< يوحنَّا 8 >

أَمَّا يَسُوعُ فَمَضَى إِلَى جَبَلِ ٱلزَّيْتُونِ. ١ 1
तब ईसा ज़ैतून के पहाड़ पर गया।
ثُمَّ حَضَرَ أَيْضًا إِلَى ٱلْهَيْكَلِ فِي ٱلصُّبْحِ، وَجَاءَ إِلَيْهِ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ فَجَلَسَ يُعَلِّمُهُمْ. ٢ 2
दूसरे दिन सुबह सवेरे ही वो फिर हैकल में आया, और सब लोग उसके पास आए और वो बैठकर उन्हें ता'लीम देने लगा।
وَقَدَّمَ إِلَيْهِ ٱلْكَتَبَةُ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ ٱمْرَأَةً أُمْسِكَتْ فِي زِنًا. وَلَمَّا أَقَامُوهَا فِي ٱلْوَسْطِ ٣ 3
और फ़क़ीह और फ़रीसी एक 'औरत को लाए जो ज़िना में पकड़ी गई थी, और उसे बीच में खड़ा करके ईसा से कहा,
قَالُوا لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، هَذِهِ ٱلْمَرْأَةُ أُمْسِكَتْ وَهِيَ تَزْنِي فِي ذَاتِ ٱلْفِعْلِ، ٤ 4
“ऐ उस्ताद! ये 'औरत ज़िना के 'ऐन वक़्त पकड़ी गई है।
وَمُوسَى فِي ٱلنَّامُوسِ أَوْصَانَا أَنَّ مِثْلَ هَذِهِ تُرْجَمُ. فَمَاذَا تَقُولُ أَنْتَ؟». ٥ 5
तौरेत में मूसा ने हम को हुक्म दिया है, कि ऐसी 'औरतों पर पथराव करें। पस तू इस 'औरत के बारे में क्या कहता है?”
قَالُوا هَذَا لِيُجَرِّبُوهُ، لِكَيْ يَكُونَ لَهُمْ مَا يَشْتَكُونَ بِهِ عَلَيْهِ. وَأَمَّا يَسُوعُ فَٱنْحَنَى إِلَى أَسْفَلُ وَكَانَ يَكْتُبُ بِإِصْبِعِهِ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ٦ 6
उन्होंने उसे आज़माने के लिए ये कहा, ताकि उस पर इल्ज़ाम लगाने की कोई वजह निकालें। मगर ईसा झुक कर उंगली से ज़मीन पर लिखने लगा।
وَلَمَّا ٱسْتَمَرُّوا يَسْأَلُونَهُ، ٱنْتَصَبَ وَقَالَ لَهُمْ: «مَنْ كَانَ مِنْكُمْ بِلَا خَطِيَّةٍ فَلْيَرْمِهَا أَوَّلًا بِحَجَرٍ!». ٧ 7
जब वो उससे सवाल करते ही रहे, तो उसने सीधे होकर उनसे कहा, “जो तुम में बेगुनाह हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।”
ثُمَّ ٱنْحَنَى أَيْضًا إِلَى أَسْفَلُ وَكَانَ يَكْتُبُ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ٨ 8
और फिर झुक कर ज़मीन पर उंगली से लिखने लगा।
وَأَمَّا هُمْ فَلَمَّا سَمِعُوا وَكَانَتْ ضَمَائِرُهُمْ تُبَكِّتُهُمْ، خَرَجُوا وَاحِدًا فَوَاحِدًا، مُبْتَدِئِينَ مِنَ ٱلشُّيُوخِ إِلَى ٱلْآخِرِينَ. وَبَقِيَ يَسُوعُ وَحْدَهُ وَٱلْمَرْأَةُ وَاقِفَةٌ فِي ٱلْوَسْطِ. ٩ 9
वो ये सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक — एक करके निकल गए, और ईसा अकेला रह गया और 'औरत वहीं बीच में रह गई।
فَلَمَّا ٱنْتَصَبَ يَسُوعُ وَلَمْ يَنْظُرْ أَحَدًا سِوَى ٱلْمَرْأَةِ، قَالَ لَهَا: «يَا ٱمْرَأَةُ، أَيْنَ هُمْ أُولَئِكَ ٱلْمُشْتَكُونَ عَلَيْكِ؟ أَمَا دَانَكِ أَحَدٌ؟». ١٠ 10
ईसा ने सीधे होकर उससे कहा, “ऐ 'औरत, ये लोग कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर सज़ा का हुक्म नहीं लगाया?”
فَقَالَتْ «لَا أَحَدَ، يَا سَيِّدُ!». فَقَالَ لَهَا يَسُوعُ: «وَلَا أَنَا أَدِينُكِ. ٱذْهَبِي وَلَا تُخْطِئِي أَيْضًا». ١١ 11
उसने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! किसी ने नहीं।” ईसा ने कहा, “मैं भी तुझ पर सज़ा का हुक्म नहीं लगाता; जा, फिर गुनाह न करना]”
ثُمَّ كَلَّمَهُمْ يَسُوعُ أَيْضًا قَائِلًا: «أَنَا هُوَ نُورُ ٱلْعَالَمِ. مَنْ يَتْبَعْنِي فَلَا يَمْشِي فِي ٱلظُّلْمَةِ بَلْ يَكُونُ لَهُ نُورُ ٱلْحَيَاةِ». ١٢ 12
ईसा ने फिर उनसे मुख़ातिब होकर कहा, “दुनियाँ का नूर मैं हूँ; जो मेरी पैरवी करेगा वो अन्धेरे में न चलेगा, बल्कि ज़िन्दगी का नूर पाएगा।”
فَقَالَ لَهُ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ: «أَنْتَ تَشْهَدُ لِنَفْسِكَ. شَهَادَتُكَ لَيْسَتْ حَقًّا». ١٣ 13
फ़रीसियों ने उससे कहा, “तू अपनी गवाही आप देता है, तेरी गवाही सच्ची नहीं।”
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «وَإِنْ كُنْتُ أَشْهَدُ لِنَفْسِي فَشَهَادَتِي حَقٌّ، لِأَنِّي أَعْلَمُ مِنْ أَيْنَ أَتَيْتُ وَإِلَى أَيْنَ أَذْهَبُ. وَأَمَّا أَنْتُمْ فَلَا تَعْلَمُونَ مِنْ أَيْنَ آتِي وَلَا إِلَى أَيْنَ أَذْهَبُ. ١٤ 14
ईसा ने जवाब में उनसे कहा, “अगरचे मैं अपनी गवाही आप देता हूँ, तो भी मेरी गवाही सच्ची है; क्यूँकि मुझे मा'लूम है कि मैं कहाँ से आता हूँ या कहाँ को जाता हूँ।
أَنْتُمْ حَسَبَ ٱلْجَسَدِ تَدِينُونَ، أَمَّا أَنَا فَلَسْتُ أَدِينُ أَحَدًا. ١٥ 15
तुम जिस्म के मुताबिक़ फ़ैसला करते हो, मैं किसी का फ़ैसला नहीं करता।
وَإِنْ كُنْتُ أَنَا أَدِينُ فَدَيْنُونَتِي حَقٌّ، لِأَنِّي لَسْتُ وَحْدِي، بَلْ أَنَا وَٱلْآبُ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي. ١٦ 16
और अगर मैं फ़ैसला करूँ भी तो मेरा फ़ैसला सच है; क्यूँकि मैं अकेला नहीं, बल्कि मैं हूँ और मेरा बाप है जिसने मुझे भेजा है।
وَأَيْضًا فِي نَامُوسِكُمْ مَكْتُوبٌ أَنَّ شَهَادَةَ رَجُلَيْنِ حَقٌّ: ١٧ 17
और तुम्हारी तौरेत में भी लिखा है, कि दो आदमियों की गवाही मिलकर सच्ची होती है।
أَنَا هُوَ ٱلشَّاهِدُ لِنَفْسِي، وَيَشْهَدُ لِي ٱلْآبُ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي». ١٨ 18
एक मैं ख़ुद अपनी गवाही देता हूँ, और एक बाप जिसने मुझे भेजा मेरी गवाही देता है।”
فَقَالُوا لَهُ: «أَيْنَ هُوَ أَبُوكَ؟». أَجَابَ يَسُوعُ: «لَسْتُمْ تَعْرِفُونَنِي أَنَا وَلَا أَبِي. لَوْ عَرَفْتُمُونِي لَعَرَفْتُمْ أَبِي أَيْضًا». ١٩ 19
उन्होंने उससे कहा, “तेरा बाप कहाँ है?” ईसा ने जवाब दिया, “न तुम मुझे जानते हो न मेरे बाप को, अगर मुझे जानते तो मेरे बाप को भी जानते।”
هَذَا ٱلْكَلَامُ قَالَهُ يَسُوعُ فِي ٱلْخِزَانَةِ وَهُوَ يُعَلِّمُ فِي ٱلْهَيْكَلِ. وَلَمْ يُمْسِكْهُ أَحَدٌ، لِأَنَّ سَاعَتَهُ لَمْ تَكُنْ قَدْ جَاءَتْ بَعْدُ. ٢٠ 20
उसने हैकल में ता'लीम देते वक़्त ये बातें बैत — उल — माल में कहीं; और किसी ने इसको न पकड़ा, क्यूँकि अभी तक उसका वक़्त न आया था।
قَالَ لَهُمْ يَسُوعُ أَيْضًا: «أَنَا أَمْضِي وَسَتَطْلُبُونَنِي، وَتَمُوتُونَ فِي خَطِيَّتِكُمْ. حَيْثُ أَمْضِي أَنَا لَا تَقْدِرُونَ أَنْتُمْ أَنْ تَأْتُوا». ٢١ 21
उसने फिर उनसे कहा, “मैं जाता हूँ, और तुम मुझे ढूँडोगे और अपने गुनाह में मरोगे।”
فَقَالَ ٱلْيَهُودُ: «أَلَعَلَّهُ يَقْتُلُ نَفْسَهُ حَتَّى يَقُولُ: حَيْثُ أَمْضِي أَنَا لَا تَقْدِرُونَ أَنْتُمْ أَنْ تَأْتُوا؟». ٢٢ 22
पस यहूदियों ने कहा, क्या वो अपने आपको मार डालेगा, जो कहता है, “जहाँ मैं जाता हूँ, तुम नहीं आ सकते'?”
فَقَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ مِنْ أَسْفَلُ، أَمَّا أَنَا فَمِنْ فَوْقُ. أَنْتُمْ مِنْ هَذَا ٱلْعَالَمِ، أَمَّا أَنَا فَلَسْتُ مِنْ هَذَا ٱلْعَالَمِ. ٢٣ 23
उसने उनसे कहा, “तुम नीचे के हो मैं ऊपर का हूँ, तुम दुनियाँ के हो मैं दुनियाँ का नहीं हूँ।
فَقُلْتُ لَكُمْ: إِنَّكُمْ تَمُوتُونَ فِي خَطَايَاكُمْ، لِأَنَّكُمْ إِنْ لَمْ تُؤْمِنُوا أَنِّي أَنَا هُوَ تَمُوتُونَ فِي خَطَايَاكُمْ». ٢٤ 24
इसलिए मैंने तुम से ये कहा, कि अपने गुनाहों में मरोगे; क्यूँकि अगर तुम ईमान न लाओगे कि मैं वही हूँ, तो अपने गुनाहों में मरोगे।”
فَقَالُوا لَهُ: «مَنْ أَنْتَ؟». فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «أَنَا مِنَ ٱلْبَدْءِ مَا أُكَلِّمُكُمْ أَيْضًا بِهِ. ٢٥ 25
उन्होंने उस से कहा, तू कौन है? ईसा ने उनसे कहा, “वही हूँ जो शुरू' से तुम से कहता आया हूँ।
إِنَّ لِي أَشْيَاءَ كَثِيرَةً أَتَكَلَّمُ وَأَحْكُمُ بِهَا مِنْ نَحْوِكُمْ، لَكِنَّ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي هُوَ حَقٌّ. وَأَنَا مَا سَمِعْتُهُ مِنْهُ، فَهَذَا أَقُولُهُ لِلْعَالَمِ». ٢٦ 26
मुझे तुम्हारे बारे में बहुत कुछ कहना है और फ़ैसला करना है; लेकिन जिसने मुझे भेजा वो सच्चा है, और जो मैंने उससे सुना वही दुनियाँ से कहता हूँ।”
وَلَمْ يَفْهَمُوا أَنَّهُ كَانَ يَقُولُ لَهُمْ عَنِ ٱلْآبِ. ٢٧ 27
वो न समझे कि हम से बाप के बारे में कहता है।
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «مَتَى رَفَعْتُمُ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ، فَحِينَئِذٍ تَفْهَمُونَ أَنِّي أَنَا هُوَ، وَلَسْتُ أَفْعَلُ شَيْئًا مِنْ نَفْسِي، بَلْ أَتَكَلَّمُ بِهَذَا كَمَا عَلَّمَنِي أَبِي. ٢٨ 28
पस ईसा ने कहा, “जब तुम इब्न — ए — आदम को ऊँचे पर चढ़ाओगे तो जानोगे कि मैं वही हूँ, और अपनी तरफ़ से कुछ नहीं करता, बल्कि जिस तरह बाप ने मुझे सिखाया उसी तरह ये बातें कहता हूँ।
وَٱلَّذِي أَرْسَلَنِي هُوَ مَعِي، وَلَمْ يَتْرُكْنِي ٱلْآبُ وَحْدِي، لِأَنِّي فِي كُلِّ حِينٍ أَفْعَلُ مَا يُرْضِيهِ». ٢٩ 29
और जिसने मुझे भेजा वो मेरे साथ है; उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा, क्यूँकि मैं हमेशा वही काम करता हूँ जो उसे पसन्द आते हैं।”
وَبَيْنَمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ بِهَذَا آمَنَ بِهِ كَثِيرُونَ. ٣٠ 30
जब ईसा ये बातें कह रहा था तो बहुत से लोग उस पर ईमान लाए।
فَقَالَ يَسُوعُ لِلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ آمَنُوا بِهِ: «إِنَّكُمْ إِنْ ثَبَتُّمْ فِي كَلَامِي فَبِالْحَقِيقَةِ تَكُونُونَ تَلَامِيذِي، ٣١ 31
पस ईसा ने उन यहूदियों से कहा, जिन्होंने उसका यक़ीन किया था, “अगर तुम कलाम पर क़ाईम रहोगे, तो हक़ीक़त में मेरे शागिर्द ठहरोगे।
وَتَعْرِفُونَ ٱلْحَقَّ، وَٱلْحَقُّ يُحَرِّرُكُمْ». ٣٢ 32
और सच्चाई को जानोगे और सच्चाई तुम्हें आज़ाद करेगी।”
أَجَابُوهُ: «إِنَّنَا ذُرِّيَّةُ إِبْرَاهِيمَ، وَلَمْ نُسْتَعْبَدْ لِأَحَدٍ قَطُّ! كَيْفَ تَقُولُ أَنْتَ: إِنَّكُمْ تَصِيرُونَ أَحْرَارًا؟». ٣٣ 33
उन्होंने उसे जवाब दिया, “हम तो अब्रहाम की नस्ल से हैं, और कभी किसी की ग़ुलामी में नहीं रहे। तू क्यूँकर कहता है कि तुम आज़ाद किए जाओगे?”
أَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «ٱلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ كُلَّ مَنْ يَعْمَلُ ٱلْخَطِيَّةَ هُوَ عَبْدٌ لِلْخَطِيَّةِ. ٣٤ 34
ईसा ने उन्हें जवाब दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई गुनाह करता है गुनाह का ग़ुलाम है।
وَٱلْعَبْدُ لَا يَبْقَى فِي ٱلْبَيْتِ إِلَى ٱلْأَبَدِ، أَمَّا ٱلِٱبْنُ فَيَبْقَى إِلَى ٱلْأَبَدِ. (aiōn g165) ٣٥ 35
और ग़ुलाम हमेशा तक घर में नहीं रहता, बेटा हमेशा रहता है। (aiōn g165)
فَإِنْ حَرَّرَكُمْ ٱلِٱبْنُ فَبِالْحَقِيقَةِ تَكُونُونَ أَحْرَارًا. ٣٦ 36
पस अगर बेटा तुम्हें आज़ाद करेगा, तो तुम वाक़'ई आज़ाद होगे।
أَنَا عَالِمٌ أَنَّكُمْ ذُرِّيَّةُ إِبْرَاهِيمَ. لَكِنَّكُمْ تَطْلُبُونَ أَنْ تَقْتُلُونِي لِأَنَّ كَلَامِي لَا مَوْضِعَ لَهُ فِيكُمْ. ٣٧ 37
मैं जानता हूँ तुम अब्रहाम की नस्ल से हो, तभी मेरे क़त्ल की कोशिश में हो क्यूँकि मेरा कलाम तुम्हारे दिल में जगह नहीं पाता।
أَنَا أَتَكَلَّمُ بِمَا رَأَيْتُ عِنْدَ أَبِي، وَأَنْتُمْ تَعْمَلُونَ مَا رَأَيْتُمْ عِنْدَ أَبِيكُمْ». ٣٨ 38
मैंने जो अपने बाप के यहाँ देखा है वो कहता हूँ, और तुम ने जो अपने बाप से सुना वो करते हो।”
أَجَابُوا وَقَالُوا لَهُ: «أَبُونَا هُوَ إِبْرَاهِيمُ». قَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «لَوْ كُنْتُمْ أَوْلَادَ إِبْرَاهِيمَ، لَكُنْتُمْ تَعْمَلُونَ أَعْمَالَ إِبْرَاهِيمَ! ٣٩ 39
उन्होंने जवाब में उससे कहा, हमारा बाप तो अब्रहाम है। ईसा ने उनसे कहा, “अगर तुम अब्रहाम के फ़र्ज़न्द होते तो अब्रहाम के से काम करते।
وَلَكِنَّكُمُ ٱلْآنَ تَطْلُبُونَ أَنْ تَقْتُلُونِي، وَأَنَا إِنْسَانٌ قَدْ كَلَّمَكُمْ بِٱلْحَقِّ ٱلَّذِي سَمِعَهُ مِنَ ٱللهِ. هَذَا لَمْ يَعْمَلْهُ إِبْرَاهِيمُ. ٤٠ 40
लेकिन अब तुम मुझ जैसे शख़्स को क़त्ल की कोशिश में हो, जिसने तुम्हें वही हक़ बात बताई जो ख़ुदा से सुनी; अब्रहाम ने तो ये नहीं किया था।
أَنْتُمْ تَعْمَلُونَ أَعْمَالَ أَبِيكُمْ». فَقَالُوا لَهُ: «إِنَّنَا لَمْ نُولَدْ مِنْ زِنًا. لَنَا أَبٌ وَاحِدٌ وَهُوَ ٱللهُ». ٤١ 41
तुम अपने बाप के से काम करते हो।” उन्होंने उससे कहा, “हम हराम से पैदा नहीं हुए। हमारा एक बाप है या'नी ख़ुदा।”
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «لَوْ كَانَ ٱللهُ أَبَاكُمْ لَكُنْتُمْ تُحِبُّونَنِي، لِأَنِّي خَرَجْتُ مِنْ قِبَلِ ٱللهِ وَأَتَيْتُ. لِأَنِّي لَمْ آتِ مِنْ نَفْسِي، بَلْ ذَاكَ أَرْسَلَنِي. ٤٢ 42
ईसा ने उनसे कहा, “अगर ख़ुदा तुम्हारा होता, तो तुम मुझ से मुहब्बत रखते; इसलिए कि मैं ख़ुदा में से निकला और आया हूँ, क्यूँकि मैं आप से नहीं आया बल्कि उसी ने मुझे भेजा।
لِمَاذَا لَا تَفْهَمُونَ كَلَامِي؟ لِأَنَّكُمْ لَا تَقْدِرُونَ أَنْ تَسْمَعُوا قَوْلِي. ٤٣ 43
तुम मेरी बातें क्यूँ नहीं समझते? इसलिए कि मेरा कलाम सुन नहीं सकते।
أَنْتُمْ مِنْ أَبٍ هُوَ إِبْلِيسُ، وَشَهَوَاتِ أَبِيكُمْ تُرِيدُونَ أَنْ تَعْمَلُوا. ذَاكَ كَانَ قَتَّالًا لِلنَّاسِ مِنَ ٱلْبَدْءِ، وَلَمْ يَثْبُتْ فِي ٱلْحَقِّ لِأَنَّهُ لَيْسَ فِيهِ حَقٌّ. مَتَى تَكَلَّمَ بِٱلْكَذِبِ فَإِنَّمَا يَتَكَلَّمُ مِمَّا لَهُ، لِأَنَّهُ كَذَّابٌ وَأَبُو ٱلْكَذَّابِ. ٤٤ 44
तुम अपने बाप इब्लीस से हो और अपने बाप की ख़्वाहिशों को पूरा करना चाहते हो। वो शुरू' ही से ख़ूनी है और सच्चाई पर क़ाइम नहीं रहा, क्यूँकि उस में सच्चाई नहीं है। जब वो झूठ बोलता है तो अपनी ही सी कहता है, क्यूँकि वो झूठा है बल्कि झूठ का बाप है।
وَأَمَّا أَنَا فَلِأَنِّي أَقُولُ ٱلْحَقَّ لَسْتُمْ تُؤْمِنُونَ بِي. ٤٥ 45
लेकिन मैं जो सच बोलता हूँ, इसी लिए तुम मेरा यक़ीन नहीं करते।
مَنْ مِنْكُمْ يُبَكِّتُنِي عَلَى خَطِيَّةٍ؟ فَإِنْ كُنْتُ أَقُولُ ٱلْحَقَّ، فَلِمَاذَا لَسْتُمْ تُؤْمِنُونَ بِي؟ ٤٦ 46
तुम में से कौन मुझ पर गुनाह साबित करता है? अगर मैं सच बोलता हूँ, तो मेरा यक़ीन क्यूँ नहीं करते?
اَلَّذِي مِنَ ٱللهِ يَسْمَعُ كَلَامَ ٱللهِ. لِذَلِكَ أَنْتُمْ لَسْتُمْ تَسْمَعُونَ، لِأَنَّكُمْ لَسْتُمْ مِنَ ٱللهِ». ٤٧ 47
जो ख़ुदा से होता है वो ख़ुदा की बातें सुनता है; तुम इसलिए नहीं सुनते कि ख़ुदा से नहीं हो।”
فَأَجَاب ٱلْيَهُودُ وَقَالُوا لَهُ: «أَلَسْنَا نَقُولُ حَسَنًا: إِنَّكَ سَامِرِيٌّ وَبِكَ شَيْطَانٌ؟». ٤٨ 48
यहूदियों ने जवाब में उससे कहा, “क्या हम सच नहीं कहते, कि तू सामरी है और तुझ में बदरूह है।”
أَجَابَ يَسُوعُ: «أَنَا لَيْسَ بِي شَيْطَانٌ، لَكِنِّي أُكْرِمُ أَبِي وَأَنْتُمْ تُهِينُونَنِي. ٤٩ 49
ईसा ने जवाब दिया, “मुझ में बदरूह नहीं; मगर मैं अपने बाप की इज़्ज़त करता हूँ, और तुम मेरी बे'इज़्ज़ती करते हो।
أَنَا لَسْتُ أَطْلُبُ مَجْدِي. يُوجَدُ مَنْ يَطْلُبُ وَيَدِينُ. ٥٠ 50
लेकिन मैं अपनी तारीफ़ नहीं चाहता; हाँ, एक है जो उसे चाहता और फ़ैसला करता है।
اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَحْفَظُ كَلَامِي فَلَنْ يَرَى ٱلْمَوْتَ إِلَى ٱلْأَبَدِ». (aiōn g165) ٥١ 51
मैं तुम से सच कहता हूँ कि अगर कोई इंसान मेरे कलाम पर 'अमल करेगा, तो हमेशा तक कभी मौत को न देखेगा।” (aiōn g165)
فَقَالَ لَهُ ٱلْيَهُودُ: ٱلْآنَ عَلِمْنَا أَنَّ بِكَ شَيْطَانًا. قَدْ مَاتَ إِبْرَاهِيمُ وَٱلْأَنْبِيَاءُ، وَأَنْتَ تَقُولُ: إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَحْفَظُ كَلَامِي فَلَنْ يَذُوقَ ٱلْمَوْتَ إِلَى ٱلْأَبَدِ. (aiōn g165) ٥٢ 52
यहूदियों ने उससे कहा, “अब हम ने जान लिया कि तुझ में बदरूह है! अब्रहाम मर गया और नबी मर गए, मगर तू कहता है, 'अगर कोई मेरे कलाम पर 'अमल करेगा, तो हमेशा तक कभी मौत का मज़ा न चखेगा। (aiōn g165)
أَلَعَلَّكَ أَعْظَمُ مِنْ أَبِينَا إِبْرَاهِيمَ ٱلَّذِي مَاتَ؟ وَٱلْأَنْبِيَاءُ مَاتُوا. مَنْ تَجْعَلُ نَفْسَكَ؟». ٥٣ 53
हमारे बुज़ुर्ग अब्रहाम जो मर गए, क्या तू उससे बड़ा है? और नबी भी मर गए। तू अपने आपको क्या ठहराता है?”
أَجَابَ يَسُوعُ: «إِنْ كُنْتُ أُمَجِّدُ نَفْسِي فَلَيْسَ مَجْدِي شَيْئًا. أَبِي هُوَ ٱلَّذِي يُمَجِّدُنِي، ٱلَّذِي تَقُولُونَ أَنْتُمْ إِنَّهُ إِلَهُكُمْ، ٥٤ 54
ईसा ने जवाब दिया, “अगर मैं आप अपनी बड़ाई करूँ, तो मेरी बड़ाई कुछ नहीं; लेकिन मेरी बड़ाई मेरा बाप करता है, जिसे तुम कहते हो कि हमारा ख़ुदा है।
وَلَسْتُمْ تَعْرِفُونَهُ. وَأَمَّا أَنَا فَأَعْرِفُهُ. وَإِنْ قُلْتُ إِنِّي لَسْتُ أَعْرِفُهُ أَكُونُ مِثْلَكُمْ كَاذِبًا، لَكِنِّي أَعْرِفُهُ وَأَحْفَظُ قَوْلَهُ. ٥٥ 55
तुम ने उसे नहीं जाना, लेकिन मैं उसे जानता हूँ; और अगर कहूँ कि उसे नहीं जानता, तो तुम्हारी तरह झूठा बनूँगा। मगर मैं उसे जानता और उसके कलाम पर 'अमल करता हूँ।
أَبُوكُمْ إِبْرَاهِيمُ تَهَلَّلَ بِأَنْ يَرَى يَوْمِي فَرَأَى وَفَرِحَ». ٥٦ 56
तुम्हारा बाप अब्रहाम मेरा दिन देखने की उम्मीद पर बहुत ख़ुश था, चुनाँचे उसने देखा और ख़ुश हुआ।”
فَقَالَ لَهُ ٱلْيَهُودُ: «لَيْسَ لَكَ خَمْسُونَ سَنَةً بَعْدُ، أَفَرَأَيْتَ إِبْرَاهِيمَ؟». ٥٧ 57
यहूदियों ने उससे कहा, “तेरी उम्र तो अभी पचास बरस की नहीं, फिर क्या तूने अब्रहाम को देखा है?”
قَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «ٱلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: قَبْلَ أَنْ يَكُونَ إِبْرَاهِيمُ أَنَا كَائِنٌ». ٥٨ 58
ईसा ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि पहले उससे कि अब्रहाम पैदा हुआ मैं हूँ।”
فَرَفَعُوا حِجَارَةً لِيَرْجُمُوهُ. أَمَّا يَسُوعُ فَٱخْتَفَى وَخَرَجَ مِنَ ٱلْهَيْكَلِ مُجْتَازًا فِي وَسْطِهِمْ وَمَضَى هَكَذَا. ٥٩ 59
पस उन्होंने उसे मारने को पत्थर उठाए, मगर ईसा छिपकर हैकल से निकल गया।

< يوحنَّا 8 >