< يَشُوع 22 >

حِينَئِذٍ دَعَا يَشُوعُ ٱلرَّأُوبَيْنِيِّينَ وَٱلْجَادِيِّينَ وَنِصْفَ سِبْطِ مَنَسَّى، ١ 1
उस वक़्त यशू'अ ने रोबिनियों और जद्दियों और मनस्सी के आधे क़बीले को बुला कर।
وَقَالَ لَهُمْ: «إِنَّكُمْ قَدْ حَفِظْتُمْ كُلَّ مَا أَمَرَكُمْ بِهِ مُوسَى عَبْدُ ٱلرَّبِّ، وَسَمِعْتُمْ صَوْتِي فِي كُلِّ مَا أَمَرْتُكُمْ بِهِ، ٢ 2
उन से कहा कि सब कुछ जो ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने तुम को फ़रमाया तुम ने माना, और जो कुछ मैं ने तुम को हुक्म दिया उस में तुम ने मेरी बात मानी।
وَلَمْ تَتْرُكُوا إِخْوَتَكُمْ هَذِهِ ٱلْأَيَّامَ ٱلْكَثِيرَةَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، وَحَفِظْتُمْ مَا يُحْفَظُ، وَصِيَّةُ ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ. ٣ 3
तुमने अपने भाईयों को इस मुद्दत में आज के दिन तक नहीं छोड़ा बल्कि ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के हुक्म की ताकीद पर 'अमल किया।
وَٱلْآنَ قَدْ أَرَاحَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ إِخْوَتَكُمْ كَمَا قَالَ لَهُمْ. فَٱنْصَرِفُوا ٱلْآنَ وَٱذْهَبُوا إِلَى خِيَامِكُمْ فِي أَرْضِ مُلْكِكُمُ ٱلَّتِي أَعْطَاكُمْ مُوسَى عَبْدُ ٱلرَّبِّ، فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ. ٤ 4
और अब ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारे भाईयों को जैसा उस ने उन से कहा था आराम बख़्शा है इसलिए तुम अब लौट कर अपने अपने ख़ेमे को अपनी मीरासी सर ज़मीन में जो ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने यरदन के उस पार तुम को दी है चले जाओ।
وَإِنَّمَا ٱحْرِصُوا جِدًّا أَنْ تَعْمَلُوا ٱلْوَصِيَّةَ وَٱلشَّرِيعَةَ ٱلَّتِي أَمَرَكُمْ بِهَا مُوسَى عَبْدُ ٱلرَّبِّ: أَنْ تُحِبُّوا ٱلرَّبَّ إِلَهَكُمْ، وَتَسِيرُوا فِي كُلِّ طُرُقِهِ، وَتَحْفَظُوا وَصَايَاهُ، وَتَلْصَقُوا بِهِ وَتَعْبُدُوهُ بِكُلِّ قَلْبِكُمْ وَبِكُلِّ نَفْسِكُمْ». ٥ 5
सिर्फ़ उस फ़रमान और शरा' पर 'अमल करने की निहायत एहतियात रखना जिसका हुक्म ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने तुम को दिया, कि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मुहब्बत रखो और उसकी सब राहों पर चलो, और उसके हुक्मों को मानो और उस से लिपटे रहो और अपने सारे दिल, और सारी जान, से उसकी बन्दगी करो।
ثُمَّ بَارَكَهُمْ يَشُوعُ وَصَرَفَهُمْ، فَذَهَبُوا إِلَى خِيَامِهِمْ. ٦ 6
और यशू'अ ने बरकत दे कर उनको रुख़्सत किया और वह अपने अपने ख़ेमे को चले गये।
وَلِنِصْفِ سِبْطِ مَنَسَّى أَعْطَى مُوسَى فِي بَاشَانَ، وَأَمَّا نِصْفُهُ ٱلْآخَرُ فَأَعْطَاهُمْ يَشُوعُ مَعَ إِخْوَتِهِمْ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ غَرْبًا. وَعِنْدَمَا صَرَفَهُمْ يَشُوعُ أَيْضًا إِلَى خِيَامِهِمْ بَارَكَهُمْ ٧ 7
मनस्सी के आधे क़बीले को तो मूसा ने बसन में मीरास दी, थी लेकिन उस के दूसरे आधे को यशु'अ ने उनके भाईयों के बीच यरदन के इस पार पश्चिम की तरफ़ हिस्सा दिया; और जब यशू'अ ने उनको रुख़्सत किया की अपने अपने ख़ेमे को जाएँ, तो उनको भी बरकत देकर।
وَكَلَّمَهُمْ قَائِلًا: «بِمَالٍ كَثِيرٍ ٱرْجِعُوا إِلَى خِيَامِكُمْ، وَبِمَوَاشٍ كَثِيرَةٍ جِدًّا، بِفِضَّةٍ وَذَهَبٍ وَنُحَاسٍ وَحَدِيدٍ وَمَلَابِسَ كَثِيرَةٍ جِدًّا. اِقْسِمُوا غَنِيمَةَ أَعْدَائِكُمْ مَعَ إِخْوَتِكُمْ». ٨ 8
उन से कहा कि, बड़ी दौलत और बहुत से चौपाये, और चाँदी और सोना और पीतल और लोहा और बहुत सी पोशाक लेकर तुम अपने अपने ख़ेमे को लौटो; और अपने दुश्मनों के माल — ए — ग़नीमत को अपने भाईयों के साथ बाँट लो।
فَرَجَعَ بَنُو رَأُوبَيْنَ وَبَنُو جَادَ وَنِصْفُ سِبْطِ مَنَسَّى، وَذَهَبُوا مِنْ عِنْدِ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ شِيلُوهَ ٱلَّتِي فِي أَرْضِ كَنْعَانَ لِكَيْ يَسِيرُوا إِلَى أَرْضِ جِلْعَادَ، أَرْضِ مُلْكِهِمِ ٱلَّتِي تَمَلَّكُوا بِهَا حَسَبَ قَوْلِ ٱلرَّبِّ عَلَى يَدِ مُوسَى. ٩ 9
तब बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी का आधा क़बीला लौटा और वह बनी इस्राईल के पास से शीलोह से जो मुल्क — ए — कना'न में है रवाना हुए, ताकि वह अपने मीरासी मुल्क जिल'आद को लौट, जाएँ जिसके मालिक वह ख़ुदावन्द के उस हुक्म के मुताबिक़ हुए थे जो उस ने मूसा के बारे में दिया था।
وَجَاءُوا إِلَى دَائِرَةِ ٱلْأُرْدُنِّ ٱلَّتِي فِي أَرْضِ كَنْعَانَ. وَبَنَى بَنُو رَأُوبَيْنَ وَبَنُو جَادَ وَنِصْفُ سِبْطِ مَنَسَّى هُنَاكَ مَذْبَحًا عَلَى ٱلْأُرْدُنِّ، مَذْبَحًا عَظِيمَ ٱلْمَنْظَرِ. ١٠ 10
और जब वह यरदन के पास के उस मुक़ाम में पहुँचे जो मुल्क कनान में है, तो बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीले ने वहाँ यरदन के पास एक मज़बह जो देखने में बड़ा मज़बह था बनाया।
فَسَمِعَ بَنُو إِسْرَائِيلَ قَوْلًا: «هُوَذَا قَدْ بَنَى بَنُو رَأُوبَيْنَ وَبَنُو جَادَ وَنِصْفُ سِبْطِ مَنَسَّى مَذْبَحًا فِي وَجْهِ أَرْضِ كَنْعَانَ، فِي دَائِرَةِ ٱلْأُرْدُنِّ مُقَابِلَ بَنِي إِسْرَائِيلَ». ١١ 11
और बनी इस्राईल के सुनने में आया की देखो बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला ने मुल्क — ए — कना'न के सामने, यरदन के गिर्द के मक़ाम में उस रुख़ पर जो बनी इस्राईल का है एक मज़बह बनाया है।
وَلَمَّا سَمِعَ بَنُو إِسْرَائِيلَ ٱجْتَمَعَتْ كُلُّ جَمَاعَةِ بَنِي إِسْرَائِيلَ فِي شِيلُوهَ لِكَيْ يَصْعَدُوا إِلَيْهِمْ لِلْحَرْبِ. ١٢ 12
जब बनी इस्राईल ने यह सुना तो बनी इस्राईल की सारी जमा'त शीलोह में इकठ्ठा हुई, ताकि उन पर चढ़ जाये और लड़े,
فَأَرْسَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ إِلَى بَنِي رَأُوبَيْنَ وَبَنِي جَادَ وَنِصْفِ سِبْطِ مَنَسَّى إِلَى أَرْضِ جِلْعَادَ، فِينَحَاسَ بْنَ أَلِعَازَارَ ٱلْكَاهِنَ ١٣ 13
और बनी इस्राईल ने इली'एलियाज़र काहिन के बेटे फ़ीन्हास को बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला के पास जो मुल्क जिल'आद में थे भेजा।
وَعَشْرَةَ رُؤَسَاءَ مَعَهُ، رَئِيسًا وَاحِدًا مِنْ كُلِّ بَيْتِ أَبٍ مِنْ جَمِيعِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ، كُلُّ وَاحِدٍ رَئِيسُ بَيْتِ آبَائِهِمْ فِي أُلُوفِ إِسْرَائِيلَ. ١٤ 14
और बनी इस्राईल के क़बीलों से हर एक के आबाई ख़ानदान से एक अमीर के हिसाब से दस अमीर उसके साथ किये, उन में से हर एक हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों में अपने आबाई ख़ानदान का सरदार था।
فَجَاءُوا إِلَى بَنِي رَأُوبَيْنَ وَبَنِي جَادَ وَنِصْفِ سِبْطِ مَنَسَّى إِلَى أَرْضِ جِلْعَادَ، وَكَلَّمُوهُمْ قَائِلِينَ: ١٥ 15
इसलिए वह बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीले के पास मुल्क जिल'आद में आये और उन से कहा कि,
«هَكَذَا قَالَتْ كُلُّ جَمَاعَةِ ٱلرَّبِّ: مَا هَذِهِ ٱلْخِيَانَةُ ٱلَّتِي خُنْتُمْ بِهَا إِلَهَ إِسْرَائِيلَ، بِٱلرُّجُوعِ ٱلْيَوْمَ عَنِ ٱلرَّبِّ، بِبُنْيَانِكُمْ لِأَنْفُسِكُمْ مَذْبَحًا لِتَتَمَرَّدُوا ٱلْيَوْمَ عَلَى ٱلرَّبِّ؟ ١٦ 16
ख़ुदावन्द की सारी जमा'अत यह कहती, है कि तुम ने इस्राईल के ख़ुदा से यह क्या सरकशी की कि, आज के दिन ख़ुदावन्द की पैरवी से फिरकर अपने लिए एक मज़बह बनाया, और आज के दिन तुम ख़ुदावन्द से बाग़ी हो गये?
أَقَلِيلٌ لَنَا إِثْمُ فَغُورَ ٱلَّذِي لَمْ نَتَطَهَّرْ مِنْهُ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، وَكَانَ ٱلْوَبَأُ فِي جَمَاعَةِ ٱلرَّبِّ، ١٧ 17
क्या हमारे लिए फ़गू़र की बदकारी कुछ कम थी जिस से हम आज के दिन तक पाक नहीं हुए, अगरचे ख़ुदावन्द की जमा'त में वबा भी आई कि।
حَتَّى تَرْجِعُوا أَنْتُمُ ٱلْيَوْمَ عَنِ ٱلرَّبِّ؟ فَيَكُونُ أَنَّكُمُ ٱلْيَوْمَ تَتَمَرَّدُونَ عَلَى ٱلرَّبِّ، وَهُوَ غَدًا يَسْخَطُ عَلَى كُلِّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ. ١٨ 18
तुम आज के दिन ख़ुदावन्द की पैरवी से फिर जाते हो? और चूँकि तुम आज ख़ुदावन्द से बाग़ी होते हो, इसलिए कल यह होगा कि इस्राईल की सारी जमा'त पर उसका क़हर नाज़िल होगा
وَلَكِنْ إِذَا كَانَتْ نَجِسَةً أَرْضُ مُلْكِكُمْ فَٱعْبُرُوا إِلَى أَرْضِ مُلْكِ ٱلرَّبِّ ٱلَّتِي يَسْكُنُ فِيهَا مَسْكَنُ ٱلرَّبِّ وَتَمَلَّكُوا بَيْنَنَا، وَعَلَى ٱلرَّبِّ لَا تَتَمَرَّدُوا، وَعَلَيْنَا لَا تَتَمَرَّدُوا بِبِنَائِكُمْ لِأَنْفُسِكُمْ مَذْبَحًا غَيْرَ مَذْبَحِ ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا. ١٩ 19
और अगर तुम्हारा मीरासी मुल्क नापाक है, तो तुम ख़ुदावन्द के मीरासी मुल्क में पार आ जाओ जहाँ ख़ुदावन्द का घर है और हमारे बीच मीरास लो, लेकिन ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के मज़बह के सिवा अपने लिए कोई और मज़बह बना कर, न तो ख़ुदावन्द से बाग़ी हो और न हम से बग़ावत करो।
أَمَا خَانَ عَخَانُ بْنُ زَارَحَ خِيَانَةً فِي ٱلْحَرَامِ، فَكَانَ ٱلسَّخَطُ عَلَى كُلِّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ، وَهُوَ رَجُلٌ لَمْ يَهْلِكْ وَحْدَهُ بِإِثْمِهِ؟». ٢٠ 20
क्या ज़ारह के बेटे 'अकन की ख़यानत की वजह से जो उस ने मख़्सूस की हुई चीज़ में की इस्राईल की सारी जमा'त पर ग़ज़ब नाज़िल न हुआ? वह शख्स़ अकेला ही अपनी बदकारी में हलाक नहीं हुआ।
فَأَجَابَ بَنُو رَأُوبَيْنَ وَبَنُو جَادَ وَنِصْفُ سِبْطِ مَنَسَّى وَقَالُوا لِرُؤَسَاءِ أُلُوفِ إِسْرَائِيلَ: ٢١ 21
तब बनी रूबिन औ बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला ने हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों के सरदारों को जवाब दिया कि।
«إِلَهُ ٱلْآلِهَةِ ٱلرَّبُّ، إِلَهُ ٱلْآلِهَةِ ٱلرَّبُّ هُوَ يَعْلَمُ، وَإِسْرَائِيلُ سَيَعْلَمُ. إِنْ كَانَ بِتَمَرُّدٍ وَإِنْ كَانَ بِخِيَانَةٍ عَلَى ٱلرَّبِّ، لَا تُخَلِّصْنَا هَذَا ٱلْيَوْمَ. ٢٢ 22
ख़ुदावन्द ख़ुदा — ओं का ख़ुदा, ख़ुदावन्द ख़ुदा — ओं का ख़ुदा, जानता है और इस्राईली भी जान लेंगे, अगर इस में बग़ावत या ख़ुदावन्द की मुख़ालिफ़त है तूने तो हमको आज जीता न छोड़ा।
بُنْيَانُنَا لِأَنْفُسِنَا مَذْبَحًا لِلرُّجُوعِ عَنِ ٱلرَّبِّ، أَوْ لِإِصْعَادِ مُحْرَقَةٍ عَلَيْهِ أَوْ تَقْدِمَةٍ أَوْ لِعَمَلِ ذَبَائِحِ سَلَامَةٍ عَلَيْهِ، فَٱلرَّبُّ هُوَ يُطَالِبُ. ٢٣ 23
अगर हम ने आज के दिन इसलिए यह मज़बह बनाया हो कि ख़ुदावन्द से फिर जाएँ या उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी या नज़र की क़ुर्बानी या सलामती के ज़बीहे चढ़ाएं तो ख़ुदावन्द ही इसका हिसाब ले।
وَإِنْ كُنَّا لَمْ نَفْعَلْ ذَلِكَ خَوْفًا وَعَنْ سَبَبٍ قَائِلِينَ: غَدًا يُكَلِّمُ بَنُوكُمْ بَنِينَا قَائِلِينَ: مَا لَكُمْ وَلِلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ! ٢٤ 24
बल्कि हम ने इस ख़याल और ग़रज़ से यह किया कि कहीं आइन्दा ज़माना में तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से यह न कहने लगे,' कि तुम को ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा से क्या लेना है?
قَدْ جَعَلَ ٱلرَّبُّ تُخْمًا بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ يَا بَنِي رَأُوبَيْنَ وَبَنِي جَادَ: ٱلْأُرْدُنُّ. لَيْسَ لَكُمْ قِسْمٌ فِي ٱلرَّبِّ. فَيَرُدُّ بَنُوكُمْ بَنِينَا حَتَّى لَا يَخَافُوا ٱلرَّبَّ. ٢٥ 25
क्यूँकि ख़ुदावन्द तो हमारे और तुम्हारे बीच 'ऐ बनी रूबिन और बनी जद्द यरदन को हद ठहराया है इसलिए ख़ुदावन्द में तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं है, यूँ तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ छुड़ा देगी।
فَقُلْنَا نَصْنَعُ نَحْنُ لِأَنْفُسِنَا. نَبْنِي مَذْبَحًا، لَا لِلْمُحْرَقَةِ وَلَا لِلذَّبِيحَةِ، ٢٦ 26
इसलिए हम ने कहा कि आओ हम अपने लिए एक मज़बह बनाना शुरू'' करें जो न सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए हो और न ज़बीहे के लिए।
بَلْ لِيَكُونَ هُوَ شَاهِدًا بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ وَبَيْنَ أَجْيَالِنَا بَعْدَنَا، لِكَيْ نَخْدُمَ خِدْمَةَ ٱلرَّبِّ أَمَامَهُ بِمُحْرَقَاتِنَا وَذَبَائِحِنَا وَذَبَائِحِ سَلَامَتِنَا، وَلَا يَقُولُ بَنُوكُمْ غَدًا لِبَنِينَا: لَيْسَ لَكُمْ قِسْمٌ فِي ٱلرَّبِّ. ٢٧ 27
बल्कि वह हमारे और तुम्हारे और हमारे बाद हमारी नसलों के बीच गवाह ठहरे, ताकि हम ख़ुदावन्द के सामने उसकी ''इबादत अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानियों और अपने ज़बीहों और सलामती के हदियों से करें, और आइन्दा ज़माना में तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से कहने न पाए कि ख़ुदावन्द में तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं।
وَقُلْنَا: يَكُونُ مَتَى قَالُوا كَذَا لَنَا وَلِأَجْيَالِنَا غَدًا، أَنَّنَا نَقُولُ: اُنْظُرُوا شِبْهَ مَذْبَحِ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي عَمِلَ آبَاؤُنَا، لَا لِلْمُحْرَقَةِ وَلَا لِلذَّبِيحَةِ، بَلْ هُوَ شَاهِدٌ بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ. ٢٨ 28
इसलिए हम ने कहा कि, जब वह हम से या हमारी औलाद से आइन्दा ज़माना में यूँ कहेंगे तो हम उनको जवाब देंगे कि देखो ख़ुदावन्द के मज़बह का नमूना जिसे हमारे बाप दादा ने बनाया, यह न सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए है न ज़बीहा के लिए बल्कि यह हमारे और तुम्हारे बीच गवाह है।
حَاشَا لَنَا مِنْهُ أَنْ نَتَمَرَّدَ عَلَى ٱلرَّبِّ وَنَرْجِعَ ٱلْيَوْمَ عَنِ ٱلرَّبِّ لِبِنَاءِ مَذْبَحٍ لِلْمُحْرَقَةِ أَوِ ٱلتَّقْدِمَةِ أَوِ ٱلذَّبِيحَةِ، عَدَا مَذْبَحِ ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا ٱلَّذِي هُوَ قُدَّامَ مَسْكَنِهِ». ٢٩ 29
ख़ुदा न करे कि हम ख़ुदावन्द से बाग़ी हों और आज ख़ुदावन्द की पैरवी से फिर कर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के मज़बह के सिवा जो उसके ख़ेमें के सामने है सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़्र की क़ुर्बानी और ज़बीहा के लिए कोई मज़बह बनाएँ।
فَسَمِعَ فِينْحَاسُ ٱلْكَاهِنُ وَرُؤَسَاءُ ٱلْجَمَاعَةِ وَرُؤُوسُ أُلُوفِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ مَعَهُ ٱلْكَلَامَ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِهِ بَنُو رَأُوبَيْنَ وَبَنُو جَادَ وَبَنُو مَنَسَّى، فَحَسُنَ فِي أَعْيُنِهِمْ. ٣٠ 30
जब फ़ीन्हास काहिन और जमा'त के अमीरों या'नी हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों के सरदारों ने जो उसके साथ आए थे यह बातें सुनीं जो बनी रूबिन और बनी जद्द और बनी मनस्सी ने कहीं तो वह बहुत खुश हुए।
فَقَالَ فِينْحَاسُ بْنُ أَلِعَازَارَ ٱلْكَاهِنِ لِبَنِي رَأُوبَيْنَ وَبَنِي جَادَ وَبَنِي مَنَسَّى: «ٱلْيَوْمَ عَلِمْنَا أَنَّ ٱلرَّبَّ بَيْنَنَا لِأَنَّكُمْ لَمْ تَخُونُوا ٱلرَّبَّ بِهَذِهِ ٱلْخِيَانَةِ. فَٱلْآنَ قَدْ أَنْقَذْتُمْ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ يَدِ ٱلرَّبِّ». ٣١ 31
तब इली'एलियाज़र के बेटे फ़ीन्हास काहिन ने बनी रूबिन और बनी जद्द और बनी मनस्सी से कहा आज हम ने जान लिया कि ख़ुदावन्द हमारे बीच है क्यूँकि तुम से ख़ुदावन्द की यह ख़ता नहीं हुई, इसलिए तुम ने बनी इस्राईल को ख़ुदावन्द के हाथ से छुड़ा लिया है।
ثُمَّ رَجَعَ فِينْحَاسُ بْنُ أَلِعَازَارَ ٱلكَاهِنِ وَٱلرُّؤَسَاءُ مِنْ عِنْدِ بَنِي رَأُوبَيْنَ وَبَنِي جَادَ مِنْ أَرْضِ جِلْعَادَ إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ إِلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ، وَرَدُّوا عَلَيْهِمْ خَبَرًا. ٣٢ 32
और इली'एलियाज़र काहिन का बेटा फ़ीन्हास और वह सरदार जिल'आद से बनी रूबिन और बनी जद्द के पास से मुल्क — ए — कना'न में बनी इस्राईल के पास लौट आये और उनको यह माजरा सुनाया?
فَحَسُنَ ٱلْأَمْرُ فِي أَعْيُنِ بَنِي إِسْرَائِيلَ، وَبَارَكَ بَنُو إِسْرَائِيلَ ٱللهَ، وَلَمْ يَفْتَكِرُوا بِٱلصُّعُودِ إِلَيْهِمْ لِلْحَرْبِ وَتَخْرِيبِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي كَانَ بَنُو رَأُوبَيْنَ وَبَنُو جَادَ سَاكِنِينَ بِهَا. ٣٣ 33
तब बनी इस्राईल इस बात से खुश हुए और बनी इस्राईल ने ख़ुदा की हम्द की और फिर जंग के लिए उन पर चढ़ाई करने और उस मुल्क को तबाह करने का नाम न लिया जिस में बनी रूबिन और बनी जद्द रहते थे।
وَسَمَّى بَنُو رَأُوبَيْنَ وَبَنُو جَادَ ٱلْمَذْبَحَ «عِيدًا» لِأَنَّهُ «شَاهِدٌ بَيْنَنَا أَنَّ ٱلرَّبَّ هُوَ ٱللهُ». ٣٤ 34
तब बनी रूबिन और बनी जद्द ने उस मज़बह का नाम 'ईद यह कह कर रखा की वह हमारे बीच गवाह है कि यहोवाह ख़ुदा है।

< يَشُوع 22 >