< يوحنَّا 19 >
فَحِينَئِذٍ أَخَذَ بِيلَاطُسُ يَسُوعَ وَجَلَدَهُ. | ١ 1 |
फिर पिलातुस ने ईसा को कोड़े लगवाए।
وَضَفَرَ ٱلْعَسْكَرُ إِكْلِيلًا مِنْ شَوْكٍ وَوَضَعُوهُ عَلَى رَأْسِهِ، وَأَلْبَسُوهُ ثَوْبَ أُرْجُوَانٍ، | ٢ 2 |
फ़ौजियों ने काँटेदार टहनियों का एक ताज बना कर उस के सर पर रख दिया। उन्हों ने उसे इर्ग़वानी रंग का चोग़ा भी पहनाया।
وَكَانُوا يَقُولُونَ: «ٱلسَّلَامُ يَا مَلِكَ ٱلْيَهُودِ!». وَكَانُوا يَلْطِمُونَهُ. | ٣ 3 |
फिर उस के सामने आ कर वह कहते, “ऐ यहूदियों के बादशाह, आदाब!” और उसे थप्पड़ मारते थे।
فَخَرَجَ بِيلَاطُسُ أَيْضًا خَارِجًا وَقَالَ لَهُمْ: «هَا أَنَا أُخْرِجُهُ إِلَيْكُمْ لِتَعْلَمُوا أَنِّي لَسْتُ أَجِدُ فِيهِ عِلَّةً وَاحِدَةً». | ٤ 4 |
एक बार फिर पिलातुस निकल आया और यहूदियों से बात करने लगा, “देखो, मैं इसे तुम्हारे पास बाहर ला रहा हूँ ताकि तुम जान लो कि मुझे इसे मुजरिम ठहराने की कोई वजह नहीं मिली।”
فَخَرَجَ يَسُوعُ خَارِجًا وَهُوَ حَامِلٌ إِكْلِيلَ ٱلشَّوْكِ وَثَوْبَ ٱلْأُرْجُوانِ. فَقَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «هُوَذَا ٱلْإِنْسَانُ!». | ٥ 5 |
फिर ईसा काँटेदार ताज और इर्ग़वानी रंग का लिबास पहने बाहर आया। पिलातुस ने उन से कहा, “लो यह है वह आदमी।”
فَلَمَّا رَآهُ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْخُدَّامُ صَرَخُوا قَائِلِينَ: «ٱصْلِبْهُ! ٱصْلِبْهُ!». قَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «خُذُوهُ أَنْتُمْ وَٱصْلِبُوهُ، لِأَنِّي لَسْتُ أَجِدُ فِيهِ عِلَّةً». | ٦ 6 |
उसे देखते ही राहनुमा इमाम और उन के मुलाज़िम चीख़ने लगे, “इसे मस्लूब करें, इसे मस्लूब करें!”
أَجَابَهُ ٱلْيَهُودُ: «لَنَا نَامُوسٌ، وَحَسَبَ نَامُوسِنَا يَجِبُ أَنْ يَمُوتَ، لِأَنَّهُ جَعَلَ نَفْسَهُ ٱبْنَ ٱللهِ». | ٧ 7 |
यहूदियों ने इसरार किया, “हमारे पास शरी'अत है और इस शरी'अत के मुताबिक़ लाज़िम है कि वह मारा जाए। क्यूँकि इस ने अपने आप को ख़ुदा का फ़र्ज़न्द क़रार दिया है।”
فَلَمَّا سَمِعَ بِيلَاطُسُ هَذَا ٱلْقَوْلَ ٱزْدَادَ خَوْفًا. | ٨ 8 |
यह सुन कर पिलातुस बहुत डर गया।
فَدَخَلَ أَيْضًا إِلَى دَارِ ٱلْوِلَايَةِ وَقَالَ لِيَسُوعَ: «مِنْ أَيْنَ أَنْتَ؟». وَأَمَّا يَسُوعُ فَلَمْ يُعْطِهِ جَوَابًا. | ٩ 9 |
दुबारा महल में जा कर ईसा से पूछा, “तुम कहाँ से आए हो?”
فَقَالَ لَهُ بِيلَاطُسُ: «أَمَا تُكَلِّمُنِي؟ أَلَسْتَ تَعْلَمُ أَنَّ لِي سُلْطَانًا أَنْ أَصْلِبَكَ وَسُلْطَانًا أَنْ أُطْلِقَكَ؟». | ١٠ 10 |
पिलातुस ने उस से कहा, “अच्छा, तुम मेरे साथ बात नहीं करते? क्या तुम्हें मालूम नहीं कि मुझे तुम्हें रिहा करने और मस्लूब करने का इख़्तियार है?”
أَجَابَ يَسُوعُ: «لَمْ يَكُنْ لَكَ عَلَيَّ سُلْطَانٌ ٱلْبَتَّةَ، لَوْ لَمْ تَكُنْ قَدْ أُعْطِيتَ مِنْ فَوْقُ. لِذَلِكَ ٱلَّذِي أَسْلَمَنِي إِلَيْكَ لَهُ خَطِيَّةٌ أَعْظَمُ». | ١١ 11 |
ईसा ने जवाब दिया, “आप को मुझ पर इख़्तियार न होता अगर वह आप को ऊपर से न दिया गया होता। इस वजह से उस शख़्स से ज़्यादा संगीन गुनाह हुआ है जिस ने मुझे दुश्मन के हवाले कर दिया है।”
مِنْ هَذَا ٱلْوَقْتِ كَانَ بِيلَاطُسُ يَطْلُبُ أَنْ يُطْلِقَهُ، وَلَكِنَّ ٱلْيَهُودَ كَانُوا يَصْرُخُونَ قَائِلِينَ: «إِنْ أَطْلَقْتَ هَذَا فَلَسْتَ مُحِبًّا لِقَيْصَرَ. كُلُّ مَنْ يَجْعَلُ نَفْسَهُ مَلِكًا يُقَاوِمُ قَيْصَرَ!». | ١٢ 12 |
इस के बाद पिलातुस ने उसे छोड़ने की कोशिश की। लेकिन यहूदी चीख़ चीख़ कर कहने लगे, “अगर आप इसे रिहा करें तो आप रोमी शहन्शाह क़ैसर के दोस्त साबित नहीं होंगे। जो भी बादशाह होने का दावा करे वह क़ैसर की मुख़ालिफ़त करता है।”
فَلَمَّا سَمِعَ بِيلَاطُسُ هَذَا ٱلْقَوْلَ أَخْرَجَ يَسُوعَ، وَجَلَسَ عَلَى كُرْسِيِّ ٱلْوِلَايَةِ فِي مَوْضِعٍ يُقَالُ لَهُ «ٱلْبَلَاطُ» وَبِالْعِبْرَانِيَّةِ «جَبَّاثَا». | ١٣ 13 |
इस तरह की बातें सुन कर पिलातुस ईसा को बाहर ले आया। फिर वह इंसाफ़ की कुर्सी पर बैठ गया। उस जगह का नाम “पच्चीकारी” था। (अरामी ज़बान में वह गब्बता कहलाती थी)।
وَكَانَ ٱسْتِعْدَادُ ٱلْفِصْحِ، وَنَحْوَ ٱلسَّاعَةِ ٱلسَّادِسَةِ. فَقَالَ لِلْيَهُودِ: «هُوَذَا مَلِكُكُمْ!». | ١٤ 14 |
अब दोपहर के तक़रीबन बारह बज गए थे। उस दिन ईद के लिए तैयारियाँ की जाती थीं, क्यूँकि अगले दिन ईद का आग़ाज़ था। पिलातुस बोल “उठा, लो, तुम्हारा बादशाह!”
فَصَرَخُوا: «خُذْهُ! خُذْهُ! ٱصْلِبْهُ!». قَالَ لَهُمْ بِيلَاطُسُ: «أَأَصْلِبُ مَلِكَكُمْ؟». أَجَابَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ: «لَيْسَ لَنَا مَلِكٌ إِلَّا قَيْصَرَ!». | ١٥ 15 |
लेकिन वह चिल्लाते रहे, “ले जाएँ इसे, ले जाएँ! इसे मस्लूब करें!” पीलातुस ने सवाल किया, “क्या मैं तुम्हारे बादशाह को सलीब पर चढ़ाऊँ?” राहनुमा इमामों ने जवाब दिया, “सिवा-ए-शहनशाह के हमारा कोई बादशाह नहीं है।”
فَحِينَئِذٍ أَسْلَمَهُ إِلَيْهِمْ لِيُصْلَبَ. فَأَخَذُوا يَسُوعَ وَمَضَوْا بِهِ. | ١٦ 16 |
फिर पिलातुस ने ईसा को उन के हवाले कर दिया ताकि उसे मस्लूब किया जाए।
فَخَرَجَ وَهُوَ حَامِلٌ صَلِيبَهُ إِلَى ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي يُقَالُ لَهُ «مَوْضِعُ ٱلْجُمْجُمَةِ» وَيُقَالُ لَهُ بِٱلْعِبْرَانِيَّةِ «جُلْجُثَةُ»، | ١٧ 17 |
वह अपनी सलीब उठाए शहर से निकला और उस जगह पहुँचा जिस का नाम खोपड़ी (अरामी ज़बान में गुल्गुता) था।
حَيْثُ صَلَبُوهُ، وَصَلَبُوا ٱثْنَيْنِ آخَرَيْنِ مَعَهُ مِنْ هُنَا وَمِنْ هُنَا، وَيَسُوعُ فِي ٱلْوَسْطِ. | ١٨ 18 |
वहाँ उन्हों ने उसे सलीब पर चढ़ा दिया। साथ साथ उन्हों ने ईसा के बाएँ और दाएँ हाथ दो डाकू को मस्लूब किया।
وَكَتَبَ بِيلَاطُسُ عُنْوَانًا وَوَضَعَهُ عَلَى ٱلصَّلِيبِ. وَكَانَ مَكْتُوبًا: «يَسُوعُ ٱلنَّاصِرِيُّ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ». | ١٩ 19 |
पिलातुस ने एक तख़्ती बनवा कर उसे ईसा की सलीब पर लगवा दिया। तख़्ती पर लिखा था, 'ईसा नासरी, यहूदियों का बादशाह।
فَقَرَأَ هَذَا ٱلْعُنْوَانَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلْيَهُودِ، لِأَنَّ ٱلْمَكَانَ ٱلَّذِي صُلِبَ فِيهِ يَسُوعُ كَانَ قَرِيبًا مِنَ ٱلْمَدِينَةِ. وَكَانَ مَكْتُوبًا بِٱلْعِبْرَانِيَّةِ وَٱلْيُونَانِيَّةِ وَٱللَّاتِينِيَّةِ. | ٢٠ 20 |
बहुत से यहूदियों ने यह पढ़ लिया, क्यूँकि ईसा को सलीब पर चढ़ाए जाने की जगह शहर के क़रीब थी और यह जुमला अरामी, लातिनी और यूनानी ज़बानों में लिखा था।
فَقَالَ رُؤَسَاءُ كَهَنَةِ ٱلْيَهُودِ لِبِيلَاطُسَ: «لَا تَكْتُبْ: مَلِكُ ٱلْيَهُودِ، بَلْ: إِنَّ ذَاكَ قَالَ: أَنَا مَلِكُ ٱلْيَهُودِ!». | ٢١ 21 |
यह देख कर यहूदियों के राहनुमा इमामों ने ऐतराज़ किया, “यहूदियों का बादशाह न लिखें बल्कि यह कि इस आदमी ने यहूदियों का बादशाह होने का दावा किया”।
أَجَابَ بِيلَاطُسُ: «مَا كَتَبْتُ قَدْ كَتَبْتُ». | ٢٢ 22 |
पिलातुस ने जवाब दिया, “जो कुछ मैं ने लिख दिया सो लिख दिया।”
ثُمَّ إِنَّ ٱلْعَسْكَرَ لَمَّا كَانُوا قَدْ صَلَبُوا يَسُوعَ، أَخَذُوا ثِيَابَهُ وَجَعَلُوهَا أَرْبَعَةَ أَقْسَامٍ، لِكُلِّ عَسْكَرِيٍّ قِسْمًا. وَأَخَذُوا ٱلْقَمِيصَ أَيْضًا. وَكَانَ ٱلْقَمِيصُ بِغَيْرِ خِيَاطَةٍ، مَنْسُوجًا كُلُّهُ مِنْ فَوْقُ. | ٢٣ 23 |
ईसा को सलीब पर चढ़ाने के बाद फ़ौजियों ने उस के कपड़े ले कर चार हिस्सों में बाँट लिए, हर फ़ौजी के लिए एक हिस्सा। लेकिन चोग़ा बेजोड़ था। वह ऊपर से ले कर नीचे तक बुना हुआ एक ही टुकड़े का था।
فَقَالَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «لَا نَشُقُّهُ، بَلْ نَقْتَرِعُ عَلَيْهِ لِمَنْ يَكُونُ». لِيَتِمَّ ٱلْكِتَابُ ٱلْقَائِلُ: «ٱقْتَسَمُوا ثِيَابِي بَيْنَهُمْ، وَعَلَى لِبَاسِي أَلْقَوْا قُرْعَةً». هَذَا فَعَلَهُ ٱلْعَسْكَرُ. | ٢٤ 24 |
इस लिए फ़ौजियों ने कहा, “आओ, इसे फाड़ कर तक़्सीम न करें बल्कि इस पर पर्ची डालें।” यूँ कलाम — ए — मुक़द्दस की यह पेशीनगोई पूरी हुई, “उन्हों ने आपस में मेरे कपड़े बाँट लिए और मेरे लिबास पर पर्ची डाला।” फ़ौजियों ने यही कुछ किया।
وَكَانَتْ وَاقِفَاتٍ عِنْدَ صَلِيبِ يَسُوعَ، أُمُّهُ، وَأُخْتُ أُمِّهِ، مَرْيَمُ زَوْجَةُ كِلُوبَا، وَمَرْيَمُ ٱلْمَجْدَلِيَّةُ. | ٢٥ 25 |
ईसा की सलीब के क़रीब: उस की माँ, उस की ख़ाला, क्लियुपास की बीवी मरियम और मरियम मग़दलिनी खड़ी थीं।
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ أُمَّهُ، وَٱلتِّلْمِيذَ ٱلَّذِي كَانَ يُحِبُّهُ وَاقِفًا، قَالَ لِأُمِّهِ: «يَا ٱمْرَأَةُ، هُوَذَا ٱبْنُكِ». | ٢٦ 26 |
जब ईसा ने अपनी माँ को उस शागिर्द के साथ खड़े देखा जो उसे प्यारा था तो उस ने कहा, “ऐ ख़ातून, देखें आप का बेटा यह है।”
ثُمَّ قَالَ لِلتِّلْمِيذِ: «هُوَذَا أُمُّكَ». وَمِنْ تِلْكَ ٱلسَّاعَةِ أَخَذَهَا ٱلتِّلْمِيذُ إِلَى خَاصَّتِهِ. | ٢٧ 27 |
और उस शागिर्द से उस ने कहा, “देख, तेरी माँ यह है।” उस वक़्त से उस शागिर्द ने ईसा की माँ को अपने घर रखा।
بَعْدَ هَذَا رَأَى يَسُوعُ أَنَّ كُلَّ شَيْءٍ قَدْ كَمَلَ، فَلِكَيْ يَتِمَّ ٱلْكِتَابُ قَالَ: «أَنَا عَطْشَانُ». | ٢٨ 28 |
इस के बाद जब ईसा ने जान लिया कि मेरा काम मुकम्मल हो चुका है तो उस ने कहा, “मुझे प्यास लगी है।” (इस से भी कलाम — ए — मुक़द्दस की एक पेशीनगोई पूरी हुई)।
وَكَانَ إِنَاءٌ مَوْضُوعًا مَمْلُوًّا خَلًّا، فَمَلَأُوا إِسْفِنْجَةً مِنَ ٱلْخَلِّ، وَوَضَعُوهَا عَلَى زُوفَا وَقَدَّمُوهَا إِلَى فَمِهِ. | ٢٩ 29 |
वहाँ सिरके से भरा हुआ एक बरतन रखा था, उन्होंने सिरके में स्पंज डुबोकर ज़ूफ़े की डाली पर रख कर उसके मुँह से लगाया।
فَلَمَّا أَخَذَ يَسُوعُ ٱلْخَلَّ قَالَ: «قَدْ أُكْمِلَ». وَنَكَّسَ رَأْسَهُ وَأَسْلَمَ ٱلرُّوحَ. | ٣٠ 30 |
यह सिरका पीने के बाद ईसा बोल उठा, “काम मुकम्मल हो गया है।” और सर झुका कर उस ने अपनी जान ख़ुदा के सपुर्द कर दी।
ثُمَّ إِذْ كَانَ ٱسْتِعْدَادٌ، فَلِكَيْ لَا تَبْقَى ٱلْأَجْسَادُ عَلَى ٱلصَّلِيبِ فِي ٱلسَّبْتِ، لِأَنَّ يَوْمَ ذَلِكَ ٱلسَّبْتِ كَانَ عَظِيمًا، سَأَلَ ٱلْيَهُودُ بِيلَاطُسَ أَنْ تُكْسَرَ سِيقَانُهُمْ وَيُرْفَعُوا. | ٣١ 31 |
फ़सह की तैयारी का दिन था और अगले दिन ईद का आग़ाज़ और एक ख़ास सबत था। इस लिए यहूदी नहीं चाहते थे कि मस्लूब हुई लाशें अगले दिन तक सलीबों पर लटकी रहें। चुनाँचे उन्हों ने पिलातुस से गुज़ारिश की कि वह उन की टाँगें तोड़वा कर उन्हें सलीबों से उतारने दे।
فَأَتَى ٱلْعَسْكَرُ وَكَسَرُوا سَاقَيِ ٱلْأَوَّلِ وَٱلْآخَرِ ٱلْمَصْلُوبِ مَعَهُ. | ٣٢ 32 |
तब फ़ौजियों ने आ कर ईसा के साथ मस्लूब किए जाने वाले आदमियों की टाँगें तोड़ दीं, पहले एक की फिर दूसरे की।
وَأَمَّا يَسُوعُ فَلَمَّا جَاءُوا إِلَيْهِ لَمْ يَكْسِرُوا سَاقَيْهِ، لِأَنَّهُمْ رَأَوْهُ قَدْ مَاتَ. | ٣٣ 33 |
जब वह ईसा के पास आए तो उन्हों ने देखा कि उसकी मौत हो चुकी है, इस लिए उन्हों ने उस की टाँगें न तोड़ीं।
لَكِنَّ وَاحِدًا مِنَ ٱلْعَسْكَرِ طَعَنَ جَنْبَهُ بِحَرْبَةٍ، وَلِلْوَقْتِ خَرَجَ دَمٌ وَمَاءٌ. | ٣٤ 34 |
इस के बजाए एक ने भाले से ईसा का पहलू छेद दिया। ज़ख़्म से फ़ौरन ख़ून और पानी बह निकला।
وَٱلَّذِي عَايَنَ شَهِدَ، وَشَهَادَتُهُ حَقٌّ، وَهُوَ يَعْلَمُ أَنَّهُ يَقُولُ ٱلْحَقَّ لِتُؤْمِنُوا أَنْتُمْ. | ٣٥ 35 |
(जिस ने यह देखा है उस ने गवाही दी है और उस की गवाही सच्ची है। वह जानता है कि वह हक़ीक़त बयान कर रहा है और उस की गवाही का मक़्सद यह है कि आप भी ईमान लाएँ)।
لِأَنَّ هَذَا كَانَ لِيَتِمَّ ٱلْكِتَابُ ٱلْقَائِلُ: «عَظْمٌ لَا يُكْسَرُ مِنْهُ». | ٣٦ 36 |
यह यूँ हुआ ताकि कलाम — ए — मुक़द्दस की यह नबुव्वत पूरी हो जाए, “उस की एक हड्डी भी तोड़ी नहीं जाएगी।”
وَأَيْضًا يَقُولُ كِتَابٌ آخَرُ: «سَيَنْظُرُونَ إِلَى ٱلَّذِي طَعَنُوهُ». | ٣٧ 37 |
कलाम — ए — मुक़द्दस में यह भी लिखा है, “वह उस पर नज़र डालेंगे जिसे उन्हों ने छेदा है।”
ثُمَّ إِنَّ يُوسُفَ ٱلَّذِي مِنَ ٱلرَّامَةِ، وَهُوَ تِلْمِيذُ يَسُوعَ، وَلَكِنْ خُفْيَةً لِسَبَبِ ٱلْخَوْفِ مِنَ ٱلْيَهُودِ، سَأَلَ بِيلَاطُسَ أَنْ يَأْخُذَ جَسَدَ يَسُوعَ، فَأَذِنَ بِيلَاطُسُ. فَجَاءَ وَأَخَذَ جَسَدَ يَسُوعَ. | ٣٨ 38 |
बाद में अरिमतियाह के रहने वाले यूसुफ़ ने पिलातुस से ईसा की लाश उतारने की इजाज़त माँगी। (यूसुफ़ ईसा का ख़ुफ़िया शागिर्द था, क्यूँकि वह यहूदियों से डरता था)। इस की इजाज़त मिलने पर वह आया और लाश को उतार लिया।
وَجَاءَ أَيْضًا نِيقُودِيمُوسُ، ٱلَّذِي أَتَى أَوَّلًا إِلَى يَسُوعَ لَيْلًا، وَهُوَ حَامِلٌ مَزِيجَ مُرٍّ وَعُودٍ نَحْوَ مِئَةِ مَنًا. | ٣٩ 39 |
नीकुदेमुस भी साथ था, वह आदमी जो गुज़रे दिनों में रात के वक़्त ईसा से मिलने आया था। नीकुदेमुस अपने साथ मुर और ऊद की तक़रीबन 34 क़िलो ख़ुश्बू ले कर आया था।
فَأَخَذَا جَسَدَ يَسُوعَ، وَلَفَّاهُ بِأَكْفَانٍ مَعَ ٱلْأَطْيَابِ، كَمَا لِلْيَهُودِ عَادَةٌ أَنْ يُكَفِّنُوا. | ٤٠ 40 |
उन्होंने ईसा की लाश को ले लिया और यहूदी जनाज़े की रुसूमात के मुताबिक़ उस पर ख़ुश्बू लगा कर उसे पट्टियों से लपेट दिया।
وَكَانَ فِي ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي صُلِبَ فِيهِ بُسْتَانٌ، وَفِي ٱلْبُسْتَانِ قَبْرٌ جَدِيدٌ لَمْ يُوضَعْ فِيهِ أَحَدٌ قَطُّ. | ٤١ 41 |
सलीबों के क़रीब एक बाग़ था और बाग़ में एक नई क़ब्र थी जो अब तक इस्तेमाल नहीं की गई थी।
فَهُنَاكَ وَضَعَا يَسُوعَ لِسَبَبِ ٱسْتِعْدَادِ ٱلْيَهُودِ، لِأَنَّ ٱلْقَبْرَ كَانَ قَرِيبًا. | ٤٢ 42 |
उस के क़रीब होने के वजह से उन्हों ने ईसा को उस में रख दिया, क्यूँकि फ़सह की तय्यारी का दिन था और अगले दिन ईद की शुरुआत होने वाली थी।