< يَشُوع 14 >

فَهَذِهِ هِيَ ٱلَّتِي ٱمْتَلَكَهَا بَنُو إِسْرَائِيلَ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ، ٱلَّتِي مَلَّكَهُمْ إِيَّاهَا أَلِعَازَارُ ٱلْكَاهِنُ وَيَشُوعُ بْنُ نُونَ وَرُؤَسَاءُ آبَاءِ أَسْبَاطِ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ١ 1
और वह हिस्से जिनको कन'आन के मुल्क में बनी इस्राईल ने वारिस के तौर पर पाया, और जिनको इली'एलियाज़र काहिन और नून के बेटे यशू'अ और बनी इस्राईल के क़बीलों के आबाई ख़ानदानों के सरदारों ने उनको तक़सीम किया यह हैं।
نَصِيبُهُمْ بِٱلْقُرْعَةِ كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ عَنْ يَدِ مُوسَى لِلتِّسْعَةِ ٱلْأَسْبَاطِ وَنِصْفِ ٱلسِّبْطِ. ٢ 2
उनकी मीरास पर्ची से दी गयी, जैसा ख़ुदावन्द ने साढ़े नौ क़बीलों के हक़ में मूसा को हुक्म दिया था।
لِأَنَّ مُوسَى أَعْطَى نَصِيبَ ٱلسِّبْطَيْنِ وَنِصْفِ ٱلسِّبْطِ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ. وَأَمَّا ٱللَّاوِيُّونَ فَلَمْ يُعْطِهِمْ نَصِيبًا فِي وَسَطِهِمْ. ٣ 3
क्यूँकि मूसा ने यरदन के उस पार ढाई क़बीलों की मीरास उनको दे दी थी, लेकिन उसने लावियों को उनके बीच कुछ मीरास नहीं दी।
لِأَنَّ بَنِي يُوسُفَ كَانُوا سِبْطَيْنِ: مَنَسَّى وَأَفْرَايِمَ. وَلَمْ يُعْطُوا ٱللَّاوِيِّينَ قِسْمًا فِي ٱلْأَرْضِ إِلَّا مُدُنًا لِلسَّكَنِ، وَمَسَارِحَهَا لِمَوَاشِيهِمْ وَمُقْتَنَاهُمْ. ٤ 4
क्यूँकि बनी यूसुफ़ के दो क़बीले थे, मनस्सी और इफ़्राईम, इसलिए लावियों को उस मुल्क में कुछ हिस्सा न मिला सिवा शहरों के जो उनके रहने के लिए थे और उनकी नवाही के जो उनके चौपायों और माल के लिए थी।
كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ مُوسَى هَكَذَا فَعَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ وَقَسَمُوا ٱلْأَرْضَ. ٥ 5
जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म दिया था, वैसा ही बनी इस्राईल ने किया और मुल्क को बाँट लिया।
فَتَقَدَّمَ بَنُو يَهُوذَا إِلَى يَشُوعَ فِي ٱلْجِلْجَالِ. وَقَالَ لَهُ كَالَبُ بْنُ يَفُنَّةَ ٱلْقَنِزِّيُّ: «أَنْتَ تَعْلَمُ ٱلْكَلَامَ ٱلَّذِي كَلَّمَ بِهِ ٱلرَّبُّ مُوسَى رَجُلَ ٱللهِ مِنْ جِهَتِي وَمِنْ جِهَتِكَ فِي قَادَشِ بَرْنِيعَ. ٦ 6
तब बनी यहूदाह जिल्जाल में यशू'अ के पास आये; और क़िन्ज़ी युफ़न्ना के बेटे कालिब ने उससे कहा, तुझे मा'लूम है कि ख़ुदावन्द ने मर्द — ए — ख़ुदा मूसा से मेरी और तेरी बारे में क़ादिस बरनी' में क्या कहा था।
كُنْتُ ٱبْنَ أَرْبَعِينَ سَنَةً حِينَ أَرْسَلَنِي مُوسَى عَبْدُ ٱلرَّبِّ مِنْ قَادَشِ بَرْنِيعَ لِأَتَجَسَّسَ ٱلْأَرْضَ. فَرَجَعْتُ إِلَيْهِ بِكَلَامٍ عَمَّا فِي قَلْبِي. ٧ 7
जब ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने क़ादिस बरनी' से मुझको इस मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने को भेजा उस वक़्त मैं चालीस बरस का था; और मैंने उसको वही ख़बर ला कर दी जो मेरे दिल में थी।
وَأَمَّا إِخْوَتِيَ ٱلَّذِينَ صَعِدُوا مَعِي فَأَذَابُوا قَلْبَ ٱلشَّعْبِ. وَأَمَّا أَنَا فَٱتَّبَعْتُ تَمَامًا ٱلرَّبَّ إِلَهِي. ٨ 8
तो भी मेरे भाइयों ने जो मेरे साथ गये थे, लोगों के दिलों को पिघला दिया; लेकिन मैंने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की पूरी पैरवी की है।
فَحَلَفَ مُوسَى فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ قَائِلًا: إِنَّ ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي وَطِئَتْهَا رِجْلُكَ لَكَ تَكُونُ نَصِيبًا وَلِأَوْلَادِكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ، لِأَنَّكَ ٱتَّبَعْتَ ٱلرَّبَّ إِلَهِي تَمَامًا. ٩ 9
तब मूसा ने उस दिन क़सम खा कर कहा, “जिस ज़मीन पर तेरा क़दम पड़ा है वह हमेशा के लिए तेरी और तेरे बेटों की मीरास ठहरेगी, क्यूँकि तूने ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा की पूरी पैरवी की है”।
وَٱلْآنَ فَهَا قَدِ ٱسْتَحْيَانِيَ ٱلرَّبُّ كَمَا تَكَلَّمَ هَذِهِ ٱلْخَمْسَ وَٱلْأَرْبَعِينَ سَنَةً، مِنْ حِينَ كَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى بِهَذَا ٱلْكَلَامِ حِينَ سَارَ إِسْرَائِيلُ فِي ٱلْقَفْرِ. وَٱلْآنَ فَهَا أَنَا ٱلْيَوْمَ ٱبْنُ خَمْسٍ وَثَمَانِينَ سَنَةً. ١٠ 10
और अब देख जब से ख़ुदावन्द ने यह बात मूसा से कही तब से इन पैंतालीस बरसों तक, जिनमें बनी इस्राईल वीराने में आवारा फ़िरते रहे, ख़ुदावन्द मुझे अपने क़ौल के मुताबिक़ जीता रखा और अब देख, मैं आज के दिन पिचासी बरस का हूँ।
فَلَمْ أَزَلِ ٱلْيَوْمَ مُتَشَدِّدًا كَمَا فِي يَوْمَ أَرْسَلَنِي مُوسَى. كَمَا كَانَتْ قُوَّتِي حِينَئِذٍ، هَكَذَا قُوَّتِي ٱلْآنَ لِلْحَرْبِ وَلِلْخُرُوجِ وَلِلدُّخُولِ. ١١ 11
और आज के दिन भी मैं वैसा ही हूँ जैसा उस दिन था, जब मूसा ने मुझे भेजा था और जंग के लिए और बाहर जाने और लौटने के लिए जैसी क़ुव्वत मुझ में उस वक़्त थी वैसी ही अब भी है।
فَٱلْآنَ أَعْطِنِي هَذَا ٱلْجَبَلَ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ عَنْهُ ٱلرَّبُّ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ. لِأَنَّكَ أَنْتَ سَمِعْتَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ أَنَّ ٱلْعَنَاقِيِّينَ هُنَاكَ، وَٱلْمُدُنُ عَظِيمَةٌ مُحَصَّنَةٌ. لَعَلَّ ٱلرَّبَّ مَعِي فَأَطْرُدَهُمْ كَمَا تَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ». ١٢ 12
इसलिए यह पहाड़ी जिसका ज़िक्र ख़ुदावन्द ने उस रोज़ किया था मुझ को दे दे, क्यूँकि तूने उस दिन सुन लिया था कि 'अनाक़ीम वहाँ बसते हैं और वहाँ के शहर बड़े फ़सील दार हैं; यह मुमकिन है कि ख़ुदावन्द मेरे साथ हो और मैं उनको ख़ुदावन्द के क़ौल के मुताबिक़ निकाल दूँ।”
فَبَارَكَهُ يَشُوعُ، وَأَعْطَى حَبْرُونَ لِكَالَبَ بْنِ يَفُنَّةَ مُلْكًا. ١٣ 13
तब यशू'अ ने युफ़न्ना के बेटे कालिब को दुआ दी, और उसको हबरून मीरास के तौर पर दे दिया।
لِذَلِكَ صَارَتْ حَبْرُونُ لِكَالَبَ بْنِ يَفُنَّةَ ٱلْقَنِزِّيِّ مُلْكًا إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، لِأَنَّهُ ٱتَّبَعَ تَمَامًا ٱلرَّبَّ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ. ١٤ 14
इसलिए हबरून उस वक़्त से आज तक क़िन्ज़ी युफ़न्ना के बेटे कालिब की मीरास है, इस लिए कि उस ने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की पूरी पैरवी की।
وَٱسْمُ حَبْرُونَ قَبْلًا قَرْيَةُ أَرْبَعَ، ٱلرَّجُلِ ٱلْأَعْظَمِ فِي ٱلْعَنَاقِيِّينَ. وَٱسْتَرَاحَتِ ٱلْأَرْضُ مِنَ ٱلْحَرْبِ. ١٥ 15
और अगले वक़्त में हबरून का नाम क़रयत अरबा' था, और वह अरबा' 'अनाक़ीम में सब से बड़ा आदमी था। और उस मुल्क को जंग से फ़राग़त मिली।

< يَشُوع 14 >