< اَللَّاوِيِّينَ 14 >

وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: ١ 1
याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया,
«هَذِهِ تَكُونُ شَرِيعَةَ ٱلْأَبْرَصِ: يَوْمَ طُهْرِهِ، يُؤْتَى بِهِ إِلَى ٱلْكَاهِنِ. ٢ 2
“किसी कोढ़ी के शुद्ध हो जाने की पुष्टि की विधि यह है: जब उसे पुरोहित के सामने लाया जाए,
وَيَخْرُجُ ٱلْكَاهِنُ إِلَى خَارِجِ ٱلْمَحَلَّةِ، فَإِنْ رَأَى ٱلْكَاهِنُ وَإِذَا ضَرْبَةُ ٱلْبَرَصِ قَدْ بَرِئَتْ مِنَ ٱلْأَبْرَصِ، ٣ 3
पुरोहित छावनी के बाहर जाकर इसकी जांच करे और यदि उस कोढ़ी की व्याधि स्वस्थ हो गयी है,
يَأْمُرُ ٱلْكَاهِنُ أَنْ يُؤْخَذَ لِلْمُتَطَهِّرِ عُصْفُورَانِ حَيَّانِ طَاهِرَانِ، وَخَشَبُ أَرْزٍ وَقِرْمِزٌ وَزُوفَا. ٤ 4
तब पुरोहित उस व्यक्ति के लिए, जिसको शुद्ध किया जाना है, दो जीवित शुद्ध पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लाने का आदेश दे.
وَيَأْمُرُ ٱلْكَاهِنُ أَنْ يُذْبَحَ ٱلْعُصْفُورُ ٱلْوَاحِدُ فِي إِنَاءِ خَزَفٍ عَلَى مَاءٍ حَيٍّ. ٥ 5
फिर पुरोहित बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में एक पक्षी को बलि करने का आदेश भी दे.
أَمَّا ٱلْعُصْفُورُ ٱلْحَيُّ فَيَأْخُذُهُ مَعَ خَشَبِ ٱلْأَرْزِ وَٱلْقِرْمِزِ وَٱلزُّوفَا وَيَغْمِسُهَا مَعَ ٱلْعُصْفُورِ ٱلْحَيِّ فِي دَمِ ٱلْعُصْفُورِ ٱلْمَذْبُوحِ عَلَى ٱلْمَاءِ ٱلْحَيِّ، ٦ 6
इसके बाद वह उस जीवित पक्षी को देवदार की लकड़ी, लाल डोरी और जूफ़ा के साथ लेकर उन्हें, तथा उस जीवित पक्षी को उस पक्षी के लहू में डूबा दे, जिसे बहते हुए जल पर बलि किया गया था.
وَيَنْضِحُ عَلَى ٱلْمُتَطَهِّرِ مِنَ ٱلْبَرَصِ سَبْعَ مَرَّاتٍ فَيُطَهِّرُهُ، ثُمَّ يُطْلِقُ ٱلْعُصْفُورَ ٱلْحَيَّ عَلَى وَجْهِ ٱلصَّحْرَاءِ. ٧ 7
पुरोहित इसे सात बार उस व्यक्ति पर छिड़क दे, जिसे कोढ़ से शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर दे और उस जीवित पक्षी को खुले मैदान में छोड़ दे.
فَيَغْسِلُ ٱلْمُتَطَهِّرُ ثِيَابَهُ وَيَحْلِقُ كُلَّ شَعْرِهِ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ فَيَطْهُرُ. ثُمَّ يَدْخُلُ ٱلْمَحَلَّةَ، لَكِنْ يُقِيمُ خَارِجَ خَيْمَتِهِ سَبْعَةَ أَيَّامٍ. ٨ 8
“फिर वह व्यक्ति जिसे शुद्ध किया जा रहा है, अपने वस्त्रों को धो डाले, अपने सारे बाल मुंडवा ले और स्‍नान करके शुद्ध हो जाए. इसके बाद वह छावनी में तो प्रवेश कर सकता है किंतु सात दिन तक वह अपने घर से बाहर ही निवास करे.
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ يَحْلِقُ كُلَّ شَعْرِهِ: رَأْسَهُ وَلِحْيَتَهُ وَحَوَاجِبَ عَيْنَيْهِ وَجَمِيعَ شَعْرِهِ يَحْلِقُ. وَيَغْسِلُ ثِيَابَهُ وَيَرْحَضُ جَسَدَهُ بِمَاءٍ فَيَطْهُرُ. ٩ 9
सातवें दिन वह अपने सिर के बाल, दाढ़ी तथा भौंहें, और हां, अपने समस्त बाल मुंडवा ले; अपने वस्त्रों को धो डाले और स्‍नान कर स्वच्छ हो जाए.
ثُمَّ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ يَأْخُذُ خَرُوفَيْنِ صَحِيحَيْنِ وَنَعْجَةً وَاحِدَةً حَوْلِيَّةً صَحِيحَةً وَثَلَاثَةَ أَعْشَارِ دَقِيقٍ تَقْدِمَةً مَلْتُوتَةً بِزَيْتٍ وَلُجَّ زَيْتٍ. ١٠ 10
“आठवें दिन वह एक वर्षीय दो निर्दोष नर मेमने, एक वर्षीय निर्दोष मादा भेड़, अन्‍नबलि के लिए तेल मिला हुआ पांच किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल ले;
فَيُوقِفُ ٱلْكَاهِنُ ٱلْمُطَهِّرُ ٱلْإِنْسَانَ ٱلْمُتَطَهِّرَ وَإِيَّاهَا أَمَامَ ٱلرَّبِّ لَدَى بَابِ خَيْمَةِ ٱلِٱجْتِمَاعِ. ١١ 11
फिर जो पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर रहा है, वह मिलनवाले तंबू के प्रवेश स्थल पर उस व्यक्ति और इन वस्तुओं को याहवेह के सामने भेंट करे.
ثُمَّ يَأْخُذُ ٱلْكَاهِنُ ٱلْخَرُوفَ ٱلْوَاحِدَ وَيُقَرِّبُهُ ذَبِيحَةَ إِثْمٍ مَعَ لُجِّ ٱلزَّيْتِ. يُرَدِّدُهُمَا تَرْدِيدًا أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ١٢ 12
“फिर पुरोहित एक नर मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को दोष बलि स्वरूप लेकर लहराने की बलि के रूप में याहवेह के सामने भेंट करे.
وَيَذْبَحُ ٱلْخَرُوفَ فِي ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي يَذْبَحُ فِيهِ ذَبِيحَةَ ٱلْخَطِيَّةِ وَٱلْمُحْرَقَةَ فِي ٱلْمَكَانِ ٱلْمُقَدَّسِ، لِأَنَّ ذَبِيحَةَ ٱلْإِثْمِ كَذَبِيحَةِ ٱلْخَطِيَّةِ لِلْكَاهِنِ. إِنَّهَا قُدْسُ أَقْدَاسٍ. ١٣ 13
इसके बाद पुरोहित उस नर मेमने का पवित्र स्थान के उस स्थान में वध करे, जहां पापबलि और होमबलि वध की जाती हैं; क्योंकि दोष बलि, पापबलि के समान पुरोहित का निर्धारित अंश है; यह परम पवित्र है.
وَيَأْخُذُ ٱلْكَاهِنُ مِنْ دَمِ ذَبِيحَةِ ٱلْإِثْمِ وَيَجْعَلُ ٱلْكَاهِنُ عَلَى شَحْمَةِ أُذُنِ ٱلْمُتَطَهِّرِ ٱلْيُمْنَى، وَعَلَى إِبْهَامِ يَدِهِ ٱلْيُمْنَى، وَعَلَى إِبْهَامِ رِجْلِهِ ٱلْيُمْنَى. ١٤ 14
पुरोहित उस दोष बलि के रक्त का कुछ भाग लेकर उसे उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है.
وَيَأْخُذُ ٱلْكَاهِنُ مِنْ لُجِّ ٱلزَّيْتِ وَيَصُبُّ فِي كَفِّ ٱلْكَاهِنِ ٱلْيُسْرَى. ١٥ 15
इसके बाद पुरोहित उस एक तिहाई तेल में से कुछ भाग लेकर उसे अपने बायीं हथेली पर उंडेल दे;
وَيَغْمِسُ ٱلْكَاهِنُ إِصْبَعَهُ ٱلْيُمْنَى فِي ٱلزَّيْتِ ٱلَّذِي عَلَى كَفِّهِ ٱلْيُسْرَى، وَيَنْضِحُ مِنَ ٱلزَّيْتِ بِإِصْبَعِهِ سَبْعَ مَرَّاتٍ أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ١٦ 16
फिर पुरोहित अपनी बायीं हथेली में रखे बचे हुए तेल में अपने दाएं हाथ की उंगली डुबाकर याहवेह के सामने उस तेल में से कुछ तेल को सात बार छिड़क दे.
وَمِمَّا فَضِلَ مِنَ ٱلزَّيْتِ ٱلَّذِي فِي كَفِّهِ يَجْعَلُ ٱلْكَاهِنُ عَلَى شَحْمَةِ أُذُنِ ٱلْمُتَطَهِّرِ ٱلْيُمْنَى، وَعَلَى إِبْهَامِ يَدِهِ ٱلْيُمْنَى، وَعَلَى إِبْهَامِ رِجْلِهِ ٱلْيُمْنَى، عَلَى دَمِ ذَبِيحَةِ ٱلْإِثْمِ. ١٧ 17
अब जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, पुरोहित शुद्ध होनेवाले व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिन पर दोष बलि का रक्त लगा हुआ है;
وَٱلْفَاضِلُ مِنَ ٱلزَّيْتِ ٱلَّذِي فِي كَفِّ ٱلْكَاهِنِ يَجْعَلُهُ عَلَى رَأْسِ ٱلْمُتَطَهِّرِ، وَيُكَفِّرُ عَنْهُ ٱلْكَاهِنُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ١٨ 18
जबकि पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर भी लगा दे, जिसे शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.
ثُمَّ يَعْمَلُ ٱلْكَاهِنُ ذَبِيحَةَ ٱلْخَطِيَّةِ وَيُكَفِّرُ عَنِ ٱلْمُتَطَهِّرِ مِنْ نَجَاسَتِهِ. ثُمَّ يَذْبَحُ ٱلْمُحْرَقَةَ. ١٩ 19
“इसके बाद पुरोहित पापबलि भेंट करे, और उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, जिसे उसकी अशुद्धता से परिशोधन किया जा रहा है. यह सब करने के बाद वह होमबलि पशु का वध कर दे.
وَيُصْعِدُ ٱلْكَاهِنُ ٱلْمُحْرَقَةَ وَٱلتَّقْدِمَةَ عَلَى ٱلْمَذْبَحِ وَيُكَفِّرُ عَنْهُ ٱلْكَاهِنُ فَيَطْهُرُ. ٢٠ 20
पुरोहित उस होमबलि एवं अन्‍नबलि को वेदी पर भेंट कर दे. इस प्रकार पुरोहित उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, और वह व्यक्ति शुद्ध हो जाएगा.
«لَكِنْ إِنْ كَانَ فَقِيرًا وَلَا تَنَالُ يَدُهُ، يَأْخُذُ خَرُوفًا وَاحِدًا ذَبِيحَةَ إِثْمٍ لِتَرْدِيدٍ، تَكْفِيرًا عَنْهُ، وَعُشْرًا وَاحِدًا مِنْ دَقِيقٍ مَلْتُوتٍ بِزَيْتٍ لِتَقْدِمَةٍ، وَلُجَّ زَيْتٍ، ٢١ 21
“किंतु यदि वह व्यक्ति दरिद्र और लाने के लायक न हो, तो वह अपने लिए प्रायश्चित के लिए, हिलाने की बलि के रूप में भेंट दोष बलि के लिए एक नर मेमना और अन्‍नबलि के लिए तेल मिला हुआ डेढ़ किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल,
وَيَمَامَتَيْنِ أَوْ فَرْخَيْ حَمَامٍ كَمَا تَنَالُ يَدُهُ، فَيَكُونُ ٱلْوَاحِدُ ذَبِيحَةَ خَطِيَّةٍ، وَٱلْآخَرُ مُحْرَقَةً. ٢٢ 22
दो कबूतर अथवा दो कबूतर के बच्‍चे; एक पापबलि के लिए तथा एक होमबलि के लिए, इनमें से वह जो कुछ भी देने में समर्थ हो, ले लें.
وَيَأْتِي بِهَا فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ لِطُهْرِهِ إِلَى ٱلْكَاهِنِ، إِلَى بَابِ خَيْمَةِ ٱلِٱجْتِمَاعِ أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ٢٣ 23
“आठवें दिन अपने शुद्ध होने के लिए वह इन्हें मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने पुरोहित के पास लेकर आए.
فَيَأْخُذُ ٱلْكَاهِنُ كَبْشَ ٱلْإِثْمِ وَلُجَّ ٱلزَّيْتِ، وَيُرَدِّدُهُمَا ٱلْكَاهِنُ تَرْدِيدًا أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ٢٤ 24
पुरोहित दोष बलि के इस मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को ले और याहवेह के सामने लहराने की बलि के रूप में भेंट करे.
ثُمَّ يَذْبَحُ كَبْشَ ٱلْإِثْمِ، وَيَأْخُذُ ٱلْكَاهِنُ مِنْ دَمِ ذَبِيحَةِ ٱلْإِثْمِ وَيَجْعَلُ عَلَى شَحْمَةِ أُذُنِ ٱلْمُتَطَهِّرِ ٱلْيُمْنَى، وَعَلَى إِبْهَامِ يَدِهِ ٱلْيُمْنَى، وَعَلَى إِبْهَامِ رِجْلِهِ ٱلْيُمْنَى. ٢٥ 25
फिर पुरोहित दोष बलि के इस मेमने का वध करे; पुरोहित इस दोष बलि के लहू में से कुछ लहू को लेकर उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जाना है.
وَيَصُبُّ ٱلْكَاهِنُ مِنَ ٱلزَّيْتِ فِي كَفِّ ٱلْكَاهِنِ ٱلْيُسْرَى، ٢٦ 26
पुरोहित अपनी बायीं हथेली में कुछ तेल उण्डेले;
وَيَنْضِحُ ٱلْكَاهِنُ بِإِصْبَعِهِ ٱلْيُمْنَى مِنَ ٱلزَّيْتِ ٱلَّذِي فِي كَفِّهِ ٱلْيُسْرَى سَبْعَ مَرَّاتٍ أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ٢٧ 27
और अपनी दाएं हाथ की उंगली से अपनी बायीं हथेली में रखे तेल में से कुछ तेल को सात बार याहवेह के सामने छिड़के.
وَيَجْعَلُ ٱلْكَاهِنُ مِنَ ٱلزَّيْتِ ٱلَّذِي فِي كَفِّهِ عَلَى شَحْمَةِ أُذُنِ ٱلْمُتَطَهِّرِ ٱلْيُمْنَى، وَعَلَى إِبْهَامِ يَدِهِ ٱلْيُمْنَى، وَعَلَى إِبْهَامِ رِجْلِهِ ٱلْيُمْنَى، عَلَى مَوْضِعِ دَمِ ذَبِيحَةِ ٱلْإِثْمِ. ٢٨ 28
अब पुरोहित जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, उससे कुछ तेल जिस व्यक्ति को शुद्ध किया जा रहा है उसके दाएं कान के सिरे पर लगाएगा, कुछ तेल व्यक्ति के दाएं हाथ के अंगूठे और उसके दाएं पैर के अंगूठे पर लगाएगा. दोष बलि के खून लगे स्थान पर ही पुरोहित तेल लगाएगा.
وَٱلْفَاضِلُ مِنَ ٱلزَّيْتِ ٱلَّذِي فِي كَفِّ ٱلْكَاهِنِ يَجْعَلُهُ عَلَى رَأْسِ ٱلْمُتَطَهِّرِ تَكْفِيرًا عَنْهُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ٢٩ 29
पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है कि पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.
ثُمَّ يَعْمَلُ وَاحِدَةً مِنَ ٱلْيَمَامَتَيْنِ أَوْ مِنْ فَرْخَيِ ٱلْحَمَامِ، مِمَّا تَنَالُ يَدُهُ. ٣٠ 30
इसके बाद पुरोहित एक कबूतर अथवा एक युवा कबूतर, जो भी वह व्यक्ति देने में समर्थ हो, भेंट करे;
مَا تَنَالُ يَدُهُ: ٱلْوَاحِدَ ذَبِيحَةَ خَطِيَّةٍ، وَٱلْآخَرَ مُحْرَقَةً مَعَ ٱلتَّقْدِمَةِ. وَيُكَفِّرُ ٱلْكَاهِنُ عَنِ ٱلْمُتَطَهِّرِ أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ٣١ 31
अन्‍नबलि के साथ, पापबलि के लिए एक तथा होमबलि के लिए एक. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे, जिसको शुद्ध किया जाना है.
هَذِهِ شَرِيعَةُ ٱلَّذِي فِيهِ ضَرْبَةُ بَرَصٍ ٱلَّذِي لَا تَنَالُ يَدُهُ فِي تَطْهِيرِهِ». ٣٢ 32
“यह उस व्यक्ति के लिए एक विधि है, जिसमें कोढ़ रोग का संक्रमण है और जिसके अपने शुद्ध होने की आवश्यकताओं के लिए साधन सीमित हैं.”
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى وَهَارُونَ قَائِلًا: ٣٣ 33
फिर याहवेह ने मोशेह और अहरोन को यह आदेश दिया
«مَتَى جِئْتُمْ إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ ٱلَّتِي أُعْطِيكُمْ مُلْكًا، وَجَعَلْتُ ضَرْبَةَ بَرَصٍ فِي بَيْتٍ فِي أَرْضِ مُلْكِكُمْ. ٣٤ 34
“जब तुम कनान देश में प्रवेश करो, जिसका अधिकारी मैंने तुम्हें बनाया है, तुम्हारे आधिपत्य देश के एक आवास में कोढ़ रोग की फफूंदी मैं लगा दूंगा,
يَأْتِي ٱلَّذِي لَهُ ٱلْبَيْتُ، وَيُخبِرُ ٱلْكَاهِنَ قَائِلًا: قَدْ ظَهَرَ لِي شِبْهُ ضَرْبَةٍ فِي ٱلْبَيْتِ. ٣٥ 35
तब वह गृहस्वामी पुरोहित के पास आकर यह सूचना देगा, ‘मुझे अपने घर में कोढ़ रोग के समान एक चिन्ह दिखाई दिया है.’
فَيَأْمُرُ ٱلْكَاهِنُ أَنْ يُفْرِغُوا ٱلْبَيْتَ قَبْلَ دُخُولِ ٱلْكَاهِنِ لِيَرَى ٱلضَّرْبَةَ، لِئَلَّا يَتَنَجَّسَ كُلُّ مَا فِي ٱلْبَيْتِ. وَبَعْدَ ذَلِكَ يَدْخُلُ ٱلْكَاهِنُ لِيَرَى ٱلْبَيْتَ. ٣٦ 36
इससे पहले कि पुरोहित उस घर में जाकर उस चिन्ह की जांच करे, वह यह आदेश दे कि वे उस घर को खाली कर दें, ऐसा न हो कि उस आवास में मौजूद सारी वस्तुएं अशुद्ध हो जाएं. उसके बाद पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर उसकी जांच करे.
فَإِذَا رَأَى ٱلضَّرْبَةَ، وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ فِي حِيطَانِ ٱلْبَيْتِ نُقَرٌ ضَارِبَةٌ إِلَى ٱلْخُضْرَةِ أَوْ إِلَى ٱلْحُمْرَةِ، وَمَنْظَرُهَا أَعْمَقُ مِنَ ٱلْحَائِطِ، ٣٧ 37
वह उस चिन्ह की जांच करे और यदि घर की दीवारों पर यह चिन्ह हरी अथवा लाल सतह से नीचे दबी हुई प्रतीत हो,
يَخْرُجُ ٱلْكَاهِنُ مِنَ ٱلْبَيْتِ إِلَى بَابِ ٱلْبَيْتِ، وَيُغْلِقُ ٱلْبَيْتَ سَبْعَةَ أَيَّامٍ. ٣٨ 38
तो पुरोहित उस घर से बाहर निकलकर प्रवेश द्वार पर आकर उस घर को सात दिन के लिए उसे बंद कर दे.
فَإِذَا رَجَعَ ٱلْكَاهِنُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ وَرَأَى وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ قَدِ ٱمْتَدَّتْ فِي حِيطَانِ ٱلْبَيْتِ، ٣٩ 39
सातवें दिन पुरोहित उसको दोबारा जांचे. यदि वास्तव में वह चिन्ह घर की दीवारों में फैल गया है,
يَأْمُرُ ٱلْكَاهِنُ أَنْ يَقْلَعُوا ٱلْحِجَارَةَ ٱلَّتِي فِيهَا ٱلضَّرْبَةُ وَيَطْرَحُوهَا خَارِجَ ٱلْمَدِينَةِ فِي مَكَانٍ نَجِسٍ. ٤٠ 40
तो पुरोहित उन्हें यह आदेश दे कि वे उन चिन्हयुक्त पत्थरों को निकालकर नगर से बाहर कूड़े के ढेर पर फेंक दें.
وَيُقَشِّرُ ٱلْبَيْتَ مِنْ دَاخِلٍ حَوَالَيْهِ، وَيَطْرَحُونَ ٱلتُّرَابَ ٱلَّذِي يُقَشِّرُونَهُ خَارِجَ ٱلْمَدِينَةِ فِي مَكَانٍ نَجِسٍ. ٤١ 41
इसके बाद पुरोहित उस संपूर्ण घर को भीतर से खुरचवा दे और वे उस खुरचन को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर फेंक दें.
وَيَأْخُذُونَ حِجَارَةً أُخْرَى وَيُدْخِلُونَهَا فِي مَكَانِ ٱلْحِجَارَةِ، وَيَأْخُذُ تُرَابًا آخَرَ وَيُطَيِّنُ ٱلْبَيْتَ. ٤٢ 42
फिर वे दूसरे पत्थर लेकर उन्हें निकाले गए पत्थरों के स्थान पर लगा दें और गारा लेकर उस आवास की पुनः लीपाई-पोताई कर दें.
فَإِنْ رَجَعَتِ ٱلضَّرْبَةُ وَأَفْرَخَتْ فِي ٱلْبَيْتِ بَعْدَ قَلْعِ ٱلْحِجَارَةِ وَقَشْرِ ٱلْبَيْتِ وَتَطْيِينِهِ، ٤٣ 43
“किंतु यदि उसके द्वारा पत्थरों को निकालवाए जाने, घर को खुरचे जाने तथा पुनः पलस्तर लीपे पोते जाने के बाद उस घर में वह फफूंदी फूट पड़ती है,
وَأَتَى ٱلْكَاهِنُ وَرَأَى وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ قَدِ ٱمْتَدَّتْ فِي ٱلْبَيْتِ، فَهِيَ بَرَصٌ مُفْسِدٌ فِي ٱلْبَيْتِ. إِنَّهُ نَجِسٌ. ٤٤ 44
तो पुरोहित उसमें प्रवेश कर उसकी जांच करे. यदि उसे यह प्रतीत होता है कि वास्तव में वह चिन्ह आवास में फैल गया है, तो यह उस आवास में एक असाध्य रोग है; यह अशुद्ध है.
فَيَهْدِمُ ٱلْبَيْتَ: حِجَارَتَهُ وَأَخْشَابَهُ وَكُلَّ تُرَابِ ٱلْبَيْتِ، وَيُخْرِجُهَا إِلَى خَارِجِ ٱلْمَدِينَةِ إِلَى مَكَانٍ نَجِسٍ. ٤٥ 45
इसलिये उस आवास को ढाह दिया जाए, वह उसके पत्थर, लकड़ी और संपूर्ण पलस्तर को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर ले जाए.
وَمَنْ دَخَلَ إِلَى ٱلْبَيْتِ فِي كُلِّ أَيَّامِ ٱنْغِلَاقِهِ، يَكُونُ نَجِسًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ. ٤٦ 46
“इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति उस समय में उस घर में प्रवेश कर ले, जिसे पुरोहित ने बंद कर दिया था, तो वह व्यक्ति शाम तक अशुद्ध रहेगा.
وَمَنْ نَامَ فِي ٱلْبَيْتِ يَغْسِلُ ثِيَابَهُ. وَمَنْ أَكَلَ فِي ٱلْبَيْتِ يَغْسِلُ ثِيَابَهُ. ٤٧ 47
इसी प्रकार जो कोई व्यक्ति उस घर में विश्राम करता है, या भोजन कर लेता है, वह भी अपने वस्त्रों को शुद्ध करे.
لَكِنْ إِنْ أَتَى ٱلْكَاهِنُ وَرَأَى وَإِذَا ٱلضَّرْبَةُ لَمْ تَمْتَدَّ فِي ٱلْبَيْتِ بَعْدَ تَطْيِينِ ٱلْبَيْتِ، يُطَهِّرُ ٱلْكَاهِنُ ٱلْبَيْتَ. لِأَنَّ ٱلضَّرْبَةَ قَدْ بَرِئَتْ. ٤٨ 48
“यदि इसके विपरीत, पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर निरीक्षण करे, और यह पाए कि उस घर की पुनः पलस्तर करने के बाद वह फफूंदी वास्तव में नहीं फैली है, तो पुरोहित उस आवास को शुद्ध घोषित कर दे, क्योंकि यह रोग उसमें पुनः प्रकट नहीं हुआ है.
فَيَأْخُذُ لِتَطْهِيرِ ٱلْبَيْتِ عُصْفُورَيْنِ وَخَشَبَ أَرْزٍ وَقِرْمِزًا وَزُوفَا. ٤٩ 49
तब पुरोहित उस आवास को शुद्ध करने के लिए दो पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लेकर,
وَيَذْبَحُ ٱلْعُصْفُورَ ٱلْوَاحِدَ فِي إِنَاءِ خَزَفٍ عَلَى مَاءٍ حَيٍّ، ٥٠ 50
एक पक्षी को बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में बलि करे.
وَيَأْخُذُ خَشَبَ ٱلْأَرْزِ وَٱلزُّوفَا وَٱلْقِرْمِزَ وَٱلْعُصْفُورَ ٱلْحَيَّ وَيَغْمِسُهَا فِي دَمِ ٱلْعُصْفُورِ ٱلْمَذْبُوحِ وَفِي ٱلْمَاءِ ٱلْحَيِّ، وَيَنْضِحُ ٱلْبَيْتَ سَبْعَ مَرَّاتٍ، ٥١ 51
इसके बाद वह उस जीवित पक्षी के साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी को उस बलि किए हुए पक्षी के रक्त तथा बहते हुए जल में डुबाकर उस घर पर सात बार छिड़के.
وَيُطَهِّرُ ٱلْبَيْتَ بِدَمِ ٱلْعُصْفُورِ وَبِٱلْمَاءِ ٱلْحَيِّ وَبِٱلْعُصْفُورِ ٱلْحَيِّ وَبِخَشَبِ ٱلْأَرْزِ وَبِالزُّوفَا وَبِالْقِرْمِزِ. ٥٢ 52
इस प्रकार वह उस घर का शुद्धीकरण उस पक्षी के लहू तथा बहते हुए जल के साथ साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा तथा लाल डोरी के साथ करे.
ثُمَّ يُطْلِقُ ٱلْعُصْفُورَ ٱلْحَيَّ إِلَى خَارِجِ ٱلْمَدِينَةِ عَلَى وَجْهِ ٱلصَّحْرَاءِ وَيُكَفِّرُ عَنِ ٱلْبَيْتِ فَيَطْهُرُ. ٥٣ 53
फिर वह उस जीवित पक्षी को नगर के बाहर खुले मैदान में छोड़ दे. इस प्रकार वह उस घर के लिए प्रायश्चित पूरा करे और वह आवास शुद्ध हो जाएगा.”
«هَذِهِ هِيَ ٱلشَّرِيعَةُ لِكُلِّ ضَرْبَةٍ مِنَ ٱلْبَرَصِ وَلِلْقَرَعِ، ٥٤ 54
किसी भी प्रकार के कोढ़ के रोग के लिए यही विधि है; सेहुंआ के लिए,
وَلِبَرَصِ ٱلثَّوْبِ وَٱلْبَيْتِ، ٥٥ 55
कोढ़ से संक्रमित वस्त्र अथवा घर के लिए,
وَلِلنَّاتِئِ وَلِلْقُوبَاءِ وَلِلُّمْعَةِ، ٥٦ 56
सूजन के लिए, पपड़ी के लिए अथवा किसी भी प्रकार के चमकदार धब्बे के लिए;
لِلتَّعْلِيمِ فِي يَوْمِ ٱلنَّجَاسَةِ وَيَوْمِ ٱلطَّهَارَةِ. هَذِهِ شَرِيعَةُ ٱلْبَرَصِ». ٥٧ 57
उन पर यह प्रकट हो जाए कि क्या अशुद्ध है अथवा क्या शुद्ध. कोढ़ रोग के लिए यही विधि है.

< اَللَّاوِيِّينَ 14 >