< يَشُوع 24 >

وَجَمَعَ يَشُوعُ جَمِيعَ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ إِلَى شَكِيمَ. وَدَعَا شُيُوخَ إِسْرَائِيلَ وَرُؤَسَاءَهُمْ وَقُضَاتَهُمْ وَعُرَفَاءَهُمْ فَمَثَلُوا أَمَامَ ٱلرَّبِّ. ١ 1
इसके बाद यशू'अ ने इस्राईल के सब क़बीलों को सिकम में जमा' किया, और इस्राईल के बुज़ुर्गों और सरदारों और क़ाज़ियों और मनसबदारों को बुलवाया, और वह ख़ुदा के सामने हाज़िर हुए।
وَقَالَ يَشُوعُ لِجَمِيعِ ٱلشَّعْبِ: «هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: آبَاؤُكُمْ سَكَنُوا فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ مُنْذُ ٱلدَّهْرِ. تَارَحُ أَبُو إِبْرَاهِيمَ وَأَبُو نَاحُورَ، وَعَبَدُوا آلِهَةً أُخْرَى. ٢ 2
तब यशू'अ ने उन सब लोगों से कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि तुम्हारे आबा या'नी अब्रहाम और नहूर का बाप तारह वगै़रह पुराने ज़माने में बड़े दरिया के पार रहते और दूसरे मा'बूदों की इबादत करते थे।
فَأَخَذْتُ إِبْرَاهِيمَ أَبَاكُمْ مِنْ عَبْرِ ٱلنَّهْرِ وَسِرْتُ بِهِ فِي كُلِّ أَرْضِ كَنْعَانَ، وَأَكْثَرْتُ نَسْلَهُ وَأَعْطَيْتُهُ إِسْحَاقَ. ٣ 3
और मैंने तुम्हारे बाप अब्रहाम को बड़े दरिया के पार से लेकर कनान के सारे मुल्क में उसकी रहबरी की, और उसकी नसल को बढ़ाया और उसे इज़्हाक़ 'इनायत किया।
وَأَعْطَيْتُ إِسْحَاقَ يَعْقُوبَ وَعِيسُوَ، وَأَعْطَيْتُ عِيسُوَ جَبَلَ سَعِيرَ لِيَمْلِكَهُ. وَأَمَّا يَعْقُوبُ وَبَنُوهُ فَنَزَلُوا إِلَى مِصْرَ. ٤ 4
और मैंने इस्हाक़ को या'क़ूब और 'ऐसौ बख़्शे; और 'ऐसौ को कोह — ए — श'ईर दिया की वह उसका मालिक हो, और या'क़ूब अपनी औलाद के साथ मिस्र में गया।
وَأَرْسَلْتُ مُوسَى وَهَارُونَ وَضَرَبْتُ مِصْرَ حَسَبَ مَا فَعَلْتُ فِي وَسَطِهَا، ثُمَّ أَخْرَجْتُكُمْ. ٥ 5
और मैंने मूसा और हारून को भेजा, और मिस्र पर जो मैंने उस में किया उसके मुताबिक़ मेरी मार पड़ी और उसके बाद मैं तुमको निकाल लाया।
فَأَخْرَجْتُ آبَاءَكُمْ مِنْ مِصْرَ، وَدَخَلْتُمُ ٱلْبَحْرَ وَتَبِعَ ٱلْمِصْرِيُّونَ آبَاءَكُمْ بِمَرْكَبَاتٍ وَفُرْسَانٍ إِلَى بَحْرِ سُوفٍ. ٦ 6
तुम्हारे बाप दादा को मैंने मिस्र से निकाला, और तुम समन्दर पर आये, तब मिस्रियों ने रथों और सवारों को लेकर बहर — ए — कु़लजु़म तक तुम्हारे बाप दादा का पीछा किया।
فَصَرَخُوا إِلَى ٱلرَّبِّ، فَجَعَلَ ظَلَامًا بَيْنَكُمْ وَبَيْنَ ٱلْمِصْرِيِّينَ، وَجَلَبَ عَلَيْهِمِ ٱلْبَحْرَ فَغَطَّاهُمْ. وَرَأَتْ أَعْيُنُكُمْ مَا فَعَلْتُ فِي مِصْرَ، وَأَقَمْتُمْ فِي ٱلْقَفْرِ أَيَّامًا كَثِيرَةً. ٧ 7
और जब उन्होंने ख़ुदावन्द से फ़रियाद की तो उसने तुम्हारे और मिस्रियों के बीच अन्धेरा कर दिया, और समन्दर को उन पर चढ़ा लाया और उनको छिपा दिया और तुमने जो कुछ मैंने मिस्र में किया अपनी आँखों से देखा और तुम बहुत दिनों तक वीराने में रहे।
ثُمَّ أَتَيْتُ بِكُمْ إِلَى أَرْضِ ٱلْأَمُورِيِّينَ ٱلسَّاكِنِينَ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ فَحَارَبُوكُمْ، وَدَفَعْتُهُمْ بِيَدِكُمْ فَمَلَكْتُمْ أَرْضَهُمْ وَأَهْلَكْتُهُمْ مِنْ أَمَامِكُمْ. ٨ 8
फिर मैं तुम को अमोरियों के मुल्क में जो यरदन के उस पार रहते थे ले आया, वह तुमसे लड़े और मैंने उनको तुम्हारे हाथ में कर दिया; और तुमने उनके मुल्क पर क़ब्ज़ा कर लिया, और मैंने उनको तुम्हारे आगे से हलाक किया।
وَقَامَ بَالَاقُ بْنُ صِفُّورَ مَلِكُ مُوآبَ وَحَارَبَ إِسْرَائِيلَ، وَأَرْسَلَ وَدَعَا بَلْعَامَ بْنَ بَعُورَ لِكَيْ يَلْعَنَكُمْ. ٩ 9
फिर सफ़ोर का बेटा बलक़, मोआब का बादशाह, उठ कर इस्राईलियों से लड़ा और तुम पर ला'नत करने को ब'ऊर के बेटे बिल'आम को बुलवा भेजा।
وَلَمْ أَشَأْ أَنْ أَسْمَعَ لِبَلْعَامَ، فَبَارَكَكُمْ بَرَكَةً وَأَنْقَذْتُكُمْ مِنْ يَدِهِ. ١٠ 10
और मैंने न चाहा बिल'आम की सुनूँ; इसलिए वह तुम को बरकत ही देता गया, इसलिए मैं ने तुम को उसके हाथ से छुड़ाया।
ثُمَّ عَبَرْتُمُ ٱلْأُرْدُنَّ وَأَتَيْتُمْ إِلَى أَرِيحَا. فَحَارَبَكُمْ أَصْحَابُ أَرِيحَا: ٱلْأَمُورِيُّونَ وَٱلْفِرِزِّيُّونَ وَٱلْكَنْعَانِيُّونَ وَٱلْحِثِّيُّونَ وَٱلْجِرْجَاشِيُّونَ وَٱلْحِوِّيُّونَ وَٱلْيَبُوسِيُّونَ، فَدَفَعْتُهُمْ بِيَدِكُمْ. ١١ 11
फिर तुम यरदन पार हो कर यरीहू को आये, और यरीहू के लोग या'नी अमोरी और फ़रिज़्ज़ी और कना'नी और हित्ती और जिरजासी और हव्वी और यबूसी तुम से लड़े, और मैंने उनको तुम्हारे क़ब्ज़ा में कर दिया।
وَأَرْسَلْتُ قُدَّامَكُمُ ٱلزَّنَابِيرَ وَطَرَدْتُهُمْ مِنْ أَمَامِكُمْ، أَيْ مَلِكَيِ ٱلْأَمُورِيِّينَ، لَا بِسَيْفِكَ وَلَا بِقَوْسِكَ. ١٢ 12
और मैंने तुम्हारे आगे ज़म्बूरों को भेजा, जिन्होंने दोनों अमोरी बादशाहों को तुम्हारे सामने से भगा दिया; यह न तुम्हारी तलवार और न तुम्हारी कमान से हुआ।
وَأَعْطَيْتُكُمْ أَرْضًا لَمْ تَتْعَبُوا عَلَيْهَا، وَمُدُنًا لَمْ تَبْنُوهَا وَتَسْكُنُونَ بِهَا، وَمِنْ كُرُومٍ وَزَيْتُونٍ لَمْ تَغْرِسُوهَا تَأْكُلُونَ. ١٣ 13
और मैंने तुम को वह मुल्क जिस पर तुम ने मेहनत न की, और वह शहर जिनको तुम ने बनाया न था 'इनायत किये, और तुम उन में बसे हो और तुम ऐसे ताकिस्तानो और ज़ैतून के बाग़ों का फल खाते हो जिनको तुमने नहीं लगाया।
فَٱلْآنَ ٱخْشَوْا ٱلرَّبَّ وَٱعْبُدُوهُ بِكَمَالٍ وَأَمَانَةٍ، وَٱنْزِعُوا ٱلْآلِهَةَ ٱلَّذِينَ عَبَدَهُمْ آبَاؤُكُمْ فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ وَفِي مِصْرَ، وَٱعْبُدُوا ٱلرَّبَّ. ١٤ 14
इसलिए अब तुम ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ रखो और नेक नियती और सदाक़त से उसकी इबादत करो; और उन माँ'बूदों को दूर कर दो जिनकी इबादत तुम्हारे बाप दादा बड़े दरिया के पार और मिस्र में करते थे, और ख़ुदावन्द की इबादत करो।
وَإِنْ سَاءَ فِي أَعْيُنِكُمْ أَنْ تَعْبُدُوا ٱلرَّبَّ، فَٱخْتَارُوا لِأَنْفُسِكُمُ ٱلْيَوْمَ مَنْ تَعْبُدُونَ: إِنْ كَانَ ٱلْآلِهَةَ ٱلَّذِينَ عَبَدَهُمْ آبَاؤُكُمُ ٱلَّذِينَ فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ، وَإِنْ كَانَ آلِهَةَ ٱلْأَمُورِيِّينَ ٱلَّذِينَ أَنْتُمْ سَاكِنُونَ فِي أَرْضِهِمْ. وَأَمَّا أَنَا وَبَيْتِي فَنَعْبُدُ ٱلرَّبَّ». ١٥ 15
और अगर ख़ुदावन्द की इबादत तुम को बुरी मा'लूम होती हो, तो आज ही तुम उसे जिसकी इबादत करोगे चुन लो, ख़्वाह वह वही मा'बूद हों जिनकी इबादत तुम्हारे बाप दादा बड़े दरिया के उस पार करते थे या अमोरी के मा'बूद हों जिनके मुल्क में तुम बसे हो; अब रही मेरी और मेरे घराने की बात इसलिए हम तो ख़ुदावन्द की इबादत करेंगे।
فَأَجَابَ ٱلشَّعْبُ وَقَالُوا: «حَاشَا لَنَا أَنْ نَتْرُكَ ٱلرَّبَّ لِنَعْبُدَ آلِهَةً أُخْرَى، ١٦ 16
तब लोगों ने जवाब दिया कि ख़ुदा न करे कि हम ख़ुदावन्द को छोड़ कर और मा'बूदों की इबादत करें।
لِأَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَنَا هُوَ ٱلَّذِي أَصْعَدَنَا وَآبَاءَنَا مِنْ أَرْضِ مِصْرَ مِنْ بَيْتِ ٱلْعُبُودِيَّةِ، وَٱلَّذِي عَمِلَ أَمَامَ أَعْيُنِنَا تِلْكَ ٱلْآيَاتِ ٱلْعَظِيمَةَ، وَحَفِظَنَا فِي كُلِّ ٱلطَّرِيقِ ٱلَّتِي سِرْنَا فِيهَا وَفِي جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ عَبَرْنَا فِي وَسَطِهِمْ. ١٧ 17
क्यूँकि ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा वही है जिस ने हमको और हमारे बाप दादा को मुल्क मिस्र या'नी ग़ुलामी के घर से निकाला और वह बड़े — बड़े निशान हमारे सामने दिखाए और सारे रास्ते जिस में हम चले और उन सब क़ौमों के बीच जिन में से हम गुज़रे हम को महफ़ूज़ रखा।
وَطَرَدَ ٱلرَّبُّ مِنْ أَمَامِنَا جَمِيعَ ٱلشُّعُوبِ، وَٱلْأَمُورِيِّينَ ٱلسَّاكِنِينَ ٱلْأَرْضَ. فَنَحْنُ أَيْضًا نَعْبُدُ ٱلرَّبَّ لِأَنَّهُ هُوَ إِلَهُنَا». ١٨ 18
और ख़ुदावन्द ने सब क़ौमों या'नी अमोरियों को जो उस मुल्क में बसते थे हमारे सामने से निकाल दिया, इसलिए हम भी ख़ुदावन्द की इबादत करेंगे क्यूँकि वह हमारा ख़ुदा है।
فَقَالَ يَشُوعُ لِلشَّعْبِ: «لَا تَقْدِرُونَ أَنْ تَعْبُدُوا ٱلرَّبَّ لِأَنَّهُ إِلَهٌ قُدُّوسٌ وَإِلَهٌ غَيُورٌ هُوَ. لَا يَغْفِرُ ذُنُوبَكُمْ وَخَطَايَاكُمْ. ١٩ 19
यशू'अ ने लोगों से कहा, “तुम ख़ुदावन्द की इबादत नहीं कर सकते; क्यूँकि वह पाक ख़ुदा है, वह ग़य्यूर ख़ुदा है, वह तुम्हारी ख़ताएँ और तुम्हारे गुनाह नहीं बख़्शेगा।
وَإِذَا تَرَكْتُمُ ٱلرَّبَّ وَعَبَدْتُمْ آلِهَةً غَرِيبَةً يَرْجِعُ فَيُسِيءُ إِلَيْكُمْ وَيُفْنِيكُمْ بَعْدَ أَنْ أَحْسَنَ إِلَيْكُمْ». ٢٠ 20
अगर तुम ख़ुदावन्द को छोड़ कर अजनबी मा'बूदों की इबादत करो तो अगरचे वह तुम से नेकी करता रहा है तो भी वह फिर कर तुम से बुराई करेगा और तुम को फ़ना कर डालेगा।”
فَقَالَ ٱلشَّعْبُ لِيَشُوعَ: «لَا. بَلِ ٱلرَّبَّ نَعْبُدُ». ٢١ 21
लोगों ने यशू'अ से कहा, “नहीं बल्कि हम ख़ुदावन्द ही की इबादत करेंगे।”
فَقَالَ يَشُوعُ لِلشَّعْبِ: «أَنْتُمْ شُهُودٌ عَلَى أَنْفُسِكُمْ أَنَّكُمْ قَدِ ٱخْتَرْتُمْ لِأَنْفُسِكُمُ ٱلرَّبَّ لِتَعْبُدُوهُ». فَقَالُوا: «نَحْنُ شُهُودٌ». ٢٢ 22
यशू'अ ने लोगों से कहा, “तुम आप ही अपने गवाह हो कि तुम ने ख़ुदावन्द को चुना है कि उसकी इबादत करो।” उन्होंने ने कहा, “हम गवाह हैं।”
«فَٱلْآنَ ٱنْزِعُوا ٱلْآلِهَةَ ٱلْغَرِيبَةَ ٱلَّتِي فِي وَسَطِكُمْ وَأَمِيلُوا قُلُوبَكُمْ إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ». ٢٣ 23
तब उसने कहा, “इसलिए अब तुम अजनबी मा'बूदों को जो तुम्हारे बीच हैं दूर कर दो और अपने दिलों को ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की तरफ़ लाओ।”
فَقَالَ ٱلشَّعْبُ لِيَشُوعَ: «ٱلرَّبَّ إِلَهَنَا نَعْبُدُ وَلِصَوْتِهِ نَسْمَعُ». ٢٤ 24
लोगों ने यशू'अ से कहा, “हम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की इबादत करेंगे और उसी की बात मानेंगे।”
وَقَطَعَ يَشُوعُ عَهْدًا لِلشَّعْبِ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، وَجَعَلَ لَهُمْ فَرِيضَةً وَحُكْمًا فِي شَكِيمَ. ٢٥ 25
इसलिए यशू'अ ने उसी रोज़ लोगों के साथ 'अहद बांधा, और उनके लिए सिकम में क़ायदा और क़ानून ठहराया।
وَكَتَبَ يَشُوعُ هَذَا ٱلْكَلَامَ فِي سِفْرِ شَرِيعَةِ ٱللهِ. وَأَخَذَ حَجَرًا كَبِيرًا وَنَصَبَهُ هُنَاكَ تَحْتَ ٱلْبَلُّوطَةِ ٱلَّتِي عِنْدَ مَقْدِسِ ٱلرَّبِّ. ٢٦ 26
और यशू'अ ने यह बातें ख़ुदा की शरी'अत की किताब में लिख दीं, और एक बड़ा पत्थर लेकर उसे वहीं उस बलूत के दरख्त़ के नीचे जो ख़ुदावन्द के मक़्दिस के पास था खड़ा किया।
ثُمَّ قَالَ يَشُوعُ لِجَمِيعِ ٱلشَّعْبِ: «إِنَّ هَذَا ٱلْحَجَرَ يَكُونُ شَاهِدًا عَلَيْنَا، لِأَنَّهُ قَدْ سَمِعَ كُلَّ كَلَامِ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي كَلَّمَنَا بِهِ، فَيَكُونُ شَاهِدًا عَلَيْكُمْ لِئَلَّا تَجْحَدُوا إِلَهَكُمْ». ٢٧ 27
और यशू'अ ने सब लोगों से कहा कि देखो यह पत्थर हमारा गवाह रहे, क्यूँकि उस ने ख़ुदावन्द की सब बातें जो उस ने हम से कहीं सुनी हैं इसलिए यही तुम पर गवाह रहे ऐसा न हो की तुम अपने ख़ुदा का इन्कार कर जाओ।
ثُمَّ صَرَفَ يَشُوعُ ٱلشَّعْبَ كُلَّ وَاحِدٍ إِلَى مُلْكِهِ. ٢٨ 28
फिर यशू'अ ने लोगों को उनकी अपनी अपनी मीरास की तरफ़ रुख़्सत कर दिया।
وَكَانَ بَعْدَ هَذَا ٱلْكَلَامِ أَنَّهُ مَاتَ يَشُوعُ بْنُ نُونٍ عَبْدُ ٱلرَّبِّ ٱبْنَ مِئَةٍ وَعَشْرِ سِنِينَ. ٢٩ 29
और इन बातों के बाद यूँ हुआ कि नून का बेटा यशू'अ ख़ुदावन्द का बन्दा एक सौ दस बरस का होकर वफ़ात कर गया।
فَدَفَنُوهُ فِي تُخْمِ مُلْكِهِ، فِي تِمْنَةَ سَارَحَ ٱلَّتِي فِي جَبَلِ أَفْرَايِمَ شِمَالِيَّ جَبَلِ جَاعَشَ. ٣٠ 30
और उन्होंने उसी की मीरास की हद पर तिमनत सिरह में जो इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में कोह — ए — जा'स की उत्तर की तरफ़ को है उसे दफ़न किया
وَعَبَدَ إِسْرَائِيلُ ٱلرَّبَّ كُلَّ أَيَّامِ يَشُوعَ، وَكُلَّ أَيَّامِ ٱلشُّيُوخِ ٱلَّذِينَ طَالَتْ أَيَّامُهُمْ بَعْدَ يَشُوعَ وَٱلَّذِينَ عَرَفُوا كُلَّ عَمَلِ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي عَمِلَهُ لِإِسْرَائِيلَ. ٣١ 31
और इस्राईली ख़ुदावन्द की इबादत यशू'अ के जीते जी और उन बुज़ुर्गों के जीते जी करते रहे जो यशू'अ के बाद ज़िन्दा रहे, और ख़ुदावन्द के सब कामों से जो उस ने इस्राईलियों के लिए किये वाक़िफ़ थे
وَعِظَامُ يُوسُفَ ٱلَّتِي أَصْعَدَهَا بَنُو إِسْرَائِيلَ مِنْ مِصْرَ دَفَنُوهَا فِي شَكِيمَ، فِي قِطْعَةِ ٱلْحَقْلِ ٱلَّتِي ٱشْتَرَاهَا يَعْقُوبُ مِنْ بَنِي حَمُورَ أَبِي شَكِيمَ بِمِئَةِ قَسِيطَةٍ، فَصَارَتْ لِبَنِي يُوسُفَ مُلْكًا. ٣٢ 32
और उन्होंने यूसुफ़ की हड्डियों को, जिनको बनी इस्राईल मिस्र से ले आये थे, सिकम में उस ज़मीन के हिस्से में दफ़न किया जिसे या'क़ूब ने सिकम के बाप हमोर के बेटों से चाँदी के सौ सिक्कों में ख़रीदा था; और वह ज़मीन बनी यूसुफ़ की मीरास ठहरी।
وَمَاتَ أَلِعَازَارُ بْنُ هَارُونَ فَدَفَنُوهُ فِي جِبْعَةِ فِينْحَاسَ ٱبْنِهِ ٱلَّتِي أُعْطِيَتْ لَهُ فِي جَبَلِ أَفْرَايِمَ. ٣٣ 33
और हारून के बेटे इली'एलियाज़र ने वफ़ात की और उन्होंने उसे उसके बेटे फ़ीन्हास की पहाड़ी पर दफ़न किया, जो इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में उसे दी गयी थी।

< يَشُوع 24 >