< مَرَاثِي إِرْمِيَا 1 >

كَيْفَ جَلَسَتْ وَحْدَهَا ٱلْمَدِينَةُ ٱلْكَثِيرَةُ ٱلشَّعْبِ! كَيْفَ صَارَتْ كَأَرْمَلَةٍ ٱلْعَظِيمَةُ فِي ٱلْأُمَمِ. ٱلسَّيِّدَةُ في ٱلْبُلْدَانِ صَارَتْ تَحْتَ ٱلْجِزْيَةِ! ١ 1
जो नगरी लोगों से भरपूर थी वह अब कैसी अकेली बैठी हुई है! वह क्यों एक विधवा के समान बन गई? वह जो जातियों की दृष्टि में महान और प्रान्तों में रानी थी, अब क्यों कर देनेवाली हो गई है।
تَبْكِي في ٱللَّيْلِ بُكَاءً، وَدُمُوعُهَا علَى خَدَّيْهَا. لَيْسَ لَهَا مُعَزٍّ مِنْ كُلِّ مُحِبِّيهَا. كُلُّ أَصْحَابِهَا غَدَرُوا بِهَا، صَارُوا لهَا أَعْدَاءً. ٢ 2
रात को वह फूट फूटकर रोती है, उसके आँसू गालों पर ढलकते हैं; उसके सब यारों में से अब कोई उसे शान्ति नहीं देता; उसके सब मित्रों ने उससे विश्वासघात किया, और उसके शत्रु बन गए हैं।
قَد سُبِيَتْ يَهُوذَا مِنَ ٱلْمَذَلَّةِ وَمِنْ كَثْرَةِ ٱلْعُبُودِيَّةِ. هِيَ تَسْكُنُ بَيْنَ ٱلْأُمَمِ. لَا تَجِدُ رَاحَةً. قَدْ أَدْرَكَهَا كُلُّ طَارِدِيهَا بَيْنَ ٱلضِّيقَاتِ. ٣ 3
यहूदा दुःख और कठिन दासत्व के कारण परदेश चली गई; परन्तु अन्यजातियों में रहती हुई वह चैन नहीं पाती; उसके सब खदेड़नेवालों ने उसकी सकेती में उसे पकड़ लिया है।
طُرُقُ صِهْيَوْنَ نَائِحَةٌ لِعَدَمِ ٱلْآتِينَ إِلَى ٱلْعِيدِ. كُلُّ أَبْوَابِهَا خَرِبَةٌ. كَهَنَتُهَا يَتَنَهَّدُونَ. عَذَارَاهَا مُذَلَّلَةٌ وَهِيَ فِي مَرَارَةٍ. ٤ 4
सिय्योन के मार्ग विलाप कर रहे हैं, क्योंकि नियत पर्वों में कोई नहीं आता है; उसके सब फाटक सुनसान पड़े हैं, उसके याजक कराहते हैं; उसकी कुमारियाँ शोकित हैं, और वह आप कठिन दुःख भोग रही है।
صَارَ مُضَايِقُوهَا رَأْسًا. نَجَحَ أَعْدَاؤُهَا لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ أَذَلَّهَا لِأَجْلِ كَثْرَةِ ذُنُوبِهَا. ذَهَبَ أَوْلَادُهَا إِلَى ٱلسَّبْيِ قُدَّامَ ٱلْعَدُوِّ. ٥ 5
उसके द्रोही प्रधान हो गए, उसके शत्रु उन्नति कर रहे हैं, क्योंकि यहोवा ने उसके बहुत से अपराधों के कारण उसे दुःख दिया है; उसके बाल-बच्चों को शत्रु हाँक-हाँककर बँधुआई में ले गए।
وَقَدْ خَرَجَ مِنْ بِنْتِ صِهْيَوْنَ كُلُّ بَهَائِهَا. صَارَتْ رُؤَسَاؤُهَا كَأَيَائِلَ لَا تَجِدُ مَرْعًى، فَيَسِيرُونَ بِلَا قُوَّةٍ أَمَامَ ٱلطَّارِدِ. ٦ 6
सिय्योन की पुत्री का सारा प्रताप जाता रहा है। उसके हाकिम ऐसे हिरनों के समान हो गए हैं जिन्हें कोई चरागाह नहीं मिलती; वे खदेड़नेवालों के सामने से बलहीन होकर भागते हैं।
قَدْ ذَكَرَتْ أُورُشَلِيمُ فِي أَيَّامِ مَذَلَّتِهَا وَتَطَوُّحِهَا كُلَّ مُشْتَهَيَاتِهَا ٱلَّتِي كَانَتْ فِي أَيَّامِ ٱلْقِدَمِ. عِنْدَ سُقُوطِ شَعْبِهَا بِيَدِ ٱلْعَدُوِّ وَلَيْسَ مَنْ يُسَاعِدُهَا. رَأَتْهَا ٱلْأَعْدَاءُ. ضَحِكُوا عَلَى هَلَاكِهَا. ٧ 7
यरूशलेम ने, इन दुःख भरे और संकट के दिनों में, जब उसके लोग द्रोहियों के हाथ में पड़े और उसका कोई सहायक न रहा, अपनी सब मनभावनी वस्तुओं को जो प्राचीनकाल से उसकी थीं, स्मरण किया है। उसके द्रोहियों ने उसको उजड़ा देखकर उपहास में उड़ाया है।
قَدْ أَخْطَأَتْ أُورُشَلِيمُ خَطِيَّةً، مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ صَارَتْ رَجِسَةً. كُلُّ مُكَرِّمِيهَا يَحْتَقِرُونَهَا لِأَنَّهُمْ رَأَوْا عَوْرَتَهَا، وَهِيَ أَيْضًا تَتَنَهَّدُ وَتَرْجِعُ إِلَى ٱلْوَرَاءِ. ٨ 8
यरूशलेम ने बड़ा पाप किया, इसलिए वह अशुद्ध स्त्री सी हो गई है; जितने उसका आदर करते थे वे उसका निरादर करते हैं, क्योंकि उन्होंने उसकी नंगाई देखी है; हाँ, वह कराहती हुई मुँह फेर लेती है।
نَجَاسَتُهَا فِي أَذْيَالِهَا. لَمْ تَذْكُرْ آخِرَتَهَا وَقَدِ ٱنْحَطَّتِ ٱنْحِطَاطًا عَجِيبًا. لَيْسَ لَهَا مُعَزٍّ. «ٱنْظُرْ يَارَبُّ إِلَى مَذَلَّتِي لِأَنَّ ٱلْعَدُوَّ قَدْ تَعَظَّمَ». ٩ 9
उसकी अशुद्धता उसके वस्त्र पर है; उसने अपने अन्त का स्मरण न रखा; इसलिए वह भयंकर रीति से गिराई गई, और कोई उसे शान्ति नहीं देता है। हे यहोवा, मेरे दुःख पर दृष्टि कर, क्योंकि शत्रु मेरे विरुद्ध सफल हुआ है!
بَسَطَ ٱلْعَدُوُّ يَدَهُ عَلَى كُلِّ مُشْتَهَيَاتِهَا، فَإِنَّهَا رَأَتِ ٱلْأُمَمَ دَخَلُوا مَقْدِسَهَا، ٱلَّذِينَ أَمَرْتَ أَنْ لَا يَدْخُلُوا فِي جَمَاعَتِكَ. ١٠ 10
१०द्रोहियों ने उसकी सब मनभावनी वस्तुओं पर हाथ बढ़ाया है; हाँ, अन्यजातियों को, जिनके विषय में तूने आज्ञा दी थी कि वे तेरी सभा में भागी न होने पाएँगी, उनको उसने तेरे पवित्रस्थान में घुसा हुआ देखा है।
كُلُّ شَعْبِهَا يَتَنَهَّدُونَ، يَطْلُبُونَ خُبْزًا. دَفَعُوا مُشْتَهَيَاتِهِمْ لِلْأَكْلِ لِأَجْلِ رَدِّ ٱلنَّفْسِ. «ٱنْظُرْ يَارَبُّ وَتَطَلَّعْ لِأَنِّي قَدْ صِرْتُ مُحْتَقَرَةً». ١١ 11
११उसके सब निवासी कराहते हुए भोजनवस्तु ढूँढ़ रहे हैं; उन्होंने अपना प्राण बचाने के लिये अपनी मनभावनी वस्तुएँ बेचकर भोजन मोल लिया है। हे यहोवा, दृष्टि कर, और ध्यान से देख, क्योंकि मैं तुच्छ हो गई हूँ।
«أَمَا إِلَيْكُمْ يَا جَمِيعَ عَابِرِي ٱلطَّرِيقِ؟ تَطَلَّعُوا وَٱنْظُرُوا إِنْ كَانَ حُزْنٌ مِثْلُ حُزْنِي ٱلَّذِي صُنِعَ بِي، ٱلَّذِي أَذَلَّنِي بِهِ ٱلرَّبُّ يَوْمَ حُمُوِّ غَضَبِهِ؟ ١٢ 12
१२हे सब बटोहियों, क्या तुम्हें इस बात की कुछ भी चिन्ता नहीं? दृष्टि करके देखो, क्या मेरे दुःख से बढ़कर कोई और पीड़ा है जो यहोवा ने अपने क्रोध के दिन मुझ पर डाल दी है?
مِنَ ٱلْعَلَاءِ أَرْسَلَ نَارًا إِلَى عِظَامِي فَسَرَتْ فِيهَا. بَسَطَ شَبَكَةً لِرِجْلَيَّ. رَدَّنِي إِلَى ٱلْوَرَاءِ. جَعَلَنِي خَرِبَةً. ٱلْيَوْمَ كُلَّهُ مَغْمُومَةً. ١٣ 13
१३उसने ऊपर से मेरी हड्डियों में आग लगाई है, और वे उससे भस्म हो गईं; उसने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया, और मुझ को उलटा फेर दिया है; उसने ऐसा किया कि मैं त्यागी हुई सी और रोग से लगातार निर्बल रहती हूँ।
شَدَّ نِيرَ ذُنُوبِي بِيَدِهِ، ضُفِرَتْ، صَعِدَتْ عَلَى عُنُقِي. نَزَعَ قُوَّتِي. دَفَعَنِي ٱلسَّيِّدُ إِلَى أَيْدٍ لَا أَسْتَطِيعُ ٱلْقِيَامَ مِنْهَا. ١٤ 14
१४उसने जूए की रस्सियों की समान मेरे अपराधों को अपने हाथ से कसा है; उसने उन्हें बटकर मेरी गर्दन पर चढ़ाया, और मेरा बल घटा दिया है; जिनका मैं सामना भी नहीं कर सकती, उन्हीं के वश में यहोवा ने मुझे कर दिया है।
رَذَلَ ٱلسَّيِّدُ كُلَّ مُقْتَدِرِيَّ فِي وَسَطِي. دَعَا عَلَيَّ جَمَاعَةً لِحَطْمِ شُبَّانِي. دَاسَ ٱلسَّيِّدُ ٱلْعَذْرَاءَ بِنْتَ يَهُوذَا مِعْصَرَةً. ١٥ 15
१५यहोवा ने मेरे सब पराक्रमी पुरुषों को तुच्छ जाना; उसने नियत पर्व का प्रचार करके लोगों को मेरे विरुद्ध बुलाया कि मेरे जवानों को पीस डाले; यहूदा की कुमारी कन्या को यहोवा ने मानो कुण्ड में पेरा है।
عَلَى هَذِهِ أَنَا بَاكِيَةٌ. عَيْنِي، عَيْنِي تَسْكُبُ مِيَاهًا لِأَنَّهُ قَدِ ٱبْتَعَدَ عَنِّي ٱلْمُعَزِّي، رَادُّ نَفْسِي. صَارَ بَنِيَّ هَالِكِينَ لِأَنَّهُ قَدْ تَجَبَّرَ ٱلْعَدُوُّ». ١٦ 16
१६इन बातों के कारण मैं रोती हूँ; मेरी आँखों से आँसू की धारा बहती रहती है; क्योंकि जिस शान्तिदाता के कारण मेरा जी हरा भरा हो जाता था, वह मुझसे दूर हो गया; मेरे बच्चे अकेले हो गए, क्योंकि शत्रु प्रबल हुआ है।
بَسَطَتْ صِهْيَوْنُ يَدَيْهَا. لَا مُعَزِّيَ لَهَا. أَمَرَ ٱلرَّبُّ عَلَى يَعْقُوبَ أَنْ يَكُونَ مُضَايِقُوهُ حَوَالَيْهِ. صَارَتْ أُورُشَلِيمُ نَجِسَةً بَيْنَهُمْ. ١٧ 17
१७सिय्योन हाथ फैलाए हुए है, उसे कोई शान्ति नहीं देता; यहोवा ने याकूब के विषय में यह आज्ञा दी है कि उसके चारों ओर के निवासी उसके द्रोही हो जाएँ; यरूशलेम उनके बीच अशुद्ध स्त्री के समान हो गई है।
«بَارٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ لِأَنِّي قَدْ عَصَيْتُ أَمْرَهُ. ٱسْمَعُوا يَا جَمِيعَ ٱلشُّعُوبِ وَٱنْظُرُوا إِلَى حُزْنِي. عَذَارَايَ وَشُبَّانِي ذَهَبُوا إِلَى ٱلسَّبْيِ. ١٨ 18
१८यहोवा सच्चाई पर है, क्योंकि मैंने उसकी आज्ञा का उल्लंघन किया है; हे सब लोगों, सुनो, और मेरी पीड़ा को देखो! मेरे कुमार और कुमारियाँ बँधुआई में चली गई हैं।
نَادَيْتُ مُحِبِّيَّ. هُمْ خَدَعُونِي. كَهَنَتِي وَشُيُوخِي فِي ٱلْمَدِينَةِ مَاتُوا، إِذْ طَلَبُوا لِذَوَاتِهِمْ طَعَامًا لِيَرُدُّوا أَنْفُسَهُمْ. ١٩ 19
१९मैंने अपने मित्रों को पुकारा परन्तु उन्होंने भी मुझे धोखा दिया; जब मेरे याजक और पुरनिये इसलिए भोजनवस्तु ढूँढ़ रहे थे कि खाने से उनका जी हरा हो जाए, तब नगर ही में उनके प्राण छूट गए।
ٱنْظُرْ يَارَبُّ، فَإِنِّي فِي ضِيقٍ! أَحْشَائِي غَلَتْ. ٱرْتَدَّ قَلْبِي فِي بَاطِنِي لِأَنِّي قَدْ عَصَيْتُ مُتَمَرِّدَةً. فِي ٱلْخَارِجِ يَثْكُلُ ٱلسَّيْفُ، وَفِي ٱلْبَيْتِ مِثْلُ ٱلْمَوْتِ. ٢٠ 20
२०हे यहोवा, दृष्टि कर, क्योंकि मैं संकट में हूँ, मेरी अंतड़ियाँ ऐंठी जाती हैं, मेरा हृदय उलट गया है, क्योंकि मैंने बहुत बलवा किया है। बाहर तो मैं तलवार से निर्वंश होती हूँ; और घर में मृत्यु विराज रही है।
سَمِعُوا أَنِّي تَنَهَّدْتُ. لَا مُعَزِّيَ لِي. كُلُّ أَعْدَائِي سَمِعُوا بِبَلِيَّتِي. فَرِحُوا لِأَنَّكَ فَعَلْتَ. تَأْتِي بِٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي نَادَيْتَ بِهِ فَيَصِيرُونَ مِثْلِي. ٢١ 21
२१उन्होंने सुना है कि मैं कराहती हूँ, परन्तु कोई मुझे शान्ति नहीं देता। मेरे सब शत्रुओं ने मेरी विपत्ति का समाचार सुना है; वे इससे हर्षित हो गए कि तू ही ने यह किया है। परन्तु जिस दिन की चर्चा तूने प्रचार करके सुनाई है उसको तू दिखा, तब वे भी मेरे समान हो जाएँगे।
لِيَأْتِ كُلُّ شَرِّهِمْ أَمَامَكَ. وَٱفْعَلْ بِهِمْ كَمَا فَعَلْتَ بِي مِنْ أَجْلِ كُلِّ ذُنُوبِي، لِأَنَّ تَنَهُّدَاتِي كَثِيرَةٌ وَقَلْبِي مَغْشِيٌّ عَلَيْهِ». ٢٢ 22
२२उनकी सारी दुष्टता की ओर दृष्टि कर; और जैसा मेरे सारे अपराधों के कारण तूने मुझे दण्ड दिया, वैसा ही उनको भी दण्ड दे; क्योंकि मैं बहुत ही कराहती हूँ, और मेरा हृदय रोग से निर्बल हो गया है।

< مَرَاثِي إِرْمِيَا 1 >