا بِلَا خَوْفٍ، مُنْقَذِينَ مِنْ أَيْدِي أَعْدَائِنَا، نَعْبُدُهُ ٧٤ 74
कि वो हमें ये बख़्शिश देगा कि अपने दुश्मनों के हाथ से छूटकर,
بِقَدَاسَةٍ وَبِرٍّ قُدَّامَهُ جَمِيعَ أَيَّامِ حَيَاتِنَا. ٧٥ 75
उसके सामने पाकीज़गी और रास्तबाज़ी से उम्र भर बेख़ौफ़ उसकी इबादत करें
وَأَنْتَ أَيُّهَا ٱلصَّبِيُّ نَبِيَّ ٱلْعَلِيِّ تُدْعَى، لِأَنَّكَ تَتَقَدَّمُ أَمَامَ وَجْهِ ٱلرَّبِّ لِتُعِدَّ طُرُقَهُ. ٧٦ 76
और ऐ लड़के तू ख़ुदा ता'ला का नबी कहलाएगा क्यूँकि तू ख़ुदावन्द की राहें तैयार करने को उसके आगे आगे चलेगा,
لِتُعْطِيَ شَعْبَهُ مَعْرِفَةَ ٱلْخَلَاصِ بِمَغْفِرَةِ خَطَايَاهُمْ، ٧٧ 77
ताकि उसकी उम्मत को नजात का 'इल्म बख़्शे जो उनको गुनाहों की मु'आफ़ी से हासिल हो।
بِأَحْشَاءِ رَحْمَةِ إِلَهِنَا ٱلَّتِي بِهَا ٱفْتَقَدَنَا ٱلْمُشْرَقُ مِنَ ٱلْعَلَاءِ. ٧٨ 78
ये हमारे ख़ुदा की रहमत से होगा; जिसकी वजह से 'आलम — ए — बाला का सूरज हम पर निकलेगा,
لِيُضِيءَ عَلَى ٱلْجَالِسِينَ فِي ٱلظُّلْمَةِ وَظِلَالِ ٱلْمَوْتِ، لِكَيْ يَهْدِيَ أَقْدَامَنَا فِي طَرِيقِ ٱلسَّلَامِ». ٧٩ 79
ताकि उनको जो अन्धेरे और मौत के साए में बैठे हैं रोशनी बख़्शे, और हमारे क़दमों को सलामती की राह पर डाले।”
أَمَّا ٱلصَّبِيُّ فَكَانَ يَنْمُو وَيَتَقَوَّى بِٱلرُّوحِ، وَكَانَ فِي ٱلْبَرَارِي إِلَى يَوْمِ ظُهُورِهِ لِإِسْرَائِيلَ. ٨٠ 80
और वो लड़का बढ़ता और रूह में क़ुव्वत पाता गया, और इस्राईल पर ज़ाहिर होने के दिन तक जंगलों में रहा।

< لُوقا 1 >