< يَشُوع 16 >

وَخَرَجَتِ ٱلْقُرْعَةُ لِبَنِي يُوسُفَ مِنْ أُرْدُنِّ أَرِيحَا إِلَى مَاءِ أَرِيحَا نَحْوَ ٱلشُّرُوقِ إِلَى ٱلْبَرِّيَّةِ ٱلصَّاعِدَةِ مِنْ أَرِيحَا فِي جَبَلِ بَيْتِ إِيلَ. ١ 1
और बनी यूसुफ़ का हिस्सा पर्ची डालकर यरीहू के पास के यरदन से शुरू' हुआ, या'नी पूरब की तरफ़ यरीहू के चश्में बल्कि वीराना पड़ा। फिर उसकी हद यरीहू से पहाड़ी मुल्क होती हुई बैत — एल को गयी।
وَخَرَجَتْ مِنْ بَيْتِ إِيلَ إِلَى لُوزَ وَعَبَرَتْ إِلَى تُخْمِ ٱلْأَرَكِيِّينَ إِلَى عَطَارُوتَ، ٢ 2
फिर बैत — एल से निकल कर लूज़ को गई और अर्कियों की सरहद के पास से गुज़रती हुई 'अतारात पहुँची;
وَنَزَلَتْ غَرْبًا إِلَى تُخْمِ ٱلْيَفْلَطِيِّينَ إِلَى تُخْمِ بَيْتِ حُورُونَ ٱلسُّفْلَى، وَإِلَى جَازَرَ، وَكَانَتْ مَخَارِجُهَا عِنْدَ ٱلْبَحْرِ. ٣ 3
और वहाँ से पश्चिम की तरफ़ यफ़लीतियों की सरहद से होती हुई नीचे के बैत हौरून बल्कि जज़र को निकल गयी, और उसका ख़ातिमा समन्दर पर हुआ।
فَمَلَكَ ٱبْنَا يُوسُفَ مَنَسَّى وَأَفْرَايِمُ. ٤ 4
तब बनी यूसुफ़ या'नी मनस्सी और इफ़्राईम ने अपनी अपनी मीरास पर क़ब्ज़ा किया।
وَكَانَ تُخْمُ بَنِي أَفْرَايِمَ حَسَبَ عَشَائِرِهِمْ. وَكَانَ تُخْمُ نَصِيبِهِمْ شَرْقًا: عَطَارُوتَ أَدَّارَ إِلَى بَيْتِ حُورُونَ ٱلْعُلْيَا. ٥ 5
और बनी इफ़्राईम की सरहद उनके घरानों के मुताबिक़ यह थी: पूरब की तरफ़ ऊपर के बैत हौरून तक 'अतारात अदार उनकी हद ठहरी;
وَخَرَجَ ٱلتُّخْمُ نَحْوَ ٱلْبَحْرِ إِلَى ٱلْمَكْمَتَةِ شِمَالًا، وَدَارَ ٱلتُّخْمُ شَرْقًا إِلَى تَآنَةِ شِيلُوهَ وَعَبَرَهَا شَرْقِيَّ يَنُوحَةَ. ٦ 6
मैं उत्तर की तरफ़ वह हद पश्चिम के मिकमता होती हुई पूरब की तरफ़ तानत सैला को मुड़ी, और वहाँ से यनूहाह के पूरब को गयी;
وَنَزَلَ مِنْ يَنُوحَةَ إِلَى عَطَارُوتَ وَنَعَرَاتِ وَوَصَلَ إِلَى أَرِيحَا وَخَرَجَ إِلَى ٱلْأُرْدُنِّ. ٧ 7
और यनूहाह से 'अतारात और ना'राता होती हुई यरीहू पहुँची, और फिर यरदन को जा निकली;
وَجَازَ ٱلتُّخْمُ مِنْ تَفُّوحَ غَرْبًا إِلَى وَادِي قَانَةَ، وَكَانَتْ مَخَارِجُهُ عِنْدَ ٱلْبَحْرِ. ٨ 8
और वह हद तफ़ूह से निकल कर पश्चिम की तरफ़ क़ानाह के नाले को गई और उसका ख़ातिमा समन्दर पर हुआ। बनी इफ़्राईम के क़बीला की मीरास उनके घरानों के मुताबिक़ यही है।
هَذَا هُوَ نَصِيبُ سِبْطِ بَنِي أَفْرَايِمَ حَسَبَ عَشَائِرِهِمْ مَعَ ٱلْمُدُنِ ٱلْمُفْرَزَةِ لِبَنِي أَفْرَايِمَ فِي وَسَطِ نَصِيبِ بَنِي مَنَسَّى. جَمِيعُ ٱلْمُدُنِ وَضِيَاعِهَا. ٩ 9
और इसके साथ बनी इफ़्राईम के लिए बनी मनस्सी की मीरास में भी शहर अलग किए गये और उन सब शहरों के साथ उनके गाँव भी थे।
فَلَمْ يَطْرُدُوا ٱلْكَنْعَانِيِّينَ ٱلسَّاكِنِينَ فِي جَازَرَ. فَسَكَنَ ٱلْكَنْعَانِيُّونَ فِي وَسَطِ أَفْرَايِمَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، وَكَانُوا عَبِيدًا تَحْتَ ٱلْجِزْيَةِ. ١٠ 10
और उन्होंने कना'नियों को जो जज़र में रहते थे न निकाला, बल्कि वह कना'नी आज के दिन तक इफ़्राईमियों में बसे हुए हैं, और ख़ादिम बनकर बेगार का काम करते हैं।

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