< يوحنَّا 6 >

بَعْدَ هَذَا مَضَى يَسُوعُ إِلَى عَبْرِ بَحْرِ ٱلْجَلِيلِ، وَهُوَ بَحْرُ طَبَرِيَّةَ. ١ 1
इन बातों के बाद 'ईसा गलील की झील या'नी तिबरियास की झील के पार गया।
وَتَبِعَهُ جَمْعٌ كَثِيرٌ لِأَنَّهُمْ أَبْصَرُوا آيَاتِهِ ٱلَّتِي كَانَ يَصْنَعُهَا فِي ٱلْمَرْضَى. ٢ 2
और बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली क्यूँकि जो मोजिज़े वो बीमारों पर करता था उनको वो देखते थे।
فَصَعِدَ يَسُوعُ إِلَى جَبَلٍ وَجَلَسَ هُنَاكَ مَعَ تَلَامِيذِهِ. ٣ 3
ईसा पहाड़ पर चढ़ गया और अपने शागिर्दों के साथ वहाँ बैठा।
وَكَانَ ٱلْفِصْحُ، عِيدُ ٱلْيَهُودِ، قَرِيبًا. ٤ 4
और यहूदियों की 'ईद — ए — फ़सह नज़दीक थी।
فَرَفَعَ يَسُوعُ عَيْنَيْهِ وَنَظَرَ أَنَّ جَمْعًا كَثِيرًا مُقْبِلٌ إِلَيْهِ، فَقَالَ لِفِيلُبُّسَ: «مِنْ أَيْنَ نَبْتَاعُ خُبْزًا لِيَأْكُلَ هَؤُلَاءِ؟». ٥ 5
पस जब 'ईसा ने अपनी आँखें उठाकर देखा कि मेरे पास बड़ी भीड़ आ रही है, तो फ़िलिप्पुस से कहा, “हम इनके खाने के लिए कहाँ से रोटियाँ ख़रीद लें?”
وَإِنَّمَا قَالَ هَذَا لِيَمْتَحِنَهُ، لِأَنَّهُ هُوَ عَلِمَ مَا هُوَ مُزْمِعٌ أَنْ يَفْعَلَ. ٦ 6
मगर उसने उसे आज़माने के लिए ये कहा, क्यूँकि वो आप जानता था कि मैं क्या करूँगा।
أَجَابَهُ فِيلُبُّسُ: «لَا يَكْفِيهِمْ خُبْزٌ بِمِئَتَيْ دِينَارٍ لِيَأْخُذَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْهُمْ شَيْئًا يَسِيرًا». ٧ 7
फ़िलिप्पुस ने उसे जवाब दिया, “दो सौ दिन मज़दूरी की रोटियाँ इनके लिए काफ़ी न होंगी, कि हर एक को थोड़ी सी मिल जाए।”
قَالَ لَهُ وَاحِدٌ مِنْ تَلَامِيذِهِ، وَهُوَ أَنْدَرَاوُسُ أَخُو سِمْعَانَ بُطْرُسَ: ٨ 8
उसके शागिर्दों में से एक ने, या'नी शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने, उससे कहा,
«هُنَا غُلَامٌ مَعَهُ خَمْسَةُ أَرْغِفَةِ شَعِيرٍ وَسَمَكَتَانِ، وَلَكِنْ مَا هَذَا لِمِثْلِ هَؤُلَاءِ؟». ٩ 9
“यहाँ एक लड़का है जिसके पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं, मगर ये इतने लोगों में क्या हैं?”
فَقَالَ يَسُوعُ: «ٱجْعَلُوا ٱلنَّاسَ يَتَّكِئُونَ». وَكَانَ فِي ٱلْمَكَانِ عُشْبٌ كَثِيرٌ، فَٱتَّكَأَ ٱلرِّجَالُ وَعَدَدُهُمْ نَحْوُ خَمْسَةِ آلَافٍ. ١٠ 10
ईसा ने कहा, “लोगों को बिठाओ।” और उस जगह बहुत घास थी। पस वो मर्द जो तक़रीबन पाँच हज़ार थे बैठ गए।
وَأَخَذَ يَسُوعُ ٱلْأَرْغِفَةَ وَشَكَرَ، وَوَزَّعَ عَلَى ٱلتَّلَامِيذِ، وَٱلتَّلَامِيذُ أَعْطَوْا ٱلْمُتَّكِئِينَ. وَكَذَلِكَ مِنَ ٱلسَّمَكَتَيْنِ بِقَدْرِ مَا شَاءُوا. ١١ 11
ईसा ने वो रोटियाँ ली और शुक्र करके उन्हें जो बैठे थे बाँट दीं, और इसी तरह मछलियों में से जिस क़दर चाहते थे बाँट दिया।
فَلَمَّا شَبِعُوا، قَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «ٱجْمَعُوا ٱلْكِسَرَ ٱلْفَاضِلَةَ لِكَيْ لَا يَضِيعَ شَيْءٌ». ١٢ 12
जब वो सेर हो चुके तो उसने अपने शागिर्दों से कहा, “बचे हुए बे इस्तेमाल खाने को जमा करो, ताकि कुछ ज़ाया न हो।”
فَجَمَعُوا وَمَلَأُوا ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ قُفَّةً مِنَ ٱلْكِسَرِ، مِنْ خَمْسَةِ أَرْغِفَةِ ٱلشَّعِيرِ، ٱلَّتِي فَضَلَتْ عَنِ ٱلْآكِلِينَ. ١٣ 13
चुनाँचे उन्होंने जमा किया, और जौ की पाँच रोटियों के टुकड़ों से जो खानेवालों से बच रहे थे बारह टोकरियाँ भरीं
فَلَمَّا رَأَى ٱلنَّاسُ ٱلْآيَةَ ٱلَّتِي صَنَعَهَا يَسُوعُ قَالُوا: «إِنَّ هَذَا هُوَ بِٱلْحَقِيقَةِ ٱلنَّبِيُّ ٱلْآتِي إِلَى ٱلْعَالَمِ!». ١٤ 14
पस जो मोजिज़ा उसने दिखाया, “वो लोग उसे देखकर कहने लगे, जो नबी दुनियाँ में आने वाला था हक़ीक़त में यही है।”
وَأَمَّا يَسُوعُ فَإِذْ عَلِمَ أَنَّهُمْ مُزْمِعُونَ أَنْ يَأْتُوا وَيَخْتَطِفُوهُ لِيَجْعَلُوهُ مَلِكًا، ٱنْصَرَفَ أَيْضًا إِلَى ٱلْجَبَلِ وَحْدَهُ. ١٥ 15
पस ईसा ये मा'लूम करके कि वो आकर मुझे बादशाह बनाने के लिए पकड़ना चाहते हैं, फिर पहाड़ पर अकेला चला गया।
وَلَمَّا كَانَ ٱلْمَسَاءُ نَزَلَ تَلَامِيذُهُ إِلَى ٱلْبَحْرِ، ١٦ 16
फिर जब शाम हुई तो उसके शागिर्द झील के किनारे गए,
فَدَخَلُوا ٱلسَّفِينَةَ وَكَانُوا يَذْهَبُونَ إِلَى عَبْرِ ٱلْبَحْرِ إِلَى كَفْرِنَاحُومَ. وَكَانَ ٱلظَّلَامُ قَدْ أَقْبَلَ، وَلَمْ يَكُنْ يَسُوعُ قَدْ أَتَى إِلَيْهِمْ. ١٧ 17
और नाव में बैठकर झील के पार कफ़रनहूम को चले जाते थे। उस वक़्त अन्धेरा हो गया था, और 'ईसा अभी तक उनके पास न आया था।
وَهَاجَ ٱلْبَحْرُ مِنْ رِيحٍ عَظِيمَةٍ تَهُبُّ. ١٨ 18
और आँधी की वजह से झील में मौजें उठने लगीं।
فَلَمَّا كَانُوا قَدْ جَذَّفُوا نَحْوَ خَمْسٍ وَعِشْرِينَ أَوْ ثَلَاثِينَ غَلْوَةً، نَظَرُوا يَسُوعَ مَاشِيًا عَلَى ٱلْبَحْرِ مُقْتَرِبًا مِنَ ٱلسَّفِينَةِ، فَخَافُوا. ١٩ 19
पस जब वो खेते — खेते तीन — चार मील के क़रीब निकल गए, तो उन्होंने 'ईसा को झील पर चलते और नाव के नज़दीक आते देखा और डर गए।
فَقَالَ لَهُمْ: «أَنَا هُوَ، لَا تَخَافُوا!». ٢٠ 20
मगर उसने उनसे कहा, “मैं हूँ, डरो मत।”
فَرَضُوا أَنْ يَقْبَلُوهُ فِي ٱلسَّفِينَةِ. وَلِلْوَقْتِ صَارَتِ ٱلسَّفِينَةُ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي كَانُوا ذَاهِبِينَ إِلَيْهَا. ٢١ 21
पस वो उसे नाव में चढ़ा लेने को राज़ी हुए, और फ़ौरन वो नाव उस जगह जा पहुँची जहाँ वो जाते थे।
وَفِي ٱلْغَدِ لَمَّا رَأَى ٱلْجَمْعُ ٱلَّذِينَ كَانُوا وَاقِفِينَ فِي عَبْرِ ٱلْبَحْرِ أَنَّهُ لَمْ تَكُنْ هُنَاكَ سَفِينَةٌ أُخْرَى سِوَى وَاحِدَةٍ، وَهِيَ تِلْكَ ٱلَّتِي دَخَلَهَا تَلَامِيذُهُ، وَأَنَّ يَسُوعَ لَمْ يَدْخُلِ ٱلسَّفِينَةَ مَعَ تَلَامِيذِهِ بَلْ مَضَى تَلَامِيذُهُ وَحْدَهُمْ. ٢٢ 22
दूसरे दिन उस भीड़ ने जो झील के पार खड़ी थी, ये देखा कि यहाँ एक के सिवा और कोई छोटी नाव न थी; और 'ईसा अपने शागिर्दों के साथ नाव पर सवार न हुआ था, बल्कि सिर्फ़ उसके शागिर्द चले गए थे।
غَيْرَ أَنَّهُ جَاءَتْ سُفُنٌ مِنْ طَبَرِيَّةَ إِلَى قُرْبِ ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي أَكَلُوا فِيهِ ٱلْخُبْزَ، إِذْ شَكَرَ ٱلرَّبُّ. ٢٣ 23
(लेकिन कुछ छोटी नावें तिबरियास से उस जगह के नज़दीक आईं, जहाँ उन्होंने ख़ुदावन्द के शुक्र करने के बाद रोटी खाई थी।)
فَلَمَّا رَأَى ٱلْجَمْعُ أَنَّ يَسُوعَ لَيْسَ هُوَ هُنَاكَ وَلَا تَلَامِيذُهُ، دَخَلُوا هُمْ أَيْضًا ٱلسُّفُنَ وَجَاءُوا إِلَى كَفْرِنَاحُومَ يَطْلُبُونَ يَسُوعَ. ٢٤ 24
पस जब भीड़ ने देखा कि यहाँ न 'ईसा है न उसके शागिर्द, तो वो ख़ुद छोटी नावों में बैठकर 'ईसा की तलाश में कफ़रनहूम को आए।
وَلَمَّا وَجَدُوهُ فِي عَبْرِ ٱلْبَحْرِ، قَالُوا لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، مَتَى صِرْتَ هُنَا؟». ٢٥ 25
और झील के पार उससे मिलकर कहा, “ऐ रब्बी! तू यहाँ कब आया?”
أَجَابَهُمْ يَسُوعُ وَقَالَ: «ٱلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: أَنْتُمْ تَطْلُبُونَنِي لَيْسَ لِأَنَّكُمْ رَأَيْتُمْ آيَاتٍ، بَلْ لِأَنَّكُمْ أَكَلْتُمْ مِنَ ٱلْخُبْزِ فَشَبِعْتُمْ. ٢٦ 26
ईसा ने उनके जवाब में कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि तुम मुझे इसलिए नहीं ढूँडते कि मोजिज़े देखे, बल्कि इसलिए कि तुम रोटियाँ खाकर सेर हुए।
اِعْمَلُوا لَا لِلطَّعَامِ ٱلْبَائِدِ، بَلْ لِلطَّعَامِ ٱلْبَاقِي لِلْحَيَاةِ ٱلْأَبَدِيَّةِ ٱلَّذِي يُعْطِيكُمُ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ، لِأَنَّ هَذَا ٱللهُ ٱلْآبُ قَدْ خَتَمَهُ». (aiōnios g166) ٢٧ 27
फ़ानी ख़ुराक के लिए मेहनत न करो, बल्कि उस ख़ुराक के लिए जो हमेशा की ज़िन्दगी तक बाक़ी रहती है जिसे इब्न — ए — आदम तुम्हें देगा; क्यूँकि बाप या'नी ख़ुदा ने उसी पर मुहर की है।” (aiōnios g166)
فَقَالُوا لَهُ: «مَاذَا نَفْعَلُ حَتَّى نَعْمَلَ أَعْمَالَ ٱللهِ؟». ٢٨ 28
पस उन्होंने उससे कहा, “हम क्या करें ताकि ख़ुदा के काम अन्जाम दें?”
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «هَذَا هُوَ عَمَلُ ٱللهِ: أَنْ تُؤْمِنُوا بِٱلَّذِي هُوَ أَرْسَلَهُ». ٢٩ 29
ईसा ने जवाब में उनसे कहा, “ख़ुदा का काम ये है कि जिसे उसने भेजा है उस पर ईमान लाओ।”
فَقَالُوا لَهُ: «فَأَيَّةَ آيَةٍ تَصْنَعُ لِنَرَى وَنُؤْمِنَ بِكَ؟ مَاذَا تَعْمَلُ؟ ٣٠ 30
पस उन्होंने उससे कहा, “फिर तू कौन सा निशान दिखाता है, ताकि हम देखकर तेरा यक़ीन करें? तू कौन सा काम करता है?
آبَاؤُنَا أَكَلُوا ٱلْمَنَّ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ: أَنَّهُ أَعْطَاهُمْ خُبْزًا مِنَ ٱلسَّمَاءِ لِيَأْكُلُوا». ٣١ 31
हमारे बाप — दादा ने वीराने में मन्ना खाया, चुनाँचे लिखा है, 'उसने उन्हें खाने के लिए आसमान से रोटी दी।”
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «ٱلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَيْسَ مُوسَى أَعْطَاكُمُ ٱلْخُبْزَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ، بَلْ أَبِي يُعْطِيكُمُ ٱلْخُبْزَ ٱلْحَقِيقِيَّ مِنَ ٱلسَّمَاءِ، ٣٢ 32
ईसा ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि मूसा ने तो वो रोटी आसमान से तुम्हें न दी, लेकिन मेरा बाप तुम्हें आसमान से हक़ीक़ी रोटी देता है।
لِأَنَّ خُبْزَ ٱللهِ هُوَ ٱلنَّازِلُ مِنَ ٱلسَّمَاءِ ٱلْوَاهِبُ حَيَاةً لِلْعَالَمِ». ٣٣ 33
क्यूँकि ख़ुदा की रोटी वो है जो आसमान से उतरकर दुनियाँ को ज़िन्दगी बख़्शती है।“
فَقَالُوا لَهُ: «يَا سَيِّدُ، أَعْطِنَا فِي كُلِّ حِينٍ هَذَا ٱلْخُبْزَ». ٣٤ 34
उन्होंने उससे कहा, ऐ ख़ुदावन्द! ये रोटी हम को हमेशा दिया कर।”
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «أَنَا هُوَ خُبْزُ ٱلْحَيَاةِ. مَنْ يُقْبِلْ إِلَيَّ فَلَا يَجُوعُ، وَمَنْ يُؤْمِنْ بِي فَلَا يَعْطَشُ أَبَدًا. ٣٥ 35
ईसा ने उनसे कहा, “ज़िन्दगी की रोटी मैं हूँ; जो मेरे पास आए वो हरगिज़ भूखा न होगा, और जो मुझ पर ईमान लाए वो कभी प्यासा ना होगा।
وَلَكِنِّي قُلْتُ لَكُمْ: إِنَّكُمْ قَدْ رَأَيْتُمُونِي، وَلَسْتُمْ تُؤْمِنُونَ. ٣٦ 36
लेकिन मैंने तुम से कहा कि तुम ने मुझे देख लिया है फिर भी ईमान नहीं लाते।
كُلُّ مَا يُعْطِينِي ٱلْآبُ فَإِلَيَّ يُقْبِلُ، وَمَنْ يُقْبِلْ إِلَيَّ لَا أُخْرِجْهُ خَارِجًا. ٣٧ 37
जो कुछ बाप मुझे देता है मेरे पास आ जाएगा, और जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं हरगिज़ निकाल न दूँगा।
لِأَنِّي قَدْ نَزَلْتُ مِنَ ٱلسَّمَاءِ، لَيْسَ لِأَعْمَلَ مَشِيئَتِي، بَلْ مَشِيئَةَ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي. ٣٨ 38
क्यूँकि मैं आसमान से इसलिए नहीं उतरा हूँ कि अपनी मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ 'अमल करूँ, बल्कि इसलिए कि अपने भेजनेवाले की मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ 'अमल करूँ।
وَهَذِهِ مَشِيئَةُ ٱلْآبِ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي: أَنَّ كُلَّ مَا أَعْطَانِي لَا أُتْلِفُ مِنْهُ شَيْئًا، بَلْ أُقِيمُهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ. ٣٩ 39
और मेरे भेजनेवाले की मर्ज़ी ये है, कि जो कुछ उसने मुझे दिया है मैं उसमें से कुछ खो न दूँ, बल्कि उसे आख़िरी दिन फिर ज़िन्दा करूँ।
لِأَنَّ هَذِهِ هِيَ مَشِيئَةُ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي: أَنَّ كُلَّ مَنْ يَرَى ٱلِٱبْنَ وَيُؤْمِنُ بِهِ تَكُونُ لَهُ حَيَاةٌ أَبَدِيَّةٌ، وَأَنَا أُقِيمُهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ». (aiōnios g166) ٤٠ 40
क्यूँकि मेरे बाप की मर्ज़ी ये है, कि जो कोई बेटे को देखे और उस पर ईमान लाए, और हमेशा की ज़िन्दगी पाए और मैं उसे आख़िरी दिन फिर ज़िन्दा करूँ।” (aiōnios g166)
فَكَانَ ٱلْيَهُودُ يَتَذَمَّرُونَ عَلَيْهِ لِأَنَّهُ قَالَ: «أَنَا هُوَ ٱلْخُبْزُ ٱلَّذِي نَزَلَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ». ٤١ 41
पस यहूदी उस पर बुदबुदाने लगे, इसलिए कि उसने कहा, था, “जो रोटी आसमान से उतरी वो मैं हूँ।”
وَقَالُوا: «أَلَيْسَ هَذَا هُوَ يَسُوعَ بْنَ يُوسُفَ، ٱلَّذِي نَحْنُ عَارِفُونَ بِأَبِيهِ وَأُمِّهِ؟ فَكَيْفَ يَقُولُ هَذَا: إِنِّي نَزَلْتُ مِنَ ٱلسَّمَاءِ؟». ٤٢ 42
और उन्होंने कहा, क्या ये युसूफ़ का बेटा 'ईसा नहीं, जिसके बाप और माँ को हम जानते हैं? अब ये क्यूँकर कहता है कि “मैं आसमान से उतरा हूँ?”
فَأَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «لَا تَتَذَمَّرُوا فِيمَا بَيْنَكُمْ. ٤٣ 43
ईसा ने जवाब में उनसे कहा, “आपस में न बुदबदाओ।
لَا يَقْدِرُ أَحَدٌ أَنْ يُقْبِلَ إِلَيَّ إِنْ لَمْ يَجْتَذِبْهُ ٱلْآبُ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي، وَأَنَا أُقِيمُهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ. ٤٤ 44
कोई मेरे पास नहीं आ सकता जब तक कि बाप जिसने मुझे भेजा है उसे खींच न ले, और मैं उसे आख़िरी दिन फिर ज़िन्दा करूँगा।
إِنَّهُ مَكْتُوبٌ فِي ٱلْأَنْبِيَاءِ: وَيَكُونُ ٱلْجَمِيعُ مُتَعَلِّمِينَ مِنَ ٱللهِ. فَكُلُّ مَنْ سَمِعَ مِنَ ٱلْآبِ وَتَعَلَّمَ يُقْبِلُ إِلَيَّ. ٤٥ 45
नबियों के सहीफ़ों में ये लिखा है: 'वो सब ख़ुदा से ता'लीम पाए हुए लोग होंगे।' जिस किसी ने बाप से सुना और सीखा है वो मेरे पास आता है —
لَيْسَ أَنَّ أَحَدًا رَأَى ٱلْآبَ إِلَّا ٱلَّذِي مِنَ ٱللهِ. هَذَا قَدْ رَأَى ٱلْآبَ. ٤٦ 46
ये नहीं कि किसी ने बाप को देखा है, मगर जो ख़ुदा की तरफ़ से है उसी ने बाप को देखा है।
اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: مَنْ يُؤْمِنُ بِي فَلَهُ حَيَاةٌ أَبَدِيَّةٌ. (aiōnios g166) ٤٧ 47
मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो ईमान लाता है हमेशा की ज़िन्दगी उसकी है। (aiōnios g166)
أَنَا هُوَ خُبْزُ ٱلْحَيَاةِ. ٤٨ 48
ज़िन्दगी की रोटी मैं हूँ।
آبَاؤُكُمْ أَكَلُوا ٱلْمَنَّ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ وَمَاتُوا. ٤٩ 49
तुम्हारे बाप — दादा ने वीराने मैं मन्ना खाया और मर गए।
هَذَا هُوَ ٱلْخُبْزُ ٱلنَّازِلُ مِنَ ٱلسَّمَاءِ، لِكَيْ يَأْكُلَ مِنْهُ ٱلْإِنْسَانُ وَلَا يَمُوتَ. ٥٠ 50
ये वो रोटी है कि जो आसमान से उतरती है, ताकि आदमी उसमें से खाए और न मरे।
أَنَا هُوَ ٱلْخُبْزُ ٱلْحَيُّ ٱلَّذِي نَزَلَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ. إِنْ أَكَلَ أَحَدٌ مِنْ هَذَا ٱلْخُبْزِ يَحْيَا إِلَى ٱلْأَبَدِ. وَٱلْخُبْزُ ٱلَّذِي أَنَا أُعْطِي هُوَ جَسَدِي ٱلَّذِي أَبْذِلُهُ مِنْ أَجْلِ حَيَاةِ ٱلْعَالَمِ». (aiōn g165) ٥١ 51
मैं हूँ वो ज़िन्दगी की रोटी जो आसमान से उतरी। अगर कोई इस रोटी में से खाए तो हमेशा तक ज़िन्दा रहेगा, बल्कि जो रोटी मैं दुनियाँ की ज़िन्दगी के लिए दूँगा वो मेरा गोश्त है।” (aiōn g165)
فَخَاصَمَ ٱلْيَهُودُ بَعْضُهُمْ بَعْضًا قَائِلِينَ: «كَيْفَ يَقْدِرُ هَذَا أَنْ يُعْطِيَنَا جَسَدَهُ لِنَأْكُلَ؟». ٥٢ 52
पस यहूदी ये कहकर आपस में झगड़ने लगे, “ये शख़्स आपना गोश्त हमें क्यूँकर खाने को दे सकता है?”
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «ٱلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنْ لَمْ تَأْكُلُوا جَسَدَ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ وَتَشْرَبُوا دَمَهُ، فَلَيْسَ لَكُمْ حَيَاةٌ فِيكُمْ. ٥٣ 53
ईसा ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक तुम इब्न — ए — आदम का गोश्त न खाओ और उसका का ख़ून न पियो, तुम में ज़िन्दगी नहीं।
مَنْ يَأْكُلُ جَسَدِي وَيَشْرَبُ دَمِي فَلَهُ حَيَاةٌ أَبَدِيَّةٌ، وَأَنَا أُقِيمُهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ، (aiōnios g166) ٥٤ 54
जो मेरा गोश्त खाता और मेरा ख़ून पीता है, हमेशा की ज़िन्दगी उसकी है; और मैं उसे आख़िरी दिन फिर ज़िन्दा करूँगा। (aiōnios g166)
لِأَنَّ جَسَدِي مَأْكَلٌ حَقٌّ وَدَمِي مَشْرَبٌ حَقٌّ. ٥٥ 55
क्यूँकि मेरा गोश्त हक़ीक़त में खाने की चीज़ और मेरा ख़ून हक़ीक़त में पीनी की चीज़ है।
مَنْ يَأْكُلْ جَسَدِي وَيَشْرَبْ دَمِي يَثْبُتْ فِيَّ وَأَنَا فِيهِ. ٥٦ 56
जो मेरा गोश्त खाता और मेरा ख़ून पीता है, वो मुझ में क़ाईम रहता है और मैं उसमें।
كَمَا أَرْسَلَنِي ٱلْآبُ ٱلْحَيُّ، وَأَنَا حَيٌّ بِٱلْآبِ، فَمَنْ يَأْكُلْنِي فَهُوَ يَحْيَا بِي. ٥٧ 57
जिस तरह ज़िन्दा बाप ने मुझे भेजा, और मैं बाप के ज़रिए से ज़िन्दा हूँ, इसी तरह वो भी जो मुझे खाएगा मेरे ज़रिए से ज़िन्दा रहेगा।
هَذَا هُوَ ٱلْخُبْزُ ٱلَّذِي نَزَلَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ. لَيْسَ كَمَا أَكَلَ آبَاؤُكُمُ ٱلْمَنَّ وَمَاتُوا. مَنْ يَأْكُلْ هَذَا ٱلْخُبْزَ فَإِنَّهُ يَحْيَا إِلَى ٱلْأَبَدِ». (aiōn g165) ٥٨ 58
जो रोटी आसमान से उतरी यही है, बाप — दादा की तरह नहीं कि खाया और मर गए; जो ये रोटी खाएगा वो हमेशा तक ज़िन्दा रहेगा।” (aiōn g165)
قَالَ هَذَا فِي ٱلْمَجْمَعِ وَهُوَ يُعَلِّمُ فِي كَفْرِنَاحُومَ. ٥٩ 59
ये बातें उसने कफ़रनहूम के एक 'इबादतख़ाने में ता'लीम देते वक़्त कहीं।
فَقَالَ كَثِيرُونَ مِنْ تَلَامِيذِهِ، إِذْ سَمِعُوا: «إِنَّ هَذَا ٱلْكَلَامَ صَعْبٌ! مَنْ يَقْدِرُ أَنْ يَسْمَعَهُ؟». ٦٠ 60
इसलिए उसके शागिर्दों में से बहुतों ने सुनकर कहा, “ये कलाम नागवार है, इसे कौन सुन सकता है?”
فَعَلِمَ يَسُوعُ فِي نَفْسِهِ أَنَّ تَلَامِيذَهُ يَتَذَمَّرُونَ عَلَى هَذَا، فَقَالَ لَهُمْ: «أَهَذَا يُعْثِرُكُمْ؟ ٦١ 61
ईसा ने अपने जी में जानकर कि मेरे शागिर्द आपस में इस बात पर बुदबुदाते हैं, उनसे कहा, “क्या तुम इस बात से ठोकर खाते हो?
فَإِنْ رَأَيْتُمُ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ صَاعِدًا إِلَى حَيْثُ كَانَ أَوَّلًا! ٦٢ 62
अगर तुम इब्न — ए — आदम को ऊपर जाते देखोगे, जहाँ वो पहले था तो क्या होगा?
اَلرُّوحُ هُوَ ٱلَّذِي يُحْيِي. أَمَّا ٱلْجَسَدُ فَلَا يُفِيدُ شَيْئًا. اَلْكَلَامُ ٱلَّذِي أُكَلِّمُكُمْ بِهِ هُوَ رُوحٌ وَحَيَاةٌ، ٦٣ 63
ज़िन्दा करने वाली तो रूह है, जिस्म से कुछ फ़ाइदा नहीं; जो बातें मैंने तुम से कहीं हैं, वो रूह हैं और ज़िन्दगी भी हैं।
وَلَكِنْ مِنْكُمْ قَوْمٌ لَا يُؤْمِنُونَ». لِأَنَّ يَسُوعَ مِنَ ٱلْبَدْءِ عَلِمَ مَنْ هُمُ ٱلَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ، وَمَنْ هُوَ ٱلَّذِي يُسَلِّمُهُ. ٦٤ 64
मगर तुम में से कुछ ऐसे हैं जो ईमान नहीं लाए।” क्यूँकि ईसा शुरू' से जानता था कि जो ईमान नहीं लाते वो कौन हैं, और कौन मुझे पकड़वाएगा।
فَقَالَ: «لِهَذَا قُلْتُ لَكُمْ: إِنَّهُ لَا يَقْدِرُ أَحَدٌ أَنْ يَأْتِيَ إِلَيَّ إِنْ لَمْ يُعْطَ مِنْ أَبِي». ٦٥ 65
फिर उसने कहा, “इसी लिए मैंने तुम से कहा था कि मेरे पास कोई नहीं आ सकता जब तक बाप की तरफ़ से उसे ये तौफ़ीक़ न दी जाए।”
مِنْ هَذَا ٱلْوَقْتِ رَجَعَ كَثِيرُونَ مِنْ تَلَامِيذِهِ إِلَى ٱلْوَرَاءِ، وَلَمْ يَعُودُوا يَمْشُونَ مَعَهُ. ٦٦ 66
इस पर उसके शागिर्दों में से बहुत से लोग उल्टे फिर गए और इसके बाद उसके साथ न रहे।
فَقَالَ يَسُوعُ لِلِٱثْنَيْ عَشَرَ: «أَلَعَلَّكُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا تُرِيدُونَ أَنْ تَمْضُوا؟». ٦٧ 67
पस ईसा ने उन बारह से कहा, “क्या तुम भी चले जाना चाहते हो?”
فَأَجَابَهُ سِمْعَانُ بُطْرُسُ: «يَارَبُّ، إِلَى مَنْ نَذْهَبُ؟ كَلَامُ ٱلْحَيَاةِ ٱلْأَبَدِيَّةِ عِنْدَكَ، (aiōnios g166) ٦٨ 68
शमौन पतरस ने उसे जवाब दिया, “ऐ ख़ुदावन्द! हम किसके पास जाएँ? हमेशा की ज़िन्दगी की बातें तो तेरे ही पास हैं? (aiōnios g166)
وَنَحْنُ قَدْ آمَنَّا وَعَرَفْنَا أَنَّكَ أَنْتَ ٱلْمَسِيحُ ٱبْنُ ٱللهِ ٱلْحَيِّ». ٦٩ 69
और हम ईमान लाए और जान गए हैं कि, ख़ुदा का क़ुद्दूस तू ही है।”
أَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «أَلَيْسَ أَنِّي أَنَا ٱخْتَرْتُكُمْ، ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ؟ وَوَاحِدٌ مِنْكُمْ شَيْطَانٌ!». ٧٠ 70
ईसा ने उन्हें जवाब दिया, “क्या मैंने तुम बारह को नहीं चुन लिया? और तुम में से एक शख़्स शैतान है।”
قَالَ عَنْ يَهُوذَا سِمْعَانَ ٱلْإِسْخَرْيُوطِيِّ، لِأَنَّ هَذَا كَانَ مُزْمِعًا أَنْ يُسَلِّمَهُ، وَهُوَ وَاحِدٌ مِنَ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ. ٧١ 71
उसने ये शमौन इस्करियोती के बेटे यहुदाह की निस्बत कहा, क्यूँकि यही जो उन बारह में से था उसे पकड़वाने को था।

< يوحنَّا 6 >