< يوحنَّا 7 >
وَكَانَ يَسُوعُ يَتَرَدَّدُ بَعْدَ هَذَا فِي ٱلْجَلِيلِ، لِأَنَّهُ لَمْ يُرِدْ أَنْ يَتَرَدَّدَ فِي ٱلْيَهُودِيَّةِ لِأَنَّ ٱلْيَهُودَ كَانُوا يَطْلُبُونَ أَنْ يَقْتُلُوهُ. | ١ 1 |
इन बातों के बाद 'ईसा गलील में फिरता रहा क्यूँकि यहूदिया में फिरना न चाहता था, इसलिए कि यहूदी अगुवे उसके क़त्ल की कोशिश में थे
وَكَانَ عِيدُ ٱلْيَهُودِ، عِيدُ ٱلْمَظَالِّ، قَرِيبًا. | ٢ 2 |
और यहूदियों की 'ईद — ए — खियाम नज़दीक थी।
فَقَالَ لَهُ إِخْوَتُهُ: «ٱنْتَقِلْ مِنْ هُنَا وَٱذْهَبْ إِلَى ٱلْيَهُودِيَّةِ، لِكَيْ يَرَى تَلَامِيذُكَ أَيْضًا أَعْمَالَكَ ٱلَّتِي تَعْمَلُ، | ٣ 3 |
पस उसके भाइयों ने उससे कहा, “यहाँ से रवाना होकर यहूदिया को चला जा, ताकि जो काम तू करता है उन्हें तेरे शागिर्द भी देखें।
لِأَنَّهُ لَيْسَ أَحَدٌ يَعْمَلُ شَيْئًا فِي ٱلْخَفَاءِ وَهُوَ يُرِيدُ أَنْ يَكُونَ عَلَانِيَةً. إِنْ كُنْتَ تَعْمَلُ هَذِهِ ٱلْأَشْيَاءَ فَأَظْهِرْ نَفْسَكَ لِلْعَالَمِ». | ٤ 4 |
क्यूँकि ऐसा कोई नहीं जो मशहूर होना चाहे और छिपकर काम करे। अगर तू ये काम करता है, तो अपने आपको दुनियाँ पर ज़ाहिर कर।”
لِأَنَّ إِخْوَتَهُ أَيْضًا لَمْ يَكُونُوا يُؤْمِنُونَ بِهِ. | ٥ 5 |
क्यूँकि उसके भाई भी उस पर ईमान न लाए थे।
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «إِنَّ وَقْتِي لَمْ يَحْضُرْ بَعْدُ، وَأَمَّا وَقْتُكُمْ فَفِي كُلِّ حِينٍ حَاضِرٌ. | ٦ 6 |
पस ईसा ने उनसे कहा, “मेरा तो अभी वक़्त नहीं आया, मगर तुम्हारे लिए सब वक़्त है।
لَا يَقْدِرُ ٱلْعَالَمُ أَنْ يُبْغِضَكُمْ، وَلَكِنَّهُ يُبْغِضُنِي أَنَا، لِأَنِّي أَشْهَدُ عَلَيْهِ أَنَّ أَعْمَالَهُ شِرِّيرَةٌ. | ٧ 7 |
दुनियाँ तुम से 'दुश्मनी नहीं रख सकती लेकिन मुझ से रखती है, क्यूँकि मैं उस पर गवाही देता हूँ कि उसके काम बुरे हैं।
اِصْعَدُوا أَنْتُمْ إِلَى هَذَا ٱلْعِيدِ. أَنَا لَسْتُ أَصْعَدُ بَعْدُ إِلَى هَذَا ٱلْعِيدِ، لِأَنَّ وَقْتِي لَمْ يُكْمَلْ بَعْدُ». | ٨ 8 |
तुम 'ईद में जाओ; मैं अभी इस 'ईद में नहीं जाता, क्यूँकि अभी तक मेरा वक़्त पूरा नहीं हुआ।”
قَالَ لَهُمْ هَذَا وَمَكَثَ فِي ٱلْجَلِيلِ. | ٩ 9 |
ये बातें उनसे कहकर वो गलील ही में रहा।
وَلَمَّا كَانَ إِخْوَتُهُ قَدْ صَعِدُوا، حِينَئِذٍ صَعِدَ هُوَ أَيْضًا إِلَى ٱلْعِيدِ، لَا ظَاهِرًا بَلْ كَأَنَّهُ فِي ٱلْخَفَاءِ. | ١٠ 10 |
लेकिन जब उसके भाई 'ईद में चले गए उस वक़्त वो भी गया, खुले तौर पर नहीं बल्कि पोशीदा।
فَكَانَ ٱلْيَهُودُ يَطْلُبُونَهُ فِي ٱلْعِيدِ، وَيَقُولُونَ: «أَيْنَ ذَاكَ؟». | ١١ 11 |
पस यहूदी उसे 'ईद में ये कहकर ढूँडने लगे, “वो कहाँ है?”
وَكَانَ فِي ٱلْجُمُوعِ مُنَاجَاةٌ كَثِيرَةٌ مِنْ نَحْوِهِ. بَعْضُهُمْ يَقُولُونَ: «إِنَّهُ صَالِحٌ». وَآخَرُونَ يَقُولُونَ: «لَا، بَلْ يُضِلُّ ٱلشَّعْبَ». | ١٢ 12 |
और लोगों में उसके बारे में चुपके — चुपके बहुत सी गुफ़्तगू हुई; कुछ कहते थे, वो नेक है। “और कुछ कहते थे, नहीं बल्कि वो लोगों को गुमराह करता है।”
وَلَكِنْ لَمْ يَكُنْ أَحَدٌ يَتَكَلَّمُ عَنْهُ جِهَارًا لِسَبَبِ ٱلْخَوْفِ مِنَ ٱلْيَهُودِ. | ١٣ 13 |
तो भी यहूदियों के डर से कोई शख़्स उसके बारे में साफ़ साफ़ न कहता था।
وَلَمَّا كَانَ ٱلْعِيدُ قَدِ ٱنْتَصَفَ، صَعِدَ يَسُوعُ إِلَى ٱلْهَيْكَلِ، وَكَانَ يُعَلِّمُ. | ١٤ 14 |
जब 'ईद के आधे दिन गुज़र गए, तो 'ईसा हैकल में जाकर ता'लीम देने लगा।
فَتَعَجَّبَ ٱلْيَهُودُ قَائِلِينَ: «كَيْفَ هَذَا يَعْرِفُ ٱلْكُتُبَ، وَهُوَ لَمْ يَتَعَلَّمْ؟». | ١٥ 15 |
पस यहुदियों ने ता'ज्जुब करके कहा, “इसको बग़ैर पढ़े क्यूँकर 'इल्म आ गया?”
أَجَابَهُمْ يَسُوعُ وَقَالَ: «تَعْلِيمِي لَيْسَ لِي بَلْ لِلَّذِي أَرْسَلَنِي. | ١٦ 16 |
ईसा ने जवाब में उनसे कहा, “मेरी ता'लीम मेरी नहीं, बल्कि मेरे भेजने वाले की है।
إِنْ شَاءَ أَحَدٌ أَنْ يَعْمَلَ مَشِيئَتَهُ يَعْرِفُ ٱلتَّعْلِيمَ، هَلْ هُوَ مِنَ ٱللهِ، أَمْ أَتَكَلَّمُ أَنَا مِنْ نَفْسِي. | ١٧ 17 |
अगर कोई उसकी मर्ज़ी पर चलना चाहे, तो इस ता'लीम की वजह से जान जाएगा कि ख़ुदा की तरफ़ से है या मैं अपनी तरफ़ से कहता हूँ।
مَنْ يَتَكَلَّمُ مِنْ نَفْسِهِ يَطْلُبُ مَجْدَ نَفْسِهِ، وَأَمَّا مَنْ يَطْلُبُ مَجْدَ ٱلَّذِي أَرْسَلَهُ فَهُوَ صَادِقٌ وَلَيْسَ فِيهِ ظُلْمٌ. | ١٨ 18 |
जो अपनी तरफ़ से कुछ कहता है, वो अपनी 'इज़्ज़त चाहता है; लेकिन जो अपने भेजनेवाले की 'इज़्ज़त चाहता है, वो सच्चा है और उसमें नारास्ती नहीं।
أَلَيْسَ مُوسَى قَدْ أَعْطَاكُمُ ٱلنَّامُوسَ؟ وَلَيْسَ أَحَدٌ مِنْكُمْ يَعْمَلُ ٱلنَّامُوسَ! لِمَاذَا تَطْلُبُونَ أَنْ تَقْتُلُونِي؟» | ١٩ 19 |
क्या मूसा ने तुम्हें शरी'अत नहीं दी? तोभी तुम में शरी'अत पर कोई 'अमल नहीं करता। तुम क्यूँ मेरे क़त्ल की कोशिश में हो?”
أَجَابَ ٱلْجَمْعُ وَقَالُوا: «بِكَ شَيْطَانٌ. مَنْ يَطْلُبُ أَنْ يَقْتُلَكَ؟». | ٢٠ 20 |
लोगों ने जवाब दिया, “तुझ में तो बदरूह है! कौन तेरे क़त्ल की कोशिश में है?”
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «عَمَلًا وَاحِدًا عَمِلْتُ فَتَتَعَجَّبُونَ جَمِيعًا. | ٢١ 21 |
ईसा ने जवाब में उससे कहा, “मैंने एक काम किया, और तुम सब ताअ'ज्जुब करते हो।
لِهَذَا أَعْطَاكُمْ مُوسَى ٱلْخِتَانَ، لَيْسَ أَنَّهُ مِنْ مُوسَى، بَلْ مِنَ ٱلْآبَاءِ. فَفِي ٱلسَّبْتِ تَخْتِنُونَ ٱلْإِنْسَانَ. | ٢٢ 22 |
इस बारे में मूसा ने तुम्हें ख़तने का हुक्म दिया है (हालाँकि वो मूसा की तरफ़ से नहीं, बल्कि बाप — दादा से चला आया है), और तुम सबत के दिन आदमी का ख़तना करते हो।
فَإِنْ كَانَ ٱلْإِنْسَانُ يَقْبَلُ ٱلْخِتَانَ فِي ٱلسَّبْتِ، لِئَلَّا يُنْقَضَ نَامُوسُ مُوسَى، أَفَتَسْخَطُونَ عَلَيَّ لِأَنِّي شَفَيْتُ إِنْسَانًا كُلَّهُ فِي ٱلسَّبْتِ؟ | ٢٣ 23 |
जब सबत को आदमी का ख़तना किया जाता है ताकि मूसा की शरी'अत का हुक्म न टूटे; तो क्या मुझ से इसलिए नाराज़ हो कि मैंने सबत के दिन एक आदमी को बिल्कुल तन्दरुस्त कर दिया?
لَا تَحْكُمُوا حَسَبَ ٱلظَّاهِرِ بَلِ ٱحْكُمُوا حُكْمًا عَادِلًا». | ٢٤ 24 |
ज़ाहिर के मुवाफ़िक़ फ़ैसला न करो, बल्कि इन्साफ़ से फ़ैसला करो।”
فَقَالَ قَوْمٌ مِنْ أَهْلِ أُورُشَلِيمَ: «أَلَيْسَ هَذَا هُوَ ٱلَّذِي يَطْلُبُونَ أَنْ يَقْتُلُوهُ؟ | ٢٥ 25 |
तब कुछ येरूशलेमी कहने लगे, “क्या ये वही नहीं जिसके क़त्ल की कोशिश हो रही है?
وَهَا هُوَ يَتَكَلَّمُ جِهَارًا وَلَا يَقُولُونَ لَهُ شَيْئًا! أَلَعَلَّ ٱلرُّؤَسَاءَ عَرَفُوا يَقِينًا أَنَّ هَذَا هُوَ ٱلْمَسِيحُ حَقًّا؟ | ٢٦ 26 |
लेकिन देखो, ये साफ़ — साफ़ कहता है और वो इससे कुछ नहीं कहते। क्या हो सकता है कि सरदारों से सच जान लिया कि मसीह यही है?
وَلَكِنَّ هَذَا نَعْلَمُ مِنْ أَيْنَ هُوَ، وَأَمَّا ٱلْمَسِيحُ فَمَتَى جَاءَ لَا يَعْرِفُ أَحَدٌ مِنْ أَيْنَ هُوَ». | ٢٧ 27 |
इसको तो हम जानते हैं कि कहाँ का है, मगर मसीह जब आएगा तो कोई न जानेगा कि वो कहाँ का है।”
فَنَادَى يَسُوعُ وَهُوَ يُعَلِّمُ فِي ٱلْهَيْكَلِ قَائِلًا: «تَعْرِفُونَنِي وَتَعْرِفُونَ مِنْ أَيْنَ أَنَا، وَمِنْ نَفْسِي لَمْ آتِ، بَلِ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي هُوَ حَقٌّ، ٱلَّذِي أَنْتُمْ لَسْتُمْ تَعْرِفُونَهُ. | ٢٨ 28 |
पस ईसा ने हैकल में ता'लीम देते वक़्त पुकार कर कहा, “तुम मुझे भी जानते हो, और ये भी जानते हो कि मैं कहाँ का हूँ; और मैं आप से नहीं आया, मगर जिसने मुझे भेजा है वो सच्चा है, उसको तुम नहीं जानते।
أَنَا أَعْرِفُهُ لِأَنِّي مِنْهُ، وَهُوَ أَرْسَلَنِي». | ٢٩ 29 |
मैं उसे जानता हूँ, इसलिए कि मैं उसकी तरफ़ से हूँ और उसी ने मुझे भेजा है।”
فَطَلَبُوا أَنْ يُمْسِكُوهُ، وَلَمْ يُلْقِ أَحَدٌ يَدًا عَلَيْهِ، لِأَنَّ سَاعَتَهُ لَمْ تَكُنْ قَدْ جَاءَتْ بَعْدُ. | ٣٠ 30 |
पस वो उसे पकड़ने की कोशिश करने लगे, लेकिन इसलिए कि उसका वक़्त अभी न आया था, किसी ने उस पर हाथ न डाला।
فَآمَنَ بِهِ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلْجَمْعِ، وَقَالُوا: «أَلَعَلَّ ٱلْمَسِيحَ مَتَى جَاءَ يَعْمَلُ آيَاتٍ أَكْثَرَ مِنْ هَذِهِ ٱلَّتِي عَمِلَهَا هَذَا؟». | ٣١ 31 |
मगर भीड़ में से बहुत सारे उस पर ईमान लाए, और कहने लगे, “मसीह जब आएगा, तो क्या इनसे ज़्यादा मोजिज़े दिखाएगा?” जो इसने दिखाए।
سَمِعَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ ٱلْجَمْعَ يَتَنَاجَوْنَ بِهَذَا مِنْ نَحْوِهِ، فَأَرْسَلَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ وَرُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ خُدَّامًا لِيُمْسِكُوهُ. | ٣٢ 32 |
फ़रीसियों ने लोगों को सुना कि उसके बारे में चुपके — चुपके ये बातें करते हैं, पस सरदार काहिनों और फ़रीसियों ने उसे पकड़ने को प्यादे भेजे।
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «أَنَا مَعَكُمْ زَمَانًا يَسِيرًا بَعْدُ، ثُمَّ أَمْضِي إِلَى ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي. | ٣٣ 33 |
ईसा ने कहा, “मैं और थोड़े दिनों तक तुम्हारे पास हूँ, फिर अपने भेजनेवाले के पास चला जाऊँगा।
سَتَطْلُبُونَنِي وَلَا تَجِدُونَنِي، وَحَيْثُ أَكُونُ أَنَا لَا تَقْدِرُونَ أَنْتُمْ أَنْ تَأْتُوا». | ٣٤ 34 |
तुम मुझे ढूँडोगे मगर न पाओगे, और जहाँ मैं हूँ तुम नहीं आ सकते।”
فَقَالَ ٱلْيَهُودُ فِيمَا بَيْنَهُمْ: «إِلَى أَيْنَ هَذَا مُزْمِعٌ أَنْ يَذْهَبَ حَتَّى لَا نَجِدَهُ نَحْنُ؟ أَلَعَلَّهُ مُزْمِعٌ أَنْ يَذْهَبَ إِلَى شَتَاتِ ٱلْيُونَانِيِّينَ وَيُعَلِّمَ ٱلْيُونَانِيِّينَ؟ | ٣٥ 35 |
हमारे यहूदियों ने आपस में कहा, ये कहाँ जाएगा कि हम इसे न पाएँगे? क्या उनके पास जाएगा कि हम इसे न पाएँगे? क्या उनके पास जाएगा जो यूनानियों में अक्सर रहते हैं, और यूनानियों को ता'लीम देगा?
مَا هَذَا ٱلْقَوْلُ ٱلَّذِي قَالَ: سَتَطْلُبُونَنِي وَلَا تَجِدُونَنِي، وَحَيْثُ أَكُونُ أَنَا لَا تَقْدِرُونَ أَنْتُمْ أَنْ تَأْتُوا؟». | ٣٦ 36 |
ये क्या बात है जो उसने कही, “तुम मुझे तलाश करोगे मगर न पाओगे, 'और, 'जहाँ मैं हूँ तुम नहीं आ सकते'?”
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ ٱلْعَظِيمِ مِنَ ٱلْعِيدِ وَقَفَ يَسُوعُ وَنَادَى قَائِلًا: «إِنْ عَطِشَ أَحَدٌ فَلْيُقْبِلْ إِلَيَّ وَيَشْرَبْ. | ٣٧ 37 |
फिर ईद के आख़िरी दिन जो ख़ास दिन है, ईसा खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “अगर कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पिए।
مَنْ آمَنَ بِي، كَمَا قَالَ ٱلْكِتَابُ، تَجْرِي مِنْ بَطْنِهِ أَنْهَارُ مَاءٍ حَيٍّ». | ٣٨ 38 |
जो मुझ पर ईमान लाएगा उसके अन्दर से, जैसा कि किताब — ए — मुक़द्दस में आया है, ज़िन्दगी के पानी की नदियाँ जारी होंगी।”
قَالَ هَذَا عَنِ ٱلرُّوحِ ٱلَّذِي كَانَ ٱلْمُؤْمِنُونَ بِهِ مُزْمِعِينَ أَنْ يَقْبَلُوهُ، لِأَنَّ ٱلرُّوحَ ٱلْقُدُسَ لَمْ يَكُنْ قَدْ أُعْطِيَ بَعْدُ، لِأَنَّ يَسُوعَ لَمْ يَكُنْ قَدْ مُجِّدَ بَعْدُ. | ٣٩ 39 |
उसने ये बात उस रूह के बारे में कही, जिसे वो पाने को थे जो उस पर ईमान लाए; क्यूँकि रूह अब तक नाज़िल न हुई थी, इसलिए कि ईसा अभी अपने जलाल को न पहुँचा था।
فَكَثِيرُونَ مِنَ ٱلْجَمْعِ لَمَّا سَمِعُوا هَذَا ٱلْكَلَامَ قَالُوا: «هَذَا بِٱلْحَقِيقَةِ هُوَ ٱلنَّبِيُّ». | ٤٠ 40 |
पस भीड़ में से कुछ ने ये बातें सुनकर कहा, “बेशक यही वो नबी है।”
آخَرُونَ قَالُوا: «هَذَا هُوَ ٱلْمَسِيحُ!». وَآخَرُونَ قَالُوا: «أَلَعَلَّ ٱلْمَسِيحَ مِنَ ٱلْجَلِيلِ يَأْتِي؟ | ٤١ 41 |
औरों ने कहा, ये मसीह है। “और कुछ ने कहा, क्यूँ? क्या मसीह गलील से आएगा?
أَلَمْ يَقُلِ ٱلْكِتَابُ إِنَّهُ مِنْ نَسْلِ دَاوُدَ، وَمِنْ بَيْتِ لَحْمٍ، ٱلْقَرْيَةِ ٱلَّتِي كَانَ دَاوُدُ فِيهَا، يَأْتِي ٱلْمَسِيحُ؟». | ٤٢ 42 |
क्या किताब — ए — मुक़द्दस में से नहीं आया, कि मसीह दाऊद की नस्ल और बैतलहम के गाँव से आएगा, जहाँ का दाऊद था?”
فَحَدَثَ ٱنْشِقَاقٌ فِي ٱلْجَمْعِ لِسَبَبِهِ. | ٤٣ 43 |
पस लोगों में उसके बारे में इख़्तिलाफ़ हुआ।
وَكَانَ قَوْمٌ مِنْهُمْ يُرِيدُونَ أَنْ يُمْسِكُوهُ، وَلَكِنْ لَمْ يُلْقِ أَحَدٌ عَلَيْهِ ٱلْأَيَادِيَ. | ٤٤ 44 |
और उनमें से कुछ उसको पकड़ना चाहते थे, मगर किसी ने उस पर हाथ न डाला।
فَجَاءَ ٱلْخُدَّامُ إِلَى رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيِّينَ. فَقَالَ هَؤُلَاءِ لَهُمْ: «لِمَاذَا لَمْ تَأْتُوا بِهِ؟». | ٤٥ 45 |
पस प्यादे सरदार काहिनों और फ़रीसियों के पास आए; और उन्होंने उनसे कहा, “तुम उसे क्यूँ न लाए?”
أَجَابَ ٱلْخُدَّامُ: «لَمْ يَتَكَلَّمْ قَطُّ إِنْسَانٌ هَكَذَا مِثْلَ هَذَا ٱلْإِنْسَانِ!». | ٤٦ 46 |
प्यादों ने जवाब दिया कि, “इंसान ने कभी ऐसा कलाम नहीं किया।”
فَأَجَابَهُمُ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ: «أَلَعَلَّكُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا قَدْ ضَلَلْتُمْ؟ | ٤٧ 47 |
फ़रीसियों ने उन्हें जवाब दिया, “क्या तुम भी गुमराह हो गए?
أَلَعَلَّ أَحَدًا مِنَ ٱلرُّؤَسَاءِ أَوْ مِنَ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ آمَنَ بِهِ؟ | ٤٨ 48 |
भला इख़्तियार वालों या फ़रीसियों मैं से भी कोई उस पर ईमान लाया?
وَلَكِنَّ هَذَا ٱلشَّعْبَ ٱلَّذِي لَا يَفْهَمُ ٱلنَّامُوسَ هُوَ مَلْعُونٌ». | ٤٩ 49 |
मगर ये 'आम लोग जो शरी'अत से वाक़िफ़ नहीं ला'नती हैं।”
قَالَ لَهُمْ نِيقُودِيمُوسُ، ٱلَّذِي جَاءَ إِلَيْهِ لَيْلًا، وَهُوَ وَاحِدٌ مِنْهُمْ: | ٥٠ 50 |
नीकुदेमुस ने, जो पहले उसके पास आया था, उनसे कहा,
«أَلَعَلَّ نَامُوسَنَا يَدِينُ إِنْسَانًا لَمْ يَسْمَعْ مِنْهُ أَوَّلًا وَيَعْرِفْ مَاذَا فَعَلَ؟». | ٥١ 51 |
“क्या हमारी शरी'अत किसी शख़्स को मुजरिम ठहराती है, जब तक पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वो क्या करता है?”
أَجَابُوا وَقَالُوا لَهُ: «أَلَعَلَّكَ أَنْتَ أَيْضًا مِنَ ٱلْجَلِيلِ؟ فَتِّشْ وَٱنْظُرْ! إِنَّهُ لَمْ يَقُمْ نَبِيٌّ مِنَ ٱلْجَلِيلِ». | ٥٢ 52 |
उन्होंने उसके जवाब में कहा, “क्या तू भी गलील का है? तलाश कर और देख, कि गलील में से कोई नबी नाज़िल नहीं होने का।”
فَمَضَى كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى بَيْتِهِ. | ٥٣ 53 |
[फिर उनमें से हर एक अपने घर चला गया।