< اَلْقُضَاة 15 >

وَكَانَ بَعْدَ مُدَّةٍ فِي أَيَّامِ حَصَادِ ٱلْحِنْطَةِ، أَنَّ شَمْشُونَ ٱفْتَقَدَ ٱمْرَأَتَهُ بِجَدْيِ مِعْزًى. ١ 1
कुछ समय बाद, गेहूं की कटनी के समय पर शिमशोन एक मेमना लेकर अपनी पत्नी से भेंटकरने गया: उसने उसके पिता से कहा, “मुझे अपनी पत्नी के कमरे में जाने की अनुमति दीजिए.” किंतु उसके ससुर ने उसे अनुमति नहीं दी.
وَقَالَ: «أَدْخُلُ إِلَى ٱمْرَأَتِي إِلَى حُجْرَتِهَا». وَلَكِنَّ أَبَاهَا لَمْ يَدَعْهُ أَنْ يَدْخُلَ. وَقَالَ أَبُوهَا: «إِنِّي قُلْتُ إِنَّكَ قَدْ كَرِهْتَهَا فَأَعْطَيْتُهَا لِصَاحِبِكَ. أَلَيْسَتْ أُخْتُهَا ٱلصَّغِيرَةُ أَحْسَنَ مِنْهَا؟ فَلْتَكُنْ لَكَ عِوَضًا عَنْهَا». ٢ 2
उसके ससुर ने उससे कहा, “मुझे तो यह लगा कि तुम्हें उससे घोर नफरत हो गई है; इसलिये मैंने उसे तुम्हारे साथी को दे दिया है. सुनो, क्या उसकी छोटी बहन उससे अधिक सुंदर नहीं है? अपनी पत्नी के स्थान पर तुम उसकी छोटी बहन को ले लो.”
فَقَالَ لَهُمْ شَمْشُونُ: «إِنِّي بَرِيءٌ ٱلْآنَ مِنَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ إِذَا عَمِلْتُ بِهِمْ شَرًّا». ٣ 3
इस पर शिमशोन ने कहा, “अब यदि फिलिस्तीनियों का कोई नुकसान होता है, तो मुझे दोष न देना.”
وَذَهَبَ شَمْشُونُ وَأَمْسَكَ ثَلَاثَ مِئَةِ ٱبْنِ آوَى، وَأَخَذَ مَشَاعِلَ وَجَعَلَ ذَنَبًا إِلَى ذَنَبٍ، وَوَضَعَ مَشْعَلًا بَيْنَ كُلِّ ذَنَبَيْنِ فِي ٱلْوَسَطِ، ٤ 4
शिमशोन ने जाकर तीन सौ लोमड़ियां पकड़ी, दो-दो लोमड़ियों की पूछो को बांधकर उनके बीच एक-एक मशाल बांध दी.
ثُمَّ أَضْرَمَ ٱلْمَشَاعِلَ نَارًا وَأَطْلَقَهَا بَيْنَ زُرُوعِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ، فَأَحْرَقَ ٱلْأَكْدَاسَ وَٱلزَّرْعَ وَكُرُومَ ٱلزَّيْتُونِ. ٥ 5
जब उसने मशालों को जला लिया, उसने लोमड़ियों को फिलिस्तीनियों की खड़ी उपज में छोड़ दिया. इससे उनकी पुलियां तथा खड़ी हुई उपज जल गई. इसके अलावा उनके अंगूर के बगीचे और जैतून के बगीचे भी नष्ट होते गए.
فَقَالَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ: «مَنْ فَعَلَ هَذَا؟» فَقَالُوا: «شَمْشُونُ صِهْرُ ٱلتِّمْنِيِّ، لِأَنَّهُ أَخَذَ ٱمْرَأَتَهُ وَأَعْطَاهَا لِصَاحِبِهِ». فَصَعِدَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ وَأَحْرَقُوهَا وَأَبَاهَا بِٱلنَّارِ. ٦ 6
फिलिस्तीनी पूछताछ करने लगे, “किसने किया है यह?” और उन्हें बताया गया, “शिमशोन, तिमनी के दामाद ने, क्योंकि तिमनी ने उसकी पत्नी उसके साथी को दे दी है.” इसलिये फिलिस्तीनी आए और उसकी पत्नी और ससुर को जला दिया.
فَقَالَ لَهُمْ شَمْشُونُ: «وَلَوْ فَعَلْتُمْ هَذَا فَإِنِّي أَنْتَقِمُ مِنْكُمْ، وَبَعْدُ أَكُفُّ». ٧ 7
शिमशोन ने उनसे कहा, “तुमने जो कदम उठाया है, उसके कारण मैं शपथ खाता हूं कि जब तक मैं तो इसका बदला नहीं लूंगा, तब तक मैं शांति से नहीं बैठूंगा.”
وَضَرَبَهُمْ سَاقًا عَلَى فَخْذٍ ضَرْبًا عَظِيمًا. ثُمَّ نَزَلَ وَأَقَامَ فِي شَقِّ صَخْرَةِ عِيطَمَ. ٨ 8
फिर उसने बड़ी निर्दयता से उनको मार डाला और उसके बाद जाकर एथाम की चट्टान की गुफा में रहने लगा.
وَصَعِدَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ وَنَزَلُوا فِي يَهُوذَا وَتَفَرَّقُوا فِي لَحْيٍ. ٩ 9
फिलिस्तीनियों ने यहूदिया में पड़ाव डाल दिए, और उधर के लेही नगर पर हमला कर दिया.
فَقَالَ رِجَالُ يَهُوذَا: «لِمَاذَا صَعِدْتُمْ عَلَيْنَا؟» فَقَالُوا: «صَعِدْنَا لِكَيْ نُوثِقَ شَمْشُونَ لِنَفْعَلَ بِهِ كَمَا فَعَلَ بِنَا». ١٠ 10
यहूदिया के रहनेवालों ने उनसे पूछा, “हम पर हमला क्यों?” उन्होंने उत्तर दिया, “शिमशोन को बांधकर ले जाने के लिए हम आए हैं, ताकि हम उससे बदला लें.”
فَنَزَلَ ثَلَاثَةُ آلَافِ رَجُلٍ مِنْ يَهُوذَا إِلَى شَقِّ صَخْرَةِ عِيطَمَ، وَقَالُوا لِشَمْشُونَ: «أَمَا عَلِمْتَ أَنَّ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ مُتَسَلِّطُونَ عَلَيْنَا؟ فَمَاذَا فَعَلْتَ بِنَا؟» فَقَالَ لَهُمْ: «كَمَا فَعَلُوا بِي هَكَذَا فَعَلْتُ بِهِمْ». ١١ 11
इसलिये यहूदिया के रहनेवाले तीन हज़ार लोग एथाम की चट्टान पर जाकर शिमशोन से कहने लगे, “क्या तुम भूल गए कि फिलिस्तीनी हमारे शासक हैं? तुमने हमारे साथ यह क्या कर डाला है?” शिमशोन ने उन्हें उत्तर दिया, “जैसा उन्होंने मेरे साथ किया, वैसा ही मैंने भी उनके साथ किया है.”
فَقَالُوا لَهُ: «نَزَلْنَا لِكَيْ نُوثِقَكَ وَنُسَلِّمَكَ إِلَى يَدِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ». فَقَالَ لَهُمْ شَمْشُونُ: «ٱحْلِفُوا لِي أَنَّكُمْ أَنْتُمْ لَا تَقَعُونَ عَلَيَّ». ١٢ 12
यहूदिया के रहनेवालों ने उससे कहा, “तुम्हें बंदी बनाकर फिलिस्तीनियों को सौंप देने के लिए हम यहां आए हैं.” शिमशोन ने उनसे कहा, “बस, मुझसे शपथ लो, कि तुम मेरी हत्या न करोगे.”
فَكَلَّمُوهُ قَائِلِينَ: «كَلَّا. وَلَكِنَّنَا نُوثِقُكَ وَنُسَلِّمُكَ إِلَى يَدِهِمْ، وَقَتْلًا لَا نَقْتُلُكَ». فَأَوْثَقُوهُ بِحَبْلَيْنِ جَدِيدَيْنِ وَأَصْعَدُوهُ مِنَ ٱلصَّخْرَةِ. ١٣ 13
उन्होंने उसे आश्वासन दिया, “नहीं, नहीं, हम तुम्हें अच्छी तरह से बांधकर फिलिस्तीनियों को सौंप देंगे. मगर हम तुम्हारी हत्या नहीं करेंगे.” तब उन्होंने शिमशोन को दो नई रस्सियां लेकर बांध दिया और उसे गुफा में से बाहर ले आए.
وَلَمَّا جَاءَ إِلَى لَحْيٍ، صَاحَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ لِلِقَائِهِ. فَحَلَّ عَلَيْهِ رُوحُ ٱلرَّبِّ، فَكَانَ ٱلْحَبْلَانِ ٱللَّذَانِ عَلَى ذِرَاعَيْهِ كَكَتَّانٍ أُحْرِقَ بِٱلنَّارِ، فَٱنْحَلَّ ٱلْوِثَاقُ عَنْ يَدَيْهِ. ١٤ 14
जब वे लेही पहुंचे, फिलिस्तीनी उससे मिलने के लिए चिल्लाते हुए आ गए. याहवेह का आत्मा सामर्थ्य में शिमशोन पर उतरा. उसकी बांधी गई रस्सियां ऐसी हो गईं जैसे आग में जला हुआ सन. उसके बंधन उसके हाथों से गिर पड़े.
وَوَجَدَ لَحْيَ حِمَارٍ طَرِيًّا، فَمَدَّ يَدَهُ وَأَخَذَهُ وَضَرَبَ بِهِ أَلْفَ رَجُلٍ. ١٥ 15
उसे वहीं एक गधे के जबड़े की हड्डी मिली, जिसे उसने उठा लिया और उससे एक हज़ार फिलिस्तीनियों को मार डाला.
فَقَالَ شَمْشُونُ: «بِلَحْيِ حِمَارٍ كُومَةً كُومَتَيْنِ. بِلَحْيِ حِمَارٍ قَتَلْتُ أَلْفَ رَجُلٍ». ١٦ 16
तब शिमशोन ने कहा, “गधे के जबड़े की हड्डी से मैंने उनके ढेर पर ढेर लगा दिए. गधे के जबड़े की हड्डी से मैंने एक हज़ार व्यक्तियों को मार दिया.”
وَلَمَّا فَرَغَ مِنَ ٱلْكَلَامِ رَمَى ٱللَّحْيِ مِنْ يَدِهِ، وَدَعَا ذَلِكَ ٱلْمَكَانَ «رَمَتَ لَحْيٍ». ١٧ 17
यह कहकर उसने गधे के जबड़े की हड्डी फेंक दी. वह स्थान रामात-लेही नाम से मशहूर हो गया.
ثُمَّ عَطِشَ جِدًّا فَدَعَا ٱلرَّبَّ وَقَالَ: «إِنَّكَ قَدْ جَعَلْتَ بِيَدِ عَبْدِكَ هَذَا ٱلْخَلَاصَ ٱلْعَظِيمَ، وَٱلْآنَ أَمُوتُ مِنَ ٱلْعَطَشِ وَأَسْقُطُ بِيَدِ ٱلْغُلْفِ». ١٨ 18
तब वह बहुत ही प्यासा हो गया. उसने इन शब्दों में याहवेह की दोहाई दी, “आपने अपने सेवक को यह महान विजय दी है; अब क्या मैं इस प्यास के कारण इन खतना-रहित लोगों द्वारा मारा जाऊंगा?”
فَشَقَّ ٱللهُ ٱلْكِفَّةَ ٱلَّتِي فِي لَحْيِ، فَخَرَجَ مِنْهَا مَاءٌ، فَشَرِبَ وَرَجَعَتْ رُوحُهُ فَٱنْتَعَشَ. لِذَلِكَ دَعَا ٱسْمَهُ «عَيْنَ هَقُّورِي» ٱلَّتِي فِي لَحْيٍ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ١٩ 19
तब परमेश्वर ने लेही की भूमि के उस गड्ढे को ऐसा फाड़ दिया, कि उसमें से जल निकलने लगा. जब शिमशोन ने उसे पिया, उसमें दोबारा बल आ गया और वह फिर से ताजा हो गया. इस घटना के कारण उसने उस स्थान को एन-हक्कोरे नाम दिया. लेही में यह आज तक बना हुआ है.
وَقَضَى لِإِسْرَائِيلَ فِي أَيَّامِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ عِشْرِينَ سَنَةً. ٢٠ 20
फिलिस्तीनियों के शासनकाल में शिमशोन ने बीस साल तक इस्राएल पर शासन किया.

< اَلْقُضَاة 15 >