< يوحنَّا 4 >
فَلَمَّا عَلِمَ ٱلرَّبُّ أَنَّ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ سَمِعُوا أَنَّ يَسُوعَ يُصَيِّرُ وَيُعَمِّدُ تَلَامِيذَ أَكْثَرَ مِنْ يُوحَنَّا، | ١ 1 |
फिर जब ख़ुदावन्द को मा'लूम हुआ, कि फ़रीसियों ने सुना है कि ईसा युहन्ना से ज़्यादा शागिर्द बनाता है और बपतिस्मा देता है,
مَعَ أَنَّ يَسُوعَ نَفْسَهُ لَمْ يَكُنْ يُعَمِّدُ بَلْ تَلَامِيذُهُ، | ٢ 2 |
(अगरचे ईसा आप नहीं बल्कि उसके शागिर्द बपतिस्मा देते थे),
تَرَكَ ٱلْيَهُودِيَّةَ وَمَضَى أَيْضًا إِلَى ٱلْجَلِيلِ. | ٣ 3 |
तो वो यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला गया।
وَكَانَ لَا بُدَّ لَهُ أَنْ يَجْتَازَ ٱلسَّامِرَةَ. | ٤ 4 |
और उसको सामरिया से होकर जाना ज़रूर था।
فَأَتَى إِلَى مَدِينَةٍ مِنَ ٱلسَّامِرَةِ يُقَالُ لَهَا سُوخَارُ، بِقُرْبِ ٱلضَّيْعَةِ ٱلَّتِي وَهَبَهَا يَعْقُوبُ لِيُوسُفَ ٱبْنِهِ. | ٥ 5 |
पस वो सामरिया के एक शहर तक आया जो सूख़ार कहलाता है, वो उस कितै के नज़दीक है जो याक़ूब ने अपने बेटे यूसुफ़ को दिया था;
وَكَانَتْ هُنَاكَ بِئْرُ يَعْقُوبَ. فَإِذْ كَانَ يَسُوعُ قَدْ تَعِبَ مِنَ ٱلسَّفَرِ، جَلَسَ هَكَذَا عَلَى ٱلْبِئْرِ، وَكَانَ نَحْوَ ٱلسَّاعَةِ ٱلسَّادِسَةِ. | ٦ 6 |
और याक़ूब का कुआँ वहीं था। चुनाँचे ईसा सफ़र से थका — माँदा होकर उस कुँए पर यूँ ही बैठ गया। ये छठे घंटे के क़रीब था।
فَجَاءَتِ ٱمْرَأَةٌ مِنَ ٱلسَّامِرَةِ لِتَسْتَقِيَ مَاءً، فَقَالَ لَهَا يَسُوعُ: «أَعْطِينِي لِأَشْرَبَ». | ٧ 7 |
सामरिया की एक 'औरत पानी भरने आई। ईसा ने उससे कहा, “मुझे पानी पिला”
لِأَنَّ تَلَامِيذَهُ كَانُوا قَدْ مَضَوْا إِلَى ٱلْمَدِينَةِ لِيَبْتَاعُوا طَعَامًا. | ٨ 8 |
क्यूँकि उसके शागिर्द शहर में खाना ख़रीदने को गए थे।
فَقَالَتْ لَهُ ٱلْمَرْأَةُ ٱلسَّامِرِيَّةُ: «كَيْفَ تَطْلُبُ مِنِّي لِتَشْرَبَ، وَأَنْتَ يَهُودِيٌّ وَأَنَا ٱمْرَأَةٌ سَامِرِيَّةٌ؟». لِأَنَّ ٱلْيَهُودَ لَا يُعَامِلُونَ ٱلسَّامِرِيِّينَ. | ٩ 9 |
उस सामरी 'औरत ने उससे कहा, “तू यहूदी होकर मुझ सामरी 'औरत से पानी क्यूँ माँगता है?” (क्यूँकि यहूदी सामरियों से किसी तरह का बर्ताव नहीं रखते।)
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهاَ: «لَوْ كُنْتِ تَعْلَمِينَ عَطِيَّةَ ٱللهِ، وَمَنْ هُوَ ٱلَّذِي يَقُولُ لَكِ أَعْطِينِي لِأَشْرَبَ، لَطَلَبْتِ أَنْتِ مِنْهُ فَأَعْطَاكِ مَاءً حَيًّا». | ١٠ 10 |
ईसा ने जवाब में उससे कहा, “अगर तू ख़ुदा की बख़्शिश को जानती, और ये भी जानती कि वो कौन है जो तुझ से कहता है, 'मुझे पानी पिला, 'तो तू उससे माँगती और वो तुझे ज़िन्दगी का पानी देता।”
قَالَتْ لَهُ ٱلْمَرْأَةُ: «يَا سَيِّدُ، لَا دَلْوَ لَكَ وَٱلْبِئْرُ عَمِيقَةٌ. فَمِنْ أَيْنَ لَكَ ٱلْمَاءُ ٱلْحَيُّ؟ | ١١ 11 |
'औरत ने उससे कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! तेरे पास पानी भरने को तो कुछ है नहीं और कुआँ गहरा है, फिर वो ज़िन्दगी का पानी तेरे पास कहाँ से आया?
أَلَعَلَّكَ أَعْظَمُ مِنْ أَبِينَا يَعْقُوبَ، ٱلَّذِي أَعْطَانَا ٱلْبِئْرَ، وَشَرِبَ مِنْهَا هُوَ وَبَنُوهُ وَمَوَاشِيهِ؟». | ١٢ 12 |
क्या तू हमारे बाप याक़ूब से बड़ा है जिसने हम को ये कुआँ दिया, और ख़ुद उसने और उसके बेटों ने और उसके जानवरों ने उसमें से पिया?”
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهاَ: «كُلُّ مَنْ يَشْرَبُ مِنْ هَذَا ٱلْمَاءِ يَعْطَشُ أَيْضًا. | ١٣ 13 |
ईसा ने जवाब में उससे कहा, “जो कोई इस पानी में से पीता है वो फिर प्यासा होगा,
وَلَكِنْ مَنْ يَشْرَبُ مِنَ ٱلْمَاءِ ٱلَّذِي أُعْطِيهِ أَنَا فَلَنْ يَعْطَشَ إِلَى ٱلْأَبَدِ، بَلِ ٱلْمَاءُ ٱلَّذِي أُعْطِيهِ يَصِيرُ فِيهِ يَنْبُوعَ مَاءٍ يَنْبَعُ إِلَى حَيَاةٍ أَبَدِيَّةٍ». (aiōn , aiōnios ) | ١٤ 14 |
मगर जो कोई उस पानी में से पिएगा जो मैं उसे दूँगा, वो अबद तक प्यासा न होगा! बल्कि जो पानी मैं उसे दूँगा, वो उसमें एक चश्मा बन जाएगा जो हमेशा की ज़िन्दगी के लिए जारी रहेगा।” (aiōn , aiōnios )
قَالَتْ لَهُ ٱلْمَرْأَةُ: «يَا سَيِّدُ، أَعْطِنِي هَذَا ٱلْمَاءَ، لِكَيْ لَا أَعْطَشَ وَلَا آتِيَ إِلَى هُنَا لِأَسْتَقِيَ». | ١٥ 15 |
औरत ने उस से कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! वो पानी मुझ को दे ताकि मैं न प्यासी हूँ, न पानी भरने को यहाँ तक आऊँ।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «ٱذْهَبِي وَٱدْعِي زَوْجَكِ وَتَعَالَيْ إِلَى هَهُنَا». | ١٦ 16 |
ईसा ने उससे कहा, “जा, अपने शौहर को यहाँ बुला ला।”
أَجَابَتِ ٱلْمَرْأَةُ وَقَالتْ: «لَيْسَ لِي زَوْجٌ». قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «حَسَنًا قُلْتِ: لَيْسَ لِي زَوْجٌ، | ١٧ 17 |
'औरत ने जवाब में उससे कहा, “मैं बे शौहर हूँ।” ईसा ने उससे कहा, “तुने ख़ूब कहा, 'मैं बे शौहर हूँ,
لِأَنَّهُ كَانَ لَكِ خَمْسَةُ أَزْوَاجٍ، وَٱلَّذِي لَكِ ٱلْآنَ لَيْسَ هُوَ زَوْجَكِ. هَذَا قُلْتِ بِٱلصِّدْقِ». | ١٨ 18 |
क्यूँकि तू पाँच शौहर कर चुकी है, और जिसके पास तू अब है वो तेरा शौहर नहीं; ये तूने सच कहा।”
قَالَتْ لَهُ ٱلْمَرْأَةُ: «يَا سَيِّدُ، أَرَى أَنَّكَ نَبِيٌّ! | ١٩ 19 |
औरत ने उससे कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! मुझे मालूम होता है कि तू नबी है।
آبَاؤُنَا سَجَدُوا فِي هَذَا ٱلْجَبَلِ، وَأَنْتُمْ تَقُولُونَ إِنَّ فِي أُورُشَلِيمَ ٱلْمَوْضِعَ ٱلَّذِي يَنْبَغِي أَنْ يُسْجَدَ فِيهِ». | ٢٠ 20 |
हमारे बाप — दादा ने इस पहाड़ पर इबादत की, और तुम कहते हो कि वो जगह जहाँ पर इबादत करना चाहिए येरूशलेम में है।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «يَا ٱمْرَأَةُ، صَدِّقِينِي أَنَّهُ تَأْتِي سَاعَةٌ، لَا فِي هَذَا ٱلْجَبَلِ، وَلَا فِي أُورُشَلِيمَ تَسْجُدُونَ لِلْآبِ. | ٢١ 21 |
ईसा ने उससे कहा, “ऐ बहन, मेरी बात का यक़ीन कर, कि वो वक़्त आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर बाप की इबादत करोगे और न येरूशलेम में।
أَنْتُمْ تَسْجُدُونَ لِمَا لَسْتُمْ تَعْلَمُونَ، أَمَّا نَحْنُ فَنَسْجُدُ لِمَا نَعْلَمُ. لِأَنَّ ٱلْخَلَاصَ هُوَ مِنَ ٱلْيَهُودِ. | ٢٢ 22 |
तुम जिसे नहीं जानते उसकी इबादत करते हो; और हम जिसे जानते हैं उसकी इबादत करते हैं; क्यूँकि नजात यहुदियों में से है।
وَلَكِنْ تَأْتِي سَاعَةٌ، وَهِيَ ٱلْآنَ، حِينَ ٱلسَّاجِدُونَ ٱلْحَقِيقِيُّونَ يَسْجُدُونَ لِلْآبِ بِٱلرُّوحِ وَٱلْحَقِّ، لِأَنَّ ٱلْآبَ طَالِبٌ مِثْلَ هَؤُلَاءِ ٱلسَّاجِدِينَ لَهُ. | ٢٣ 23 |
मगर वो वक़्त आता है बल्कि अब ही है, कि सच्चे इबादतघर ख़ुदा बाप की इबादत रूह और सच्चाई से करेंगे, क्यूँकि ख़ुदा बाप अपने लिए ऐसे ही इबादतघर ढूँडता है।
ٱللهُ رُوحٌ. وَٱلَّذِينَ يَسْجُدُونَ لَهُ فَبِالرُّوحِ وَٱلْحَقِّ يَنْبَغِي أَنْ يَسْجُدُوا». | ٢٤ 24 |
ख़ुदा रूह है, और ज़रूर है कि उसके इबादतघर रूह और सच्चाई से इबादत करें।”
قَالَتْ لَهُ ٱلْمَرْأَةُ: «أَنَا أَعْلَمُ أَنَّ مَسِيَّا، ٱلَّذِي يُقَالُ لَهُ ٱلْمَسِيحُ، يَأْتِي. فَمَتَى جَاءَ ذَاكَ يُخْبِرُنَا بِكُلِّ شَيْءٍ». | ٢٥ 25 |
'औरत ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ कि मसीह जो ख़्रिस्तुस कहलाता है आने वाला है, जब वो आएगा तो हमें सब बातें बता देगा।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «أَنَا ٱلَّذِي أُكَلِّمُكِ هُوَ». | ٢٦ 26 |
ईसा ने उससे कहा, “मैं जो तुझ से बोल रहा हूँ, वही हूँ।”
وَعِنْدَ ذَلِكَ جَاءَ تَلَامِيذُهُ، وَكَانُوا يَتَعَجَّبُونَ أَنَّهُ يَتَكَلَّمُ مَعَ ٱمْرَأَةٍ. وَلَكِنْ لَمْ يَقُلْ أَحَدٌ: «مَاذَا تَطْلُبُ؟» أَوْ «لِمَاذَا تَتَكَلَّمُ مَعَهَا؟». | ٢٧ 27 |
इतने में उसके शागिर्द आ गए और ताअ'ज्जुब करने लगे कि वो 'औरत से बातें कर रहा है, तोभी किसी ने न कहा, “तू क्या चाहता है?” या, “उससे किस लिए बातें करता है।”
فَتَرَكَتِ ٱلْمَرْأَةُ جَرَّتَهَا وَمَضَتْ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ وَقَالَتْ لِلنَّاسِ: | ٢٨ 28 |
पस 'औरत अपना घड़ा छोड़कर शहर में चली गई और लोगों से कहने लगी,
«هَلُمُّوا ٱنْظُرُوا إِنْسَانًا قَالَ لِي كُلَّ مَا فَعَلْتُ. أَلَعَلَّ هَذَا هُوَ ٱلْمَسِيحُ؟». | ٢٩ 29 |
“आओ, एक आदमी को देखो, जिसने मेरे सब काम मुझे बता दिए। क्या मुम्किन है कि मसीह यही है?”
فَخَرَجُوا مِنَ ٱلْمَدِينَةِ وَأَتَوْا إِلَيْهِ. | ٣٠ 30 |
वो शहर से निकल कर उसके पास आने लगे।
وَفِي أَثْنَاءِ ذَلِكَ سَأَلَهُ تَلَامِيذُهُ قَائِلِينَ: «يَا مُعَلِّمُ، كُلْ». | ٣١ 31 |
इतने में उसके शागिर्द उससे ये दरख़्वास्त करने लगे, “ऐ रब्बी! कुछ खा ले।”
فَقَالَ لَهُمْ: «أَنَا لِي طَعَامٌ لِآكُلَ لَسْتُمْ تَعْرِفُونَهُ أَنْتُمْ». | ٣٢ 32 |
लेकिन उसने कहा, “मेरे पास खाने के लिए ऐसा खाना है जिसे तुम नहीं जानते।”
فَقَالَ ٱلتَّلَامِيذُ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «أَلَعَلَّ أَحَدًا أَتَاهُ بِشَيْءٍ لِيَأْكُلَ؟» | ٣٣ 33 |
पस शागिर्दों ने आपस में कहा, “क्या कोई उसके लिए कुछ खाने को लाया है?”
قَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «طَعَامِي أَنْ أَعْمَلَ مَشِيئَةَ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي وَأُتَمِّمَ عَمَلَهُ. | ٣٤ 34 |
ईसा ने उनसे कहा, “मेरा खाना, ये है, कि अपने भेजनेवाले की मर्ज़ी के मुताबिक़ 'अमल करूँ और उसका काम पूरा करूँ।।
أَمَا تَقُولُونَ: إِنَّهُ يَكُونُ أَرْبَعَةُ أَشْهُرٍ ثُمَّ يَأْتِي ٱلْحَصَادُ؟ هَا أَنَا أَقُولُ لَكُمُ: ٱرْفَعُوا أَعْيُنَكُمْ وَٱنْظُرُوا ٱلْحُقُولَ إِنَّهَا قَدِ ٱبْيَضَّتْ لِلْحَصَادِ. | ٣٥ 35 |
क्या तुम कहते नहीं, 'फ़सल के आने में अभी चार महीने बाक़ी हैं'? देखो, मैं तुम से कहता हूँ, अपनी आँखें उठाकर खेतों पर नज़र करो कि फ़सल पक गई है।
وَٱلْحَاصِدُ يَأْخُذُ أُجْرَةً وَيَجْمَعُ ثَمَرًا لِلْحَيَاةِ ٱلْأَبَدِيَّةِ، لِكَيْ يَفْرَحَ ٱلزَّارِعُ وَٱلْحَاصِدُ مَعًا. (aiōnios ) | ٣٦ 36 |
और काटनेवाला मज़दूरी पाता और हमेशा की ज़िन्दगी के लिए फल जमा करता है, ताकि बोनेवाला और काटनेवाला दोनों मिलकर ख़ुशी करें। (aiōnios )
لِأَنَّهُ فِي هَذَا يَصْدُقُ ٱلْقَوْلُ: إِنَّ وَاحِدًا يَزْرَعُ وَآخَرَ يَحْصُدُ. | ٣٧ 37 |
क्यूँकि इस पर ये मिसाल ठीक आती है, 'बोनेवाला और काटनेवाला और।'
أَنَا أَرْسَلْتُكُمْ لِتَحْصُدُوا مَا لَمْ تَتْعَبُوا فِيهِ. آخَرُونَ تَعِبُوا وَأَنْتُمْ قَدْ دَخَلْتُمْ عَلَى تَعَبِهِمْ». | ٣٨ 38 |
मैंने तुम्हें वो खेत काटने के लिए भेजा जिस पर तुम ने मेहनत नहीं की, औरों ने मेहनत की और तुम उनकी मेहनत के फल में शरीक हुए।”
فَآمَنَ بِهِ مِنْ تِلْكَ ٱلْمَدِينَةِ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلسَّامِرِيِّينَ بِسَبَبِ كَلَامِ ٱلْمَرْأَةِ ٱلَّتِي كَانَتْ تَشْهَدُ أَنَّهُ: «قَالَ لِي كُلَّ مَا فَعَلْتُ». | ٣٩ 39 |
और उस शहर के बहुत से सामरी उस 'औरत के कहने से, जिसने गवाही दी, उसने मेरे सब काम मुझे बता दिए, उस पर ईमान लाए।
فَلَمَّا جَاءَ إِلَيْهِ ٱلسَّامِرِيُّونَ سَأَلُوهُ أَنْ يَمْكُثَ عِنْدَهُمْ، فَمَكَثَ هُنَاكَ يَوْمَيْنِ. | ٤٠ 40 |
पस जब वो सामरी उसके पास आए, तो उससे दरख़्वास्त करने लगे कि हमारे पास रह। चुनाँचे वो दो रोज़ वहाँ रहा।
فَآمَنَ بِهِ أَكْثَرُ جِدًّا بِسَبَبِ كَلَامِهِ. | ٤١ 41 |
और उसके कलाम के ज़रिए से और भी बहुत सारे ईमान लाए
وَقَالُوا لِلْمَرْأَةِ: «إِنَّنَا لَسْنَا بَعْدُ بِسَبَبِ كَلَامِكِ نُؤْمِنُ، لِأَنَّنَا نَحْنُ قَدْ سَمِعْنَا وَنَعْلَمُ أَنَّ هَذَا هُوَ بِٱلْحَقِيقَةِ ٱلْمَسِيحُ مُخَلِّصُ ٱلْعَالَمِ». | ٤٢ 42 |
और उस औरत से कहा “अब हम तेरे कहने ही से ईमान नहीं लाते क्यूँकि हम ने ख़ुद सुन लिया और जानते हैं कि ये हक़ीक़त में दुनियाँ का मुन्जी है।”
وَبَعْدَ ٱلْيَوْمَيْنِ خَرَجَ مِنْ هُنَاكَ وَمَضَى إِلَى ٱلْجَلِيلِ، | ٤٣ 43 |
फिर उन दो दिनों के बाद वो वहाँ से होकर गलील को गया।
لِأَنَّ يَسُوعَ نَفْسَهُ شَهِدَ أَنْ: «لَيْسَ لِنَبِيٍّ كَرَامَةٌ فِي وَطَنِهِ». | ٤٤ 44 |
क्यूँकि ईसा ने ख़ुद गवाही दी कि नबी अपने वतन में इज़्ज़त नहीं पाता।
فَلَمَّا جَاءَ إِلَى ٱلْجَلِيلِ قَبِلَهُ ٱلْجَلِيلِيُّونَ، إِذْ كَانُوا قَدْ عَايَنُوا كُلَّ مَا فَعَلَ فِي أُورُشَلِيمَ فِي ٱلْعِيدِ، لِأَنَّهُمْ هُمْ أَيْضًا جَاءُوا إِلَى ٱلْعِيدِ. | ٤٥ 45 |
पस जब वो गलील में आया तो ग़लतियों ने उसे क़ुबूल किया, इसलिए कि जितने काम उसने येरूशलेम में 'ईद के वक़्त किए थे, उन्होंने उनको देखा था क्यूँकि वो भी 'ईद में गए थे।
فَجَاءَ يَسُوعُ أَيْضًا إِلَى قَانَا ٱلْجَلِيلِ، حَيْثُ صَنَعَ ٱلْمَاءَ خَمْرًا. وَكَانَ خَادِمٌ لِلْمَلِكِ ٱبْنُهُ مَرِيضٌ فِي كَفْرِنَاحُومَ. | ٤٦ 46 |
पस फिर वो क़ाना — ए — गलील में आया, जहाँ उसने पानी को मय बनाया था, और बादशाह का एक मुलाज़िम था जिसका बेटा कफ़रनहूम में बीमार था।
هَذَا إِذْ سَمِعَ أَنَّ يَسُوعَ قَدْ جَاءَ مِنَ ٱلْيَهُودِيَّةِ إِلَى ٱلْجَلِيلِ، ٱنْطَلَقَ إِلَيْهِ وَسَأَلَهُ أَنْ يَنْزِلَ وَيَشْفِيَ ٱبْنَهُ لِأَنَّهُ كَانَ مُشْرِفًا عَلَى ٱلْمَوْتِ. | ٤٧ 47 |
वो ये सुनकर कि ईसा यहूदिया से गलील में आ गया है, उसके पास गया और उससे दरख़्वास्त करने लगा, कि चल कर मेरे बेटे को शिफ़ा बख़्श क्यूँकि वो मरने को था।
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «لَا تُؤْمِنُونَ إِنْ لَمْ تَرَوْا آيَاتٍ وَعَجَائِبَ». | ٤٨ 48 |
ईसा ने उससे कहा, “जब तक तुम निशान और 'अजीब काम न देखो, हरगिज़ ईमान न लाओगे।”
قَالَ لَهُ خَادِمُ ٱلْمَلِكِ: «يَا سَيِّدُ، ٱنْزِلْ قَبْلَ أَنْ يَمُوتَ ٱبْنِي». | ٤٩ 49 |
बादशाह के मुलाज़िम ने उससे कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! मेरे बच्चे के मरने से पहले चल।”
قَالَ لَهُ يَسُوعُ: «ٱذْهَبْ. اِبْنُكَ حَيٌّ». فَآمَنَ ٱلرَّجُلُ بِٱلْكَلِمَةِ ٱلَّتِي قَالَهَا لَهُ يَسُوعُ، وَذَهَبَ. | ٥٠ 50 |
ईसा ने उससे कहा, “जा; तेरा बेटा ज़िन्दा है।” उस शख़्स ने उस बात का यक़ीन किया जो ईसा ने उससे कही और चला गया।
وَفِيمَا هُوَ نَازِلٌ ٱسْتَقْبَلَهُ عَبِيدُهُ وَأَخْبَرُوهُ قَائِلِينَ: «إِنَّ ٱبْنَكَ حَيٌّ». | ٥١ 51 |
वो रास्ते ही में था कि उसके नौकर उसे मिले और कहने लगे, “तेरा बेटा ज़िन्दा है।”
فَٱسْتَخْبَرَهُمْ عَنِ ٱلسَّاعَةِ ٱلَّتِي فِيهَا أَخَذَ يَتَعَافَى، فَقَالُوا لَهُ: «أَمْسِ فِي ٱلسَّاعَةِ ٱلسَّابِعَةِ تَرَكَتْهُ ٱلْحُمَّى». | ٥٢ 52 |
उसने उनसे पूछा, “उसे किस वक़्त से आराम होने लगा था?” उन्होंने कहा, “कल एक बजे उसका बुख़ार उतर गया।”
فَفَهِمَ ٱلْأَبُ أَنَّهُ فِي تِلْكَ ٱلسَّاعَةِ ٱلَّتِي قَالَ لَهُ فِيهَا يَسُوعُ: «إِنَّ ٱبْنَكَ حَيٌّ». فَآمَنَ هُوَ وَبَيْتُهُ كُلُّهُ. | ٥٣ 53 |
पस बाप जान गया कि वही वक़्त था जब ईसा ने उससे कहा, “तेरा बेटा ज़िन्दा है।” और वो ख़ुद और उसका सारा घराना ईमान लाया।
هَذِهِ أَيْضًا آيَةٌ ثَانِيَةٌ صَنَعَهَا يَسُوعُ لَمَّا جَاءَ مِنَ ٱلْيَهُودِيَّةِ إِلَى ٱلْجَلِيلِ. | ٥٤ 54 |
ये दूसरा करिश्मा है जो ईसा ने यहूदिया से गलील में आकर दिखाया।