< اَللَّاوِيِّينَ 18 >

وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: ١ 1
फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
«كَلِّمْ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. ٢ 2
“इस्राएलियों से कह कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
مِثْلَ عَمَلِ أَرْضِ مِصْرَ ٱلَّتِي سَكَنْتُمْ فِيهَا لَا تَعْمَلُوا، وَمِثْلَ عَمَلِ أَرْضِ كَنْعَانَ ٱلَّتِي أَنَا آتٍ بِكُمْ إِلَيْهَا لَا تَعْمَلُوا، وَحَسَبَ فَرَائِضِهِمْ لَا تَسْلُكُوا. ٣ 3
तुम मिस्र देश के कामों के अनुसार, जिसमें तुम रहते थे, न करना; और कनान देश के कामों के अनुसार भी, जहाँ मैं तुम्हें ले चलता हूँ, न करना; और न उन देशों की विधियों पर चलना।
أَحْكَامِي تَعْمَلُونَ، وَفَرَائِضِي تَحْفَظُونَ لِتَسْلُكُوا فِيهَا. أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. ٤ 4
मेरे ही नियमों को मानना, और मेरी ही विधियों को मानते हुए उन पर चलना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
فَتَحْفَظُونَ فَرَائِضِي وَأَحْكَامِي، ٱلَّتِي إِذَا فَعَلَهَا ٱلْإِنْسَانُ يَحْيَا بِهَا. أَنَا ٱلرَّبُّ. ٥ 5
इसलिए तुम मेरे नियमों और मेरी विधियों को निरन्तर मानना; जो मनुष्य उनको माने वह उनके कारण जीवित रहेगा। मैं यहोवा हूँ।
«لَا يَقْتَرِبْ إِنْسَانٌ إِلَى قَرِيبِ جَسَدِهِ لِيَكْشِفَ ٱلْعَوْرَةَ. أَنَا ٱلرَّبُّ. ٦ 6
“तुम में से कोई अपनी किसी निकट कुटुम्बिनी का तन उघाड़ने को उसके पास न जाए। मैं यहोवा हूँ।
عَوْرَةَ أَبِيكَ وَعَوْرَةَ أُمِّكَ لَا تَكْشِفْ. إِنَّهَا أُمُّكَ لَا تَكْشِفْ عَوْرَتَهَا. ٧ 7
अपनी माता का तन, जो तुम्हारे पिता का तन है, न उघाड़ना; वह तो तुम्हारी माता है, इसलिए तुम उसका तन न उघाड़ना।
عَوْرَةَ ٱمْرَأَةِ أَبِيكَ لَا تَكْشِفْ. إِنَّهَا عَوْرَةُ أَبِيكَ. ٨ 8
अपनी सौतेली माता का भी तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता ही का तन है।
عَوْرَةَ أُخْتِكَ بِنْتِ أَبِيكَ أَوْ بِنْتِ أُمِّكَ، ٱلْمَوْلُودَةِ فِي ٱلْبَيْتِ أَوِ ٱلْمَوْلُودَةِ خَارِجًا، لَا تَكْشِفْ عَوْرَتَهَا. ٩ 9
अपनी बहन चाहे सगी हो चाहे सौतेली हो, चाहे वह घर में उत्पन्न हुई हो चाहे बाहर, उसका तन न उघाड़ना।
عَوْرَةَ ٱبْنَةِ ٱبْنِكَ، أَوِ ٱبْنَةِ بِنْتِكَ لَا تَكْشِفْ عَوْرَتَهَا. إِنَّهَا عَوْرَتُكَ. ١٠ 10
१०अपनी पोती या अपनी नातिन का तन न उघाड़ना, उनकी देह तो मानो तुम्हारी ही है।
عَوْرَةَ بِنْتِ ٱمْرَأَةِ أَبِيكَ ٱلْمَوْلُودَةِ مِنْ أَبِيكَ لَا تَكْشِفْ عَوْرَتَهَا. إِنَّهَا أُخْتُكَ. ١١ 11
११तुम्हारी सोतेली बहन जो तुम्हारे पिता से उत्पन्न हुई, वह तुम्हारी बहन है, इस कारण उसका तन न उघाड़ना।
عَوْرَةَ أُخْتِ أَبِيكَ لَا تَكْشِفْ. إِنَّهَا قَرِيبَةُ أَبِيكَ. ١٢ 12
१२अपनी फूफी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता की निकट कुटुम्बिनी है।
عَوْرَةَ أُخْتِ أُمِّكَ لَا تَكْشِفْ. إِنَّهَا قَرِيبَةُ أُمِّكَ. ١٣ 13
१३अपनी मौसी का तन न उघाड़ना; क्योंकि वह तुम्हारी माता की निकट कुटुम्बिनी है।
عَوْرَةَ أَخِي أَبِيكَ لَا تَكْشِفْ. إِلَى ٱمْرَأَتِهِ لَا تَقْتَرِبْ. إِنَّهَا عَمَّتُكَ. ١٤ 14
१४अपने चाचा का तन न उघाड़ना, अर्थात् उसकी स्त्री के पास न जाना; वह तो तुम्हारी चाची है।
عَوْرَةَ كَنَّتِكَ لَا تَكْشِفْ. إِنَّهَا ٱمْرَأَةُ ٱبْنِكَ. لَا تَكْشِفْ عَوْرَتَهَا. ١٥ 15
१५अपनी बहू का तन न उघाड़ना वह तो तुम्हारे बेटे की स्त्री है, इस कारण तुम उसका तन न उघाड़ना।
عَوْرَةَ ٱمْرَأَةِ أَخِيكَ لَا تَكْشِفْ. إِنَّهَا عَوْرَةُ أَخِيكَ. ١٦ 16
१६अपनी भाभी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे भाई ही का तन है।
عَوْرَةَ ٱمْرَأَةٍ وَبِنْتِهَا لَا تَكْشِفْ. وَلَا تَأْخُذِ ٱبْنَةَ ٱبْنِهَا، أَوِ ٱبْنَةَ بِنْتِهَا لِتَكْشِفَ عَوْرَتَهَا. إِنَّهُمَا قَرِيبَتَاهَا. إِنَّهُ رَذِيلَةٌ. ١٧ 17
१७किसी स्त्री और उसकी बेटी दोनों का तन न उघाड़ना, और उसकी पोती को या उसकी नातिन को अपनी स्त्री करके उसका तन न उघाड़ना; वे तो निकट कुटुम्बिनी है; ऐसा करना महापाप है।
وَلَا تَأْخُذِ ٱمْرَأَةً عَلَى أُخْتِهَا لِلضِّرِّ لِتَكْشِفَ عَوْرَتَهَا مَعَهَا فِي حَيَاتِهَا. ١٨ 18
१८और अपनी स्त्री की बहन को भी अपनी स्त्री करके उसकी सौत न करना कि पहली के जीवित रहते हुए उसका तन भी उघाड़े।
«وَلَا تَقْتَرِبْ إِلَى ٱمْرَأَةٍ فِي نَجَاسَةِ طَمْثِهَا لِتَكْشِفَ عَوْرَتَهَا. ١٩ 19
१९“फिर जब तक कोई स्त्री अपने ऋतु के कारण अशुद्ध रहे तब तक उसके पास उसका तन उघाड़ने को न जाना।
وَلَا تَجْعَلْ مَعَ ٱمْرَأَةِ صَاحِبِكَ مَضْجَعَكَ لِزَرْعٍ، فَتَتَنَجَّسَ بِهَا. ٢٠ 20
२०फिर अपने भाई-बन्धु की स्त्री से कुकर्म करके अशुद्ध न हो जाना।
وَلَا تُعْطِ مِنْ زَرْعِكَ لِلْإِجَازَةِ لِمُولَكَ لِئَلَّا تُدَنِّسَ ٱسْمَ إِلَهِكَ. أَنَا ٱلرَّبُّ. ٢١ 21
२१अपनी सन्तान में से किसी को मोलेक के लिये होम करके न चढ़ाना, और न अपने परमेश्वर के नाम को अपवित्र ठहराना; मैं यहोवा हूँ।
وَلَا تُضَاجِعْ ذَكَرًا مُضَاجَعَةَ ٱمْرَأَةٍ. إِنَّهُ رِجْسٌ. ٢٢ 22
२२स्त्रीगमन की रीति पुरुषगमन न करना; वह तो घिनौना काम है।
وَلَا تَجْعَلْ مَعَ بَهِيمَةٍ مَضْجَعَكَ فَتَتَنَجَّسَ بِهَا. وَلَا تَقِفِ ٱمْرَأَةٌ أَمَامَ بَهِيمَةٍ لِنِزَائِهَا. إِنَّهُ فَاحِشَةٌ. ٢٣ 23
२३किसी जाति के पशु के साथ पशुगमन करके अशुद्ध न हो जाना, और न कोई स्त्री पशु के सामने इसलिए खड़ी हो कि उसके संग कुकर्म करे; यह तो उलटी बात है।
«بِكُلِّ هَذِهِ لَا تَتَنَجَّسُوا، لِأَنَّهُ بِكُلِّ هَذِهِ قَدْ تَنَجَّسَ ٱلشُّعُوبُ ٱلَّذِينَ أَنَا طَارِدُهُمْ مِنْ أَمَامِكُمْ ٢٤ 24
२४“ऐसा-ऐसा कोई भी काम करके अशुद्ध न हो जाना, क्योंकि जिन जातियों को मैं तुम्हारे आगे से निकालने पर हूँ वे ऐसे-ऐसे काम करके अशुद्ध हो गई हैं;
فَتَنَجَّسَتِ ٱلْأَرْضُ. فَأَجْتَزِي ذَنْبَهَا مِنْهَا، فَتَقْذِفُ ٱلْأَرْضُ سُكَّانَهَا. ٢٥ 25
२५और उनका देश भी अशुद्ध हो गया है, इस कारण मैं उस पर उसके अधर्म का दण्ड देता हूँ, और वह देश अपने निवासियों को उगल देता है।
لَكِنْ تَحْفَظُونَ أَنْتُمْ فَرَائِضِي وَأَحْكَامِي، وَلَا تَعْمَلُونَ شَيْئًا مِنْ جَمِيعِ هَذِهِ ٱلرَّجَسَاتِ، لَا ٱلْوَطَنِيُّ وَلَا ٱلْغَرِيبُ ٱلنَّازِلُ فِي وَسَطِكُمْ، ٢٦ 26
२६इस कारण तुम लोग मेरी विधियों और नियमों को निरन्तर मानना, और चाहे देशी, चाहे तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेशी हो, तुम में से कोई भी ऐसा घिनौना काम न करे;
لِأَنَّ جَمِيعَ هَذِهِ ٱلرَّجَسَاتِ قَدْ عَمِلَهَا أَهْلُ ٱلْأَرْضِ ٱلَّذِينَ قَبْلَكُمْ فَتَنَجَّسَتِ ٱلْأَرْضُ. ٢٧ 27
२७क्योंकि ऐसे सब घिनौने कामों को उस देश के मनुष्य जो तुम से पहले उसमें रहते थे, वे करते आए हैं, इसी से वह देश अशुद्ध हो गया है।
فَلَا تَقْذِفُكُمُ ٱلْأَرْضُ بِتَنْجِيسِكُمْ إِيَّاهَا كَمَا قَذَفَتِ ٱلشُّعُوبَ ٱلَّتِي قَبْلَكُمْ. ٢٨ 28
२८अब ऐसा न हो कि जिस रीति से जो जाति तुम से पहले उस देश में रहती थी, उसको उसने उगल दिया, उसी रीति जब तुम उसको अशुद्ध करो, तो वह तुम को भी उगल दे।
بَلْ كُلُّ مَنْ عَمِلَ شَيْئًا مِنْ جَمِيعِ هَذِهِ ٱلرَّجَسَاتِ تُقْطَعُ ٱلْأَنْفُسُ ٱلَّتِي تَعْمَلُهَا مِنْ شَعْبِهَا. ٢٩ 29
२९जितने ऐसा कोई घिनौना काम करें वे सब प्राणी अपने लोगों में से नष्ट किए जाएँ।
فَتَحْفَظُونَ شَعَائِرِي لِكَيْ لَا تَعْمَلُوا شَيْئًا مِنَ ٱلرُّسُومِ ٱلرَّجِسَةِ ٱلَّتِي عُمِلَتْ قَبْلَكُمْ وَلَا تَتَنَجَّسُوا بِهَا. أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ». ٣٠ 30
३०यह आज्ञा जो मैंने तुम्हारे मानने को दी है, उसे तुम मानना, और जो घिनौनी रीतियाँ तुम से पहले प्रचलित हैं, उनमें से किसी पर न चलना, और न उनके कारण अशुद्ध हो जाना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”

< اَللَّاوِيِّينَ 18 >