< اَللَّاوِيِّينَ 21 >

وَقَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «كَلِّمِ ٱلْكَهَنَةَ بَنِي هَارُونَ وَقُلْ لَهُمْ: لَا يَتَنَجَّسْ أَحَدٌ مِنْكُمْ لِمَيْتٍ فِي قَوْمِهِ، ١ 1
फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून के पुत्र जो याजक हैं उनसे कह कि तुम्हारे लोगों में से कोई भी मरे, तो उसके कारण तुम में से कोई अपने को अशुद्ध न करे;
إِلَّا لِأَقْرِبَائِهِ ٱلْأَقْرَبِ إِلَيْهِ: أُمِّهِ وَأَبِيهِ وَٱبْنِهِ وَٱبْنَتِهِ وَأَخِيهِ ٢ 2
अपने निकट कुटुम्बियों, अर्थात् अपनी माता, या पिता, या बेटे, या बेटी, या भाई के लिये,
وَأُخْتِهِ ٱلْعَذْرَاءِ ٱلْقَرِيبَةِ إِلَيْهِ ٱلَّتِي لَمْ تَصِرْ لِرَجُلٍ. لِأَجْلِهَا يَتَنَجَّسُ. ٣ 3
या अपनी कुँवारी बहन जिसका विवाह न हुआ हो, जिनका निकट का सम्बंध है; उनके लिये वह अपने को अशुद्ध कर सकता है।
كَزَوْجٍ لَا يَتَنَجَّسْ بِأَهْلِهِ لِتَدْنِيسِهِ. ٤ 4
पर याजक होने के नाते से वह अपने लोगों में प्रधान है, इसलिए वह अपने को ऐसा अशुद्ध न करे कि अपवित्र हो जाए।
لَا يَجْعَلُوا قَرْعَةً فِي رُؤُوسِهِمْ، وَلَا يَحْلِقُوا عَوَارِضَ لِحَاهُمْ، وَلَا يَجْرَحُوا جِرَاحَةً فِي أَجْسَادِهِمْ. ٥ 5
वे न तो अपने सिर मुँड़ाएँ, और न अपने गाल के बालों को मुँड़ाएँ, और न अपने शरीर चीरें।
مُقَدَّسِينَ يَكُونُونَ لِإِلَهِهِمْ، وَلَا يُدَنِّسُونَ ٱسْمَ إِلَهِهِمْ، لِأَنَّهُمْ يُقَرِّبُونَ وَقَائِدَ ٱلرَّبِّ طَعَامَ إِلَهِهِمْ، فَيَكُونُونَ قُدْسًا. ٦ 6
वे अपने परमेश्वर के लिये पवित्र बने रहें, और अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न करें; क्योंकि वे यहोवा के हव्य को जो उनके परमेश्वर का भोजन है चढ़ाया करते हैं; इस कारण वे पवित्र बने रहें।
اِمْرَأَةً زَانِيَةً أَوْ مُدَنَّسَةً لَا يَأْخُذُوا، وَلَا يَأْخُذُوا ٱمْرَأَةً مُطَلَّقَةً مِنْ زَوْجِهَا. لِأَنَّهُ مُقَدَّسٌ لِإِلَهِهِ. ٧ 7
वे वेश्या या भ्रष्टा को ब्याह न लें; और न त्यागी हुई को ब्याह लें; क्योंकि याजक अपने परमेश्वर के लिये पवित्र होता है।
فَتَحْسِبُهُ مُقَدَّسًا لِأَنَّهُ يُقَرِّبُ خُبْزَ إِلَهِكَ. مُقَدَّسًا يَكُونُ عِنْدَكَ لِأَنِّي قُدُّوسٌ أَنَا ٱلرَّبُّ مُقَدِّسُكُمْ. ٨ 8
इसलिए तू याजक को पवित्र जानना, क्योंकि वह तुम्हारे परमेश्वर का भोजन चढ़ाया करता है; इसलिए वह तेरी दृष्टि में पवित्र ठहरे; क्योंकि मैं यहोवा, जो तुम को पवित्र करता हूँ, पवित्र हूँ।
وَإِذَا تَدَنَّسَتِ ٱبْنَةُ كَاهِنٍ بِٱلزِّنَى فَقَدْ دَنَّسَتْ أَبَاهَا. بِٱلنَّارِ تُحْرَقُ. ٩ 9
और यदि याजक की बेटी वेश्या बनकर अपने आपको अपवित्र करे, तो वह अपने पिता को अपवित्र ठहराती है; वह आग में जलाई जाए।
«وَٱلْكَاهِنُ ٱلْأَعْظَمُ بَيْنَ إِخْوَتِهِ ٱلَّذِي صُبَّ عَلَى رَأْسِهِ دُهْنُ ٱلْمَسْحَةِ، وَمُلِئَتْ يَدُهُ لِيَلْبَسَ ٱلثِّيَابَ، لَا يَكْشِفُ رَأْسَهُ، وَلَا يَشُقُّ ثِيَابَهُ، ١٠ 10
१०“जो अपने भाइयों में महायाजक हो, जिसके सिर पर अभिषेक का तेल डाला गया हो, और जिसका पवित्र वस्त्रों को पहनने के लिये संस्कार हुआ हो, वह अपने सिर के बाल बिखरने न दे, और न अपने वस्त्र फाड़े;
وَلَا يَأْتِي إِلَى نَفْسٍ مَيْتَةٍ، وَلَا يَتَنَجَّسُ لِأَبِيهِ أَوْ أُمِّهِ، ١١ 11
११और न वह किसी लोथ के पास जाए, और न अपने पिता या माता के कारण अपने को अशुद्ध करे;
وَلَا يَخْرُجُ مِنَ ٱلْمَقْدِسِ لِئَلَّا يُدَنِّسَ مَقْدِسَ إِلَهِهِ، لِأَنَّ إِكْلِيلَ دُهْنِ مَسْحَةِ إِلَهِهِ عَلَيْهِ. أَنَا ٱلرَّبُّ. ١٢ 12
१२और वह पवित्रस्थान से बाहर भी न निकले, और न अपने परमेश्वर के पवित्रस्थान को अपवित्र ठहराए; क्योंकि वह अपने परमेश्वर के अभिषेक का तेलरूपी मुकुट धारण किए हुए है; मैं यहोवा हूँ।
هَذَا يَأْخُذُ ٱمْرَأَةً عَذْرَاءَ. ١٣ 13
१३और वह कुँवारी स्त्री को ब्याहे।
أَمَّا ٱلْأَرْمَلَةُ وَٱلْمُطَلَّقَةُ وَٱلْمُدَنَّسَةُ وَٱلزَّانِيَةُ فَمِنْ هَؤُلَاءِ لَا يَأْخُذُ، بَلْ يَتَّخِذُ عَذْرَاءَ مِنْ قَوْمِهِ ٱمْرَأَةً. ١٤ 14
१४जो विधवा, या त्यागी हुई, या भ्रष्ट, या वेश्या हो, ऐसी किसी से वह विवाह न करे, वह अपने ही लोगों के बीच में की किसी कुँवारी कन्या से विवाह करे।
وَلَا يُدَنِّسُ زَرْعَهُ بَيْنَ شَعْبِهِ لِأَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ مُقَدِّسُهُ». ١٥ 15
१५और वह अपनी सन्तान को अपने लोगों में अपवित्र न करे; क्योंकि मैं उसका पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ।”
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: ١٦ 16
१६फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
«كَلِّمْ هَارُونَ قَائِلًا: إِذَا كَانَ رَجُلٌ مِنْ نَسْلِكَ فِي أَجْيَالِهِمْ فِيهِ عَيْبٌ فَلَا يَتَقَدَّمْ لِيُقَرِّبَ خُبْزَ إِلَهِهِ. ١٧ 17
१७“हारून से कह कि तेरे वंश की पीढ़ी-पीढ़ी में जिस किसी के कोई भी शारीरिक दोष हो वह अपने परमेश्वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए।
لِأَنَّ كُلَّ رَجُلٍ فِيهِ عَيْبٌ لَا يَتَقَدَّمْ. لَا رَجُلٌ أَعْمَى وَلَا أَعْرَجُ، وَلَا أَفْطَسُ وَلَا زَوَائِدِيٌّ، ١٨ 18
१८कोई क्यों न हो, जिसमें दोष हो, वह समीप न आए, चाहे वह अंधा हो, चाहे लँगड़ा, चाहे नकचपटा हो, चाहे उसके कुछ अधिक अंग हों,
وَلَا رَجُلٌ فِيهِ كَسْرُ رِجْلٍ أَوْ كَسْرُ يَدٍ، ١٩ 19
१९या उसका पाँव, या हाथ टूटा हो,
وَلَا أَحْدَبُ وَلَا أَكْشَمُ، وَلَا مَنْ فِي عَيْنِهِ بَيَاضٌ، وَلَا أَجْرَبُ وَلَا أَكْلَفُ، وَلَا مَرْضُوضُ ٱلْخُصَى. ٢٠ 20
२०या वह कुबड़ा, या बौना हो, या उसकी आँख में दोष हो, या उस मनुष्य के चाईं या खुजली हो, या उसके अण्ड पिचके हों;
كُلُّ رَجُلٍ فِيهِ عَيْبٌ مِنْ نَسْلِ هَارُونَ ٱلْكَاهِنِ لَا يَتَقَدَّمْ لِيُقَرِّبَ وَقَائِدَ ٱلرَّبِّ. فِيهِ عَيْبٌ لَا يَتَقَدَّمْ لِيُقَرِّبَ خُبْزَ إِلَهِهِ. ٢١ 21
२१हारून याजक के वंश में से जिस किसी में कोई भी शारीरिक दोष हो, वह यहोवा के हव्य चढ़ाने के लिये समीप न आए; वह जो दोषयुक्त है कभी भी अपने परमेश्वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए।
خُبْزَ إِلَهِهِ مِنْ قُدْسِ ٱلْأَقْدَاسِ وَمِنَ ٱلْقُدْسِ يَأْكُلُ. ٢٢ 22
२२वह अपने परमेश्वर के पवित्र और परमपवित्र दोनों प्रकार के भोजन को खाए,
لَكِنْ إِلَى ٱلْحِجَابِ لَا يَأْتِي، وَإِلَى ٱلْمَذْبَحِ لَا يَقْتَرِبُ، لِأَنَّ فِيهِ عَيْبًا، لِئَلَّا يُدَنِّسَ مَقْدِسِي، لِأَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ مُقَدِّسُهُمْ». ٢٣ 23
२३परन्तु उसके दोष के कारण वह न तो बीचवाले पर्दे के भीतर आए और न वेदी के समीप, जिससे ऐसा न हो कि वह मेरे पवित्रस्थानों को अपवित्र करे; क्योंकि मैं उनका पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ।”
فَكَلَّمَ مُوسَى هَارُونَ وَبَنِيهِ وَكُلَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ٢٤ 24
२४इसलिए मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को तथा सब इस्राएलियों को यह बातें कह सुनाईं।

< اَللَّاوِيِّينَ 21 >